आक्सीजन है क्या?
सबल चेतना शक्ति, जल और वायु तत्व को प्राण-क्रिया द्वारा स्पन्दनशील करके जो जीवनदायनी प्राण उर्जा रूपी यौगिक अणु समूह बनाती है। वही आक्सीजन है। शुद्ध अवस्था में यह निर्धूम (धुंआं, कार्बन रहित, स्वच्छ) है। उत्पन्न होने के बाद शरीर के अन्दर अपनी व्यवहारिक क्रिया करके ये शुद्ध आक्सीजन, धूम्र (धुयें सहित, कार्बन युक्त, अशुद्ध) में बदल कर कार्बन डाई आक्साइड हो जाती है।
मतलब शरीर में जल और वायु की शुद्धता, सही मात्रा, अनुपात सही होने पर, और प्राणक्रिया को सबल बनाये रखने से शरीर में आक्सीजन लबालब रहेगी। उर्जा भरपूर रहेगी।
अधिक विस्तार से लिखना संभव नहीं। उपरोक्त शब्दों का सही अर्थ समझ कर आप समस्या हल कर सकते हैं। या फ़िर फ़ोन कर सकते हैं।
योग जानने वाले जल, वायु तत्व का ध्यान करके दो मिनट में आक्सीजन स्तर सही कर लेते हैं।
राम शब्द का सही अर्थ और महिमा जानने वाले एक क्षण में सब कुछ ठीक कर लेते हैं।
निम्न दोहों पर ध्यान दें
सभी रसायन हम किये, नहीं “नाम” सम कोय।
रंचक तन में संचरै, सब तन कंचन होय॥
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिय तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिल, जो सुख “लव सतसंग॥
सहज समाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था
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