14 सितंबर 2016

6 प्रकार के शरीर - सूक्ष्म (महा) कारण (2)

यद्यपि शरीर वर्णन का यह कृम उल्टा है । क्योंकि सीधा कृम - हंस>कैवल्य>महाकारण>कारण>सूक्ष्म>स्थूल.. यह है । परन्तु ज्यादातर हम स्थूल से ही अधिक परिचित होते हैं । फ़िर कोई कोई सूक्ष्म से, कारण शरीर तो आमतौर पर सामान्य लोग जानते ही नहीं । अतः शरीर वर्णन का कृम ‘हंस’ के बजाय ‘स्थूल’ से किया है ।
सूक्ष्म देह हम सभी के लिये एकदम अपरिचित नही है । स्वपन अवस्था और उसके अनुभव सूक्ष्म देह के ही होते हैं ।
यहाँ एक उल्लेखनीय बात ये भी है कि कबीरपंथियों का वेदों की बुराई करना और वेद समर्थकों द्वारा कबीर आदि सन्तों को महत्व न देना । वह भ्रांति इस 6 शरीर प्रकार विवरण से दूर हो जाती है । बस बात इतनी है कि ऐसे लोग इस ज्ञान को ठीक से समझने का प्रयत्न करें ।
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संतौ सुक्षम देह प्रमाना ।
सूक्षम देह अंगुष्ठ बराबर । स्वपन अवस्था जाना ।
श्वेत वर्ण ओंकार मात्रुका । सतोगुण विष्णु देवा । 
ऊर्ध्व सुन्न औ यजुर्वेद है । कंठ स्थान अहेवा । 
मुक्ति सामीप लोक बैकुंठ । पालन किरिया राखी । (सामीप्य मुक्ति)
मार्ग विहंग भूचरी मुद्रा । अक्षर निर्णय भाखी ।
आव तत्व को हं हंकारा । मंदाअग्नी कहिये । 
पंच प्राण द्वितीया पद गायत्री । मध्यम वाणी लहिये । 
शब्द स्पर्श रूप रस गंध । मन बुद्धि चित हंकारा ।
कहै कबीर सुनो भाई संतो । यह तन सूक्षम सारा ।
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संतौ कारण देह सरेखा ।
आधा पर्व प्रमाण तमोगुण । कारा वर्ण परेखा ।
मध्य शून्य मकार मात्रुका । ह्रदया सो अस्थाना । 
महदाकाश चाचरी मुद्रा । इच्छा शक्ती जाना । 
उदरा अग्नि सुषुप्ति अवस्था । निर्णय कंठ स्थानी ।
कपि मारग तृतीय पद गायत्री । अहै प्राज्ञ अभिमानी ।
सामवेद पश्यन्ती वाचा । मुक्त स्वरूप बखानी ।
तेज तत्व अद्वैतानन्द । अहंकार निरबानी । 
अहैं विशुद्ध महातम जामें । तामें कछु न समाई ।
कारण देह इती सम्पूरण । कहै कबीर बुझाई ।
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संतौ महाकारण तन जाना ।
नील वरण औ ईश्वर देवा । है मसूर परमाना ।
नाभि स्थान विकार मात्रुका । चिदाकाश परवानी । 
मारग मीन अगोचर मुद्रा । वेद अथर्वन जानी । 
ज्वाला कल चतुर्थ पद गायत्री । आदि शक्ति ततु बाऊ ।
आश्रय लोक विदेहानन्द । मुक्ति साजोजि बताऊ । (सायुज्य मुक्ति)
नृणै प्रकाशिक तुरी अवस्था । मत्यज्ञात्मतु अभिमानी ।
शीव अहंकार महाकारण तन । इहो कबीर बखानी ।

6 प्रकार के शरीर - कैवल्य हंस (3) (क्लिक करें)

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