उदाहरण के लिए आप बैंक को ही लीजिये और अगर बिजनेस को चालू करने वाला कॉर्पोरेट व्यक्ति किसी प्रकार का धोखा देकर, जितने पैसे निकलवाये । उतना व्यवसाय में न लगाकर, सरकार को ये कह दे कि व्यवसाय में दिवालिया हो गया और 1000 में से 200 रुपये ही लौटा पाया तो ऐसे में या तो सरकार उन सभी छापे गए रुपयों को नष्ट करे या अगर तंत्र भृष्ट हो तो ये कर्पोरेट व्यक्ति, फाइनेंस मिनिस्टर और रिजर्व बैंक का गवर्नर बचे हुए 800 रुपये आपस में पैसे बाँट सकते हैं । जिससे मुद्रा का अवमूल्यन होता । मतलब ये छापे गए नोट अपना मूल्य आर्थिक तंत्र में चल रहे नोटों से लेते हैं । जिससे प्रत्येक नोट के द्वारा चीजों को खरीदने की शक्ति कम होती है और इसी से महंगाई बढती है ।
https://www.youtube.com/watch?v=_fpjByugMqo
इसका असर अमीरों को नहीं पड़ता । यहाँ पर पुनः गरीब व्यक्ति मारा जाता है ।
अब और समझिये कि ये बैंक का तंत्र किस प्रकार से मूर्ख बनाता है CRR का मतलब होता है Cash Reserve Ratio ये वो धन की मात्रा होती है जो बैंक को अपने पास रखनी पड़ती है । उन लोगों के लिए जो बैंक से पैसे निकलवाने आते हैं । अगर CRR 10% है और आपने बैंक में 100 रुपये जमा कराये तो बैंक 10 रुपये अपने पास रखेगा और 90 रुपये लोन देगा । अगर ये 90 रुपये लोन के रूप में लेकर किसी अन्य बैंक में डलवा दिए जाये । तो इस 90 रुपये का 10% अर्थात 9 रुपये बैंक अपने पास रख कर 81 रुपये पुनः लोन में दे देगा । इसे Fractional Reserve Banking कहते हैं ।
http://en.wikipedia.org/wiki/Fractional_reserve_banking
इस प्रकार ये चक्र चलता जाता है और मूल में जमा किया गया 100 रुपये अलग-अलग बैंक में पहुँच कर 900 रुपये लगने लगते हैं । अगर इस चक्र में हर लोन देने वाला बैंक 14% का ब्याज लगाता है और हर राशि को जमा रखने वाला बैंक उस पर 3% का ब्याज देता है ।
अर्थात 900 X 0.14 – 900 X 0.03 = 99 रुपये बैंक इस आभासी 900 रुपये से बनाये । जिसके मूल में मात्र 100 रुपये है । अगर ये 99 रुपये तंत्र में नहीं है तो पुनः कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति बैंक के हाथों देकर गरीब हो जायेगा और अगर ये पैसा (नोट) आर्थिक तंत्र में है । तो किसी अन्य के पास से वो पैसा जायेगा । इस कुचक्र के दुष्परिणाम से यह होता है कि बैंक के द्वारा आर्थिक तंत्र में डाला गया पैसा हमेशा ही कम होता है ।
बैंक के द्वारा वापस लिए गए पैसों से क्योंकि उस पर ब्याज होता है और इसी से महंगाई बढ़ती है । अब इस आभासी 900 रुपये की पोल तब खुलती है । जब बड़ी मात्र में लोग जिन्होंने अपना पैसा जमा कराया है । वो अपना पैसा निकलवाने आ जाये ।
CRR का कार्य ही ऐसी स्थितियों के लिए है पर ये तब धराशाई हो जाता है । जब पैसा निकलवाने वालो की संख्या बहुत ही अधिक हो । यही कारण है कि जब कोई बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको मात्र आपकी जमा राशि का CRR के बराबर मूल्य ही मिलता है ।
यानी ऊपर बताये उदाहरण के अनुसार 10% इस प्रकार ये बैंक की नीतियां आर्थिक तंत्र में दीमक की तरह कार्य करती हुई इसे खोखला कर रही है । जिसे हम सुविधा समझ कर काम में ले रहे हैं । वही अभिशाप का कार्य कर रहा है और देश को कमजोर बना रहा है । हम बैंक में पैसा सुरक्षा के कारण जमा करते हैं और कुछ लोग ब्याज के लालच से । यही ब्याज देश को खोखला कर रहा है ।
अगर बैंक ब्याज लेना और देना बंद कर दे तो बैंक में पैसा जमा करने वालों की संख्या में भारी गिरावट आ जाये । ऐसे में बैंक लोन देना भी बंद कर देंगे और आपका पैसा सुरक्षित मात्र रखने के लिए आपसे फीस लेंगे । अगर बैंक में पैसा रखने से वह कम हो रहा हो तो लोग बैंक में पैसा रखना ही बंद कर देंगे और बैंकों का अस्तित्व ही नष्ट हो जायेगा । इससे आपके सामने कागज के नोटों की सच्चाई सामने आ जाती है । जिनका मूल्य पहले के समय में स्वर्ण के आधार पर तय होता था और अब कर्ज की जरूरत के अनुसार । जिसे वापस चुकाने में असफल होने पर आपकी संपत्ति जब्त हो जाती है और बैंक धनवान होते चले जाते हैं ।
इस प्रकार से महंगाई बढ़ती चली जाती है और आम व्यक्ति अधिक परिश्रम करके अधिक धन कमाने के लिए लग जाते हैं । अन्य रोजगार के साधन ढूँढने लग जाते हैं और इस महंगाई के कारण बेरोजगारी बढ़ती जाती है । धन के इस भयावह मायाजाल को शक्ति देती हैं वो नीतियां । जो बनायीं जाती हैं विदेशों में इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड IMF और विश्व बैंक में और जिसके पोषक हैं । सरकार में ऊंचे पदों पर आसीन भृष्ट मंत्री । जो इन नीतियों को देश पर थोपते हैं
https://www.youtube.com/watch?v=hCcPuXVYmKI
अभी भी इन कागज के नोटों का कुछ मूल्य होता है । क्योंकि वो मूर्त रूप में हैं और उनका कागज पर छपाई का मूल्य होता है । पर यह भी अब धीरे धीरे बदलता जा रहा है और ये धन अपने भौतिक रूप से बदल कर आभासी रूप में परिवर्तित किया जा रहा है । ये सभी नोट अब कम्प्यूटरीकृत करके चेक, डिमांड ड्राफ्ट और कैश कार्ड के रूप में बदल दिए जा रहे हैं । डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इन्ही के रूप हैं । जिनका प्रचालन अब बहुत ही अधिक बढ़ाया जा रहा है ।
इसमें भी आपको क्रेडिट कार्ड के उपयोग करने पर विभिन्न प्रकार की छूट आदि सुविधाएँ दी जा रहीं हैं । ये सब षडयंत्र आपको कर्ज के नीचे दबाने के लिए है । आप कल्पना कीजिये । उस समय की जब सारा धन आभासी दुनिया में हो और प्रत्यक्ष कुछ न हो । आपके सारे खाते कम्प्यूटरीकृत हों और अचानक पूरा कम्प्यूटर तंत्र ठप्प हो जाये । ऐसे में सभी लोगो के खातों की पूरी जानकारी नष्ट हो जाएगी और आपका आभासी धन भी ।
सभी जगह अराजकता फ़ैल जाएगी और ऐसी स्थिति में इमरजेंसी घोषित करके लोगों को काबू में करने में कोई समस्या नहीं आएगी क्योंकि धन के अभाव में सभी असहाय हो जायेंगे ।
ऐसा ही जाल इन्श्युरेंस कम्पनियों द्वारा फैलाया गया है । ये कंपनियां आपके फायदे के लिए कम और अपनी जेब भरने के लिए अधिक काम करती हैं । इनका सारा समय ऐसे नियम और शर्तो को बनाने में लगता है । जिससे आपको फंसाया जा सके । ये हमेशा बड़े स्तर पर काम करती हैं । जिससे इन्हें कभी घाटा नहीं होता । ये अप्रत्यशित घटनाओं के नाम पर पैसा बनाती हैं और ये पैसा इन्हें वापस न लौटाना पड़े ।
इसके लिए कम्पनियां पूरी व्यवस्था करती हैं । चाहे इसके लिए इन्हें किसी व्यक्ति को मरवाना ही क्यों न पड़े । जैसा कि हेल्थ इन्श्युरेंस में होता है । अगर कंपनी को घाटा हो रहा हो तो ।
https://www.youtube.com/watch?v=zGKtROmiJL8
अब इसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और आते हैं ।
हमारे जीवन में उपस्थित एक और साधन पर – टीवी ।
टीवी आज के समय में लगभग सभी के घर में है और अधिकता लोगों के घर में डिश या केबल का कनेक्शन है । लोगों के सामने 400-500 चैनल हैं । जिन्हें बदलते हुए भी अगर वे 2 मिनट भी हर एक चैनल को देखते हैं । तो पूरा दिन निकल जायेगा । ये टीवी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है और बांधे रखती है ।
ये मनोरंजन का बहुत ही सरल साधन माना जाता है । ये लोगों तक किसी जानकारी अथवा समाचार को एक साथ पहुँचाने का बहुत ही अच्छा साधन है । परन्तु समस्या तब खड़ी होती है जब साधन का दुष्प्रयोग होने लगे । तब उस स्थिति के विषय में क्या कहा जाये । जब कोई साधन ही दुष्प्रयोग के लिए बनाया गया हो
https://www.youtube.com/watch?v=OdCVRsj38vY)?
आज के समय में टीवी का प्रयोग जन सामान्य की सोच पर असर डालने के लिए किया जाता है । जिससे उसकी सोच को किसी दिशा में मोड़ा जा सके । सैकड़ों न्यूज़ चैनलों में समाचार दिखाया जाता । इन समाचारों के माध्यम से व्यक्ति निर्णय करता है कि उसके आसपास की स्थिति क्या चल रही है और उसे क्या कदम उठाना चाहिए ।
ये न्यूज़ चैनल और मीडिया जिसे चाहे अच्छा बना दे और जिसे चाहे बुरा । क्योंकि इनके पास शक्ति है । खबरों को छाँटने की और इन्हें अपने मन माने ढंग से दिखाने की । ये खबर का जो पहलू दिखायेंगे । हमें भी वही बस पता चलेगा और उसी के अनुसार हम निर्णय कर लेंगे ।
इस प्रकार से ये सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्तर पर हमारी सोच पर प्रभाव डालते हैं । इसके साथ ही टीवी पर आने वाले प्रत्येक दिन के धारावाहिक किस प्रकार से असर डालते हैं । ये भी समझिये ।
ये धारावाहिक समाज में एक खास वर्ग के लोगों के लिए बनाये जाते हैं ।
उदाहरण के लिए आप किसी भी सास बहु वाले रोज के धारावाहिक को ही लीजिये । ये उन लोगों को अधिक अपनी और आकर्षित करते हैं । जो परिवार से बहुत जुड़े रहते हैं यानी नारियों को । इन धारावाहिकों को देखकर तो कुछ स्त्रियाँ इतनी बेसुध हो जाती हैं कि घर परिवार का कार्य छोड़कर वे इन्हें देखने बैठ जाती हैं । अगर ये भी मात्र मनोरंजन स्तर तक ही रहता तो भी ठीक था । परन्तु ये परिवार के इस वर्ग विशेष पर इतना अधिक प्रभाव छोड़ता है कि कुछ स्त्रियाँ तो इन्हीं धारावाहिक के पात्रों के विषय में ही हर समय चिंतित रहती हैं कि कहीं कोई घर छोड़ कर चला गया तो कहीं उसकी शादी होनी हैं आदि ।
कहीं कहीं तो महिलाएं आपस में बैठ कर इन्हीं मनगढ़ंत धारावाहिकों के विषय में चर्चा करती रहती हैं और बहुमूल्य समय का नाश करती हैं । किसी न किसी स्तर तक ये धारावाहिक परिवार पर भी असर करते हैं । इसके साथ ही MTV चैनल V, FTV, और VH1 जैसे चैनलों के माध्यम से देश के युवा वर्ग को निशाना बनाया जाता है । और इन चैनलों पर विक्षिप्त तथा अश्लील कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं । इनके माध्यम से युवा वर्ग का चरित्र हरण कर बौद्धिक स्तर को गिरा कर निम्न कर दिया जाता है
https://www.youtube.com/watch?v=Am3crthyJBs
ऐसी ही स्थिति बाल वर्ग के लिए प्रसारित किये जा रहे कार्यक्रमों की भी है । परी आदि की असत्य कथायें दिखाकर इन्हें कल्पना की दुनिया में डाल दिया जाता है और जिस समय उनकी बुद्धि का विकास सबसे तीव्र गति से होना चाहिए । उस समय इनकी दिशा बदल कर बुद्धि कुंठित कर दी जाती है और इनमें बहुत सी इच्छाओं का बीज बो दिया जाता है । इनका मूल उद्देश्य देश की युवा शक्ति को क्षीण करना है । टीवी के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा सबसे भयावह अस्त्र है । कार्यक्रमों के बीच में अपने वाले प्रचार ये प्रचार कार्यक्रमों के बीच में अनेकों बार दिखाए जाते हैं और इन्हें बार बार दोहराया जाता है ।
अब तो स्थिति ये हो गयी है कि एक निश्चित समय में आने वाले कार्यक्रम में वह कार्यक्रम कम और प्रचार अधिक समय तक आते हैं । ऐसा आप समाचार चैनलों में देख सकते हैं । इससे होता ये है कि हमें कार्यक्रम भूल जाते हैं और प्रचार याद हो जाते हैं । हमें आंतों को सड़ाने वाली मैग्गी और पेप्सी अच्छी लगने लगती है । हमें जानवरों को नहलाने वाले लाइफ बॉय जैसे साबुन अच्छे लगने लगते हैं । हमें 100 रू/किलो मूंगफली छोड़ कर 200 रु/किलो की मूंगफली की खली होर्लिक्स, बोर्नविटा के नाम से अधिक पौष्टिक लगने लगती है और हमें पतले रहने के लिए कॉर्न फ़्लेक्स खाने के आवश्यकता होने लगती है ।
https://www.youtube.com/watch?v=G-QiZu1_HJk
कार्यक्रमों को देखने के बाद फिर आपको 250 रू के साधारण कपडे अच्छे नहीं लगते । क्योंकि कार्यक्रम के पात्रों ने तो अच्छे कपड़े पहने हैं । जिन्हें सभी लोग देखते हैं और अच्छा मानते हैं । तब आपको प्रचार में दिखाए जाने वाले लेविस, रैंगलर, अडिदास और रीबोक जैसे 5000 रू वाले ब्रांड के कपड़े चाहिए । क्योंकि कार्यक्रम के पात्रों ने उन्हीं के जैसे कपड़े पहने थे । ये प्रचार स्पष्ट रूप से आर्थिक स्तर पर प्रभाव डालते हैं और व्यक्ति को कोई वस्तु बार बार यह कहकर दिखाई जाये कि यह अच्छी है । तो वह उसे सच मान लेता है और अंततः जाकर बाज़ार से खरीद लेता है ।
इस प्रकार से ये टीवी द्वारा फैलाया मायाजाल इतना प्रभावी रूप से कार्य करता है कि कोई व्यक्ति समझ ही नहीं पाता और यह देश को पारिवारिक, सामाजिक , आर्थिक, बौद्धिक, राजनीतिक, धार्मिक और अध्यात्मिक स्तर तक प्रभावित करता है और अपने दुष्प्रयोग से देश को शक्तिहीन बनाता है ।
तकनीकी के इस युग में जानकारी का बहुत महत्व है । जानकारी को सहेज कर रखने में आज के समय में कम्पयूटर का बहुत बड़ा योगदान है । पर ये जानकारी जन जन तक पहुंचे । इसके लिए सूचना तंत्र की आवश्यकता पड़ी । जो इंटरनेट के रूप में आपके सामने है । इसी कड़ी में मोबाइल फ़ोन भी आते हैं । इन सुविधाओं के माध्यम से कोई सन्देश अथवा जानकारी बहुत ही तीव्रता के साथ किसी को भी भेजी जा सकती है । इस सूचना तंत्र में हर प्रकार की अनंत जानकारी आती जाती रहती है । इसी तंत्र में प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित उसकी निजी जानकारी भी उपलब्ध रहती है पर उस निजी जानकारी को दूसरों से बहुत सुरक्षित बताया जाता है और ये होती भी है सुरक्षित साधारण व्यक्ति के लिए पर उस व्यक्ति के लिए नहीं । जिसे इस तंत्र की उचित समझ हो । फिर तो ऐसे लोगों के विषय में क्या कहा जाये जो इस तंत्र के कर्ता धर्ता ही हैं ।
इंटरनेट एक माध्यम है । उन लोगों के लिए जो इस सूचना तंत्र में सबसे ऊपर बैठे हैं । उन सभी लोगों की जानकारी प्राप्त करने का जो इस सूचना तंत्र से विभिन्न स्तरों पर जुड़े हैं ।
कुछ ही समय में तीव्रता से प्रचलित हुई सोशल नेटवर्किंग की साइटें जैसे फेसबुक और ट्विटर इसके बहुत ही अच्छे उदाहरण है
https://www.youtube.com/watch?v=zU6NftSp-Zo
इनके माध्यम से इस तंत्र में उच्च स्तर के लोग जान सकते हैं कि आप कौन हैं । कहाँ रहते हैं आपके दोस्त अथवा परिचित कौन व्यक्ति हैं । आप क्या क्या करते हैं आदि ।
ऐसे ही गूगल, जो कि सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली साईट है, के माध्यम से ये जान सकते हैं कि कौन व्यक्ति क्या ढूंढता है और क्या पसंद करता है । इन सभी जानकारियों का प्रयोग ये आपको फ़ंसाने और आपकी सोच को किसी दिशा विशेष में मोड़ने के लिए प्रयोग करते हैं ।
जैसे किसी कंपनी को कोई उत्पाद बाज़ार में लाना है तो ये इंटरनेट की कंपनियां इन्हें ये जानकारी उपलब्ध कराती हैं कि कहाँ के लोगों को क्या पसंद अथवा नापसंद है और उन लोगों की स्थिति कैसी है । इस जानकारी के आधार पर वे अपनी आर्थिक और प्रचार की नीतियाँ तय करके उत्पाद बाज़ार में लाती हैं । जिससे उसके सफल होने की संभावना अधिकतम हो जाती है । इसी जानकारी के आधार पर इंटरनेट की दुनिया में उतारा गया एक उत्पाद है - अश्लीलता और नग्नता और इसके ग्राहक हैं - युवा वर्ग ।
कुछ स्थानों में इस उत्पाद के पैसे देने होते और इनकी कमाई से ये अश्लीलता परोसने वाली कम्पनियां विश्व भर में बड़ी बड़ी कंप्यूटर सॉफ्ट वेयर बनाने वाली कम्पनियों की कुल आमदनी को भी पीछे छोड़ देती हैं । पर इंटरनेट की दुनिया में ये उत्पाद निःशुल्क उपलब्ध है । अगर कंपनियों को इस माध्यम से कोई लाभ नहीं हो रहा है । इसका अर्थ ये नहीं है कि इससे इनके उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही । कुछ ही वर्षों में उत्पन्न सम लैंगिकता की कुंठित सोच इसी का परिणाम है । इनका मूल उद्देश्य है युवा वर्ग का चरित्र हनन कर उन्हें कमजोर करना । जिससे वे मौलिक चिंतन न कर सके और देश को सशक्त बनाने में असमर्थ हो जाएँ ।
https://www.youtube.com/watch?v=RvesLhPifoc
ऐसा ही एक षड्यंत्र है । वैश्विक पहचान संख्या Universal Identification Number जिसे अमेरिका में सोशल सिक्यूरिटी नंबर कहा जाता है । अब इसे भारत में भी लागू किया जा रहा है आधार कार्ड के रूप में । इसके अंतर्गत एक रिकार्ड बनाया जाता है । जिसमें आपको एक नंबर मिलता है और आपसे सम्बंधित आपके परिवार के व्यक्ति, परिजन, आपकी संपत्ति, सभी सम्बंधित खाते, सुविधा और संसाधन सभी का लेखा जोखा एक नंबर से जोड़ दिया जायेगा ।
जिस प्रकार से ये आपकी पहचान को हर प्रकार के बायोमेट्रिक माध्यम से गहराई से रिकॉर्ड करते हैं । अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो आपको पता चल जायेगा कि इनके द्वारा प्रयोग में लायी जा रही नीतियां आपको पहचान देने के लिए कम । अपितु आप पहचान छुपा न पाए । इसके लिए अधिक समर्थ हैं । इस नंबर को बनवाने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जायेंगे और इसके लाभ गिनाये जायेंगे । पर आपको इसके दुष्प्रयोग के विषय में कुछ भी नहीं बताया जायेगा और इसे पूर्णतः सुरक्षित बताया जायेगा ।
इस नंबर को आवंटित करने का मूल उद्देश्य है । हर व्यक्ति को एक अनन्य संख्या की पहचान देना है । अगर कोई व्यक्ति सरकार के विरुद्ध जाता है और किसी प्रकार की क्रांति लाना चाहता है । तो उस पर नज़र रखकर उसे हर एक सुविधा और साधन से काट कर उसे कमजोर बना देना ही इसका उद्देश्य है और आज के कम्प्यूटरी युग में ये नंबर किसी आपराधिक मानसिकता वाले व्यक्ति के हाथ लग जाये । इसकी भी सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता
https://www.youtube.com/watch?v=RjPH5Ezig8A
भारत में देशवासियों को विदेशी पूंजी निवेश से विकास कराने के नाम पर भी ठगा जा रहा है । ये देश के विकास का नहीं । अपितु इसे और भी अधिक गरीब बनाने का षड्यंत्र है । एक तो ये निवेश विदेशी न होकर हमारे देश में रहने वाले भृष्ट लोगों की काली कमाई का धन जिसे किसी अन्य का धन बनाकर विदेशी निवेश के रूप में भारत में लगाया जा रहा है और अगर कोई व्यक्ति एक साधारण सी बात पर थोड़ा सोचे और ध्यान दे कि अगर कोई व्यक्ति निवेश कर भी रहा है तो हम पर दया करके तो ऐसा कर नहीं रहा होगा । उसका कुछ फायदा तो अवश्य होगा उसे । ये जितना निवेश करेंगे । उससे अधिक धन यहाँ से ले भी जायेंगे । इससे ये पहले से ही धनवान भृष्ट लोग । जिनका ये धन निवेश के रूप में लगा है और भी धनवान हो जायेंगे और भारत का धन विदेश जाने के कारण रूपए का मूल्य गिरेगा । महंगाई बढ़ेगी । इससे अंत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग मारा जायेगा ।
https://www.youtube.com/watch?v=SPElhVyOJM8
इसके साथ ही आयेगा देश में निवेश के रूप में अमेरिकी डालर जो कि पूर्ण रूप से खोखली मुद्रा है । इसका मूल्य मात्र अमेरिका के दबदबे के कारण है । क्योंकि अमेरिकी सरकार कहती है कि इसका मूल्य है । जिसके पास जितना अमेरिकी डालर है । वो व्यक्ति उतना ही कर्ज में है । यही कारण है कि अमेरिका की आर्थिक स्थिति बहुत तीव्रता से गिरती जा रही है
https://www.youtube.com/watch?v=LCYoq8lVkzA
अगर ये कर्ज रुपी मुद्रा भारत में निवेश की जाती है तो ये भारत के आर्थिक तंत्र से अपना मूल्य बनाएगी । इससे पुनः रुपये का अवमूल्यन होगा और महंगाई बढ़ेगी । पर इन सबके साथ ही देश में आएंगी । बहु ब्रांड वाली खुदरा व्यापार करने वाली कंपनियाँ । जैसे वालमार्ट जो पहले से ही दूसरे देशों में गरीबी लाने के लिए बदनाम हैं । और इन्हीं के पीछे होंगी टीवी केबल चैनल की कंपनियाँ । जो अन्य विदेशी कंपनियों के साथ सांठ गाँठ करके आयेंगी और सस्ते दामों पर टीवी चैनल उपलब्ध कराएंगी । सरकार के द्वारा केबल टीवी का डिजिटल उन्नतीकरण Digitization इन्हीं के लिए कराई गयी सुविधा है । जब इनके प्रलोभन में आकर लोग इनकी सुविधाओं को लेने लगेंगे । तब ये दिन भर इन्हीं विदेशी कंपनियों के प्रचार दिखाएंगी और उन्हें अच्छा बतायेंगी । जिससे उनके जाल में लोग फंसकर उन विदेशी कंपनियों के खाद्य पदार्थ । कपड़े और अन्य उत्पाद सुविधायें आदि लेने लगेंगे और पुनः हमारे देश का धन दूसरे देश में जायेगा । ये विदेशी कंपनियाँ पहले ही भारत में जैविक रूप से संवर्धित अन्न प्रचालन में ला चुकी हैं ।
किसानों को ठग कर कि इसमें खाद कम लगती है और कीड़े भी नहीं लगते । उत्पादन अधिक है आदि । जिसे खाकर लोग विभिन्न प्रकार की व्याधियों विकारों से समस्या में हैं । इसके साथ ही ये खेत में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खाद डलवाकर और पारंपरिक फसल चक्र को भृष्ट कर खेत की उर्वरता को सीमित कर देंगे । जिससे एक निश्चित प्रकार की फसलें ही मात्र पैदा हो सकें और विविधता नष्ट हो जाये । इसके बाद ये कुपोषण के शिकार लोगों को पोषण प्राप्त करने के लिए मांसाहार की सलाह देंगे । अपने खाद्य पदार्थों में देशी गायों को मरवाकर गो मांस बेचेंगे । ऐसा ये इसलिए करेंगे । क्योंकि इन्हें पता है कि मात्र भारत की गायों में ऐसे खास अनुवांशिक गुण हैं । जिनके कारण उससे प्राप्त होने वाले पञ्च गव्यों से अनेकों प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं । ऐसा करने से ये लोगों को रोग ग्रस्त कर विदेशी मेडिकल सुविधाओं को भी निवेश के माध्यम से देश में लायेंगे । इस प्रकार इस विदेशी निवेश के अंतहीन कुचक्र में फँसकर रुपये का अवमूल्यन कराता जायेगा और देश गरीब से गरीब होता जायेगा
https://www.youtube.com/watch?v=GA5HWoevE74
इन विदेशी कम्पनियों द्वारा फैलाया गया एक अत्यंत भयावह जाल है - जैविक संवर्धन का । ऐसा करके ये लोग प्रकृति के साथ खेल खेलना चाहते हैं । ये कम्पनियां पेड़ पौधों अनाज के बीजों और पशु आदि के अनुवांशिक गुणों को बदल कर जैविक रूप से संवर्धित प्रजाति पैदा करते हैं । इन पैदा कराई गयी प्रजातियों में अच्छाइयां कम और बुराइयाँ अधिक होती हैं । ऐसा ये मात्र अपने फायदे के लिए करते हैं और लोगों को इनकी अच्छाइयां मात्र बता कर ठगते हैं
http://www.youtube.com/watch?v=-5gyWRrfkbE
उदाहरण के लिए अनाज के लिए ये जो बीज उपलब्ध कराते हैं । उमसे आपको ये लालच देते हैं कि इसमें कम लागत में अधिक उत्पादन होगा और इसमें कीड़े आदि नहीं लगेंगे । किसान इनके लालच में आकर इन्हें खरीद लेता है और अपने खेत में लगाता है । इन बीजों को लगाने के लिए कम्पनियां पुनः विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को उपयोग करने के लिए बोलती हैं । इन बीजों में या तो यह होता है कि नयी उगी हुई फसल में पुनः उस फसल को उगाने के लिए या तो बीज नहीं होते या अगर बीज होते भी हैं तो उनमें कोई क्षमता नहीं होती । अथवा अगर आप इनके द्वारा बताये गए निर्देश से फसल उगाते हैं तो आपके खेत की उर्वरक क्षमता सीमित हो जाती है । जिससे आप मात्र कुछ ही प्रकार की फसलों को उगा सकते हैं । जैसे सोयाबीन की फसल । ये सोयाबीन की फसल विदेशों से यहाँ लायी गयी । क्योंकि विदेशों की कम उर्वरक धरती पर इस फसल का उत्पादन करने से वहाँ की उर्वरक क्षमता बहुत ही सीमित हो गयी ।
क्योंकि वहाँ सोयाबीन का प्रयोग सूअरों तथा भैंसों के चारे के रूप में किया जाता है । जिससे उनमें मांस की मात्रा बढ़ती है और उन देशों में मांसाहार का प्रचलन अधिक है । इसलिए वहाँ सोयाबीन की आवश्यकता होती ही है । ऐसे में उन्होंने ने भारत की और देखा । जहां की धरती अत्यंत उर्वरक क्षमता वाली है । यहाँ का किसान अधिक उत्पादन के लालच में आकर इसे उगाता है और 10 वर्ष के बाद 11वे वर्ष उसकी भूमि कपास के अलावा अन्य किसी फसल को उगने की क्षमता नहीं रखती ।
सोयाबीन का उत्पादन इतना अधिक बढा दिया गया है विश्व भर में कि अब इसे मनुष्य के खाने योग्य घोषित कर खपाया जा रहा है । भारत में सूरजमुखी और सोयाबीन के तेल का अत्यधिक प्रचालन है । जो कि एक षड्यंत्र के अंतर्गत फैलाया गया है । ये दोनों तेल मनुष्य के खाने योग्य नहीं हैं । इन्हीं के कारण हमारे देश में इतने अधिक दिल के रोग और मधुमेह रोगी बढ़ते जा रहे हैं । ऐसा ही कुछ कार्य ये कम्पनियां पशु पालन के क्षेत्र में भी कर रही हैं
https://www.youtube.com/watch?v=fE7SqkFv03M
ये गाय तथा भैंसों के शुक्राणुओं में अनुवांशिक बदलाव कर एक नए प्रकार की प्रजाति बना रही हैं । जो कि अधिक दूध का उत्पादन करें और साथ ही साथ उनमे अधिक चर्बी हो । ऐसा ये गाये भैंस के लिए उपयोग में लाये जा रहे बीजों में सूअर की जाति के गुण डालकर कर रहे हैं । अब ऐसे में इनके द्वारा दिए जा रहे दूध में किसके गुण रहेंगे ? स्पष्ट है । सूअर के ही रहेंगे । जिस गाय को हमारे देश में माता के रूप में पूजा जाता है । और उससे प्राप्त होने वाला पञ्च गव्यों को अमृत स्वरुप समझा जाता है । जिनमे अनगिनत रोगों का नाश करके हष्ट पुष्ट करने की क्षमता होती है । अब उस गौ माता और सूअर में कोई भेद नहीं रह जायेगा । बस बाहरी रूप से वह कुछ कुछ गाये के जैसी दिखेगी और अंदरूनी रूप में वो सूअर ही होगी । https://www.youtube.com/watch?v=yqMLtY_LQG4
इस प्रकार से ये कम्पनियां अनेकों प्रकार के नए रोग उत्पन्न कर रही है और करेंगी । और इसका कारण ये कुपोषण बतायेंगी । इस प्रकार ये भारतीयों में भृम फैलाएंगी कि शाकाहार में कम पोषक तत्व है और इसकी पूर्ति के लिए मांसाहार आवश्यक है । ऐसा करके ये देश में बहुतायत में कत्ल खाने खुलवायेंगी और वहाँ इन्हीं पशुओं को कटवाएंगी । ऐसे इन्हें अपने वैश्विक मांसाहार के व्यवसाय में लाभ होगा । https://www.youtube.com/watch?v=fAXiZvfVP-g
यही वो कंपनियां है । जो बीमारी फैलाती हैं और इन्हीं से सम्बंधित कंपनियां हैं । जो दवाइयों का व्यापार करती हैं । इन्हीं से सम्बंधित संस्थान है । जो अंग्रेजी पद्धति के चिकित्सकों को पढ़ाते हैं और यही वो चिकित्सक हैं । जो इनके द्वारा बनाई गयी दवाइयों को रोगियों के लिए लिखते हैं । इनके मूल में है । वे लोग जो अधिक से अधिक धन अर्जित कर शक्ति का केंद्रीकरण करना चाहते हैं और बीमारी और अन्य साधनों के प्रयोग से लोगों को मार कर उनके संसाधन और संपत्ति पर स्वामित्व प्राप्त करना चाहते हैं । https://www.youtube.com/watch?v=LZs1V8mpcoY
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एक अत्यंत नीच रहस्यमय दुनिया - इलुमिनाटी 2
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.com/2012/12/2.html
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