। ॐ श्री गुरुवै नमः ।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।
अखण्ड मंडलाकार व्याप्तं येन चराचरम ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः ।.
परम वन्दनीय प्रातः स्मरणीय परम श्रद्धेय सदगुरुदेव श्री शिवानन्द जी महाराज परमहंस के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन करते हुये देश विदेश में रहने वाले सभी स्नेही शिष्यों, श्रद्धालुओं और सभी भक्तजनों का गुरु पूर्णिमा 12 July 2014 को भावपूर्ण निमन्त्रण है ।
इस वर्ष भी दिल्ली (शिमला) निवासी श्री महाराज जी के पूर्ण शिष्य गुरुदेव श्री राकेश महाराज जी परमहंस महाराज भी इस पुण्य पावन अवसर पर 11 july से 13 july 2014 तक उपस्थित रहेंगे और स्थिति अनुसार नये पुराने शिष्यों की हंसदीक्षा, परमहंस दीक्षा भी की जायेगी ।
ध्यान में प्रविष्टि से सम्बन्धित कोई भी परेशानी और विभिन्न शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान भी किया जायेगा तथा सुयोग्य पात्रों को समाधि ज्ञान/अभ्यास कराया जायेगा ।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहा जाता है । इसी पावन दिन को गुरुपूजा का विधान है । वर्ष भर के किसी भी अन्य दिन से सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुरु पूर्णिमा महोत्सव इस वर्ष 12 July 2014 को पङ रहा है । अन्य संसारी लोगों की अपेक्षा उपदेशी शिष्यों के लिये यह दिन बहुत महत्व का है । ऐसा माना जाता है कि जो शिष्य वर्ष भर में एक बार भी गुरु दर्शन न कर सके । वह गुरु पूर्णिमा को कर ले तो भी धन्य हो जाता है । क्योंकि एकमात्र ये गुरु का (विशेष) दिन होता है और इस दिन गुरु की खास कृपादृष्टि शिष्यों पर रहती है । आमतौर पर गुरु चरणामृत भी इसी दिन उपलब्ध होता है क्योंकि वर्ष भर में इस शिष्य धर्म का आधुनिक हो चले (सभी) शिष्य महत्व नहीं समझते । इसका भी बेहद लाभ अनुभवी स्वयंभवी सन्तों द्वारा रचित ग्रन्थों ने कहा है ।
यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु सी
- भक्ति की जैसी आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी है । सच्चे सदगुरु की कृपा से ही परमात्मा का साक्षात्कार भी संभव है । गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है ।
तीन लोक नवखण्ड, में गुरु से बढा न कोय ।
कर्ता करे सो न कर सके, गुरु करे सो होय ।
इसके अतिरिक्त इस समागम में तमाम अपरिचित गुरुभाईयों से भेंट परिचय भी हो जाता है । जिसमें अपने अपने साधना अनुभव, जानकारी, पूर्व भटकाव आदि के वर्णन से एक दूसरे के माध्यम से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है ।
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स्वामी श्री शिवानन्द जी महाराज ‘परमहँस’
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उत्तर प्रदेश,
भारत
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