महाभारत
घोसी-कमरिया वाद। कमरिया उच्च क्यों? विवाह आधारित तीन तथ्य।
अहीर (आभीर)
महाभारत, विष्णु-पुराण के अनुसार जय-विजय में से एक हिरण्यकशिपु, फ़िर रावण, फ़िर (श्रीकृष्ण के फ़ूफ़ा, चेदि देश के ‘दमघोष’ का पुत्र
होकर) शिशुपाल हुआ। इसके तीन आँखें, चार हाथ थे,
और जनमते ही गधे की तरह रेंकने लगा था।
(म. प्र. के जिला अशोकनगर (बुंदेलखंड)
में है चेदि (चंदेरी)। किंवदंती है कि यहां द्वापर-युग में ढाई प्रहर सोने की
बारिश हुई थी)
विदर्भराज भीष्मक के रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु,
रुक्मकेस तथा रुक्ममाली नामक पाँच
पुत्र, और एक पुत्री रुक्मणी थी।
(अवंतिका देवी मंदिर उत्तर प्रदेश के
बुलंदशहर जिले में अनूपशहर तहसील के जहांगीराबाद से करीब 15 किमी. दूर गंगा तट पर
है। महाभारत काल यह मंदिर अहार नाम से जाना जाता था)
और श्रीकृष्ण कमली (कमरिया) वाले के
नाम से प्रसिद्ध थे। रुक्मणी का भाई रुक्मी, उसका विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। परन्तु विवाह श्रीकृष्ण के साथ
हुआ।
इसलिये घोष हारे,
और कमली वाला जीता।
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्र -
प्रद्युम्न, चारूदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह,
सुचारू, चरूगुप्त,
भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू थे। और एक पुत्री
चारूमति थी।
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यदुवंशी, घोक (स) और कमलनयन दो भाई थे। घोक, भाई से अनबन के कारण वन में जाकर भीलनी के साथ रहने लगे। कमलनयन ने
वन जाकर देखा, घोक ने भीलनी से संतान उत्पन्न कर जाति
को वर्णसंकर कर दिया। इससे दोनों भाईयों में अलगाव हुआ, और घोक से घोसी तथा कमलनयन से कमरिया
वर्ग बना।
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एक यादव कन्या का अनजाने में दो जगह
विवाह तय हो गया। दोनों बारातें एक ही समय में, एक ही कन्या हेतु पहुँचने पर वर चुनाव हेतु बुद्धि-परीक्षण तय हुआ।
इसमें कम्बल को तालाब में डालकर मृत भैंस जैसा बनाकर दोनों वर पक्षों से निकालने
को कहा।
एक वर-पक्ष घुस-फ़ुस (घोसी) करता रहा।
दूसरे पक्ष ने कम्बल (कमरिया) निकाल दिया, और विजयी हुआ।