12 नवंबर 2013

प्राकृतिक आपदा दर्शाते प्रलय के पूर्व संकेत

मैं अभी इस बात को लेकर एकदम स्पष्ट नहीं हूँ कि क्या सही है और क्या गलत । पर सब कुछ सामान्य सा नहीं है । मैं अपने और तुलनात्मक आम जनजीवन से इसको थोङा अलग ही देखता हूँ । क्योंकि मैं किसी ज्योतिषी या भविष्यवक्ता की भांति इसमें कोई हर्ष या गर्व भी महसूस नहीं करता । ये प्राकृतिक आपदा दर्शाते पूर्व संकेत या किसी समय समाज के परिवर्तन या मूलभूत बदलाव के संकेत किसी भी सूक्ष्म या अणु योगी आदि योग विधाओं से जुङे व्यक्तित्व के दिनचर्या गतिविधियों आदि का एक आम हिस्सा ही है । और आश्चर्य नहीं कि ये बहुत लोगों को आते हैं । यहाँ तक खाली दिमाग से युक्त आध्यात्मिक चेतना से खास जुङाव रखने वाले कुछ सामान्य व्यक्तियों को भी । अतः गर्व जैसा कुछ नहीं है । लेकिन इन्हीं संकेतों से मेरी सांसारिक सामाजिक कार्यों के प्रति एक उदासीनता सी बनी हुयी है । मेरी साहिल और स्वपनिल से इस विषय को लेकर घण्टों बात होती रहती है । क्योंकि वे इन विषयों का पूर्व में घटित घटनाओं पर खासा पूर्व अध्ययन भी रखते हैं ।
जैसा कि आपने देखा होगा । मेरे द्वारा बताये गये संकेत बाह्य तौर भी एक कृम में तेजी से उभर रहे हैं । वास्तव में दृश्य अदृश्य ज्ञात अज्ञात तौर पर घटनायें इतनी तेजी से घट रही हैं कि प्रमुख वैज्ञानिक भी कुछ कह नहीं पा रहे । इस अंश प्रलय को लेकर जहाँ तक मेरे अनुभव में आया है । दैवीय सत्ता के कार्यकृम में कुछ बदलाव हुये हैं । पहले यह प्रलय हाहाकारी दृश्य लिये हुये थी । जिसमें धरती के जनजीवन युक्त स्थानों पर ज्वालामुखी, भूकम्प, परमाणु केन्द्रों

से विनाश और भूगर्भ से जहरीली गैसों का रिसाव प्रमुख था । सीधी सी बात है । ऐसा होने पर अफ़रातफ़री का माहौल अधिक होना था । अतः समूचे बदलाव को शान्तिप्रिय ढंग से क्रियांवित करने हेतु इसमें खास बदलाव हुआ है । जिसके चलते फ़िलीपींस तूफ़ान जैसी घटनायें एक दृश्य उदाहरण के रूप में है । वास्तव में वैश्विक जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त न हो । और नयी वैश्विक सभ्यता संस्कृति का उदगम हो । और क्योंकि बहुसंख्यक लोग प्रलय की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहे हैं । अतः तेजी से बदलती स्थितियां सम्भवतः इसका संकेत देने लगी हैं । और खास आंतरिक स्तर पर कुछ अधिक ही देखने में आ रहा है । 

पुनश्च - मुझे नहीं पता असामान्य परिवर्तनों की आपको क्या क्या जानकारी मिल रही है । पर बहुत सी चीजें बहुत तेजी से घट रही हैं । इनमें जैसा कि मैंने कई बार जिक्र किया । बहुसंख्यक लोगों की जिन्दगी जैसे पहिये से उतर कर ठहर सी गयी हो । मुश्किल से रोटी भर कमा पा रहे हैं । मैंने कहा था - जो पहले से प्रचुर मात्रा में पुण्यवान हैं । वही इस समय ठीक रहेंगे । बाकी शरणार्थी कैंप जैसे । ये थी धन सम्बन्धित । तन सम्बन्धित परेशानी में - अजीब सी बीमारियों का चलन देखने में आयेगा । लगभग हर आदमी किसी न किसी दवा के सहारे से जीवन चला पायेगा । क्योंकि ये बीमारियां दैवीय होंगी । इसलिये शरीर में एक अजीब सा आलस्य थकान और दर्द कसकता सा 

मालूम पङता रहेगा । एक और अनुभव में ऐसा लगेगा । जैसे शरीर में किसी ने हवा सी भर दी हो । और शरीर भारी भारी सा रहता हो । बिना वजह सिर भी भारी भारी सा रहेगा । मन से सम्बन्धित में - मन में एक उत्साहहीनता व्याप्त होकर अजीब सी जङता आ जायेगी । मन बुद्धि ठीक से निर्णय नहीं ले सकेंगे । और अक्सर लोगों का मन हर तरफ़ से उचाट सा रहेगा । जैसे पता नहीं क्या होने वाला है ?
अभी कल मुझे एक उन्मादी ज्वर का भी संकेत मिला है । ये क्या है । मैं नहीं जानता । पर ये लोगों की सोचने समझने की शक्ति छीन लेगा । ठीक वैसा ही । जैसे श्रीराम ने खर-दूषण से स्वयं लङने के बजाय ऐसा भृम पैदा कर दिया कि उन सबको आपस में एक दूसरा राम नजर आने लगा । और वे बिना ( राम के ) श्रम के आपस में ही हताहत हो गये । मर गये । दरअसल मन स्तर पर कुछ भी अधिक अहसास न होने का माया योग तरीका विलक्षण है । इसमें आपको विश्व को जैसा

देखने की आदत पङी हुयी है । उसमें बेहद बदलाव उठापटक के बावजूद भी शेष जनता को कोई मानसिक आघात नहीं पहुंचेगा । और नयी व्यवस्था आराम से कार्य करने लगेगी । जहाँ तक इस तवाही के केन्द्र की बात है । वह अजरबेजान से हो सकता है । अमेरिका के पापुआ न्यूगिनी, लेबनान, वियतनाम और लगभग पूरा अमेरिका ही प्रभावित होकर अस्तित्व खो बैठेगा । भारत में भी निचला हिस्सा यानी केरल से ऊपर आधा पानी में डूब जायेगा । दिल्ली का मैंने बहुत पहले स्वपनिल को बता दिया था । दिल्ली के कुछ दो तीन स्थान छोङकर सारी दिल्ली ढह जायेगी । खोजे नहीं मिलेगी । आपको शायद पता न हो । कई स्थानों पर अचानक ऐसे बङे और गहरे पाताली गढ्ढे तेजी से बन रहे हैं । जिनका अन्त दिखाई नहीं देता । मेरे ख्याल से जापान आस्ट्रेलिया कभी थे । ऐसा कहा जायेगा । सबसे ज्यादा नुकसान चीन का होगा । भारत में केरल से समुद्र सीधा चीन की छाती से गुजरता हुआ रूस के समुद्र से एक हो जायेगा ।
अभी कुछ दिनों पहले मुझे एक संकेत मिला था - जाग उठा ज्वालामुखी प्रेत । ये पूर्व का सिद्ध भीषण ज्वालामुखी इटली के समुद्र में स्थित है । ये पांच सौ किलोमीटर के परिधि के ठीक केन्द्र से तीन सौ किलोमीटर ऊँचाई का जलीय फ़ब्बारा सा छोङेगा । आप कल्पना करिये । क्या हो सकता है ?
इसी विषय पर तीनों लिंक्स -
अगले चार महीनों में क्या होने वाला है
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_9.html
लिख गयी है महाविनाश की रूपरेखा
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_11.html
महाविनाश की उलटी गिनती शुरू 
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/11/blog-post_22.html
ऐसा ही एक और संदर्भ -
एडगर केसी ने अपने जीवन में बहुत सी बातें कहीं । वो तंद्रा की अवस्था में यह सब बताते थे । इसलिए उन्हें sleeping prophet कहा जाता है । उन्होंने लगभग हर विषय पर बोला । उदाहरण के लिए बीमारी के इलाज बताए । लेकिन समस्या यह है कि उनके बताए उपायों में प्रयोग होने वाली वस्तुएं या तो धरती पर से समाप्त हो गईं । या आने वाले समय में खोजी जाएंगी । इस कारण कई मरीजों की इलाज पता लगने के बावजूद मृत्यु हो जाती थी । केसी द्वारा बोली गई बातें श्रृंखलाबद्ध रूप में संकलित हैं । और इन पर अध्ययन के लिए यह सोसाइटी कार्य कर रही है ।
http://www.edgarcayce.org/edgar-cayce1.html 

एडगर केसी " अनेक महल " 8
http://panchjanya.com/arch/2005/6/12/File16.htm

100 दिन बाद बैंक में रखा आपका पैसा हो जाएगा 'अनसेफ'!....http://aajtak.intoday.in/story/microsoft-windows-xp-on-the-way-out-psu-banks-face-security-risk-1-746974.html


Ek bar Rajiv Gandi yamlok me bathe the..Wo achanak hans pade Indira Gandi -  kyo hanse. ? Rajiv -  Soniy se shaadi meine ki, par bechara manmohan singh bhugat raha hai...!! 

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326