20 नवंबर 2011

अष्टावक्र गीता वाणी ध्वनि स्वरूप - 24

शून्या दृष्टिर्वृथा चेष्टा विकलानीन्द्रियाणि च । न स्पृहा न विरक्तिर्वा क्षीणसंसारसागरे । 17-9
जिसके लिए । संसार सागर । नष्ट हो गया है । ऐसे पुरुष की । दृष्टि । शून्य हो जाती है । चेष्टाएँ ( व्यापार ) व्यर्थ हो जाती हैं । इन्द्रियाँ विकल हो जाती हैं । उसकी ( संसार में ) कोई इच्छा । अथवा विरक्ति नहीं रहती है । 9
न जागृति न निद्राति नोन्मीलति न मीलति । अहो परदशा क्वापि वर्तते मुक्तचेतसः । 17-10
न जागता है । न सोता है । न पलक को खोलता है । और न पलक को बंद करता है । आश्चर्य है । मुक्त चित्त ( ज्ञानी ) कैसी उत्कृष्ट दशा में । वरतता ( रहता ) है । 10
सर्वत्र दृश्यते स्वस्थः सर्वत्र विमलाशयः । समस्तवासना मुक्तो मुक्तः सर्वत्र राजते । 17-11
जीवन मुक्त ज्ञानी । सब जगह । स्वस्थ ( शांत ) सब जगह । निर्मल । अन्तःकरण वाला । दिखलाई देता है । और सब जगह । सब वासनाओं से रहित होकर । विराजता ( रहता ) है । 11
पश्यन शृण्वन स्पृशन जिघ्रन्न अश्नन गृण्हन वदन व्रजन । ईहितानीहितैर्मुक्तो मुक्त एव महाशयः । 17-12
देखता हुआ । सुनता हुआ । स्पर्श करता हुआ । सूंघता हुआ । खाता हुआ । ग्रहण करता हुआ । बोलता हुआ । जाता हुआ । निश्चय ही । राग द्वेष से मुक्त ( छूटा ) हुआ । ऐसा महापुरुष मुक्त ( ज्ञानी ) है । 12
अष्टावक्र त्रेता युग के महान आत्मज्ञानी सन्त हुये । जिन्होंने जनक को कुछ ही क्षणों में आत्म साक्षात्कार कराया । आप भी  इस दुर्लभ गूढ रहस्य को इस वाणी द्वारा आसानी से जान सकते हैं । इस वाणी को सुनने के लिये नीचे बने नीले रंग के प्लेयर के प्ले > निशान पर क्लिक करें । और लगभग 3-4 सेकेंड का इंतजार करें । गीता वाणी सुनने में आपके इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड पर उसकी स्पष्टता निर्भर है । और कम्प्यूटर के स्पीकर की ध्वनि क्षमता पर भी । प्रत्येक वाणी 1 घण्टे से भी अधिक की है । इस प्लेयर में आटोमेटिक ही वाल्यूम 50% यानी आधा होता है । जिसे वाल्यूम लाइन पर क्लिक करके बढा सकते हैं । इस वाणी को आप डाउनलोड भी कर सकते हैं । इसके लिये प्लेयर के अन्त में स्पीकर के निशान के आगे एक कङी का निशान या लेटे हुये  8 जैसे निशान पर क्लिक करेंगे । तो इसकी लिंक बेवसाइट खुल जायेगी । वहाँ डाउनलोड आप्शन पर क्लिक करके आप इस वाणी को अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं । ये वाणी न सिर्फ़ आपके दिमाग में अब तक घूमते रहे कई प्रश्नों का उत्तर देगी । बल्कि एक  मुक्तता का अहसास भी करायेगी । और तब हर कोई अपने को बेहद हल्का और आनन्द युक्त महसूस करेगा ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326