गुरुजी, करोना के कारण लोगो के फेफड़ों में संक्रमण हो रहा है। सांस फूल रही है। कृपया मानवता के लिए सभी को यह समझाए।
प्राकृतिक स्रोतों में - पीपल, नीम के वृक्ष, भीगी कच्ची जमीन पर लेटना, सिर, चेहरे एवं छाती पर ठंडे पानी के छींटे (यदि सर्दी का असर न हो), देशी गाय के पास खङा होना, नदी, झील आदि जलस्रोत का किनारा, भक्क सफ़ेद झागदार प्रकाश देखना, आज्ञाचक्र पर खुली आँखों के साथ नल से जुङे पाइप से दो मिनट धार मारना, इनसे आक्सीजन स्तर एकदम बढ़ता है।
विशेष - लेकिन इनमें से पानी से सम्बन्धित उपाय सर्दी से पीङित लोग न करें।
शारीरिक क्रियाओं द्वारा - नाभि स्थान के पेट को मांसपेशियों द्वारा ही जितना हो सके अन्दर दबाना, मांसपेशियों से न होने पर हाथ/तकिये आदि बाहरी उपायों से दबाना। दबाव सामान्यता सहनीय हो, अधिक न दबायें। दौङ सकते हों तो दौङें। अन्य कसरती क्रियायें भी ह्रदय/फ़ेफ़ङों की गति/क्षमता बढ़ाकर आक्सीजन स्तर सुधारती हैं। दर्द से कराहने जैसी आवाज ऊं-ऊं और छोटे बच्चे की रोते-रोते थकने के बाद के रोने जैसी क्रिया करना, शरीर के तन्त्र में कई सुधार कर देती है।
मन्त्र/ध्यान द्वारा - किसी भी बीज मन्त्र में अनुस्वार (अं-ग, बिन्दी) को यथासंभव दीर्घ करना।
गुरू द्वारा - जो गुरू से जुङे हैं। उनको ये समस्यायें नहीं आतीं।
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