05 अगस्त 2020

जीव की ज्ञान, अज्ञान अवस्थायें

सामान्य अज्ञान स्थिति में (मनुष्य) जीव की स्वयं-प्रकाश स्थिति, धूसर बादलों में एक “काले कण” जैसी होती है। एक चमकीले सफ़ेद प्रकाश कण पर चढ़ा काला आवरण। गुरू द्वारा या कभी-कभी स्वयं की योग-भक्ति, ज्ञान के प्रयास से यह काला आवरण हट जाता है और वह स्वच्छ आकाश में चमकीला सूक्ष्म अणु हो जाता है। ऐसा और यहाँ तक होना सामान्य ही है। 

इसके बाद गुरू, ज्ञान और योग-भक्ति (करने) की सामर्थ्य और पहुँच के अनुसार यह चमकीला अणु एक बङे सफ़ेद बिन्दु (महिलाओं की बिन्दी जितना) में बदल जाता है। फ़िर क्रमशः एक सूर्य जितना बङा, फ़िर बारह सूर्य, फ़िर एक साथ सोलह सूर्य जितना प्रकाशित हो जाता है। यदि सत्य-गुरू की अधीनता में सत्य-भक्ति करते हैं तो इतना हो जाना अधिक कठिन नहीं है।

इसके बाद की भक्ति कुछ कठिन है, और (कैसे) गुरू की प्राप्ति? इस पर निर्भर है। लेकिन यह भक्ति सुलभ होने पर (आत्म-) प्रकाश का क्रमशः अधिकाधिक विस्तार होता हुआ भक्त “विराट” स्थिति को प्राप्त होता है, और सीस दान देने पर “हुं” से “है” में चला जाता है। इति..अनन्त! तत-सत!  

मन पंछी तबलगि उड़ै, विषय-वासना माहिं।
ज्ञान बाज के झपट में, जबलगि आवै नाहिं।।
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यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे

अणु होता हुआ भी, आकाश की नाईं हजारों योजनों में व्याप्त, वह चलता हुआ भी नहीं चलता है। स्वप्न के समान कल्पना से हजारों योजन, उस अणु के अन्दर स्थित हैं।  

गया हुआ भी यह नहीं जाता, प्राप्त हुआ भी नहीं आया। क्योंकि देश और काल उसकी सत्ता से सत्ता वाले, आकाश कोश के अन्दर ही स्थित हैं।  

गमन द्वारा प्राप्त होने वाला देश, जिसके शरीर के अन्दर ही स्थित है, वह कहाँ जाय? क्या माता अपनी गोद में सोये हुए बच्चे को दूसरी जगह खोजती है?   

जैसे जिसका मुँह बँधा है, ऐसे घड़े को अन्य देश में ले जाने पर उसमें स्थित आकाश के गमन और आगमन नहीं हो सकते।   

5 टिप्‍पणियां:

Agency-ASE News Team ने कहा…

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Agency-ASE News Team ने कहा…
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Opinion ने कहा…

दोआब किसे कहते हैं Doab kise kahate hai

Opinion ने कहा…

doab kiya haiLemongrass Resort Bandhavgarh

बेनामी ने कहा…

अस प्रभु हदय वसत अविनाशी।एक ऐसी परमसत्ता परमपिता परमेश्वर शाश्वत सनातन धर्म में वर्णित है। ईसाई धर्म में भी इस सत्ता को GOD , GREATEST OF DOERS , SUPER ARCHITECT OF UNIVERSE के रूप में वर्णित है। इस्लाम धर्म में भी यह सत्ता अल्लाह के रूप में वर्णित है। वर्तमान ज्ञान विज्ञान मनोविज्ञान भी यही सूचित करता है संसार एक अनंत ज्ञान युक्त शक्ति से विधिवत निर्मित स्वसंचालित प्रकिया है । राम बाबू मिश्र,
ऊं नमः शिवाय धर्मार्थ ट्रस्ट हरदोई उत्तर प्रदेश 9450860700दिनांक 14.09.2022

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326