हैल्लो ! राजीव भाई जी ! आज थोडी फ़ुर्सत में मेल लिख रहा हूँ । मेरी तरफ़ से राजीव परिवार उर्फ़ ब्लागवासियों एवं पाठकों को स्नेह-पूर्वक बीलेटेड हैप्पी दीवाली । सभी के जीवन में दीवाली नये उत्साह और खुशियां लेकर आए । ऐसी हमारी कामना है ।
राजीव जी ! सबसे पहले तो मेरी बात पर आता हूँ । पिछले दिनों मैने "अंधेरा" कहानी पढने की शुरूआत की । जैसे - तैसे भाग- 9 पर पहुंचे । तो मेरी हिम्मत जवाब दे गई । लगा भई कहाँ आ फ़ँसे । रोमांच । सस्पेंस । भूतहा दृश्य आदि कहानी से गायब लगे । फ़िर आगे कहानी नहीं पढी । इस कहानी में आपने तो प्रसुनजी को भी नहीं बख्शा ।
खैर ! ये थी मेरी बात । जैसा मुझे लगा । वैसा मैने कहा । मुझे आपकी लिखी कहानी "डायन" सबसे ज्यादा पसंद आई थी । मैं चाहता था कि उस कहानी में आप मेरे भेजे फ़ोटो को लगाए । दृश्यों के अनुरूप फ़ोटो मैं आपको जल्द ही भेजूंगा । अभी के लिये मैं आपको कुछ विषय सामग्री इस मेल के साथ भेज रहा हूं । और कबीर साहब जी के ग्रंथ संग्रह की एक लिस्ट है । जैसा कि मुझसे कई लोगों ने पूछा कि इनमें से किन पुस्तकों को पढना चाहिए । तो वही प्रश्न मैं आपसे पूछ रहा हूं । अनुराग सागर मैं दो बार पड चुका हूं । पर अन्य पुस्तकों को अभी तक नहीं पडा ।
अगला मेल जल्द ही भेजूंगा । कुछ प्रश्न भी होंगे । पुनर्जन्म की यात्रा और आत्मा विषय पर आपसे चर्चा करेंगे । राजू मल्होत्रा ।
आज जिस विषय पर मैंने ये मेल लिखा है । वो हैं मिस "Junko Furuta" की नरक यात्रा । दरसल ये असलजिंदगी की घटना है । और सच भी । किसी भी इन्सान के लिये ऐसी दर्दनाक जिंदगी जीना जीते जी नरक की यात्रा करने से कम नहीं है । और जब वो यात्रा मौत के गुमनाम अंधेरों की ओर ले जाय । ये घटना है । जापान के "टोकयो" शहर की । वैसे घटना का पूरा विवरण English में था । पर पाठकों की सुविधानुसार और सभी के लिए इसका पढा जाना जरूरी था । तो मैं इसे हिन्दी में अनुवाद कर रहा हूं ।
एक उच्च विद्यालय की लड़की junko furuta जिसको चार किशोर आयु वर्ग के गुंडों द्वारा अपहरण कर लिया गया था । जब वह अपने रास्ते किसी काम से जा रही थी । वे उसे एक दोस्त के घर ले गए । उसे अपने बेडरूम में छिपाकर रखा गया । और अगले पैंतालीस दिनों तक उसके साथ जो कुछ भी हुआ ( ऐसा कुछ आप कल्पना में भी नहीं सोचेंगें ) उसकी
आप कल्पना भी नहीं कर सकते । उन लडकों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया । यातनाएं दी । आग से जलाया गया । पीटा गया इत्यादि ।
DAY 1: November 22, 1988: जिन 4 लडको ने Junko Furuta का अपहरण किया । वे उसी के हम उम्र के थे । यानी की 16-17 वर्ष के बीच । और उन्हीं में से किसी एक के घर ले गये । यह कहकर कि - ये उसकी गर्लफ़्रैंड है । और कुछ दिन यही रहेगी । उन लडकों ने 400 से अधिक बार उसका बलात्कार किया । लडकी से जबरदस्ती फ़ोन से अपने मां-बाप को यह कहलवाया कि वह घर छोडकर चली गई है । उसकी चिंता न करे । वह अपने किसी दोस्त के साथ है । और सही हालत में है । उसे भूखा रखा । और कुपोषित किया गया । खाने को तिलचट्टे Cockroach दिये गये । और पीने को मूत्र दिया । जबरदस्ती हस्तमैथुन करवाया गया । न
मानने पर सिगरेट लाइटर से जला दिया । विदेशी वस्तुओं को उसकी योनि/गुदा में डाला ।
DAY 11: December 1, 1988: गंभीर रूप से अनगिनत बार मारा । ठोस सीमेंट की जमीन पर चेहरे को रखकर । ऊपर से कुदवाया । हाथों को छत से बांध दिया । और शरीर को पंचिंग बैग के रूप में इस्तेमाल किया । उसके नाक में इतना खून भर गया । जिस कारण उसे मुंह से सांस लेना पडता था । Dumbbells ( कसरत करने का सामान ) उसके पेट पर गिराये गए । जब भी उसने पानी पीने की कोशिश की । उसने उल्टी कर दी ( उसका पेट इसे स्वीकार नहीं कर सकता ) जब भागने की कोशिश की । उसने तो सिगरेट से जलाकर दंडित किया गया । ज्वलनशील तरल उसके हाथ और पैरों पर डाला । और आग से जलाया गया । बार-बार बोतल को उसके गुदा में डाला । जिस कारण उसे भयंकर चोट हुई ।
DAY 20: December10, 1989: गंभीर रूप से पैर के जलने के कारण । ठीक से चलने में असमर्थ थी । बांस की छड़ें के साथ मारा । आतिशबाज़ी को गुदा में
डाला । और जलाया । वजनदार वस्तु से हाथ पर हमला । जिससे नाखून उखड गये । गोल्फ क्लब के साथ पीटा । योनि में जलती हुई सिगरेट डाली । लोहे की छड़ के साथ बार बार पीटा । सर्दी की रात मे बाहर बालकनी मे सोने को मजबूर किया गया । ग्रील्ड चिकन के Skewers को उसकी योनि और गुदा में डाला । जिस कारण खून बहा ।
DAY 30: गर्म मोम से उसका चेहरा जलाया गया । सिगरेट के लाइटर से उसकी आंखो की पलकों को जला दिया जाता है । छाती पर सुई द्वारा घोंपा जाता था । Left nipple को संडसी से काट दिया जाता । उसकी योनि में गर्म जलता हुआ बल्ब डाला गया । योनि में कैंची घुसाये जाने के कारण उसे अत्यधिक खून बहा । ठीक से पेशाब करने में असमर्थ थी । चोट लगने की घटनाएं इतनी गंभीर है कि यह एक घंटे से अधिक समय लिया गया है । उसके लिए नीचे क्रॉल करने के लिए और बाथरूम का उपयोग किया गया । दिमाग ने ठीक से काम करना बंद कर दिया । हमेशा बदहवासी की हालत में रहती थी ।
DAY 40: उसने दया की भीख मांगी कि उसे मौत दे । जिससे यह सारा खेल खत्म हो ।
January 1, 1989: Junko ने अत्यन्त पीडा के बावजूद नए साल का स्वागत किया । वहां कोई नहीं था । जिसे वो अपने दर्द का हाले-दिल बयान कर सकें । उसका शरीर जगह-जगह से कट-फ़ट छिल गया है । वह जमीन से उठ भी नहीं पा रही थी ।DAY 44: January 4, 1989: उन चार लड़कों ने उसके कटे-फ़टे शरीर को लोहे के छ्ड से पीटा । जिस कारण उसके मुंह और नाक से खून बह रहा था । उन्होंने उसके चेहरे और आंखों पर जलती हुई मोमबत्ती की लौ डाली । उन्होंने बहाने से कहा कि Mah-jongg के खेल में एक मिली हार कि वजह से उन्होने ऐसा किया । उन्होने उस लडकी के हाथ, पैर, पेट पर ज्वलनशील पदार्थ डाला । और आग से जलाया । यह अंतिम यातना दो घंटे तक चली । Junko Furuta का दूसरे दिन दर्द में और अकेले में निधन हो गया । उस लडकी ने 44 दिन तक जो पीडा और दर्द सहा है । उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती । उसकी मौत के बाद । उन्होंने उसके हाथ-पैर बांध कर । एक 55 गैलन ड्रम में डाल दिया । जो सीमेंट से भरा था । और उस ड्रम को किसी खाली जगह में फ़ेंक दिया । शरीर को लगभग एक साल बाद तक बरामद नहीं किया गया था । इस पूरी घटना के सरगना को सिर्फ़ आठ साल की जेल की सजा हुई । और अब वह एक आजाद आदमी है ।
वह लडकी ने खुद को बचाने की दो बार कोशिश की । पहली कोशिश में वह फ़ोन मिलाने की प्रक्रिया में पकडी गयी । दूसरी बार । वह लडका जो वहां रहता था । उसके माता पिता के सामने उसने सारी बात जाहिर कर दी । उसने मदद के लिये उन लोगों से विनती की । पर अफ़सोस वे लोग उसकी कोई मदद नहीं कर सकें । क्योकि उस लडके के दोस्तों का सम्बन्ध अपराधियों के साथ था । और वे किसी भी तरह की मुसीबत में नहीं पडना चाहते थे । इस लडकी को 44 दिन तक उत्पीडित किया गया ।
जब उसकी माँ ने यह खबर सुनी । और जो उसके साथ हुआ । उसका विवरण सुना । तो वह बेहोश हो गई । उन्हे एक मनोरोग आउट पेशेंट उपचार से गुजरना पडा । आप उसके अंतहीन दर्द की कल्पना करो । उसके हत्यारों अब भी स्वतंत्र हैं । 20 साल बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पाया । उस मासूम लडकी को इतनी पीडा और यातना देने
के लिये उन लडको को उससे भी कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए ।
Junko Furuta के साथ हुई इस भयानक घटना के मामले की जानकारी जापानी अदालत परीक्षण, और 1989 से ब्लॉग के माध्यम से एकत्र की गयी थी । उन्होने Junko Furuta के दर्द को बताया । जो उसे अंतिम समय तक सहना पडा । और जिस कारण उसकी मौत हुई । 1989 की यह कहानी सच है । हर किसी को Junko Furuta के अकल्पनीय और अबोध्य दुख के अस्तित्व के बारे में पता होना चाहिए । कभी उसकी कहानी को भुलाया नहीं जा सकता । यदि इस कहानी से कम से कम एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन होता है । तो इस कहानी को लिखने का मेरा उद्देश्य पूरा होगा ।
राजीव जी ! इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ये ऊपर वाले का कैसा इन्साफ़ है ? आखिर क्यों उस मासूम लडकी को इतना दुख और यातना सहनी पडी ? जबकि उसका कोई कसूर नहीं था ।
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धन्यवाद राजू जी ! मैं आपसे एकदम सहमत हूँ । अँधेरा कहानी 9 पार्ट तक मेरी नजर में भी टोटली बकबास है । और कतई मेरी प्रकृति की नहीं है । और पूरी तरह से मेरी लिखी भी नहीं है । यही बात ब्लाग में लगे इस तरह के ग्लेमरस फ़ोटो पर लागू होती है । ये सभी लोगों द्वारा भेजे गये हैं । और वास्तव में मुझे भी डायन और प्रसून का इंसाफ़ जैसी ही उद्देश्यपरक कहानियाँ पसन्द आती हैं । पर ऐसी एक कहानी लगभग सभी पाठकों की माँग थी । इसलिये निसंदेह अँधेरा जैसी कहानी मेरी पहली और आखिरी कहानी थी । पर इत्तफ़ाक की बात है कि आपने पार्ट 9 तक कहानी पढने के बाद छोङ दी । वास्तव में 10वें पार्ट से ही कहानी शुरू होती है । और वही मेरी लिखी कहानी है । फ़िर वह एकदम अलग है ।
वैसे भी प्रेत कहानियाँ लिखना मुझे एकदम बेकार और उद्देश्यहीन लगता है । मैंने कुछेक प्रेत कहानियाँ सिर्फ़ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखकर बन्द कर दिया था । और लम्बे समय तक नहीं लिखा । तब सभी पाठकों ने एक स्वर में माँग की । फ़िर भी मैंने सामाजिक जागरूकता हेतु - अब तू औरत नहीं चुङैल है । पिशाच का बदला । डायन । अंगिया वेताल जैसी जानकारी वाली कहानियाँ लिखी । जो अधिकतर को पसन्द नहीं आयी । और अँधेरा सबको बेहद पसन्द आयी । जो भी हो । मैंने पहले ही तय कर लिया था । सेक्स के मामले में अँधेरा मेरी सिर्फ़ इकलौती कहानी होगी । आप 10वें पार्ट से अँधेरा पढें । वह आपको मेरी लिखी कहानी ही नजर आयेगी ।
कबीर साहब की सभी वाणी अनोखी और दिव्य है । और उनके अलग अलग उद्देश्य है । बाबन अक्षरी में उनकी लीला और जीवन परिचय का अच्छा विवरण मिलता है । बीजक सबसे अधिक ज्ञान वाली किताब है । अनुराग सागर आप पढ ही चुके हो । वह हरेक को चौंकाने वाली जानकारी देती है । और बहुत कुछ अलग बात कहती है । बाकी अभी कुछ लोग आये हुये हैं । और सर्दी की वजह से अभी काम नहीं हो पाता । इसलिये शेष चर्चा समय मिलते ही होगी ।
आप सभी के अंतर में विराजमान सर्वात्मा प्रभु आत्मदेव को मेरा सादर प्रणाम ।
राजीव जी ! सबसे पहले तो मेरी बात पर आता हूँ । पिछले दिनों मैने "अंधेरा" कहानी पढने की शुरूआत की । जैसे - तैसे भाग- 9 पर पहुंचे । तो मेरी हिम्मत जवाब दे गई । लगा भई कहाँ आ फ़ँसे । रोमांच । सस्पेंस । भूतहा दृश्य आदि कहानी से गायब लगे । फ़िर आगे कहानी नहीं पढी । इस कहानी में आपने तो प्रसुनजी को भी नहीं बख्शा ।
खैर ! ये थी मेरी बात । जैसा मुझे लगा । वैसा मैने कहा । मुझे आपकी लिखी कहानी "डायन" सबसे ज्यादा पसंद आई थी । मैं चाहता था कि उस कहानी में आप मेरे भेजे फ़ोटो को लगाए । दृश्यों के अनुरूप फ़ोटो मैं आपको जल्द ही भेजूंगा । अभी के लिये मैं आपको कुछ विषय सामग्री इस मेल के साथ भेज रहा हूं । और कबीर साहब जी के ग्रंथ संग्रह की एक लिस्ट है । जैसा कि मुझसे कई लोगों ने पूछा कि इनमें से किन पुस्तकों को पढना चाहिए । तो वही प्रश्न मैं आपसे पूछ रहा हूं । अनुराग सागर मैं दो बार पड चुका हूं । पर अन्य पुस्तकों को अभी तक नहीं पडा ।
अगला मेल जल्द ही भेजूंगा । कुछ प्रश्न भी होंगे । पुनर्जन्म की यात्रा और आत्मा विषय पर आपसे चर्चा करेंगे । राजू मल्होत्रा ।
आज जिस विषय पर मैंने ये मेल लिखा है । वो हैं मिस "Junko Furuta" की नरक यात्रा । दरसल ये असलजिंदगी की घटना है । और सच भी । किसी भी इन्सान के लिये ऐसी दर्दनाक जिंदगी जीना जीते जी नरक की यात्रा करने से कम नहीं है । और जब वो यात्रा मौत के गुमनाम अंधेरों की ओर ले जाय । ये घटना है । जापान के "टोकयो" शहर की । वैसे घटना का पूरा विवरण English में था । पर पाठकों की सुविधानुसार और सभी के लिए इसका पढा जाना जरूरी था । तो मैं इसे हिन्दी में अनुवाद कर रहा हूं ।
एक उच्च विद्यालय की लड़की junko furuta जिसको चार किशोर आयु वर्ग के गुंडों द्वारा अपहरण कर लिया गया था । जब वह अपने रास्ते किसी काम से जा रही थी । वे उसे एक दोस्त के घर ले गए । उसे अपने बेडरूम में छिपाकर रखा गया । और अगले पैंतालीस दिनों तक उसके साथ जो कुछ भी हुआ ( ऐसा कुछ आप कल्पना में भी नहीं सोचेंगें ) उसकी
आप कल्पना भी नहीं कर सकते । उन लडकों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया । यातनाएं दी । आग से जलाया गया । पीटा गया इत्यादि ।
DAY 1: November 22, 1988: जिन 4 लडको ने Junko Furuta का अपहरण किया । वे उसी के हम उम्र के थे । यानी की 16-17 वर्ष के बीच । और उन्हीं में से किसी एक के घर ले गये । यह कहकर कि - ये उसकी गर्लफ़्रैंड है । और कुछ दिन यही रहेगी । उन लडकों ने 400 से अधिक बार उसका बलात्कार किया । लडकी से जबरदस्ती फ़ोन से अपने मां-बाप को यह कहलवाया कि वह घर छोडकर चली गई है । उसकी चिंता न करे । वह अपने किसी दोस्त के साथ है । और सही हालत में है । उसे भूखा रखा । और कुपोषित किया गया । खाने को तिलचट्टे Cockroach दिये गये । और पीने को मूत्र दिया । जबरदस्ती हस्तमैथुन करवाया गया । न
मानने पर सिगरेट लाइटर से जला दिया । विदेशी वस्तुओं को उसकी योनि/गुदा में डाला ।
DAY 11: December 1, 1988: गंभीर रूप से अनगिनत बार मारा । ठोस सीमेंट की जमीन पर चेहरे को रखकर । ऊपर से कुदवाया । हाथों को छत से बांध दिया । और शरीर को पंचिंग बैग के रूप में इस्तेमाल किया । उसके नाक में इतना खून भर गया । जिस कारण उसे मुंह से सांस लेना पडता था । Dumbbells ( कसरत करने का सामान ) उसके पेट पर गिराये गए । जब भी उसने पानी पीने की कोशिश की । उसने उल्टी कर दी ( उसका पेट इसे स्वीकार नहीं कर सकता ) जब भागने की कोशिश की । उसने तो सिगरेट से जलाकर दंडित किया गया । ज्वलनशील तरल उसके हाथ और पैरों पर डाला । और आग से जलाया गया । बार-बार बोतल को उसके गुदा में डाला । जिस कारण उसे भयंकर चोट हुई ।
DAY 20: December10, 1989: गंभीर रूप से पैर के जलने के कारण । ठीक से चलने में असमर्थ थी । बांस की छड़ें के साथ मारा । आतिशबाज़ी को गुदा में
डाला । और जलाया । वजनदार वस्तु से हाथ पर हमला । जिससे नाखून उखड गये । गोल्फ क्लब के साथ पीटा । योनि में जलती हुई सिगरेट डाली । लोहे की छड़ के साथ बार बार पीटा । सर्दी की रात मे बाहर बालकनी मे सोने को मजबूर किया गया । ग्रील्ड चिकन के Skewers को उसकी योनि और गुदा में डाला । जिस कारण खून बहा ।
DAY 30: गर्म मोम से उसका चेहरा जलाया गया । सिगरेट के लाइटर से उसकी आंखो की पलकों को जला दिया जाता है । छाती पर सुई द्वारा घोंपा जाता था । Left nipple को संडसी से काट दिया जाता । उसकी योनि में गर्म जलता हुआ बल्ब डाला गया । योनि में कैंची घुसाये जाने के कारण उसे अत्यधिक खून बहा । ठीक से पेशाब करने में असमर्थ थी । चोट लगने की घटनाएं इतनी गंभीर है कि यह एक घंटे से अधिक समय लिया गया है । उसके लिए नीचे क्रॉल करने के लिए और बाथरूम का उपयोग किया गया । दिमाग ने ठीक से काम करना बंद कर दिया । हमेशा बदहवासी की हालत में रहती थी ।
DAY 40: उसने दया की भीख मांगी कि उसे मौत दे । जिससे यह सारा खेल खत्म हो ।
January 1, 1989: Junko ने अत्यन्त पीडा के बावजूद नए साल का स्वागत किया । वहां कोई नहीं था । जिसे वो अपने दर्द का हाले-दिल बयान कर सकें । उसका शरीर जगह-जगह से कट-फ़ट छिल गया है । वह जमीन से उठ भी नहीं पा रही थी ।DAY 44: January 4, 1989: उन चार लड़कों ने उसके कटे-फ़टे शरीर को लोहे के छ्ड से पीटा । जिस कारण उसके मुंह और नाक से खून बह रहा था । उन्होंने उसके चेहरे और आंखों पर जलती हुई मोमबत्ती की लौ डाली । उन्होंने बहाने से कहा कि Mah-jongg के खेल में एक मिली हार कि वजह से उन्होने ऐसा किया । उन्होने उस लडकी के हाथ, पैर, पेट पर ज्वलनशील पदार्थ डाला । और आग से जलाया । यह अंतिम यातना दो घंटे तक चली । Junko Furuta का दूसरे दिन दर्द में और अकेले में निधन हो गया । उस लडकी ने 44 दिन तक जो पीडा और दर्द सहा है । उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती । उसकी मौत के बाद । उन्होंने उसके हाथ-पैर बांध कर । एक 55 गैलन ड्रम में डाल दिया । जो सीमेंट से भरा था । और उस ड्रम को किसी खाली जगह में फ़ेंक दिया । शरीर को लगभग एक साल बाद तक बरामद नहीं किया गया था । इस पूरी घटना के सरगना को सिर्फ़ आठ साल की जेल की सजा हुई । और अब वह एक आजाद आदमी है ।
वह लडकी ने खुद को बचाने की दो बार कोशिश की । पहली कोशिश में वह फ़ोन मिलाने की प्रक्रिया में पकडी गयी । दूसरी बार । वह लडका जो वहां रहता था । उसके माता पिता के सामने उसने सारी बात जाहिर कर दी । उसने मदद के लिये उन लोगों से विनती की । पर अफ़सोस वे लोग उसकी कोई मदद नहीं कर सकें । क्योकि उस लडके के दोस्तों का सम्बन्ध अपराधियों के साथ था । और वे किसी भी तरह की मुसीबत में नहीं पडना चाहते थे । इस लडकी को 44 दिन तक उत्पीडित किया गया ।
जब उसकी माँ ने यह खबर सुनी । और जो उसके साथ हुआ । उसका विवरण सुना । तो वह बेहोश हो गई । उन्हे एक मनोरोग आउट पेशेंट उपचार से गुजरना पडा । आप उसके अंतहीन दर्द की कल्पना करो । उसके हत्यारों अब भी स्वतंत्र हैं । 20 साल बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पाया । उस मासूम लडकी को इतनी पीडा और यातना देने
के लिये उन लडको को उससे भी कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए ।
Junko Furuta के साथ हुई इस भयानक घटना के मामले की जानकारी जापानी अदालत परीक्षण, और 1989 से ब्लॉग के माध्यम से एकत्र की गयी थी । उन्होने Junko Furuta के दर्द को बताया । जो उसे अंतिम समय तक सहना पडा । और जिस कारण उसकी मौत हुई । 1989 की यह कहानी सच है । हर किसी को Junko Furuta के अकल्पनीय और अबोध्य दुख के अस्तित्व के बारे में पता होना चाहिए । कभी उसकी कहानी को भुलाया नहीं जा सकता । यदि इस कहानी से कम से कम एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन होता है । तो इस कहानी को लिखने का मेरा उद्देश्य पूरा होगा ।
राजीव जी ! इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ये ऊपर वाले का कैसा इन्साफ़ है ? आखिर क्यों उस मासूम लडकी को इतना दुख और यातना सहनी पडी ? जबकि उसका कोई कसूर नहीं था ।
************************
धन्यवाद राजू जी ! मैं आपसे एकदम सहमत हूँ । अँधेरा कहानी 9 पार्ट तक मेरी नजर में भी टोटली बकबास है । और कतई मेरी प्रकृति की नहीं है । और पूरी तरह से मेरी लिखी भी नहीं है । यही बात ब्लाग में लगे इस तरह के ग्लेमरस फ़ोटो पर लागू होती है । ये सभी लोगों द्वारा भेजे गये हैं । और वास्तव में मुझे भी डायन और प्रसून का इंसाफ़ जैसी ही उद्देश्यपरक कहानियाँ पसन्द आती हैं । पर ऐसी एक कहानी लगभग सभी पाठकों की माँग थी । इसलिये निसंदेह अँधेरा जैसी कहानी मेरी पहली और आखिरी कहानी थी । पर इत्तफ़ाक की बात है कि आपने पार्ट 9 तक कहानी पढने के बाद छोङ दी । वास्तव में 10वें पार्ट से ही कहानी शुरू होती है । और वही मेरी लिखी कहानी है । फ़िर वह एकदम अलग है ।
वैसे भी प्रेत कहानियाँ लिखना मुझे एकदम बेकार और उद्देश्यहीन लगता है । मैंने कुछेक प्रेत कहानियाँ सिर्फ़ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखकर बन्द कर दिया था । और लम्बे समय तक नहीं लिखा । तब सभी पाठकों ने एक स्वर में माँग की । फ़िर भी मैंने सामाजिक जागरूकता हेतु - अब तू औरत नहीं चुङैल है । पिशाच का बदला । डायन । अंगिया वेताल जैसी जानकारी वाली कहानियाँ लिखी । जो अधिकतर को पसन्द नहीं आयी । और अँधेरा सबको बेहद पसन्द आयी । जो भी हो । मैंने पहले ही तय कर लिया था । सेक्स के मामले में अँधेरा मेरी सिर्फ़ इकलौती कहानी होगी । आप 10वें पार्ट से अँधेरा पढें । वह आपको मेरी लिखी कहानी ही नजर आयेगी ।
कबीर साहब की सभी वाणी अनोखी और दिव्य है । और उनके अलग अलग उद्देश्य है । बाबन अक्षरी में उनकी लीला और जीवन परिचय का अच्छा विवरण मिलता है । बीजक सबसे अधिक ज्ञान वाली किताब है । अनुराग सागर आप पढ ही चुके हो । वह हरेक को चौंकाने वाली जानकारी देती है । और बहुत कुछ अलग बात कहती है । बाकी अभी कुछ लोग आये हुये हैं । और सर्दी की वजह से अभी काम नहीं हो पाता । इसलिये शेष चर्चा समय मिलते ही होगी ।
आप सभी के अंतर में विराजमान सर्वात्मा प्रभु आत्मदेव को मेरा सादर प्रणाम ।
5 टिप्पणियां:
😟🙏🙏
😢😢😢yehi hota aa rha h hmare desh m ....
Agr kisi bhi mujrim ko sajjja dii jaaye tb hi india m rehne wale log aisa krne se darreng....warna to nirbhaya nile case m 12 saal ke baad nyay milna ...ye koi solution nhi tha ..
This is not fair ye to bilkul glt h aisa nhi hona chaiye isliye hmara india abhi tk itna piche h aur koi ladki freedom nhi feel kr pati h
But ye japan, Tokyo ka incident hai
(Japan ho ya indiya har jagha ourto ko sirf maja ki chij hi samjha rha jata ) lenin in jaise logo ko to nmrad bana
dena chahiye
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