28 अप्रैल 2021

आक्सीजन है क्या?

 आक्सीजन है क्या?


सबल चेतना शक्ति, जल और वायु तत्व को प्राण-क्रिया द्वारा स्पन्दनशील करके जो जीवनदायनी प्राण उर्जा रूपी यौगिक अणु समूह बनाती है। वही आक्सीजन है। शुद्ध अवस्था में यह निर्धूम (धुंआं, कार्बन रहित, स्वच्छ) है। उत्पन्न होने के बाद शरीर के अन्दर अपनी व्यवहारिक क्रिया करके ये शुद्ध आक्सीजन, धूम्र (धुयें सहित, कार्बन युक्त, अशुद्ध) में बदल कर कार्बन डाई आक्साइड हो जाती है।


मतलब शरीर में जल और वायु की शुद्धता, सही मात्रा, अनुपात सही होने पर, और प्राणक्रिया को सबल बनाये रखने से शरीर में आक्सीजन लबालब रहेगी। उर्जा भरपूर रहेगी।

अधिक विस्तार से लिखना संभव नहीं। उपरोक्त शब्दों का सही अर्थ समझ कर आप समस्या हल कर सकते हैं। या फ़िर फ़ोन कर सकते हैं।



योग जानने वाले जल, वायु तत्व का ध्यान करके दो मिनट में आक्सीजन स्तर सही कर लेते हैं।


राम शब्द का सही अर्थ और महिमा जानने वाले एक क्षण में सब कुछ ठीक कर लेते हैं।



निम्न दोहों पर ध्यान दें

सभी रसायन हम किये, नहीं “नाम” सम कोय।

रंचक तन में संचरै, सब तन कंचन होय॥

तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिय तुला एक अंग।

तूल न ताहि सकल मिल, जो सुख “लव सतसंग॥


सहज समाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था

सहज समाधि आश्रम

बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) 


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25 अप्रैल 2021

करोना के कारण फेफड़ों में संक्रमण

 गुरुजी, करोना के कारण लोगो के फेफड़ों में संक्रमण हो रहा है। सांस फूल रही है। कृपया मानवता के लिए सभी को यह समझाए।


प्राकृतिक स्रोतों में - पीपल, नीम के वृक्ष, भीगी कच्ची जमीन पर लेटना, सिर, चेहरे एवं छाती पर ठंडे पानी के छींटे (यदि सर्दी का असर न हो), देशी गाय के पास खङा होना, नदी, झील आदि जलस्रोत का किनारा, भक्क सफ़ेद झागदार प्रकाश देखना, आज्ञाचक्र पर खुली आँखों के साथ नल से जुङे पाइप से दो मिनट धार मारना, इनसे आक्सीजन स्तर एकदम बढ़ता है। 

विशेष - लेकिन इनमें से पानी से सम्बन्धित उपाय सर्दी से पीङित लोग न करें।


शारीरिक क्रियाओं द्वारा - नाभि स्थान के पेट को मांसपेशियों द्वारा ही जितना हो सके अन्दर दबाना, मांसपेशियों से न होने पर हाथ/तकिये आदि बाहरी उपायों से दबाना। दबाव सामान्यता सहनीय हो, अधिक न दबायें। दौङ सकते हों तो दौङें। अन्य कसरती क्रियायें भी ह्रदय/फ़ेफ़ङों की गति/क्षमता बढ़ाकर आक्सीजन स्तर सुधारती हैं। दर्द से कराहने जैसी आवाज ऊं-ऊं और छोटे बच्चे की रोते-रोते थकने के बाद के रोने जैसी क्रिया करना, शरीर के तन्त्र में कई सुधार कर देती है।


मन्त्र/ध्यान द्वारा - किसी भी बीज मन्त्र में अनुस्वार (अं-ग, बिन्दी) को यथासंभव दीर्घ करना।


गुरू द्वारा - जो गुरू से जुङे हैं। उनको ये समस्यायें नहीं आतीं।  

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326