संसार में जितनी भी
पूजा और ज्ञान प्रचलित है, ये ज्यादातर काल-पूजा है, और काल, माया के प्रभाव से, इसी
में सन्तमत यानी सत्यपुरुष का भेद, सतलोक या अमरलोक का भेद,
असली हंसज्ञान, आत्मा का वास्तविक ज्ञान, घुल-मिल गया है ।
आपने बहुत पुस्तकें पढ़ी होंगी । एक बार इसको पढ़ें ।
ये आपकी आँखे खोल देगी ।
यदि आप इसकी गहरायी समझ गये तो जीवन का लक्ष्य और दुनियाँ में
फ़ैला धार्मिक मकङजाल आपको आसानी से समझ में आ जायेगा । आपके दिमाग में भरा जन्म-जन्म का धार्मिक कचरा साफ़ होकर सच्चे प्रभु
से लौ लग जायेगी । जो सबका उद्धारकर्ता है ।
हँसदीक्षा, परमहँस दीक्षा, समाधि दीक्षा, शक्ति
दीक्षा, सारशब्द दीक्षा, निःअक्षर
ज्ञान, विदेही ज्ञान, सहज योग, सुरति-शब्द योग, नाद-बिन्द योग, राजयोग और उर्जात्मक ‘सहज ध्यान’ पद्धति के वास्तविक और प्रयोगात्मक अनुभव
सीखने, समझने, होने हेतु सम्पर्क करें
।
(मुख्य
आश्रम)
निःअक्षर ज्ञान दीक्षा केन्द्र ॥मुक्तमंडल॥
चिन्ताहरण आश्रम, नगला भादों
जि. फ़िरोजाबाद, उ.प्र.
भारत
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मुक्तमंडल आगरा
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