23 नवंबर 2011

इंसानी शरीर में चलती फ़िरती प्रेतनी

1 अक्सर लोगों के मुख से यह सुनने में आया है कि - चुङैल के पैर उलटे होते हैं । क्या ये सच है ?
इसका सिद्धांत मुझे समझ नहीं आता । क्या ये इसलिए कहा जाता है कि सृष्टि कृमानुसार उनकी गति नहीं होती ।
2 तिर्यक योनि के अंतर्गत कौन आते हैं ?
3 भारतीय योग दर्शन में पूर्व जन्म को जानने के सिद्धांत और यौगिक क्रियाओं का युक्ति पूर्ण वर्णन किया है । सिद्धांत कुछ इस तरह है - किसी एक ध्येय पदार्थ में धारणा, ध्यान और समाधि । इन तीनों का पूर्णत: एकत्व होने से ‘संयम’ हो जाता है । संयम करते करते योगी संयम पर आरूढ़ हो जाता है अर्थात उसका चित्त पूर्णत: उसके अधीन हो जाता है । चित्त परिपक्व व निर्मल होने से उसकी ऋतंभरा बुद्धि में अलौकिक ज्ञान का प्रकाश आ जाता है । जिससे योगी को बाह्य और आंतरिक प्रत्येक वस्तु के स्वरूप का यथार्थ और पूर्ण ज्ञान हो जाता है । पूर्व जन्म का ज्ञान होना संभव है ?
4 ज्योतिष शास्त्रों के ज्ञाता ऐसा कहते हैं कि - जन्मकुंडली के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि हम पिछले जन्म में क्या थे । अगले जन्म में क्या होंगे ? आपको क्या लगता है कि ऐसा संभव है ?  
5 जीव जब निद्रावस्था में होता है । तो बुद्धि कहां चली जाती है ?
6 मनुष्य किसकी इच्छा से बोलता है ?
7 लोगों को अकसर यह कहते सुना है कि चौराहे पर फ़लाना टोटका करके पीछे मुङकर न देखें । वो क्यों भला ?
8 क्या भटकती आत्माओं का निर्धारित क्षेत्रफल भी होता है या फ़िर वे स्वतंत्र ही विचरण करती हैं ।
9 जिस व्यक्ति की सङक दुर्घटना में मौत हो जाती है । तो कुछ आत्मा भटकती रहती हैं । क्या वे वहीं चौराहे आदि वृक्ष पर अपना डेरा डाल देती हैं ?
10 भटकती आत्माओं का भोजन क्या होता है ? उनका दैनिक क्रियालाप कैसे होता है ?
11 क्या हम इसी जीवन में उन रहस्य को जान सकते हैं । जिसे मनुष्य मरने के बाद जान पाता है ?
12 शरीर में मन की स्थिति कहां होती है ?
13 आपके किसी पिछले लेख में ‘दसवां द्वार’का जिक्र आया था । ये दसवां द्वार से आपका क्या तात्पर्य है ?
14 क्या स्वर्ग का रास्ता इस धरती पर मौजूद है ?
15 मोक्ष और मुक्ति में क्या अंतर है ?
16 सम्मोहन शक्ति कैसे काम करती है ?
17 मैंने कहीं पढा था बिना गुरू से आज्ञा लेकर जो मंत्र को प्रयोग में लाता है । वह निगुरा कहलाता है । तथा उसको कोई भी मंत्र सिद्ध नहीं होता । क्या पुस्तकों में लिखे गए सभी मंत्र कीलित (Locked) होते हैं । बिना वांछित दाम दिये (मतलब बिना गुरू की दीक्षा लिये । बिना गुरू की आज्ञा लिये) वह मन्त्र प्रयोग में नही लाया जा सकता । यहां तक कि गायत्री जैसे महामंत्र को भी गुरूमुख में ग्रहण किया जाता है । जरा खुल कर इस बारे में बताएं ?
अगर इस बात में सच्चाई है । तो टीवी, पत्र पत्रिकाओं, अखबारों, सतसंग संकीर्तन आदि में बताये गये मंत्रों के जप से कोई लाभ नहीं होता । मंदिर में मैंने अकसर लोगों को किन्हीं मंत्रो का जप करते देखा है । उनसे पूछो तो कहते हैं कि घर पर मंत्र जपने से ज्यादा महत्व मंदिर में भगवान के समक्ष जप ही कर लेना । क्या इस जप से कोई लाभ भी मिलता है ।
18 डायन का वास्तविक स्वरूप क्या है ? क्या वो इंसान शरीर में चलती फ़िरती प्रेतनी है या फ़िर एक औरत का दिमागी फ़ितूर, चरित्रहीन, संस्कारहीन होना है ? दरअसल मैं ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर डायन बनने की स्थिति क्या है । लोग डायन ही क्यों कहते हैं । इस नाम का क्या अर्थ है ?
19 कोई इंसान खुद को साई का अवतार कहता है । साईं बाबा एक महान संत थे । क्या उनका भी कोई अवतार हो सकता है । क्या सत्य साईं साईं बाबा के अवतार थे ? मेरी नजर में वो एक झूठा इंसान है । जिसे लोगों ने अवतार बना कर मंदिर में बिठा दिया ।
20 आपका पिछला लेख ‘डर के पास रहने से डर खत्म हो जाता है’ पढ़ा मैंने । अब यकीन तो नहीं होता पर आप कहते हैं । तो ऐसा ही होगा । 
इस लेख में एक जगह आपने कहा कि - सूक्ष्म शरीर यानि आत्मा आपको दिखाई देते हैं । वैसे ही अन्यों को भी दिखाई देते हैं । इस लाइन को पढ़ते हुए मुझे एक वाकया याद आ गया । जो मैं आपको बताता हूं । बात पिछले महीने की है । गोरखपुर के कुशीनगर के एन ब्लाक के तीन मंजिला भवन में आमिर रहता है । करवाचौथ के दिन दोपहर करीब तीन बजे रेलिंग के पास खङा होकर सीढ़ी पर रखे साइकिल के ऊपर सीढ़ी की वह फ़ोटो खींचने लगा ।
तभी तस्वीर में उभरी एक आकृति देखकर वह चौंक गया । साइकिल के ऊपर सीढ़ी की जाली से सटी साङी पहने महिला की छाया फ़ोटो में नजर आई । कक्षा 8 में पढ़ने वाले अविनाश पुत्र नंदराज  व कक्षा 6 में पढ़ने वाले आदर्श पुत्र अनिल ने बताया कि रात में छत पर पायल की झंकार किसी महिला के रोने की आवाज उन्होंने सुनी है । महिलाओं ने भी इस बात की पुष्टि की ।
उसी मकान के छत से दस साल के भीतर तीन लोग गिर चुके हैं पर उनको कोई नुकसान नहीं हुआ । अब इन सब बातों को जोङकर देखा जाए तो मामला भूतनी का लगता है । 
जो भी हो, मैं आपको उसकी खींची तस्वीर इस मेल के साथ भेज रहा हूं । अब आप ही देख कर बताएं कि आखिर यह आकृति है किसकी । क्योंकि आपके अलावा इस विषय को ठीक से कोई समझ नहीं सकता ।
21  ये बात इसी साल की है । उन दिनों श्राद्ध चल रहे थे । उस दिन मैं काफ़ी फ़्री था और छत पर कुर्सी डाले मोबायल में गाने सुन रहा था । शाम के 5 ही बजे थे । तभी मुझे बहुत ही मनमोहक सी सुगंध आई । जिस जगह मैं बैठा था । वो सुगंध सिर्फ़ उसी जगह आ रही थी । मुझे बङा ताज्जुब हुआ कि आखिर ये सुगंध आ कहां से रही है । फ़िर मैंने थोङा इधर उधर से टहल कर पता लगाना चाहा कि आसपास के मकान से तो नहीं आ रही पर ऐसा कुछ नहीं था । फ़िर मैं वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गया और उसके कुछ 5 मिनट बाद फ़िर वही सुगंध आ गई । अब मेरा दिमाग हरकत में आ गया था और मैंने छत पर बङे गौर से निगाह डाली पर कुछ नजर नहीं आया । वो सुगंध मेरे बाईं ओर से आ रही थी । जैसे कोई अदृश्य चीज मेरे आसपास है पर नजर नहीं आ रही । वो सुगंध इतनी ज्यादा मनभावन, मनमोहक थी कि मैं शब्दों में वर्णित नहीं कर सकता । जैसे सीधे स्वर्ग से ही आ रही हो । उस वक्त मुझे थोडा अजीब लग रहा था । अब आप ही बतायें । वो क्या था ?
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इत्तफ़ाक की बात है कि कल ही मुझे 3 महीने बाद फ़ुरसत सी मिली । इस मेल के कुछ उत्तर जो बङे हो सकते हैं । अलग अलग लेखों के माध्यम से विस्तार से दूँगा ।
वास्तव में मेरी इच्छा आजीवन हिमालयी क्षेत्र के किसी एकान्त में रहने की थी । फ़िर द्वैत जीवन में मेरे जीवन में एक भयानक एक्सीडेंट हुआ और परिस्थितियों ने मुझे जटिल संस्कार भोगने पर मजबूर कर दिया । सभी रहस्य तो मैं नहीं बता सकता पर अपने जीवन के शेष 38 साल एक सजा के समान मुझे कुछ नियमों में बिताने होंगे । जिनमें लगभग 10 साल माता पिता का शेष जीवन है । इससे पहले मैं विभिन्न स्थानों पर रहा और आना जाना भी रहा । संक्षेप में आज से सिर्फ़ 10 साल पहले मेरे दो सयुंक्त लक्ष्य थे । एक बालीवुड में स्थापित होना और दूसरा उसी के साथ साथ द्वैत में अधिकतम ऊँचाई प्राप्त करना । क्योंकि पूर्व संस्कारों के कारण मैं सिर्फ़ साधु नहीं बन सकता था । लेकिन 10 साल पहले मेरे जीवन में ऐसा भूचाल आया । जिसने मुझे हर तरह से तहस नहस कर दिया । मेरा पूरा जीवन ही रिफ़्यूजी की भांति कटा और अब तो मैं मर ही चुका हूँ । सिर्फ़ पिंजर मरना शेष रह गया है । भले ही एकदम क्लियरली न सही । मेरे तमाम जीवन की झलक मेरे लेखन में हैं । और आगे तो मैं इसी लेख - डर के पास रहने से डर खत्म हो जाता है, के साथ सीरीज ही लिखने वाला था । जिसमें तमाम यौगिक रहस्य आने थे । फ़िलहाल नहीं कह सकता । जिन्दगी कहाँ ले जायेगी ?
मोक्ष और मुक्ति में अंतर - अद्वैत का मोक्ष, पूर्ण मुक्त होना होता है । यानी आत्मा की अपनी मर्जी, स्वछन्द, स्ववश, हमेशा के लिये । द्वैत में मुक्ति होती है । जो 4 प्रकार की होती है । संक्षेप में इस मुक्ति का मतलब जीवात्मा मनुष्य योनि या 84 या प्रेत आदि अन्य योनियों  के कष्ट पूर्ण जीवन की अपेक्षा ऐश्वर्य भोग विलास युक्त जीवन स्व स्थिति अनुसार हजारों साल के लिये प्राप्त करता है । इसके बाद पुण्य भक्ति फ़ल समाप्त होते ही फ़िर इसी चक्र में गिरा दिया जाता है ।
शरीर में मन की स्थिति - आँखों के पीछे होती है । लेकिन ये कोई अलग विशेष उपकरण नहीं होता । बेर की गुठली के समान आकृति वाले अंतकरण के चार छिद्र होते हैं - मन, बुद्धि, चित्त, अहम । इसी को मोटे अन्दाज में मन कहते हैं । 5 कच्चे तत्वों 25 प्रकृति 5 ज्ञान इन्द्रियाँ 5 कर्म इन्द्रियों से मिलकर बने इस शरीर का राजा मन होता है । इन सबका योग 40 हुआ । मनुष्य को इसी बात का बोध रहे । इसीलिये 40 kg weight को 1 मन कहने का सिद्धांत बनाया गया । क्योंकि मन का समस्त खेल इन 40 पर ही निर्भर है ।
आपके शेष प्रश्नों को उत्तर यथासंभव विस्तार से अलग अलग लेखों के माध्यम से देने का प्रयास रहेगा ।
- आप सबके अंतर में विराजमान सर्वात्मा प्रभु आत्मदेव को मेरा सादर प्रणाम ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326