21 नवंबर 2012

ILLUMINATI या अदृश्य रहस्यमय शैतान


क्या है ये - ILLUMINATI ? हालीवुड अभिनेता अर्नाल्ड श्वाजनेगर है इसका प्रमुख सदस्य । और सबसे ज्यादा पैसा देता है ILLUMINATI को । TV शो BIG BOSS में भी देखा होगा । आपने ये त्रिभुज और उसके बीच में बनी ये रहस्यमय आंख । ये कहती है । दुनियां का प्रत्येक व्यक्ति हमारी नजर में  है । 

पर क्यों ? इसके पीछे बङी सनसनी खेज कहानी है । इसका लेखा जोखा हिन्दी में पेश करने की शीघ्र कोशिश रहेगी । बस कुछ लिंक्स इकठ्ठे करने शेष है । आप में से कोई भी इसके बारे में जानकारी रखता हो । तो मुझे ई मेल करे । उसकी पहचान उसी की इच्छानुसार गुप्त या प्रकट रखी जायेगी । इन फ़ोटो चार्ट को कापी करके कम्प्यूटर में बङा करके देखें ।
illuminati-news.com
december2012thefacts.com
ILLUMINATI IN INDIA.mp4 - YouTube ► 2:53► 2:53
Illuminati - Wikipedia, the free encyclopedia
The Illuminati ( plural of Latin illuminatus  " enlightened " ) is a name given to several groups, both real ( historical ) and fictitious. Historically the name refers to the ...
The Illuminati - plural of Latin illuminatus  " enlightened 


20 नवंबर 2012

हिन्दू नरक कैसा होता है ? जीते जी देखेगा ।


आज मैं कट्टर हिन्दू होने के नाते देशद्रोहियों के तलवे चाटने वाले केजरीवाल के अंध भक्तो के आगे 1 चुनौती रखता हूँ । अरविन्द केजरीवाल से कृपा करके नीचे दिए गए सवालों का जवाब हासिल करके सबूतों के साथ मुझे दें कि केजरीवाल और उसकी गैंग के क्या विचार है ?
1 Uniform Civil Code - Uniform civil Code पर केजरीवाल की क्या राय है ? यूनिफार्म सिविल कोड का मतलब है कि कानून सभी के लिए 1 समान होना चाहिए । हिन्दू + सिख + जैन + बौद्ध के लिए अलग । और मुस्लिम के लिए अलग कानून नहीं चलेगा । अगर केजरीवाल के गुर्गे यह कहते है कि - BJP ने यूनिफार्म सिविल कोड क्यों लागू नहीं किया ? तो जवाब है कि - BJP ने कोशिश की थी । लेकिन उसकी सहयोगी पार्टी जैसे कि JDU जैसी पार्टियों ने इसमें रोड़ा अटकाया । और कांग्रेस ने भी खूब रोड़ा अटकाया ।
2 Border Security - देश की सीमा को पूरी तरह से सील करने पर केजरीवाल की क्या राय है ? देश में अगर कोई भी घुसपैठ करता हुआ दिखाई दिया । तो देखते ही गोली मार देने का कानून हो । देश की सीमा को 8 मीटर ऊँची और 400 मिमी मोटी दीवार की सुरक्षा । ताकि पडोसी देशों से कोई घुसपैठ ना कर सके ( अमेरिका और इजरायल के आधार पर )
3 POTA - आतंकवाद से लड़ने के लिए POTA कानून जैसा सख्त कानून पर उसकी क्या राय है ? 
4 Fertility Rate Control Act - Fertility rate control act पर केजरीवाल की क्या राय है ? इस कानून के तहत किसी भी परिवार में 2 से अधिक बच्चे हैं । उसको किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिलेगी ( चीन के आधार पर ) 

5 बंगलादेशी घुसपैठियो के साथ क्या करना चाहिए ? यह सवाल भी बहुत अहम है । देश में 5 करोड़ से ज्यादा घुसपैठिये देश को अंदर ही अंदर चूस रहे हैं । उनको बांग्ला देश वापस भेजने पर केजरीवाल के क्या विचार है ? 
6 कश्मीर में हिन्दुओं को वापस कैसे बसाया जाए ? इस पर केजरीवाल की क्या राय है ? मेरे हिसाब से देश के सभी रिटायर्ड हिन्दू सिख सैनिकों को कश्मीर में भेज देना चाहिए । ताकि वो लोग कश्मीर में अपनी पकड़ बना सकें । और जब हालत काबू में हों । तो हिन्दुओं को वहाँ बसाना शुरू कर सकें ।
- केजरीवाल के अंध भक्त और उसके गुर्गों से सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि कृपया करके मेरे इस 6 मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करें । मैं यह 6 सवाल

पहले ही केजरीवाल और उसकी गैंग के आगे रख चूका हूँ । और उसका कोई भी जवाब अभी तक नहीं मिला है । केजरीवाल तुम्हारा नेता बन चूका है । नेता का कर्त्तव्य है कि अपनी जनता को उसके सवालों के जवाब दे । उम्मीद करता हूँ । आप लोग केजरीवाल से यह सभी मुद्दों पर बातचीत करके रिकार्डिंग करके हम तक पहुंचा देंगे ।
और हाँ ! अगर आप अपने सेक्युलर घटिया विचार टिप्पणी के तौर पर छोडने की सोच रहे हैं । तो आपको बस करने में 2 सेकंड लगेंगे । और आपकी टिप्पणी डिलीट करने में 1 सेकंड । तो अपना समय बर्बाद न करें  । जय श्री राम । ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।
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अब आप अपने घर में ही भगवान की पूजा नहीं कर पायेंगे । श्रद्धा के साथ मंदिर नहीं जा पायेंगे । घर में नकारात्मक उर्जा को हटाने के लिए आप घर

में हवन नहीं करवा पायेंगे । स्कुलों और सामाजिक संस्थानों से भगवान की फोटो हटा दी जायेगी । हिन्दू अपने देवी देवताओं का स्मरण नहीं कर पाएंगे । रामचरित मानस का पाठ नहीं करवा पायेंगे । अब ऐसा होने जा रहा है देश में । और यह शुरुआत महाराष्ट्र से कांग्रेस कर चुकी है । महाराष्ट्र में कांग्रेसी सरकार  " अंध श्रद्धा निर्मूलन विधेयक  "  नाम का कानून ला रही है । जिसका मकसद सभी धार्मिक श्रद्धाओं पर प्रतिबंध लगाना है । कांग्रेस महाराष्ट्र के बाद इस कानून को पुरे देश में लागु करने वाली है । देश के काले अंग्रेजों ने महाराष्ट्र की धरती से सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दू मान्यताओं पर आघात लगाना शुरू कर दिया है । इस क़ानून की सहायता से कांग्रेस पूरे देश से हिन्दुओं को 

ख़त्म करके विपक्ष को ही ख़त्म कर देना चाहती है । इस कानून में हिन्दुओं के लिए सारे प्रतिबंध हैं । लेकिन मुसलमानों के नाम पर सरकार चुप है । सरकार हिन्दू धर्म को कानून से बांधना चाहती है । और बाकी धर्मों को खुली छूट देना चाहती है ।
http://www.youtube.com/watch?v=fea8BydNBoU
अब देगा । कोई सेकूलर कीड़ा । इस बात का जवाब ? ज्यादा से ज्यादा शेयर करें । यदि इस देश में भविष्य में रहना है । और अपने भगवान की आराधना करनी है । नहीं तो दलालों की कांग्रेस पार्टी तो हिन्दुओं को खत्म करने की पूरी तैयारी कर ही चुकी है । कांग्रेस भगाओ । हिन्दुत्व बचाओ ।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=4511551041119&set=a.1094209689721.14548.1660943179&type=1&theater
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हैदराबाद की चार मीनार के नीचे है - भाग्य लक्ष्मी मंदिर । जिसे हटाने के लिए वहाँ का सांसद तक मुस्लिमों का साथ दे रहे हैं । लेकिन अभी तक सिर्फ " टी रजा सिंह  " डटे हुवे हैं । और पुलिस भी लगी हुई है । उन्हें रोकने के

लिए । इसी वजह से मुस्लिम लगातार हिन्दुओं के घरों को जला रहे हैं । और दंगा कर रहे हैं । लेकिन अभी तक किसी भी संगठन ने इस बारे में कुछ नहीं बोला है । क्योंकि न्यूज़ चैनल कुछ बता नहीं रहे हैं । इस बार तो हो सकता है कि इस बारे में उन्हें कुछ पता ना हो । और कोई हिन्दू भी मदद नहीं कर सकता । क्योंकि वो हैदराबाद में नहीं है । लेकिन हम मदद के लिए संगठनों को तैयार कर सकते हैं । सिर्फ 1 काल करके । हिन्दू लोगों के लिए हेल्प लाइन नंबर और न्यूज़ चैनल के नंबर नीचे दिए हैं । हिन्दू हेल्प लाइन पर काल करना है । और पूछना है कि आप हैदराबाद के हिन्दुओं की मदद क्यों नहीं कर रहे हो ? और न्यूज़ चैनल पर पूछना है कि हैदराबाद की न्यूज़ को क्यों नहीं दिखा रहे हो । आपका इतना सा सहयोग हैदराबाद के हिन्दुओं की मदद कर सकता है । चुप न बैठे । सिर्फ 1 काल करें । और इस मैसेज को सबको फ़ारवर्ड करें । हिन्दू हेल्प लाइन नंबर - 020-66803300  & 07588682181
email - contacthhl@gmail.com
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भारत के शांति दूत ? इजरायल को कोस रहे हैं । फ़िलिस्तीन के लिए प्रार्थना कर रहे हैं । हमेशा की तरह किसी मुस्लिम देश को कुछ होता है । तो यहाँ के शांति दूत ? लग जाते है - इंसानियत का ढोल बजाने ।
उस समय ये कौन से बिल में छिपे थे । जब वही फ़िलिस्तीन युद्ध विराम के समय राकेट के ऊपर राकेट दाग रहा था । और इजरायल चुप बैठा था ? और जब युद्ध विराम के बाद इजरायल आग बरसा रहा है । तो इन्हें मानवता याद आई । हमेशा की तरह ये कायर ? तथाकथित  " बच्चों 

और औरतों " को सामने करते हैं । अरबी बोटियों पर पलने वाली INDIAN TRP मीडिया नमक का कर्ज अदा करने में लगी है । अक्ल के अंधे कुछ अब्दुल्ले भी सेक्युलर बन सुर में सुर मिला रहे हैं । जबकि उन्हें इजरायल फ़िलिस्तीन का ABCD तक नहीं पता । हमारी अंग्रेजी मीडिया बार बार अपनी हेडलाइन में बच्चे और औरतों का नाम ले रही है । उन्हें ये आंकडे कहाँ से मिले ? उन्हीं झूठे फ़िलिस्तीन मीडिया वालों से ? उन्होंने कहा । इन्होने छापा । युद्ध तो युद्ध होता है । जब फ़िलिस्तीन ने कोई नियम का पालन नहीं किया । तो इजरायल क्यों करें ? कोई सेकुलर जवाब देगा ?
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=298845003558745&set=a.135071216602792.24327.135053696604544&type=1&theater
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आज हिन्दू उस चौराहे पर खड़ा है । जहाँ उसे आत्ममंथन करने की बहुत जरुरत है । अगर हिन्दुओ ने 1 होकर आज धर्म निरपेक्ष का दामन नहीं छोड़ा । तो हिन्दू जीते जी नरक कैसा होता है ? वो देखेगा । आज मैं सभी हिन्दुओं से कहना चाहता हूँ । आज मैं देश के सभी दलितों और पिछड़े वर्ग के हिन्दुओं से क्षमा मांगता हूँ । जो कुछ भी उनको फर्जी ब्राह्मणों के कारण सहना पड़ा । आज अगर हिन्दू 1 नहीं हुआ । तो वो दिन ज्यादा दूर नहीं है । जब भारत में पाकिस्तान जैसे हालत होंगे । और हिन्दुओ की माँ बहन बेटियों को जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया जायेगा । और हिन्दुओं की हत्या की जाएगी । उस समय मुसलमान यह नहीं देखेगा कि - आप ब्राह्मण हो । या दलित । उनकी नज़रो में आप सिर्फ और सिर्फ काफ़िर होंगे । यह बात मात्र हिन्दुओं पर लागू नहीं होती । यह बात सभी दुसरे धर्मो के लिए भी है । सबसे अच्छा उदाहरण आज की तारीख में पाकिस्तान । बांग्लादेश है । और अगर अपने भारत देश में देखना है । तो - असम । पाकिस्तान । हैदराबाद है । मीडिया वाले आपको कभी सच नहीं बताने वाले । अगर ऐसा होता । तो आज तक सच देश के आगे होता । असम में दंगे हुए । मीडिया चुप रही । हैदराबाद में दंगे हुए । मीडिया चुप रही । उत्तर प्रदेश में दंगे हुए । मीडिया चुप रही । आप क्या अपेक्षा कर सकते हो । उन सभी धर्मनिरपेक्ष लोगो से । जो हिन्दू सिख को गालियाँ देने में धर्म निरपेक्षता समझते हैं ? अगर किसी को भी मेरे इस लेख से आपत्ति है । तो कृपया करके अपनी आपत्ति तथ्यों पर टिप्पणी देकर दर्ज करें । अगर आपको कोई भी ज्ञान नहीं है । इस बारे में । तो अपने ऊपर 1 कृपा करना । भारत का इतिहास सही से पड़ लेना । 1947 से 2012 तक मुसलमान कितनी तेजी से फैले ? या यह देख लेना । हिन्दुओं का पाकिस्तान और बांग्लादेश में क्या हाल हुआ ? वो देख लेना । कश्मीर की कहानी पूरी तरह से पढ लेना । असम में क्या हुआ । वो देख लेना ? हैदराबाद में क्या हुआ । वो देख लेना ? अगर तब भी यकीन ना आये । तो मुस्लिम बहुल इलाको में 2-3 महीने रहकर देख लेना ( हिन्दू बनकर ) जागो हिन्दुओ जागो ।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=301352099981101&set=a.214329212016724.47174.214240438692268&type=1&theater
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A heart breaking photo from Palestine after Israel's missile rain .In Palestine 80% kids are suffering from mental depression and anxiety.
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One man was searching for something in his safe for hours.
Wife - What are you searching for ?
Husband - I give up. I was searching for our marriage papers.
Wife - But why ?
Husband - I was searching for the expiry dates .

15 नवंबर 2012

काम दग्ध जे जोगी करै

1 जमाना था कि हमने ऐसी कथाएं लिखी थीं कि जब बुद्ध को ज्ञान हुआ । तो देवता उतरे आकाश से उनके चरणों में सिर झुकाने । जब महावीर जागे । तो फूल बरसे आकाश से । देवता आये सुनने । क्योंकि था । जब कोई व्‍यक्‍ति परम आनंद को उपलब्ध होगा । तो देवताओं को भी ईर्ष्या होगी । क्योंकि देवता अभी परम आनंद के उपलब्ध नहीं हैं । पुण्य का फल भोग रहे हैं । फल चुक जायेगा । कल, वापिस लौट आना पड़ेगा । उनका सुख कितना ही लंबा हो । अस्थायी है । शाश्वत सुख तो वही जानता है । जो नाथ के सदा संग हो गया । अभी वे सदा संग नहीं हैं ।
अरधै जाता उरधै धरै । काम दग्ध जे जोगी करै ।
बड़ा बहुमूल्य सूत्र है - अरधै जाता उरधै धरै । काम दग्ध जे जोगी करै ।
उस योगी का काम दग्ध हो जाता है । जो अपने आनंद को नीचे नहीं जाने देता । ऊपर ले जाता है । अरधै जाता उरधै धरै !
जो नीचे की तरफ बह रहा है । उसी रस को ऊपर की तरफ उठाने लगता है ।
3 शब्द समझ लेना । एक है - काम । काम है । सुख नीचे की तरफ बहता हुआ । दूसरा शब्द है - प्रेम । प्रेम है । सुख मध्य में अटका हुआ । न नीचे जा रहा है । न ऊपर जा रहा है । और तीसरा शब्द है - प्रार्थना । प्रार्थना है । सुख ऊपर जाता हुआ । ऊर्जा वही है । काम में वही ऊर्जा नीचे की तरफ जाती है । प्रेम में वही ऊर्जा बीच में थिर हो जाती है । प्रार्थना में वही ऊर्जा पंख खोल देती है । आकाश की तरफ उड़ने लगती है । इसलिए मैंने कहा है - संभोग और समाधि संयुक्त हैं । एक ही ऊर्जा है । एक ही सीढ़ी है । नीचे की तरफ जाओ तो संभोग । ऊपर की तरफ जाओ तो समाधि । और दोनों के मध्य में प्रेम है । प्रेम द्वार है । प्रेम दोनों का द्वार है । प्रेम संभोग का भी द्वार है । अगर तुम्हारी ऊर्जा नीचे की तरफ जा रही है । तो प्रेम संभोग का द्वार बन जायेगा । और अगर तुम्हारी ऊर्जा ऊपर की तरफ जा रही है । तो प्रेम समाधि का द्वार बन जायेगा । प्रेम बड़ा अदभुत है । सेतु है । क्योंकि मध्य है । अरधै जाता उरधै धरै...
वह जो नीचे की तरफ ऊर्जा बह रही है कामवासना में । अब धीरे धीरे जागो । उसी ऊर्जा को ऊपर की तरफ ले चलना है । और जिस ऊर्जा को ऊपर ले जाना हो । उससे लड़ना मत । क्योंकि जिससे तुम लडे । उससे संबंध छूट जाता है । जिससे तुम लड़े । उससे तुम भयभीत हो जाते हो । जिससे तुम लड़े । उसका तुम दमन कर देते हो । और जिसका दमन हो जाता है । उसका ऊर्ध्वगमन नहीं हो सकता ।
इसलिए गोरख ने और गोरख के पीछे चलने वाले नाथ पंथियों ने कामवासना का दमन नहीं कहा - कामवासना का ऊर्ध्वगमन । भेद समझ लेना । तुम्हारे तथाकथित धार्मिक गुरु कामवासना का दमन सिखाते हैं -दबा डालो...। दबाने से क्या होगा ? कामवासना को निखारना है । दबाना नहीं । कामवासना हीरा है कीचड़ में पड़ा । कीचड़ धो डालनी है । मगर हीरा थोड़े ही फेंक देना है । कीचड़ के कारण हीरा मत फेंक देना । नहीं तो पीछे बहुत पछताआगे । और यही हालत तुम्हारे साधुओं की है । उनकी हालत तुमसे बदतर हो गयी है । तुम्हें हीरा नहीं मिला । क्योंकि तुम्हारा हीरा कीचड़ में पड़ा है । उनने कीचड़ छोड़ दी । साथ हीरा भी छूट गया । धोबी के गधे हो गये हैं । न घर के न घाट के । दुविधा में दोई गये, माया मिली न राम । समाधि का कुछ पता नहीं चल रहा है । संभोग से जो थोड़े बहुत सुख की कभी झलक, किरण मिलती थी । वह भी दूर हो गयी । इसलिए 24 घंटे चित्त उनका रुग्ण है । कहीं भी जडें न रहीं । जमीन से जड़ें उखाड़ लीं । और आकाश में जड़ें जमाने का राज नहीं आया
राज इस बात में है - हीरे को निखारना है । साफ करना है । कीचड़ को धो डालना है । कीचड़ से कमल हो जाता है । तो कीचड़ से घबड़ाओ मत । इसलिए कमल का 1 नाम है - पंकज । पंकज का अर्थ होता है - पंक से जो हो जाये । कीचड़ से जो हो जाये । कीचड़ से कमल हो जाता है । इतना बहुमूल्य, इतना प्यारा रूप, इतना सौंदर्य प्रगट हो जाता है । काम की कीचड़ में राम का कमल छिपा है । अरधै जाता उरधै धरै...
इसलिए जागो । समझो । काम की ऊर्जा को पहचानो । उसके साक्षी बनो । लड़ो मत । दुश्मनी नहीं । मैत्री करो । मित्र को ही फुसलाया जा सकता है ऊपर जाने के लिये । हाथ में हाथ लो काम ऊर्जा का । ताकि धीरे  धीरे तुम उसे प्रेम में रूपांतरित करो । पहले तो काम को प्रेम में रूपांतरित करना होगा । फिर प्रेम को प्रार्थना में । ऐसे ये 3 सीढ़ियां पूर्ण हो जायें । तो तुम्हारे भीतर सहस्रार खुले । शून्य गगन में उस बालक का जन्म हो ।
खयाल रखना, काम से भी बच्चों का जन्म होता है । संभोग से भी बच्चे पैदा होते हैं । और समाधि से भी बालक का जन्म होता है । वह बालक तुम्हारी अंतरात्मा है । वह बालक तुम्हारा भव्य रूप है । दिव्य रूप है । जैसे तुम्हारे भीतर कृष्ण का जन्म हुआ । कृष्णाष्टमी आ गयी । तुम्हारे भीतर बालक कृष्ण जन्मा ।
गगन सिषर महि बालक बोले । ताका नांव धरहुगे कैसा ।
अरधै जाता उरधै धरै । काम दग्ध जे जोगी करै ।
और वही योगी काम को दग्ध कर पायेगा । जो नीचे जाती ऊर्जा को ऊपर की तरफ संलग्न कर लेता है । लड़ने की बात नहीं है ।
तजै अल्यंगन काटै माया ।
जो क्षुद्र है । नीचा है । जो तुमसे बाहर है । उससे धीरे धीरे अपना आलिंगन छोड़ो । धीरे  धीरे उसमें अर्थ है । यह बात छोड़ो । उसमें अर्थ है नहीं । अर्थ तुम्हारे भीतर छिपा है । ओशो

14 नवंबर 2012

गलत सलत दोहा लिखा है - डा. श्याम गुप्त


डा. श्याम गुप्त पोस्ट " लाखों लोग इस फ़ोकटिया सतसंग को सुन रहे हैं । " पर  टिप्पणी ।
तात स्वर्ग अपवर्ग धरि धरिय तुला एक अंग । तूल ना ताहि सकलि मिल जो सुख लव सतसंग ।
गलत सलत दोहा लिखा है । मेरे विचार से सही है ।
तात वर्ग,अपवर्ग सुख,धरिय तुला इक अंग । तुले न ताही सकल मिलि,जो सुख लव सतसंग ॥
- वर्ग यहाँ सांसारिक सुख और अपवर्ग = उस दुःखदायी जन्म से विमुक्ति...अर्थात सतसंग सांसारिक एवं पारलौकिक दोनों सुखों से बढकर है ... अब क्यों.. यह तो बहुत बड़ा तात्विक दर्शन है...सतसंग करिए और जानिये ....
ƸӜƷƸӜƷƸӜƷ
डा. श्याम गुप्त जी ! त्रुटि की तरफ़ ध्यान दिलाने हेतु धन्यवाद । तात वर्ग अपवर्ग सुख में वर्ग के स्थान पर " स्वर्ग " और सुख के स्थान पर " धरि " और तुले ना ताही सकलि मि्लि में खास तुले के स्थान पर - तूल ।

वास्तव में गलत लिख गया है । आपका दोहा सही है । इसमें मेरे द्वारा लिखा गया शब्द " तूल " भृमित कर सकता है । क्योंकि तूल का अर्थ जोर होता है । और मैं इस बात से भी सहमत हूँ कि यथासंभव लिखने और बोलने में शुद्धता होनी ही चाहिये । और मैं यह भी मानता हूँ कि सुख के स्थान पर गलती से धरि लिख गया । लेकिन साधुओं का मामला थोङा अलग हो जाता है । आप गौर करें । तो तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहीं क्ष अक्षर का उपयोग नहीं किया । इसकी जगह सभी स्थानों पर छ ही लिखा है । इसी तरह कहीं भी श अक्षर नहीं आया है । इसकी भी जगह स या ष का प्रयोग हुआ  है । ण अक्षर का उपयोग भी नहीं किया । इसकी जगह न लिखा है । चलिये कुछ उदाहरण देखते हैं ।
( लछिमन ? ) समुझाए बहु भाँति । पूछत चले लता तरु पाँती ।
पूरक नाम राम सुख ( रासी ? ) । मनुज चरित कर अज ( अबिनासी ? ) ।
लै ( दच्छिन ? ) दिसि ? गयउ गोसाईं । बिलपति अति कुररी की नाईं ।
जो अगम सुगम सुभाव निर्मल असम सम ( सीतल ? ) सदा ।
जो अगम और सुगम हैं । निर्मल स्वभाव हैं । विषम और सम हैं । और सदा शीतल ( शांत ) हैं ।
तात तीनि अति प्रबल खल काम क्रोध अरु लोभ । मुनि बिग्यान धाम मन करहिं निमिष महुँ ( छोभ ? ) ।
ते फल ( भच्छक ? ) कठिन कराला । तव भय डरत सदा सोउ काला । 
उन फलों का भक्षण ? करने वाला कठिन और कराल काल है । वह काल भी सदा आपसे भयभीत रहता है ? ( छमब ? ) आजु अति अनुचित मोरा । कहउँ बदन मृदु बचन कठोरा ।
मेरे इस अत्यन्त अनुचित बर्ताव को क्षमा ? कीजिएगा । मैं कोमल ( छोटे ) मुख से कठोर ( धृष्टता पूर्ण ) वचन कह रहा हूँ । अबिनय बिनय जथारुचि बानी । ( छमिहि ? ) देउ अति आरति जानी ।
अविनय या विनय भरी जैसी रुचि हुई वैसी ही वाणी कहकर सर्वथा ढिठाई की है । हे देव ! मेरे आर्तभाव ( आतुरता ) को जानकर आप क्षमा ? करेंगे ।
ƸӜƷƸӜƷƸӜƷ
मैंने गीता प्रेस गोरखपुर आदि से प्रकाशित रामायण और श्रीमद भगवत गीता का अर्थ व्याख्या देखी है । जो

मुझे पक्का पता है । कई स्थानों पर एकदम गलत है । लेकिन मेरे पास कम से कम अभी तो समय का बेहद अभाव है । और इस तरह के सही गलत अन्तर को बताती हुयी पाण्डुलिपि खुद तैयार करना एक लम्बे समय की मांग करता है । और मैं कोई विद्वान या लेखक नहीं । बल्कि आंतरिक ज्ञान का साधक हूँ । जिसकी जिम्मेदारी अन्य अनेकानेक जीवों को चेताने आगे बढाने की भी है । अतः सार ये कि साधु अपने ही तरीके से बात करते हैं । कैसे ? आपने जो वर्ग का अर्थ - सांसारिक सुख । और अपवर्ग का अर्थ  - उस दुःखदायी जन्म से विमुक्ति । लिखा है । वह सांसारिक भावों में ठीक है । पर गूढ अर्थों में एकदम गलत । क्योंकि स्वर्ग किसी भी मनुष्य के लिये बहुत बङी चीज होता है । और आत्म ज्ञानियों के लिये - पीकदान । शास्त्रों में वर्णित मोक्ष ( 4 प्रकार की मुक्ति ) मनुष्य के लिये  बहुत बङी चीज है । पर सुरति शब्द योग वालों के लिये - काल माया द्वारा फ़ैलाया गया छल । नाटक । आत्म ज्ञानी मुक्ति नहीं मुक्त शब्द का प्रयोग करते हैं । और इन दोनों में जमीन आसमान से भी बङा अन्तर है  । अन्तर तो इससे भी कहीं बहुत बहुत बहुत ज्यादा है । पर अफ़सोस आप इससे बङे अन्तर के स्थान और तुलनात्मक स्थितियों से परिचित नहीं हैं । कर्म धर्म दोऊ बटें जेबरी । जहाँ मुक्ति भरती पानी । सो गति बिरले जानी । अतः मैंने जो वर्ग को ( अर्थ में  । दोहे में नहीं )  स्वर्ग लिखा । वो सही है । और अपवर्ग को स्वर्ग या स्वर्गिक सुखों से भी ऊपर की मुक्ति स्थितियाँ । वह भी सही है । ये दोहा देखिये - अनुज वधू भगिनी सुत नारी । सुन सठ कन्या सम ए  ( चारी ? ) । इस दोहे में चारी शब्द का अर्थ विचार या मान्यता है । बताईये चारी का अर्थ किसी भी तरीके से यह निकलता है ? अब ये दोहा देखिये -  आकर चार लक्ष चौरासी । जोनि भृमित यहि जिव अविनाशी । इसमें - चार लक्ष चौरासी का मतलब क्या है ? 4 लाख 84 ? क्या ये गिनती 4 लाख 84  संख्या को बता रही है ? ये बता रही है । 4 प्रकार की 84 लाख योनियां । अब देखिये । क्यों है स्वर्ग महत्वहीन - एहि तन करि फ़ल विषय न भाई । स्वर्ग हू स्वल्प अन्त दुखदायी । थोङे समय का है स्वर्ग । और अन्त में अधोगति । यानी वही 84 लाख योनियां । और  देखिये - राम बुलाबा भेजिया । दिया कबीरा रोय । जो सुख है सतसंग में । सो बैकुण्ठ न होय । तो मेरे उस लेख का सार - असली सतसंग क्या और कैसे ? बताना था । कहते हैं । घर का बना असली खोआ का लड्डू टेङा मेङा अर्थात तरीके से गोल सजावटी न हो । तो भी बाजारी मिलावटी से ? ज्यादा मजा देता है । ये साधुओं की फ़क्कङता होती है । इसलिये अब इसी मुख्य बात पर बात करते हैं । जैसा कि स्वयं आपने लिखा - अब क्यों ? यह तो बहुत बड़ा ? तात्विक दर्शन है ? सतसंग करिए । और जानिये ।
मेरे लिये सतसंग  ( वो भी असली ) बहुत बङा तात्विक दर्शन नहीं है । बल्कि बहुत बहुत बहुत छोटा सा ( आपके ही अनुसार ) तात्विक दर्शन है । अब इसी बहुत बङे तात्विक दर्शन ? को मैं 13 साल के बच्चों से लेकर 90 साल तक के वृद्धों को बङी आसानी से कराता हूँ । और ये सच्चे सदगुरु की कृपा से ही संभव है । मेरे उस लेख का सार यही था । तुलसीदास ने मानस में ही लिखा है - गो गोचर जहाँ लगि मन जाई । सो सब माया जानो भाई । यानी इंद्रियां ( गो ) और उनके विचरने के स्थान ( गोचर ) और जहाँ तक ये मन जाता है । वह सब सत्य ज्ञान नहीं । बल्कि माया है । काल और मन एक ही बात है । देखिये - काल काल सब कोइ कहे । काल न जाने कोय । जेती मन की कल्पना । काल कहावे सोय । अब देखिये ये काल कहाँ तक जाता है - सार शब्द जब आवे हाथा । तब तब काल नवावे माथा । सार शब्द निज सार है । कहूँ वेद तोय सार । पाईये सो पाईये । बाकी काल पसार । परमात्मा जब आदि सृष्टि से पूर्व की अवस्था में था । और उसमें पहली स्फ़ुरणा ( संकुचन ) हुयी । तब ये प्रथम शब्द प्रकट हुआ । जो वास्तव में 1 अनोखी ध्वनि है । इसी ध्वनि से । अलग अलग सृष्टि स्तरों पर । सृष्टि मंजिलों पर । बहुत तेज वायव्रेशन हो रहा है । जिससे अन्य अनेक धुनात्मक शब्दों - ॐ । सोहं । राम । शिवोहम आदि स्थितियों सृष्टियों का निर्माण हुआ है । तो मेरे कहने का मतलब ये काल उस सार शब्द तक जाता है । जिसे निःअक्षर भी कहा जाता है । यही मनुष्य जीवन का वास्तविक लक्ष्य भी है । और इसी के मिलने को आवागमन से मुक्त होना कहा गया है । क्योंकि सार शब्द के साथ ही परमात्मा से साक्षात्कार हो जाता है ।
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मित्रो ! देश के 1 भी राष्ट्रीय TV चैनल और अखबार ने डा स्वामी के इस प्रेस कांफ्रेंस को नहीं दिखाया था । इस बात से ही आप समझ सकते हैं कि देश की मीडिया देशद्रोही है । कृपया इस वीडियो को देखें । और अपने मित्रो से शेयर करें । देश का मीडिया देशद्रोही है । इसलिए लोगों को जगाने का काम हम लोगों को ही करना पड़ेगा ।

आज डा सुबृमनियम स्वामी ने सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी की फर्जी कंपनियों के बारे में प्रेस वार्ता में खुलासा किया । डा स्वामी ने विभिन्न इंडियन पेनल कोड IPC की धाराओं के बारे में भी बताया । जिनके अंतर्गत सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी दोषी है । डा स्वामी ने राहुल गांधी के स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख के पिक्टेट बैंक में खाता होने का सनसनीखेज खुलासा करने के साथ ही आरोप लगाया है कि गांधी खानदान ने विभिन्न देशों में दर्जनों फर्जी कंपनियों बनाई । अरबों का धन बटोरा । फिर कंपनी बंद कर दी । कांग्रेस के धन से दिल्ली का हेराल्ड हाउस कौड़ियों के भाव खरीदा । जिसकी बाजार कीमत 6 000 करोड़ से अधिक है । डा स्वामी ने कहा कि इनकी कंपनियों में विदेशी निवेश भी हुआ है । इसलिए इसकी जांच SIT से की जानी चाहिए । डा स्वामी ने कहा कि उन्होंने अभी 27 में से केवल 2 कंपनियों के बारे में जानकारी दी है । आगे जाकर वो सभी कंपनियों और उसमे हुए अनियमित्ताओं के बारे में जानकारी देगे । डॉ स्वामी कहते हैं कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को इस्तीफा देना चाहिए ।
डा स्वामी यह भी बताते हैं कि किस प्रकार से सोनिया गाँधी विभिन्न घोटालो में संलिप्त है । और किस प्रकार से सोनिया गाँधी ने अनेको ऐसे काम किये हैं । जिसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर सजा मिलनी चाहिए । डा स्वामी कहते हैं कि सोनिया गाँधी का चोरी करने का इतिहास रहा है । सबसे पहले इंश्योरेंस एजेंट बनकर चोरी किया । फिर मारुति का टेक्नीकल डायरेक्टर बनकर चोरी किया । फिर वो झूठे तरीके से वोटर बन गयी । राहुल गाँधी जब पैदा हुआ । तो उसको इटालियन नागरिक बना दिया । तो इस तरह से सब कुछ मिलाकर यह देश का सबसे महा भृष्ट परिवार है । यह और इस परिवार की पोल खोलने की प्रक्रिया आज से उन्होंने शुरु कर दी है । वो कहते हैं कि वो केजरीवाल की तरह केवल आरोप लगाकर भागने वाले नहीं हैं । वो इन आरोपों को न्यायालय में ले जायेंगे । और इन मुद्दों को अंत तक ले जायेंगे ।
अगर पूरा पोस्ट नहीं पढ़ सकते । तो यहाँ पर क्लिक करें । 
http://www.youtube.com/watch?v=RfQohTipfkg
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- Have been crucified with Christ; it is no longer I who live, but Christ who lives in me; and the life I now live in the flesh I live by faith in the Son of God, who loved me and gave himself for me ~ Galatians 2.20
- O my heart! the Supreme Spirit, the great Master, is near you: wake, oh wake ! Run to the feet of your Beloved: for your Lord stands near to your head .You have slept for unnumbered ages; this morning will you not wake ? Kabir
- Nothing can dim the light that shines from within…” Rise and shine my lovely friends . All the love and light 

11 नवंबर 2012

तुम्हें तो 1400 साल से किसी अल्लाह का पता चला

चर्चामंच से सोमवारीय चर्चा में इस लेख का लिंक मिला ।
- हमें विस्तार से पता होना चाहिए कि AA इस्लाम के अनुसार मुसलमानों को गैर मुसलमानों के साथ कैसे संबंध रखने चाहिए और कैसे उनके साथ इस्लामी शरी'अत के अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिये ?
A सब तारीफें अल्लाह के ही लिए हैं ?
B पहली बात तो यह कि इस्लाम दया और न्याय का धर्म है ? इस्लाम के लिए इस्लाम के अलावा अगर कोई और शब्द इसकी पूरी व्याख्या कर सकता है । तो वह है - न्याय ?
मुसलमानों को आदेश है कि - C ग़ैर मुसलमानों को ज्ञान । सुंदर उपदेश । तथा बेहतर ढंग से वार्तालाप से बुलाओ ।  ईश्वर ? कुरआन में कहता है (अर्थ की व्याख्या)
29-46 D और किताब वालों से बस उत्तम रीति से वाद विवाद करो । रहे वे लोग जो उनमें ज़ालिम हैं । उनकी बात दूसरी है ? और कहो - E हम ईमान लाये उस चीज़ पर ? जो हमारी ओर  अवतरित हुई और तुम्हारी ओर भी अवतरित ? हुई ।
F और हमारा पूज्य और तुम्हारा पूज्य अकेला ही है और हम उसी के आज्ञाकारी हैं ?
9-6 और यदि मुशरिकों (G जो ईश्वर के साथ किसी और को भी ईश्वर अथवा शक्ति मानते हैं) में से कोई तुमसे शरण मांगे तो तुम उसे शरण दे दो । यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुन ले । फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान पर पंहुचा दो ।
H क्यों वे ऐसे लोग हैं । जिन्हें ज्ञान नहीं है ?
इस्लाम यह अनुमति नहीं देता है कि 1 मुसलमान किसी भी परिस्थिति में किसी गैर मुस्लिम (जो इस्लाम के प्रति शत्रुता पूर्ण व्यवहार नहीं करता ?) के साथ बुरा व्यवहार करे ।
J इसलिए मुसलमानों को किसी ग़ैर मुस्लिम के खिलाफ आक्रमण की या डराने की या आतंकित करने या उसकी संपत्ति गबन करने की या उसे उसके सामान के अधिकार से वंचित करने की या उसके ऊपर अविश्वास करने की या उसे उसकी मजदूरी देने से इंकार करने की या उनके माल की कीमत अपने पास रोकने की (जबकि उनका माल खरीदा जाए) या अगर साझेदारी में व्यापार है । तो उसके मुनाफे को रोकने की अनुमति नहीं है ।
इस्लाम के अनुसार यह मुसलमानों पर अनिवार्य है । गैर मुस्लिम पार्टी के साथ किया करार या संधियों का सम्मान करें । 1 मुसलमान अगर किसी देश में जाने की अनुमति चाहने के लिए नियमों का पालन करने पर सहमत है (जैसा कि वीसा इत्यादि के समय) और उसने पालन करने का वादा कर लिया है । तब उसके लिए यह अनुमति नहीं है कि K उक्त देश में शरारत करे । किसी को धोखा दे । चोरी करे । किसी को जान से मार दे अथवा किसी भी तरह की विनाशकारी कार्रवाई करे । इस तरह के किसी भी कृत्य की अनुमति इस्लाम में बिलकुल नहीं है ।
अल शूरा 42-15 अर्थ की व्याख्या  - और मुझे तुम्हारे साथ न्याय का हुक्म है । L हमारे और आपके प्रभु ? 1 ही है । हमारे साथ हमारे कर्म हैं और आपके साथ आपके कर्म ।
इस्लाम यह अनुमति अवश्य देता है कि M अगर ग़ैर मुस्लिम मुसलमानों के खिलाफ युद्ध का एलान करें । उनको उनके घर से बेदखल कर दें अथवा इस तरह का कार्य करने वालों की मदद करें । तो ऐसी हालत में मुसलमानों को अनुमति है । ऐसा करने वालों के साथ युद्ध करे और उनकी संपत्ति जब्त करें ।
60-8 N अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता है कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो । जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और ना तुम्हें तुम्हारे अपने घर से निकाला । निस्संदेह अल्लाह न्याय करने वालों को पसंद करता है ?
60-9 अल्लाह तो तुम्हें केवल उन लोगों से मित्रता करने से रोकता है । O जिन्होंने धर्म के मामले में  तुमसे युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला और तुम्हारे निकाले जाने के सम्बन्ध में सहायता की । जो लोग उनसे मित्रता करें । वही ज़ालिम हैं ।
क्या इस्लाम काफिरों का क़त्ल करने का हुक्म देता है ? कुछ लोग इस्लाम के बारे में भ्रांतिया फ़ैलाने के लिए कहते हैं कि इस्लाम में गैर मुसलमानों को क़त्ल करने का हुक्म है । P इस बारे में ईश्वर के अंतिम संदेष्ठा महापुरुष मुहम्मद (स.) की कुछ बातें लिख रहा हूँ । इन्हें पढ़कर फैसला आप स्वयं कर सकते हैं ।
Q - जो ईश्वर और आखिरी दिन (क़यामत के दिन) पर विश्वास रखता है । उसे हर हाल में अपने मेहमानों का सम्मान करना चाहिए । अपने पड़ोसियों को परेशानी नहीं पहुँचानी चाहिए और हमेशा अच्छी बातें बोलनी चाहिए अथवा चुप रहना चाहिए । Bukhari, Muslim
R - जिसने मुस्लिम राष्ट्र में किसी ग़ैर मुस्लिम नागरिक के दिल को ठेस पहुंचाई । उसने मुझे ठेस पहुंचाई । Bukhari
- जिसने 1 मुस्लिम राज्य के गैर मुस्लिम नागरिक के दिल को ठेस पहुंचाई । मैं उसका विरोधी हूँ । S और मैं न्याय के दिन उसका विरोधी होऊँगा । Bukhari
T - न्याय के दिन से डरो ? मैं स्वयं उसके खिलाफ शिकायत कर्ता रहूँगा ? जो 1 मुस्लिम राज्य के  गैर मुस्लिम नागरिक के साथ गलत करेगा या उस पर उसकी जिम्मेदारी उठाने की ताकत से अधिक जिम्मेदारी डालेगा अथवा उसकी किसी भी चीज़ से उसे वंचित करेगा । Al-Mawardi
- अगर कोई किसी गैर मुस्लिम की हत्या करता है । जो कि मुसलमानों का सहयोगी था । तो उसे स्वर्ग तो क्या स्वर्ग की खुशबू को सूंघना तक नसीब नहीं होगा । Bukhari
एवं पवित्र कुरआन में ईश्वर कहता है कि - इसी कारण U हमने इजरायल की संतान के लिए लिख दिया था कि - जिसने किसी व्यक्ति को किसी के ख़ून का बदला लेने या धरती में फ़साद फैलाने के जुर्म के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाला । तो मानो, उसने सारे ही इंसानों की हत्या कर डाली और जिसने उसे जीवन प्रदान किया । उसने मानों सारे इंसानों को जीवन प्रदान किया । V उनके पास हमारे रसूल (संदेशवाहक) स्पष्‍ट प्रमाण ला चुके हैं ? फिर भी उनमें बहुत से लोग धरती में ज़्यादतियाँ करने वाले ही हैं । 5-32 - शाहनवाज़ सिद्दीकी
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इस लेख पर कुछ टिप्पणियां ।
Shah Nawaz  - अब तो आपको पता चल ही गया होगा कि इस्लाम किसके साथ युद्ध करने का हुक्म देता है ? W अगर कोई मेरे घर अथवा मेरे देश पर आक्रमण करेगा । तो मैं अवश्य ही कुरआन ए करीम का अनुसरण करते हुए उनकी गर्दने उतारूंगा और उनके पोर पोर पर चोट पहुंचाऊंगा ।
safat alam taimi - बड़ा अच्छा लेख प्रस्तुत किया शाहनवाज़ भाई आपने । X लोगों को बस आपत्ति करना आता है । समझने के इच्छुक हों तब ना ? और विरोध भी कर रहे हैं किसका ? अपनी ही धरोहर का ?
safat alam taimi  - 1 Y कुरआन शान्ति का संदेश देता है ? इस्लाम का उद्देश्य पूरे संसार में शान्ति स्थापित करना है ? Z इस्लाम हर धर्म का सम्मान करता है ? क़ुरआन में इंसानी जानों का सम्मान इतना किया गया है कि उसने किसी 1 व्यक्ति (चाहे उसका धर्म कुछ भी हो) की हत्या को सारे संसार की हत्या सिद्ध करता है । जो कोई किसी इंसान को जबकि उसने किसी की जान न ली हो । अथवा धरती में फसाद न फैलाया हो की हत्या करे । तो मानो उसने प्रत्येक इंसानों की हत्या कर डाला और जो कोई 1 जान को (अकारण कत्ल होने से) बचाए । तो मानो उसने प्रत्येक इंसानों की जान बचाई । सूर । माईदा । आयत 32
और मुसलमान जिस नबी को अपनी जान से अधिक प्रिय समझते हैं । A1 वह प्रत्येक संसार के लिए ? दयालुता बनकर आये थे B1  (हे मुहम्मद) हमने आपको सम्पूर्ण संसार के लिए दयालुता बनाकर भेजा है । सूर । अंबिया 107 मुहम्मद सल्ल के प्रवचनों में आता है - जो कोई इस्लामी शासन में रहने वाले गैर मुस्लिम की हत्या कर दे । वह स्वर्ग की बू तक न पाएगा । सही । बुख़ारी ।
देखा ! यह है इस्लाम की शिक्षा ? और हम सब इसी पर 100 % विश्वास रखते हैं । 1 मुस्लिम कभी किसी गैर मुस्लिम को गैर मुस्लिम होने के नाते किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुंचा सकता । इसलिए कि वह जानता है ? कि हम सब 1 ही माता पिता का संतान हैं ?
2 ज़रा आप C1 मुहम्मद सल्ल की आदर्श जीवनी ? का अध्ययन करके देख लीजिए । उनके शत्रुओं ने उनको और उनके अनुयाइयों को निरंतर 21 वर्ष तक हर प्रकार से सताया । कितनों को जान से मार दिया । घर से निकाला । लेकिन सबको सहन करते रहे । D1 यहाँ तक कि 21 वर्ष तक अत्याचार सहते सहते जब अन्त में मक्का पर विजय पा चुके ? तो सार्वजनिक क्षमा की घोषणा कर दी । जिसका परिणाण यह हुआ कि मक्का विजय के वर्ष उनके अनुयाइयों की संख्या 10 000 थी । तो 2 वर्ष में ही 1 अन्तिम हज के अवसर पर 1 लाख 40 हज़ार हो गई । क्यों ? वह सोचने पर विवश हुए कि जिस इंसान को हमने 21 वर्ष तक चैन से रहने नहीं दिया । हम पर क़ाबू पाने के बाद हमारी क्षमा की घोषणा कर रहा है । मानो यह स्वार्थी नहीं । बल्कि हमारी भलाई चाहता है ।
सुलभ § सतरंगी said - उपरोक्त सन्दर्भ से 1 बात तो स्पष्ट है कि बांग्ला देश, पाकिस्तान या ऐसे देश के सरकार (लोग) दोज़ख के भागी है । इस्लामी शासन के अंतर्गत उन्होंने थोडा भी अन्याय किया तो वे स्वर्ग की खुशबू से वंचित रहेंगे ।
2 शाहनवाज जी ! त्वरित जवाब लिखने के लिए आपका शुक्रिया । कुछ ऐसी ही बातें हमारे उस्ताद ने भी बताई थी । जैसे सफ़र में हों । तो रोज़ा रखना जरुरी नहीं है इत्यादि । E1 मेरे अधिकाँश दोस्त मुस्लिम ही हैं । मगर वे इस्लाम के बारे में 0 या थोड़ी जानकारी रखते हैं ? ठीक उसी प्रकार अधिकांश हिन्दू विभिन्न रिवाज, नियम और ग्रंथों के बारे में सही जानकारी नहीं रखते ।
बहरहाल आप तो हम जैसे नास्तिकों को ‘काफिर’ समझते हैं ? जबकि मैं मानवता का सेवक हूँ । मेरी समस्या 1 ही है । किसी भी धर्म ग्रन्थ में आस्था नहीं । हाँ ! कुछ अच्छी बातें जरुर उठा लेता हूँ  सभी किताबों से । जैसे मैंने कुरआन/हदीस से 1 पंक्ति लिया - अमानत में खयानत नहीं करनी चाहिए । पुराने वेद से लिया - सर्व धर्म समभाव । वसुधैव कुटुम्बकम ।
गीता से लिया - परिवर्तन संसार का नियम है । इत्यादि और इसे गाँठ बाँध लिया । मुझे विश्वास है । कुरआन या अन्य अच्छे धर्म ग्रन्थ का पालन किये बगैर भी मैं अच्छी जिंदगी बसर कर सकता हूँ । सबको साथ लेकर चल सकता हूँ । इसके लिए मुसलमान कहलाना जरुरी नहीं है ? मैं अपने देश से इतर किसी धर्म को नहीं मानता हूँ । यही मेरी सुन्दरता का राज है । लेकिन जिद्दी लोगों को समझाना अपना फ़र्ज़ (नागरिक धर्म) समझता हूँ ।
2 why most of the terrorists all over the world are muslim ?
ऐसा कहना पूर्णत: सत्य नहीं है । आज भी विभिन्न देशों में विभिन्न पंथों के लोग आतंकवाद में लिप्त हैं ।
F1 परन्तु फिर भी जो आतंकवाद आज मुस्लिम समाज में पनप रहा है । वह चिंता का विषय है । दरअसल इसके पीछे लम्बी कहानी है । अमेरिका और इजरायल जैसे देश एवं कुछ सांप्रदायिक संगठन काफी सालों से कुछ मुस्लिम देशों/समाज को समाप्त अथवा पराजित करने जैसी कोशिश में लगे हुए हैं । इससे 1 कशमकश की स्थिति बन गई है और इस कारण मुस्लिम युवाओं में 1 असंतोष की भावना घर कर रही है और इसी का फायदा आतंकवादी संगठन उठा रहे हैं । वहीं अशिक्षा और बेरोज़गारी भी इसका 1 महत्त्वपूर्ण कारण है । G1 अशिक्षा के कारणवश बहुत ज्यादा मुसलमानों को मालूम ही नहीं है कि इस्लाम की क्या शिक्षाएं हैं ? और इसी का फायदा उठाकर आतंकवादी संगठन लोगों को बेवक़ूफ़ बनाकर अपनी योजनाओं में शामिल कर लेते हैं ।
http://sandesh.premras.com/2010/04/blog-post_14.html
गैर मुसलमानों के साथ संबंधों के लिए इस्लाम के अनुसार दिशा निर्देश ।
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AA इसी लेख पर मुस्लिम टिप्पणी में लिखा है कि - हम सब 1 ही माता पिता की संतान हैं ? फ़िर 1 ही माता पिता के मुस्लिम और गैर मुस्लिम 2 प्रकार की संतानें कैसे हो सकती हैं ?
A सब तारीफें अल्लाह के ही लिए हैं ? क्या ओलम्पिक में कोई गोल्ड मैडल जीता है अल्लाह ने या सचिन का रिकार्ड तोङ दिया या फ़िर 1400 साल के अल्लाह ने ऐसा कोई काम किया । जिसके लिये उसे नोबल प्राइज मिले ? दरअसल ये लिखना ही संकीर्णता का परिचायक है और धार्मिक वैमनस्यता का कारण और मूर्खतापूर्ण इस्लामी कट्टरता की जङ भी ?
B पहली बात तो यह कि इस्लाम दया और न्याय का धर्म है ?
- और बाकी धर्म क्या क्रूरता और अन्याय के धर्म हैं ? क्या 1400 साल पहले इंसान दया और न्याय से परिचित नहीं था । बहुत पीछे मत जाओ, ईसामसीह महावीर और बुद्ध को ही ले लो । क्या 1400 साल पहले धरती पर आदिमानव काल चल रहा था । जो नंगे पुंगे इंसान हू हा ऊ ऊ  बू बू  चिल्लाते फ़िरते थे ।
C ग़ैर मुसलमानों को ज्ञान, सुंदर उपदेश, ग़ैर मुसलमानों को (धार्मिक ज्ञान) ज्ञान, सुंदर उपदेश बाद में करना । पहले मुसलमानों को ही सुधार लो । उन्हें ठीक से नहाना धोना ही सिखा दो । पढना लिखना ही सिखा दो । ये मैं नहीं कह रहा । आपने (लेख लेखक) ही लिखा है । क्या लिखा । देखें G1 क्योंकि आप देख सकते हैं । वैश्विक % में गैर मुस्लिम कितने अधिक शिक्षित सफ़ाई पसन्द सलीके वाले और प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाले हैं । जबकि तमाम मुस्लिम आबादी आज भी आदिवासी कबीलाई जंगलियों के समान आचरण वाली है ।
D और किताब वालों से बस उत्तम रीति से वाद विवाद करो । पर और (धार्मिक किताब वालों) से वाद विवाद कर ही कहाँ पाओगे । तुम्हारी किताब तो हिन्दुओं की योग धर्म विज्ञान छोङो नैतिक शिक्षा, सद उपदेश जैसी मामूली किताबों के आगे ही नहीं ठहर पायेगी । क्या तुम्हारी अक्ल पर  ताला लगा है । जिनको तुम अल्लाह का उपदेश कहते हो । किसी भी चौराहे नुक्कङ पर बैठे निठल्ले नाकारा लोग भी इससे सुन्दर उपदेश करते हैं न कि उलझाऊ - फ़िर हमने चांद को आसमान में उल्टा लटका दिया । उसमें एक बुढिया को नीचे जमीन घूरने के लिये बैठा दिया । फ़िर हमने सोचा और 1 सूरज भी बना दिया ।
E क्या चीज थी ये ? बङा  संस्पेंस क्रियेट हो गया ।
F अच्छा बता रहे हो कि तुम्हें अब (1400 साल से) पता चला । वैसे 1 ही है फ़िर हमारा तुम्हारा क्यों कहते हो ? शायद तुम्हें नया नया पता चला । इसीलिये बताने को परेशान हो पर हम तो बहुत पहले बहुत पहले से ही जानते हैं । वह 1 ही है और उसको कहते हैं - परमात्मा ।
G ये क्या और किनके बारे में बात हो रही है । कोई बता सकता है ?
H निश्चय ही इस आयत में मूर्ख पाकिस्तानियों के बारे में अल्लाह ने बताया है ।
I &J  और वैसे ऐसी अनुमति और कौन सा धर्म देता है ? मैं कहता हूँ । सब कुरआन रामायण बाइबल गीता आदि इंसान लङाऊ पोथन्ने उठाकर रख दो ।
आपको मालूम होगा अम्बेडकर ने ब्रिटिश संविधान की नकल कर ही भारतीय संविधान लिखा है । उसमें भी ऐसी ऐसी धारायें हैं । जिनको पढ़कर अच्छे अच्छे बिगङैल भूत भी शांति दूत बन जायेंगे । वो किसी अल्लाह की वाणी या उपदेश से प्रभावित होकर नहीं बल्कि डर की वजह से ।
इसकी धाराओं में 4 प्रकार की सजा का विधान है । वो भी किसी कयामत वाले दिन नहीं ? अभी का अभी, तुरन्त । किसी की जेब काट कर देख लो ।
1 इतने दिन या साल की सजा । 2 इतने रुपये का जुर्माना ।
3 सजा और जुर्माना दोनों । 4 न्यायाधीश के विवेकानुसार ।
K 1 हालीवुड फ़िल्म में अमेरिका आदि किसी देश में किसी जेल का अजीब नियम है । वहाँ अपराधी को लगभग 3 फ़ुट ऊँचाई और 3 वर्ग फ़ुट के जालीदार पिंजरें में रखते हैं । सुबह सुबह इनको पिंजरे से निकालकर पैंट हटवाकर प्रष्ठ भाग में जोर से डंडा मारते हैं । इस्लाम ने अनुमति दे भी दी । तुम्हारी हिम्मत है किसी पराये देश में या स्वदेश में ऐसा कर सको ? अल्लाह तो जो करेगा, कयामत के दिन करेगा । ये तुरन्त हाथ धोकर पीछे पङ जायेंगे ।
L ये बात मुसलमान जोर देकर क्यों बताते हो । क्या हिन्दू कहते हैं कि - भगवान अलग अलग हैं । तुम्हें तो 1400 साल से किसी अल्लाह का पता चला । आदि सृष्टि से ही ग्रन्थों में परमात्मा और सृष्टि ज्ञान की पुस्तकों की भरमार है ।
M मेरे गांव का चौधरी जिसने कोई कुरआन बाइबल रामायण कभी नहीं पढी सुनी । अगर कोई उससे गलत बात की चूँ भी कर दे । तो लठ्ठ उठा कर बेहिसाब मारता है ।

N ये व्यवहार तो कोई मन्द बुद्धि इंसान भी जानता समझता है । अल्लाह क्या मन्द बुद्धि है या फ़िर शायद मुसलमानों को समझता होगा । और इसका मतलब क्या है - जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया ? ये अल्लाह प्रेम का धर्म सिखाता है या युद्ध का धर्म ?
O जिन्होंने धर्म के मामले में तुमसे युद्ध किया - अब जबरदस्ती अपना जैसा धर्म लोगों को बताओगे तो युद्ध नहीं तो और क्या होगा । 1400 साल से तुम यही तो कर रहे हो । कोई निर्णय निकला ?
P ईश्वर के अंतिम संदेष्ठा महापुरुष मुहम्मद (स.) - यह बात मुसलमान किस आधार पर कहते हैं । मेरी समझ में नहीं आता । जबकि तुम उन्हें किसी ईश्वर का संदेष्टा कहते हो ।
इंसान ने जन्नत और 72 हूरों का इंतजाम यहीं कर लिया । बस थोङे हाथ पैर हिलाओ । थोङी (शिक्षा की) इबादत तो करो ।
Q इससे अधिक फ़ालतू बात (यदि किसी धार्मिक ईश्वरीय ग्रन्थ को ये मामूली बात भी बतानी पङे) मैंने आज तक नहीं सुनी । क्योंकि इतना तो गली में घूमने वाली पागल औरत भी समझती है । इससे तो ऐसा लगता है कि - अल्लाह मुसलमानों को एकदम जाहिल गंवार समझता है ।
R अल्लाह से पूछो कि 1400 साल से बहुत पहले भी ये दुनियां मजे से चल रही थी और कुरआन मुसलमान के न होने से और बढ़िया ही चल रही थी । फ़िर इसने मुसलमान और कुरआन का एकदम बेकार बखेङा फ़ैलाया ही क्यों ? किसी मुसलमान या मुस्लिम राष्ट्र की जरूरत ही क्या थी ? आज जो मुसलमान नहीं या कुरआन नहीं पढते । वो क्या अच्छे इंसान नहीं हैं ?
S और मैं न्याय के दिन उसका विरोधी होऊँगा - अल्लाह ! तुमने यही बात करके अशांति फ़ैलायी । साइंस के अनुसार सृष्टि 4 अरब साल से है और तुम जो करोगे । न्याय के दिन ही करोगे ? अभी क्या बात है ? तुरन्त करते चलो । इतना काम इकठ्ठा क्यों कर रहे हो । इंसान (न्यायाधीश) 4-6 साल में ही फ़ैसला कर देते हैं ।
T न्याय के दिन से डरो ?
अल्लाह ! तुम दूसरों को क्या डराते हो । इंसान भी अपने बच्चों को प्यार मुहब्बत अच्छा जीवन सिखाता है । अगर वह गलती पर है । तो उसे सही रास्ता दिखाता है और तुमने ये कयामत के दिन जन्नत और 72 हूरों की बात क्या चलाई । दुनियां में अन्याय अधर्म का हाहाकार मचा दिया । हिन्दू सन्तों ने इंसान के लिये यहीं स्वर्ग बना दिया और जीते जी ही बहुतों को परमात्मा से मिला दिया । विश्वास नहीं होता । तुम्हारे इसी स्वर्ग (और उससे बहुत ऊपर भी) सहज योग वाले जाते हैं ।
V उनके पास हमारे रसूल (संदेशवाहक) स्पष्‍ट प्रमाण ला चुके हैं ? क्या प्रमाण है इस बात का कि मुहम्मद अल्लाह का संदेशवाहक थे ?
W जो तुम करोगे, वही दूसरों को भी करना आता है । सभी घी की चुपङी  रोटी खाते हैं ।
X लोगों को बस आपत्ति - यही ईसाई, मुसलमानों को समझाना चाहता हूँ । यदि तुम समझो । सनातन धर्म में वो समृद्ध सिद्ध ज्ञान विज्ञान मौजूद है कि आँखें खुल जायें । तुम्हें अल्लाह और जन्नत की हकीकत (कयामत के दिन नहीं) जीते जी ही आसानी से पता चल जाये ।
Y फ़िर भी लोग समझ नहीं पाते । अल्लाह ! वैसे एकाध जगह शांति हुयी कि नहीं ? मुझे तो स्वयं मुसलमानों में ही घोर अशांति के सिवाय कुछ दिखायी नहीं देता ।
Z इस्लाम हर धर्म का सम्मान करता है ? पर मुझे लगता है । सिर्फ़ फ़टे में टांग अङाता है । क्योंकि  कोई पूछता नहीं । इसलिये अपना महत्व साबित करने के लिये चिल्लाता है ।
A1 चलो झूठा ही सही मान लिया । फ़िर मुहम्मद को मानने वाले क्या कर रहे हैं ? द्वेष और  नफ़रत हिंसा खून खराबा । ये बात कभी सोची तुमने ?
B1 हे मुहम्मद ) हमने आपको ?.. बस सारे संसार में झगङे की जङ ऐसे ही सम्बोधन युक्त लाइनें हैं । जिनमें किसी 1 व्यक्ति को ठेका सा दे दिया । इतिहास गवाह है । हरेक समय में बिना किसी धार्मिकता के ऐसी ऐसी महान हस्तियां हुयी हैं । जिन्होंने जातिवाद की मूर्खतायुक्त संकीर्णता से एकदम दूर विश्व में सदभावना मानवता और भाईचारे का दिव्य अनमोल संदेश फ़ैलाया ।
C1 मुहम्मद सल्ल की आदर्श जीवनी ? इससे ज्यादा आदर्श वाली कम से कम 1 लाख जीवनी बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के मानवीय इतिहास में उपलब्ध है ।
D1 ये बात वाकई महत्वपूर्ण है । अगर मुसलमानों को जरा भी समझ आ जाये । अगर वे मुहम्मद के इसी आचरण पर चलकर इस्लाम का प्रचार करें । तो बिना (धर्म परिवर्तन के) मुसलमान बने ही कमाल का भाईचारा फ़ैलेगा और जन्नत मरने के बाद कयामत के दिन नहीं ? यहीं जीते जी जिन्दगी भर को तो होगी ही पर क्या खुद मुसलमान ही ऐसा आचरण करते हैं ?
E1 मगर वे इस्लाम के बारे में 0 या थोड़ी जानकारी रखते हैं ? खुद मुसलमानों को ही इस्लाम की जानकारी नहीं तो ये सिखाने वाले पहले इन्हें ही क्यों नहीं सिखाते ।
F1 आप देख सकते हैं । ये उत्तर जान बूझ कर सत्य को नकारने जैसा है । जैसे आँखों देखी मक्खी निगलना, सरासर और सफ़ेद झूठ बोलना ।
G1 अशिक्षा के कारणवश बहुत ज्यादा मुसलमानों को मालूम ही नहीं है कि इस्लाम की क्या शिक्षाएं हैं ? ..क्या बात है । फ़िर पहले अपना ही घर सुधार लो औरों की फ़िक्र बाद में करना । 

10 नवंबर 2012

प्रेम कोई लेन देन का मामला नहीं

तजै अल्यंगन काटै माया । ममता, मोह, लोभ धीरे धीरे छोड़ो । क्योंकि तुम जिस चीज को बाहर पकड़े हो । वह तो मौत छीन लेगी । उसे मौत से छीनने के पहले छोड़ दो । तो तुम्हारा बड़ा पुरस्कार है । तुम फिर धन्यभागी हो । क्योंकि जो मौत के पहले ही चीजों को छोड़ देता है । उसकी फिर मौत नहीं आती । फिर उसके पास कुछ बचता ही नहीं । जो मौत छीन ले जाये । उसने खुद ही छोड़ दिया । इसी का नाम संन्यास है । और छोड़ने का अर्थ भागना नहीं है । जो भागता है । वह तो पकड़े है । इसीलिए भागता है । नहीं तो भागेगा क्यों ? अगर कोई पत्नी को छोड्कर जंगल भागता है । उसका मतलब पत्नी को पकडे हुए है । नहीं तो डर क्या है । भय क्या है ?
मैं अपने संन्यासी को कहता हूं - जहां हो । वहीं छोड़ा जा सकता है । भागने की बात तो भूल भरी है । भागना कायरता है । छोड़ना भागने से नहीं होता । छोड़ना जागने से होता है । सिर्फ जागकर देखो । धीरे धीरे होश सम्हालो । और तुम पाओगे । उस होश के प्रकाश में जो व्यर्थ है । व्यर्थ दिखाई पड़ जायेगा । और जो व्यर्थ दिखाई पड़ गया । उस पर तुम मुट्ठी बांधकर न रख सकोगे । उससे आलिंगन छूट जायेगा ।
तजै अल्यंगन काटै माया । ताका बिसनु पषालै पाया ।
उसका पैर दबाने विष्णु आ जाते हैं । हिम्मत के वचन हैं । जिसने कहे होंगे । जरूर हिम्मतवर आदमी था । इसलिए गोरख को मैं नहीं छोड़ पाता । 4 में गिनती मुझे करनी पड़ती है । विष्णु से पैर दबवा दे जो लोगों के । उसकी कुछ तो हिम्मत है । कुछ तो साहस है । कोई साधारण आदमी नहीं है ।
मरौ वे जोगी मरौ । मरौ मरन है मीठा ।
तिस मरणी मरौ । जिस मरणी गोरष मरि दीठा ।
प्रेम में मरना होता है । प्रेम मृत्यु है । और जो मरता है । वही पाता है - शाश्वत को । अमृत को ।
यह न रहीम सराहिये । लेन देन की प्रीति ।
प्रानन बाजी राखिये । हार होय के जीत ।
यह न रहीम सराहिये । देन लेन की प्रीति ।
प्रानन बाजी राखिये । हार होय के जीत ।
जीतो कि हारो । प्राण बाजी पर लगाने होंगे तो ही । यह प्रेम कोई लेन देन का मामला नहीं है । यह कोई व्यवसाय नहीं है । तुम अपना पूरा दाव पर लगा देते हो । यह जुए का दाव है ।
रहिमन मैन तुरंग चढ़ि । चलिबो पावक माहि ।
प्रेम पंथ ऐसो कठिन । सब कोऊ निबहत नाहिं ।
रहीम ने कहा - रहिमन मैन तुरंग चढ़ि...। जैसे कोई मोम का घोड़ा बना ले । मोम के घोड़े पर बैठकर आग में से गुजरे ।
रहिमन मैन तुरंग चढ़ि । चलिबो पावक माहि ।
मोम के घोड़े पर बैठकर आग से निकलना जितना कठिन है । एक तो मोम का घोड़ा और फिर आग । निकल कहाँ पाओगे । निकल कैसे पाओगे ? घोड़ा तो गल ही जायेगा ।
रहिमन मैन तुरंग चढ़ि । चलिबो पावक माहि ।
प्रेम पंथ ऐसो कठिन । सब कोऊ निबहत नाहिं ।
ऐसा है प्रेम का पंथ । ऐसा कठिन है । क्योंकि जो मरने को राजी हैं । वे ही केवल प्रेम में प्रवेश कर पाते हैं ।
मरौ वे जोगी मरौ । मरौ मरन है मीठा ।
लेकिन बड़ी मिठास है इस मृत्यु में । जो ध्यान की मृत्यु मर जाये । इससे ज्यादा और अमृत पूर्ण कोई अनुभव नहीं है । क्योंकि उस मृत्यु में मर कर ही पता चलता है कि अरे, जो मरा वह मैं था ही नहीं । और जो बच गया है मरने के बाद भी । वही मैं हूं । सार सार बच रहता है । असार असार जलकर राख हो जाता है ।
मैं भी मृत्यु सिखाता हूं ।
मरौ वे जोगी मरौ । मरौ मरन है मीठा ।
तिस मरणी मरौ । जिस मरणी गोरष मरि दीठा ।
गोरख कहते हैं - मैंने मरकर उसे देखा । तुम भी मर जाओ । तुम भी मिट जाओ । सीख लो मरने की यह कला । मिटोगे तो उसे पा सकोगे । जो मिटता है । वही पाता है । इससे कम में जिसने सौदा करना चाहा । वह सिर्फ अपने को धोखा दे रहा है । ऐसी 1 अपूर्व यात्रा आज हम शुरू करते हैं । गोरख की वाणी मनुष्य जाति के इतिहास में जो थोडी सी अपूर्व वाणिया हैं । उनमें 1 है । गुनना, समझना, सूझना, बूझना, जीना । और ये सूत्र तुम्हारे भीतर गूंजते रह जायें ।
हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानं । अहनिसि कथिबा ब्रह्मगियान ।
हंसै षेलै न करै मन भंग । ते निहचल सदा नाथ के संग ।
मरौ वे जोगी मरौ । मरौ मरन है मीठा ।
तिस मरणी मरौ । जिस मरणी गोरष मरि दीठा ।

08 नवंबर 2012

मन से भी अधिक गतिमान किंतु अचल भी


कुछ तकनीकी कारणोंवश और ब्लागस्पाट का स्पेस कम होने से मेरे नवीनतम लेख अब यहाँ उपलब्ध होंगे । इस ब्लाग में योग बिज्ञान आधारित सिर्फ़ बैज्ञानिकता से परिपूर्ण लेख ही होंगे । अन्य विषयों का इसमें कोई स्थान नहीं होगा । क्लिक करें ।
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वेद हिन्दू सनातन धर्म का आधार स्तम्भ हैं । परन्तु दुर्भाग्य से आधुनिक एवं कलुषित शिक्षा प्रणाली के कारण आज अत्यधिक पढ़े लिखे लोग भी धार्मिक एवं परम पवित्र वेद के बारे में बहुत ही कम जानते हैं । वेद " विद " शब्द से बना है । जिसका अर्थ है - ज्ञान या जानना । अथवा - ज्ञाता या जानने वाला । सिर्फ जानने वाला । और जानकर जाना परखा ज्ञान । अनुभूत सत्य । जाँचा परखा मार्ग ही वेद है ।
और हमारे इसी वेद में संकलित है - बृह्म वाक्य । वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं ।
इनमे से वेदों की 28 000 पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के " भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीटयूट " में रखी हुई हैं । जिनमे ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है । यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है । और यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है । वेद को " श्रुति " भी कहा जाता है । और श्रुति शब्द श्रु धातु से शब्द बना है । श्रु - यानी सुनना ।
कहते हैं । इसके मन्त्रों को ईश्वर ( बृह्म ) ने प्राचीन तपस्वियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था । जब वे गहरी तपस्या में लीन थे । सर्वप्रथम ईश्वर ने 4 ऋषियों को इसका ज्ञान दिया - अग्नि । वायु । अंगिरा और आदित्य । वेद वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति हैं । जो पीढ़ी दर पीढ़ी पिछले 6-7000 ईस्वी पूर्व से चली आ रही है । विद्वानों ने संहिता । ब्राह्मण । आरण्यक और उपनिषद इन चारों के संयोग को समग्र वेद कहा है । और ये चारों भाग सम्मिलित रूप से श्रुति कहे जाते हैं । बाकी ग्रन्थ स्मृति के अंतर्गत आते हैं । संहिता इसका मन्त्र भाग है । वेद के मन्त्रों में सुंदरता भरी पड़ी है । वैदिक ऋषि जब स्वर के साथ वेद मंत्रों का पाठ करते हैं । तो चित्त प्रसन्न हो उठता है । जो भी सस्वर वेद पाठ सुनता है । वो मुग्ध हो उठता है ।
ब्राह्मण - ब्राह्मण ग्रंथों में मुख्य रूप से यज्ञों की चर्चा है । और वेदों के मंत्रों की व्याख्या है । तथा यज्ञों के विधान और विज्ञान का विस्तार से वर्णन है । मुख्य ब्राह्मण 3 हैं - 1 ऐतरेय  2  तैत्तिरीय 3 शतपथ ।
आरण्यक - संस्कृत में वन को कहते हैं - अरण्य । इसीलिए अरण्य में उत्पन्न हुए ग्रंथों का नाम पड़ गया - आरण्यक । मुख्य आरण्यक 5 हैं - 1 ऐतरेय 2 शांखायन 3 बृहदारण्यक 4 तैत्तिरीय 5 तवलकार ।
उपनिषद - उपनिषद को वेद का शीर्ष भाग कहा गया है । और यही वेदों का अंतिम सर्वश्रेष्ठ भाग होने के कारण " वेदांत " कहलाए । उपनिषद में - ईश्वर । सृष्टि और आत्मा के संबंध में गहन दार्शनिक और वैज्ञानिक वर्णन मिलता है । उपनिषदों की संख्या 1180 मानी गई है । लेकिन वर्तमान में 108 उपनिषद ही उपलब्ध हैं । जिनमें से मुख्य उपनिषद हैं - ईश । केन । कठ । प्रश्न । मुंडक । मांडूक्य । तैत्तिरीय । ऐतरेय । छांदोग्य । बृहदारण्यक । श्वेताश्वर । असंख्य वेद शाखाएँ । ब्राह्मण ग्रन्थ । आरण्यक और उपनिषद विलुप्त हो चुके हैं । और वर्तमान में ऋग्वेद के 10 । कृष्ण यजुर्वेद के 32 । सामवेद के 16 । अथर्ववेद के 31 उपनिषद उपलब्ध माने गए हैं ।
वैदिक काल - प्रोफेसर विंटरनिटज मानते हैं कि - वैदिक साहित्य का रचना काल 2000-2500 ईसा पूर्व हुआ था । दरअसल वेदों की रचना किसी 1 काल में नहीं हुई । अर्थात यह धीरे धीरे रचे गए । और अंतत: माना यह जाता है कि पहले वेद को 3 भागों में संकलित किया गया - ऋग्‍वेद । यजुर्वेद । सामवेद । जि‍से वेद त्रयी भी कहा जाता था । ऐसी मान्यता है कि वेद का वि‍भाजन भगवान राम के जन्‍म के पूर्व पुरुरवा ऋषि के समय में हुआ था । और बाद में अथर्व वेद का संकलन ऋषि‍ अथर्वा द्वारा कि‍या गया । दूसरी ओर कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान कृष्ण के समय द्वापर युग की समाप्ति के बाद महर्षि वेद व्यास ने वेद को 4 प्रभागों संपादित करके व्यवस्थित किया । इन चारों प्रभागों की शिक्षा 4 शिष्यों - पैल । वैशम्पायन । जैमिनी और सुमन्तु को दी । और उस कृम में ऋग्वेद - पैल को । यजुर्वेद - वैशम्पायन को । सामवेद - जैमिनि को । तथा अथर्ववेद - सुमन्तु को सौंपा गया । अगर इस गणना को ही मान लिया जाये । तो भी लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं - वेद । और इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता है कि कृष्ण के आज से 5112 वर्ष पूर्व होने के पुख्ता प्रमाण ढूँढ लिए गए हैं ।
वेद के कुल 4 विभाग हैं - ऋग्वेद । यजुर्वेद । सामवेद । अथर्ववेद । 1 ऋग - स्थिति । 2 यजु - रूपांतरण । 3 साम - गति‍शील । 4 अथर्व - जड़ । ऋक को धर्म । यजुः को मोक्ष । साम को काम । अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है । इन्ही चारों के आधार पर - धर्मशास्त्र । अर्थशास्त्र । कामशास्त्र और मोक्ष शास्त्र की रचना हुई । ऋग्वेद - ऋक अर्थात स्थिति और ज्ञान । इसमें 10 मंडल हैं । और 1 028 ऋचाएँ । ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना । स्तुतियाँ । और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है । इसमें 5 शाखाएँ हैं - शाकल्प । वास्कल । अश्वलायन । शांखायन । मंडूकायन ।
यजुर्वेद - यजुर्वेद का अर्थ । यत + जु = यजु । यत का अर्थ होता है - गतिशील । तथा जु का अर्थ होता है - आकाश । इसके अलावा कर्म । श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा । यजुर्वेद में 1975 मन्त्र और 40 अध्याय हैं । इस वेद में अधिकतर यज्ञ के मन्त्र हैं । यज्ञ के अलावा तत्व ज्ञान का वर्णन है । यजुर्वेद की 2 शाखाएँ हैं - कृष्ण और शुक्ल ।
सामवेद - साम अर्थात रूपांतरण और संगीत । सौम्यता और उपासना । इसमें 1875 ( 1824 ) मन्त्र हैं । ऋग्वेद की ही अधिकतर ऋचाएँ हैं । इस संहिता के सभी मन्त्र संगीतमय हैं । गेय हैं । इसमें मुख्य 3 शाखाएँ हैं । 75 ऋचाएँ हैं । और विशेषकर संगीत शास्त्र का समावेश किया गया है ।
अथर्ववेद - थर्व का अर्थ है - कंपन । और अथर्व का अर्थ - अकंपन । ज्ञान से श्रेष्ठ कर्म करते हुए जो परमात्मा की उपासना में लीन रहता है । वही अकंप बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्ष धारण करता है । अथर्ववेद में 5987 मन्त्र और 20 कांड हैं । इसमें भी ऋग्वेद की बहुत सी ऋचाएँ हैं । इसमें रहस्यमय विद्या का वर्णन है ।
उक्त सभी में परमात्मा । प्रकृति और आत्मा का विषद वर्णन और स्तुति गान किया गया है । इसके अलावा वेदों में अपने काल के महापुरुषों की महिमा का गुणगान व उक्त काल की सामाजिक । राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थिति का वर्णन भी मिलता है ।
6 वेदांग  ( वेदों के 6 अंग ) - 1 शिक्षा 2 छन्द 3 व्याकरण 4 निरुक्त 5 ज्योतिष 6 कल्प ।
6 उपांग - 1 प्रतिपद सूत्र 2 अनुपद 3 छन्दोभाषा ( प्रातिशाख्य ) 4 धर्म शास्त्र 5 न्याय 6  वैशेषिक ।
6 उपांग ग्रन्थ उपलब्ध हैं । इसे ही षड दर्शन कहते हैं । जो इस तरह हैं - सांख्य । योग । न्याय । वैशेषिक । मीमांसा । वेदांत ।
वेदों के उप वेद - ऋग्वेद का आयुर्वेद । यजुर्वेद का धनुर्वेद । सामवेद का गंधर्व वेद । अथर्ववेद का स्थापत्य वेद । ये क्रमशः चारों वेदों के उप वेद बतलाए गए हैं ।
आधुनिक विभाजन - आधुनिक विचारधारा के अनुसार 4 वेदों का विभाजन इस प्रकार किया गया - 1  याज्ञिक 2 प्रायोगिक 3 साहित्यिक । वेदों का सार है - उपनिषद । और उपनिषदों का सार - गीता को माना है । इस कृम से वेद । उपनिषद और गीता ही धर्म ग्रंथ हैं । दूसरा अन्य कोई नहीं । स्मृतियों में वेद वाक्यों को विस्तृत समझाया गया है । जबकि वाल्मिकी रामायण और महाभारत को इतिहास तथा पुराणों को पुरातन इतिहास का ग्रंथ माना है । विद्वानों ने भी वेद । उपनिषद और गीता के पाठ को ही उचित बताया है । ऋषि मुनियों को दृष्टा कहा गया है । और वेदों को ईश्वर वाक्य । वेद ऋषियों के मन या विचार की उपज नहीं है । और ऋषियों ने वह लिखा । या कहा । जैसा कि उन्होंने पूर्ण जागृत अवस्था में देखा । सुना और परखा । मनु स्मृति में श्लोक II.6 के माध्यम से कहा गया है कि - वेद ही सर्वोच्च और प्रथम प्राधिकृत है । और वेद किसी भी प्रकार के - ऊँच नीच । जात पात । महिला पुरुष आदि के भेद को नहीं मानते । ऋग्वेद की ऋचाओं में लगभग 414 ऋषियों के नाम मिलते हैं । जिनमें से लगभग 30 नाम महिला ऋषियों के हैं ।

जन्म के आधार पर जाति का विरोध ऋग्वेद के पुरुष सुक्त X.90.12 व श्रीमद भगवत गीता के श्लोक IV.13  XVIII.41 में मिलता है ।
श्रुतिस्मृतिपुराणानां विरोधो यत्र दृश्यते । तत्र श्रौतं प्रमाणन्तु तयोद्वैधे स्मृति‌र्त्वरा ।
अर्थात - जहाँ कहीं भी वेदों और दूसरे ग्रंथों में विरोध दिखता हो । वहाँ वेद की बात की मान्य होगी । वेद व्यास । प्रकाश से अधिक गतिशील तत्व अभी खोजा नहीं गया है । और न ही मन की गति को मापा गया है । परन्तु हमारे ऋषि मुनियों ने मन से भी अधिक गतिमान । किंतु अविचल ( अचल ) का साक्षात्कार किया । और उसे - वेद वाक्य या " बृह्म वाक्य " बना दिया ।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=556695411013033&set=a.402583873090855.113599.256288937720350&type=1&theater

उड़ते विमान में दी धमकी - इस्लाम कबूल करो । वरना ?
http://navbharattimes.indiatimes.com/passenger-triggers-panic-says-accept-islam-or-i-will-blow-up--/articleshow/17132887.cms.

05 नवंबर 2012

क्या है ये - सर्व धर्म समभाव ?


2 Nov 2012 को हिन्दू त्यौहार करवा चौथ का दिन था । अचानक मेरे कमरे की पुताई का कार्यकृम बन गया । पुताई करने वाले मजदूरों के आगमन के साथ ही ऐसा लगा कि - घर में औरंगजेब या तैमूर लंग का आकृमण हुआ हो । और घर का सुव्यवस्थित सामान लूटने की तर्ज पर अव्यवस्थित होकर बिखर गया । मैंने सोचा - अब क्या करना चाहिये ? क्या मुझे आराम से सोते हुये दिन बिताना चाहिये । नहीं कर सकता । मैंने खुद..खुद को ही जबाब दिया । U.P में 1 कहावत है । डेढ भुट्टा और टीले पर खलिहान । मतलब हमारे घर में गिने चुने 3 लोग । अतः मैं समझ गया । आज का दिन जागते हुये बैठकर ही गुजारना होगा । मुझे कुछ करना नहीं है । केवल बाहरी हलचल को देखते रहना है । अतः मैंने TV के सामने बैठना ठीक समझा । TV और BB दोनों ही बृह्मचारी साधुओं के लिये tension जैसी है । पर आज इसी TV tension के साथ रहना था । अतः चैनल बदलने लगा । आस्था और संस्कार चैनल पर किसी स्वामी चिदानन्द सरस्वती जन्म समारोह का LIVE प्रसारण हो रहा था । फ़ेमस TV साधु हरिद्वार में बङे अजीव से गंगा जल के बीच बने मंच पर विराजमान थे । बालीवुड फ़िल्मी संत श्री श्री अनिल कपूर एकदम चिदानन्द की बगल में बैठे थे । नाम गिनाने से कोई फ़ायदा नहीं । वो सभी थे । जिनको आप रोज ही देखते होगे । TV आस्था पर TV  संस्कार पर ? कुछ

मुस्लिम संत भी थे । मुझे याद आया । दीक्षा आदि कुछ - भक्त TV चैनलों.. से मुझे कई बार फ़ोन आया - महाराज जी ( उनका मतलब मेरे गुरुदेव ) का कोई ( कथा भागवत ) प्रोग्रेम आदि हो । तो आप  हमारे यहाँ से प्रसारित करायें । हमारा चैनल विश्व के इतने देशों में ? देखा जाता है । वे सोचते थे कि - मैं निरा बाबा आदमी । शायद कार्यकृम प्रसारण के तरीके यानी TIME SLOT SYSTEM के बारे में नहीं जानता होऊँगा । अतः कुछ झिझक के साथ बोले - यह 1000 रुपये प्रति मिनट होगा । लेकिन लगातार सेवायें लेने और सम्बंध बने रहने पर यह UP  DOWN होकर एडजस्ट भी हो जाता है । मैंने कहा - जिस दिन भी श्री महाराज जी भागवत कथा कहेंगे । मेरा वादा है । मैं आपके यहाँ से ही प्रसारण कराऊँगा । यह सब फ़ालतू में नहीं बता रहा । 1000 रुपये प्रति मिनट वीडियो दिखाने का मूल्य था । यदि LIVE प्रसारण का तामझाम लगता है । तव कीमत अलग ही होती है । मैं प्रसारण देख रहा था । भगवान के प्रत्यक्ष सम्पर्की और आपका भी सरल सम्प्पर्क कराने वाले ? तमाम दिग्गज प्रतिनिधि मंचासीन थे । और  दिये गये 5-10 मिनट में कुछ बोल रहे थे । बीच बीच में उनके बिजी होने का जिक्र भी होता । फ़लाने महाराज कहीं कार्यकृम में जाने की जल्दी में है । अतः अभी उनके स्थान पर इनको सुन लीजिये । क्या मजेदार बात है ना । संत समागम में भी व्यवसायिक व्यस्तता । कार्यकृम 

एकदम बोरिंग सा था । और कतई प्रभावित नहीं कर रहा था । लेकिन इसके बजाय मैं उस पर होने वाले ( महा ) खर्च का अनुमान लगा रहा था । ये पैसा क्यों खर्च हो रहा है ? और साधुओं के पास आता कहाँ से है ? किसी अन्ना की । किसी केजरीवाल की इस पर कभी निगाह नहीं जाती । आपने कभी इसके रिकार्ड निकलवाये ? इन कार्यकृमों का उद्देश्य क्या है ?
खैर..ये तो मैंने सिर्फ़ 1 LIVE उदाहरण दिया है । अन्य का गुणा भाग आप स्वयं लगायें । पर इसको भी छोङिये । इस जल सभा में बारबार " सर्व धर्म समभाव " का उल्लेख ( या नारा ) किया जा रहा था । और ये शब्द मेरे दिलो दिमाग पर हथौङे सा चोट कर रहा था । क्या है ये - सर्व धर्म समभाव ? यकीन मानिये । मुझे अभी तक पता नहीं चला । कितनी बेशर्मी से ये इतना बङा झूठ विश्व के सामने वो भी LIVE बोल

रहे हैं । सर्व धर्म ? क्या कोई मुझे बता सकता है । इसका मतलब क्या है ? कौन से सब धर्म ? गौर करें । क्या इसका मतलब ये नहीं हुआ कि - इनका और उनका धर्म बिज्ञान अलग है ? पुर्जे अलग हैं ? यंत्र अलग हैं ? तरीके अलग हैं ? खुदा अलग है ? GOD अलग है ? भगवान अलग है ? कहाँ है - सर्व धर्म ? किस मूर्ख ने किया - ये शब्द संयोजन ? शर्म नहीं आती । विभिन्न देश काल और व्यक्तियों द्वारा संकृमित तरीके से आरोपित जातिगत रीति रिवाजों को धर्म का नाम देते हो । मैंने कई बार कहा है । अंग्रेजी भाषी देशो में यदि बिल्ली को CAT कहते हैं । तो वह कुतिया या बन्दर नहीं हो जाती । आप फ़िर से गौर करें । बङा घातक हत्यारा और खतरनाक शब्द है ये - सर्व धर्म ? अगर कोई मुसलमान उल्टे तवे पर रोटी पकाता है । तब भी वह रोटी ही है । और हिन्दू सीधे तवे पर । तब भी । फ़िर बोलो - 2 रोटी । हिन्दू रोटी । मुसलमान रोटी । सर्व रोटी समभाव सम्मेलन । जरा और 

बारीकी से गौर करें । यदि किसी अंग्रेज देश में हिन्दी अंग्रेजी शब्दकोश छापा जाय । तो क्या GOD का शब्दार्थ - हिन्दुओं का भगवान लिखा जाता है ? या उर्दू हिन्दी शब्दकोश में अल्लाह के आगे - हिन्दुओं का परमात्मा..ऐसा लिखा जाता है ? और इसीलिये मैं कहता हूँ । बङा खतरनाक शब्द है ये - सर्व धर्म । अलग अलग लोगों के जातिगत रीति रिवाजों को । किसी वर्ग के विशेष आचरण को । अलग रहन सहन । अलग निर्माण प्रकार को । किसी कबीलाई सभ्यता को । धर्म किस आधार पर कहते हो ? क्या वाकई मूल धर्म अनेक हैं ? तब ये अनेक का विष क्यों बो रहे हो । मैं 1 बार फ़िर से चैलेंज करता हूँ । जिनको तुम अलग अलग धर्म कहते हो । वे इसी एकमात्र सत्य सनातन धर्म समुद्र के छींटे मात्र हैं । सुना आपने - सिर्फ़ छींटे । कोई जल या गढ्ढा या जलाशय तक नहीं । फ़िर क्यों नहीं

तुम अनेकों को सिर्फ़ 1 में ले आते हो । शर्म करो । नासमझ जनता तुमसे सत्य जानने समझने की आशा करती है । और तुम उसे अंधकार में ले जाते हो । सर्व धर्म समभाव का बेसुरा राग अलापते हो । और मैं फ़िर से कहता हूँ । यदि तुम अपने किसी गणित और भावना ? के आधार पर भी - सर्व धर्म समभाव की मूर्खतापूर्ण बात करते हो । तो भी ये सम्भव नहीं । क्योंकि कोई भी असली हिन्दू कभी बकरा काट कर बकरीद नहीं मनायेगा । कोई मुसलमान कभी मूर्ति और गाय पूजा नहीं करेगा । ईसाई आराम से सुअर का मांस खायेगा । सोचिये । ये धार्मिक बधाईयां । हिन्दू - ईद मुबारक तुमने गाय बकरे काटे । अल्लाह तुम्हें जन्नत बख्शे । मुसलमान - दीवाली मुबारक भाईजान । ये लो मेरी तरफ़ से मटन  बिरियानी । भगवान को भी प्रसाद चढाना । क्या संभव है । फ़िर कैसा - सर्व धर्म समभाव ?

- मैं ठीक से नहीं कह सकता कि ये कार्यकृम मैंने 2 Nov 2012 को ही देखा हो । क्योंकि इसके अगले दो तीन दिन भी श्री महाराज जी के आकस्मिक आगरा आगमन से मुझे कुछ समय आगंतुकों के साथ TV  के सामने बैठना पङा था । हो सकता है । उस समय देखा हो । मैंने कई बार स्पष्ट किया है । मुझे अक्सर घटना और व्यक्ति याद रहता है । दिन और समय कभी नहीं । मैंने पुष्टि हेतु Google में भी सर्च किया । पर जन्म दिनांक मिली नहीं ।
http://www.parmarth.com/

जैसा कि हमेशा ही होता है । समयाभाव । पर इसी में और भी ।

03 नवंबर 2012

अरे ये वही करेंगे जो बाबर औरंगजेब ने किया ?


जानिये । अमरीकी बाबरी मस्जिद की अनोखी कहानी । समस्त हिंदु समाज । धर्म गुरु । और सारे हिंदुत्व वादी संगठनों ने 1200 वर्षों के अनुभव के उपरांत भी इस्लाम को समझने में बहुत बड़ी भूल की है । विश्व के जिन देशो में इस्लाम की तलवार पहुँची । उन दुर्भाग्यशाली देशों में हिंदु और उनका भारत भी है । परन्तु जैसे तुर्क । मुगल इस्लाम के अरब मजहबी पंजो में समाप्त हो गए । जैसे - सीरिया । इजिप्त । इरान अपनी संस्कृति समेत नष्ट हो गए । वैसा भारत के बारे में नही हुआ ।
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.541809469168294.143342.256288937720350&type=1 

इसका कारण है । हिंदु राष्ट्र की वीरता । साहस । और बलिदानी वृत्ति ( दुर्भाग्य से गाँधी नेहरु की विषैली छाया । इस वीरता को दीमक के समान आज चाट रही है ) 
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=358530997569354&set=a.341893109233143.83563.100002373698075&type=3&theater 

पृथ्वीराज चौहान की हत्या के उपरांत 300 वर्षों तक मुस्लिम सत्ता उत्तर भारत में पनपती रही । आगे दक्षिण भारत पर भी ये मुस्लिम सत्ता का गिद्ध टूट पड़ा ( अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में लूटपाट और मारकाट के अभियान 1306-07 के माध्यम से कुछ समय के लिए दक्षिण भारत को अपने अधीन किया ) इस भयानक काल में हिंदु समाज लहूलुहान होकर भी लड़ रहा था । पर हारा नही था । ऐसी भीषण परिस्थित में सिख पंथ की स्थापना हुई । छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु गोविन्द सिंह जैसे शूर पुरुषों के वीर आवेश में सारा हिंदु समाज इस्लामी आकृमण के आगे एक मुख से खड़ा हुआ । इतना ही नहीं । उस इस्लामी आक्रामकों को अपनी तलवार का पानी पिला कर इस्लामी सत्ता को भारत से उखाड फेंका । 17वीं शताब्दी हिंदूओं के वीरता की शताब्दी 

थी । इस शताब्दी ने 1 से 1 हिंदु वीरों को इस्लामी सत्ता को भारत की भूमि से उखाड़ते देखा । इस्लाम की इस लज्जास्पद हार का वर्णन स्वय 1 मुल्ले ने अपने मुसद्दस ( कविता का 1 प्रकार ) में लिखा है । उसमें 19वी शताब्दी का वो मौलाना लिखता है ।
वो दीन ए हिजाज का बेबाक बेडा । निशान जिसका अक्साई आलम में पंहुचा ।
गए मिस्त्र इरान गए यूनान । किये पस्सी पार जिसने सातों समंदर ।
आखिर डूबा दरियाए गंगा में आकर ।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=351945808227873&set=a.341893109233143.83563.100002373698075&type=3&theater 
अर्थ - इस्लाम की 1 विशाल नौका अरब भूमि से निकली । जिस पर इस्लाम का झंडा लहरा रहा था । 1 के बाद 1

देश इस इस्लाम रूपी अरब नौका ने जीते । इरान । मिस्त्र ( इजिप्त ) यूनान ( ग्रीस ) और विश्व की अनेक सभ्यता इस इस्लामी नौका ने समाप्त कर दी । जिस इस्लामी नौका ने विश्व के सातों समंदर पार किये । वो अंतत गंगा नदी में आकर डूबी । आज आपको ये सुनकर आश्चर्य होगा कि मिस्त्र ( इजिप्त ) इरान या यूनान नामक संस्कृति परंपरा अमुस्लिम Non Muslim थी । पिरामिड बनाने वाले फ़ारो मुस्लिम नही थे । उनकी पूरी प्रजाति मृत्यु की यातनायें देकर मुस्लिम बनाई गई । वही कथा इरान की । इराक की भी है । इन सब देशों का आज अपने आपमें कोई अस्तित्व नहीं । ये सारे के सारे अरब राष्ट्रों के उपग्रह बन चुके हैं । जिस अरब इस्लामी सत्ता ने उनके पूर्वजों को छल बल से मुस्लिम बनाया । उस अरब भूमि के आगे ये लोग आज दिन में 5 बार झुक कर माथा रगडते हैं । ताजा उदाहरण पाकिस्तान का ही ले लो । ये 

अपने आपको पाकिस्तानी कहने वाले मुस्लिम । या फिर स्वयं को पाकिस्तानी समझने वाले । भारत के मुस्लिम कौन हैं ? हम पाकिस्तान की सेना में झाक कर देखते हैं । तो कौन हैं । उनके सैनिक ? उत्तर मिलेगा - गुजर । कुशवाह । राजपूत ( लश्कर के तोइबा का सेनापति कुशवाह राजपूत मुस्लिम है )  डोगरा । जुन्जुआ राजपूत । इतिहास बताता है कि - कुशवाह राजपूत श्रीराम के पुत्र कुश के वंशज हैं । तथा जुन्जुआ राजपूत वीर अर्जुन के । किन्तु ये सब पाकिस्तानी क्या स्वयं को राम के वंशज मानते हैं ?
http://en.wikipedia.org/wiki/Janjua#Early_history 
बिलकुल नहीं । वे सब आज अपने आपको अरब समझते हैं । क्या इजिप्त का फ़ारो । तथा राम । अर्जुन या

कृष्ण अरब थे ? इस अरब साम्राज्यवाद को धर्म समझने की भयंकर भूल सारे हिंदू कर चुके हैं । आज भी कर रहे हैं । क्या आप जानते हैं । जब अरब इस्लामी सेना इन पराभूत राष्ट्रों पर आक्रमण करती थी । तो कुरआन के अनुसार उनके मान बिन्दुओं को नष्ट किया जाता था ।  ये सब इस्लामी साहित्य में सिखाया गया है कि - काफिरों को इस्लाम की शक्ति दिखाओ । जिससे भय चकित होकर वे इस्लाम को स्वीकार कर लें । इसलिए जब इन बर्बरता पूर्ण आक्रामकों ने भारत पर आकृमण किया । तो भारतीयों के सामर्थ्य और शक्ति केंद्र ( जो उस समय मंदिर थे ) ध्वस्त कर दिये । राम मंदिर का ही उदाहरण देख लो । जब बाबर ने राम मंदिर पर आकृमण किया । तो उसे ध्वस्त कर दिया । फिर कहा ये जाता है कि - उस मलबे से मस्जिद खड़ी की गई । यही मथुरा के कृष्ण जन्म भूमि । और सोमनाथ मंदिर के बारे में भी हुआ । क्या आप इस कृम को ध्यान से देख रहे हैं ? जो पहले उस शक्ति केंद्र को नष्ट करके । उस पर उस अरब

साम्राज्यवाद का केद्र ( मस्जिद ) खड़ा करते थे । हमें मुर्ख बनाने के लिए गाँधी नेहरु के सेकुलर ? हमें बताते हैं कि - कुरआन पवित्र पुस्तक है ? उसमें सब शांति और भाईचारे का संदेश दिया है ।
ये हैं । कुरान के कुछ शांति संदेश ।
- O ye who believe ! Murder those of the disbelievers ( kafirs )  and let them find harshness in you ( Repentance 123 )
- Humiliate the non Muslims to such an extent that they surrender and pay tribute ( Repentance 29 )
- Certainly God is an enemy to the unbelievers ( kafirs ) (  The Cow 90 )
- Do not let non Muslims enter mosques. They will go to hell ( Repentance 17 )

- O ye who believe ! The non Muslims are unclean. So let them not come near the Inviolable Place of Worship. ( Repentance  28 )
- I ( Allah ) shall cast terror into the hearts of the unbelievers. Strike them above the necks, smite their finger tips ( Qur’an 8.12 ) 
यहाँ आप कुरआन देख सकते हैं ।
http://www.usc.edu/org/cmje/religious-texts/quran/verses/002-qmt.php#002.216 
सम्पूर्ण कुरआन में 6236 आयतें ( वचन ) हैं । जिसमें 3930 आयतों में " काफ़िर " शब्द आता है । जो उन्हें

क़त्ल करने और उनकी स्त्रियों को लूटने अपमानित करने हेतु प्रयोग किया गया है । इसका अर्थ है कि कुरआन का 63% भाग अमुस्लिम Non Muslim के विरुद्ध द्वेष सिखाता है । काफिरों का सर्वनाश करना ही अल्ला का कार्य है ? यही जड है । बाबरी मस्जिद । और भारत की मुस्लिम समस्या की । 
क्या आप जानते हैं । ऐसी ही 1 बाबरी मस्जिद आज अमरीका में खड़ी होने वाली है । इसकी कहानी बड़ी रोचक है । हम सब तो जानते हैं कि इस्लामी आतंकवादियों ने 9 । 11 को अमरीका के शक्ति केद्रों अर्थात वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आकृमण करके उन टावरों को ध्वस्त कर दिया । जहाँ ये टावर खड़े थे । उस स्थान को आज शून्य स्थान Ground Zero कहा जाता है । टावर गिरने से यहाँ पर 1 बड़ा ग्राउंड जैसा भू भाग

निर्माण हो चूका है । अब इस आश्चर्य जनक सत्य को देखिये । पिछले कुछ वर्षों में अरब देश के इस्लामी संगठन ने टावरों के मलबे को खरीदने की मांग की थी । लोग आश्चर्य में पड़ गए । इस मलबे का क्या करेंगे - ये अरब ? उत्तर आया । इस मलबे के साथ । हम शून्य 0 स्थान को भी मुँह बोले भाव में खरीदना चाहते हैं । फिर तो अमरीकी और भी चौके । मलबा और शून्य 0 स्थल की भूमि लेकर क्या करोगे ? 
क्या आप उत्तर जान गये ? वही करेंगे । जो बाबर और औरंगजेब ने किया ? मलबे से मंदिर के स्थल पर मस्जिद निर्माण । वर्ल्ड ट्रेड सेंटर जैसे अमरीकी शक्ति केंद्र को नष्ट करके वहाँ इस्लाम की ताकत खड़ी करने के लिए ( मस्जिद के रूप में ) इस घटना से अमरीकियो में इस्लाम विरोधी ज्वर भड़का । जिसके चलते मलबे को अमरीकी नौ सेना

ने खरीद लिया । जिससे न्यूयार्क नामक युद्ध नौका खड़ी की गई ( जिसे आप चित्र में देख सकते हैं ) मलबा तो गया हाथ से । परन्तु Ground Zero  शून्य 0 स्थल की भूमि नहीं छोडेंगे  । ये सोचकर सारे इस्लामी संगठन मुँह बोले मूल्य पर उस भूमि को खरीदना चाहते हैं । अमरीकी अपनी प्रतिष्ठा के लिए फिर 1 बार खड़े हो गए । और शेखों के इस्लामी संगठनों को कुछ समय के लिए तो आज चुप बैठना पड़ा है । पर इन संगठनों ने मस्जिद निर्माण का अपना सपना आज भी छोड़ा नही है । ये घटना हमें बहुत कुछ सिखाती है । जो इतिहास भारत में 

घट चूका है । वो आज विश्व के किसी दूसरे कोने में जैसे का तैसा घटते हुए हम देख रहे हैं । तब क्या सीखा हमने ? अब भी हम इस इतिहास से कुछ भी नहीं सीखना चाहेंगे ? या फिर मूर्खो के जैसे विषैले अरब साम्राज्यवाद को धर्म कह कर धर्म संकल्पना को अपमानित करेंगे ?
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डा सुबृह्मनियम स्वामी ने ट्विटर पर बताया - उन्हें कुछ उच्च अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया के

दवाब के कारण ही बिकी हुई कांग्रेसी मीडिया ने डा स्वामी के - सोनिया । राहुल गाँधी भृष्टाचार के खुलासे को कवरेज दिया । उन्होंने सोशल मीडिया के सभी देशभक्तों को धन्यवाद कहा ।
नोट - डा सुबृह्मनियम स्वामी के  27 OCT 2012 के प्रेस कांफ्रेंस को 1 भी रास्ट्रीय TV चैनल या न्यूज़ पेपर ने कवर नहीं किया था । इसलिए सोशल मीडिया पर देशभक्तों ने आन्दोलन किया । ताकि 1 नवम्बर के प्रेस कांफ्रेंस को बिकी हुई मीडिया में थोडा कवरेज मिले ।
जरुर देखें । और शेयर करें । यह दोनों वीडियो ।
डॉ स्वामी 28 OCT प्रेस विज्ञप्ति - http://www.youtube.com/watch?v=RfQohTipfkg
डॉ स्वामी नवम्बर 1 प्रेस विज्ञप्ति - http://www.youtube.com/watch?v=vV8DxIyUMIk
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=554296297919611&set=a.402583873090855.113599.256288937720350&type=1&theater
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जीवन में कुछ खोना पड़े । तो ये 2 लाइन जरुर याद रखियेगा ।
जो खोया है । उसका ग़म नहीं । लेकिन जो पाया है । वो भी किसी से कम नहीं ।
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We yearn for our independence not just so we can go where we want to and speak up when we want to, though that feels good. But that's child's play and ego driven . The deeper part of us yearns to create, to fulfill whatever it is we were born to do and that requires we take charge of our own power of choice . Meaning and purpose is driven by the engine of choice, make no mistake about that ~ Caroline Myss

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