ब्रह्मांड में बिगड़ता सन्तुलन किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर भी दिखाई पड़ता है।
जब अधिकांश ग्रह एक ओर आ जाते हैं तो गुरुत्वाकर्षण असंतुलित हो जाता है।
जिससे मानव मस्तिष्क पर भी पूर्ण प्रभाव पड़ता है।
इसके कारण मानव आक्रामक रूप धारण कर लेता है उसकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है।
इसका प्रभाव जब ‘देश प्रमुख’ पर पड़ता है तो युद्ध में परिवर्तित हो जाता है।
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ग्रहों का असर अति सूक्ष्म होता है जिसको किसी यंत्र द्वारा नहीं मापा जा सकता।
लेकिन इसका प्रभाव उदाहरण के रूप में समुद्र द्वारा ले सकते हैं।
जब भी चंद्रमा चतुर्थ व दशम भाव में आता है।
उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार भाटे आते हैं।
जब अमावस्या के दिन चंद्रमा के साथ सूर्य का भी मेल हो जाता है।
तो उसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
ग्रहण पर गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और अधिक हो जाता है।
जब चंद्रमा व सूर्य के साथ राहु या केतु भी साथ आ जाते हैं।
इसी प्रकार जब कई ग्रह एक ओर हो जाते है।
तो ये भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण बनते हैं।
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इस वर्ष 18 नवंबर 2017 को 7 ग्रह 70 अंश के अंदर होंगे।
और 3 दिसंबर 2017 को भी 6 ग्रह केतु से राहु के मध्य 70 अंश के कोण में आ रहे हैं।
जबकि चंद्रमा उनके सामने स्थित होगा।
इस ग्रह स्थिति के कारण बड़े भूकंप के आसार बन रहे हैं।
जिसका रिक्टर स्केल पर माप 8.0 या अधिक हो सकता है।
यह भूकंप 3 दिसंबर 2017 या 1-2 दिन आगे पीछे हो सकता है।
इसका केंद्र देखने के लिए राहु व केतु से ग्रहों की स्थिति को देखना चाहिए।
चूंकि सभी ग्रह केतु से राहु के मध्य हैं, अर्थात चंद्रमा से नीचे होंगे।
अतः उनका प्रभाव उत्तरी क्षेत्र में लगभग 300-400 अक्षांश पर पड़ेगा।
अतः 3 दिसंबर 2017 के आसपास उत्तरी क्षेत्र में भारी भूकंप की संभावना बन रही है।
इस प्रकार की ग्रह स्थिति के बाद लगभग 6 मास के अंतराल में प्रायः युद्ध की भी स्थिति बन जाती है।
अतः 2018 के मध्य में भारी युद्ध के भी लक्षण बन रहे हैं।
कुछ इसी प्रकार की ग्रह स्थिति कारगिल युद्ध (मई 1999 से जुलाई 1999) के मध्य बनी थी।
जब मार्च 99 में मंगल को छोड़ सभी 6 ग्रह केतु से राहु के मध्य आ गये थे।
भारत-चीन युद्ध (20 अक्तूबर 1962 से 20 नवंबर 1962) से पहले भी !
5 फरवरी 1962 में 8 ग्रह एकत्रित हुए थे ।
जिसके परिणामस्वरूप उस समय भी एक बहुत बड़ा भूकंप इरान में आया था।
जिसमें 12 000 से अधिक मौत हुई थी।
प्रथम/द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी इसी प्रकार अनेक ग्रह कोणीय स्थिति में आए थे।
23 जुलाई 1914 में भी यही ग्रह स्थिति बनी थी।
13 जुलाई 1942 को दूसरे विश्वयुद्ध के समय 7 ग्रह 70 अंश के कोण में आ गये थे।
जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम भयावह रहे।
यह सब देखते हुए प्रतीत होता है कि 18 नवंबर 2017 से युद्ध के बादल मंडराने लगेंगे।
प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ युद्ध होने की संभावना भी बन रही है।
2018 और 2019 में भी कुछ इसी प्रकार की ग्रह स्थिति पुनः बनने वाली है।
अतः निकट भविष्य में भूकंप, प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
http://www.futuresamachar.com/hi/third-world-war-8342
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21 अगस्त 2017 सूर्यग्रहण के प्रभाव
अमेरिका -
सिंह राशि में पड़ रहा यह सूर्यग्रहण अमेरिका की कुंडली तथा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लग्न को प्रभावित करेगा।
अमेरिका और ट्रम्प दोनों की कुंडली सिंह लग्न की है।
ग्रहण के प्रभाव से अमेरिका अगस्त के अंतिम सप्ताह में या सितम्बर में उत्तर-कोरिया के विरुद्ध कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
21/22 अगस्त के सूर्यग्रहण के समय सिंह राशि पर पड़ रही शनि की दृष्टि युद्ध और आग लगने की घटनाओं की ओर संकेत दे रही है।
मघा नक्षत्र को पीड़ित कर रहा यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में जोरदार भू-कंपन भी ला सकता है।
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भारत -
पराशर ऋषि के उक्ति के अनुसार भाद्रपद महीने में पड़ने वाले सूर्यग्रहण से बंगाल, उड़ीसा, मगध (बिहार, झारखण्ड) में खेती का नाश हो सकता है और अमंगलकारी घटनाएं घटित हो सकती हैं।
ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि कर्क तथा शनि वृश्चिक में गोचर कर रहा होगा।
21/22 अगस्त की अमावस्या के आसपास किसी समुद्री तूफान से उड़ीसा, बंगाल और बिहार में अतिवृष्टि होने के योग बन रहे हैं।
श्रवण पूर्णिमा के दिन होने वाले ग्रहण के विषय में ‘अदभुत सागर’ ग्रन्थ (पराशर के मत) अनुसार
चीन, कश्मीर, पुलिंद और गांधार (पाकिस्तान, अफगानिस्तान) में अशुभ घटनाएं हो सकती हैं।
7/8 अगस्त को पड़ने वाली श्रवण पूर्णिमा का ग्रहण पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान के लिए अमंगलकारी होगा।
मकर राशि में पड़ रहे इस चंद्रग्रहण के प्रभाव से भारत को कश्मीर और तिब्बत से लगी सीमा पर पाकिस्तान और चीन की ओर से किसी सैन्य आक्रमण का भी सामना करना पड़ सकता है।
ऐसी आशंका है।
श्रवण पूर्णिमा के ग्रहण के 15 दिन के भीतर कश्मीर में आतंकी घटनाएं और सीमा पर युद्ध के हालत भारत सरकार के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/photos/two-eclipse-in-august-what-will-be-happen/eclipse-effects-on-india-pakistan-and-china/photomazaashow/59756896.cms
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी -
जब तृतीय विश्वयुद्ध चल रहा होगा।
उस दौरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तबाही और मौत का मंजर होगा।
तृतीय विश्वयुद्ध के दौरान ही आकाश से आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ेगा।
और हिंद महासागर में आग का एक तूफान खड़ा कर देगा।
इस घटना से दुनिया के कई राष्ट्र जलमग्न हो जाएंगे।
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क्लेयरवायंट होरोसिओ विलगैस की भविष्यवाणी के अनुसार -
तीसरे विश्व युद्ध में वैश्विक नेता सीरिया पर हमला करेंगे।
जो रासायनिक हमले के रूप में होगा।
इससे रूस, उत्तर कोरिया और चीन के बीच संघर्ष शुरू हो जाएगा।
तीसरा विश्व युद्ध पूरी तरह से एक परमाणु युद्ध होगा।
और इससे दुनिया का एक हिस्सा खत्म हो जाएगा।
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उपरोक्त सभी matter इंटरनेट से लिया गया है - साभार ।
जब अधिकांश ग्रह एक ओर आ जाते हैं तो गुरुत्वाकर्षण असंतुलित हो जाता है।
जिससे मानव मस्तिष्क पर भी पूर्ण प्रभाव पड़ता है।
इसके कारण मानव आक्रामक रूप धारण कर लेता है उसकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है।
इसका प्रभाव जब ‘देश प्रमुख’ पर पड़ता है तो युद्ध में परिवर्तित हो जाता है।
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ग्रहों का असर अति सूक्ष्म होता है जिसको किसी यंत्र द्वारा नहीं मापा जा सकता।
लेकिन इसका प्रभाव उदाहरण के रूप में समुद्र द्वारा ले सकते हैं।
जब भी चंद्रमा चतुर्थ व दशम भाव में आता है।
उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार भाटे आते हैं।
जब अमावस्या के दिन चंद्रमा के साथ सूर्य का भी मेल हो जाता है।
तो उसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
ग्रहण पर गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और अधिक हो जाता है।
जब चंद्रमा व सूर्य के साथ राहु या केतु भी साथ आ जाते हैं।
इसी प्रकार जब कई ग्रह एक ओर हो जाते है।
तो ये भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण बनते हैं।
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इस वर्ष 18 नवंबर 2017 को 7 ग्रह 70 अंश के अंदर होंगे।
और 3 दिसंबर 2017 को भी 6 ग्रह केतु से राहु के मध्य 70 अंश के कोण में आ रहे हैं।
जबकि चंद्रमा उनके सामने स्थित होगा।
इस ग्रह स्थिति के कारण बड़े भूकंप के आसार बन रहे हैं।
जिसका रिक्टर स्केल पर माप 8.0 या अधिक हो सकता है।
यह भूकंप 3 दिसंबर 2017 या 1-2 दिन आगे पीछे हो सकता है।
इसका केंद्र देखने के लिए राहु व केतु से ग्रहों की स्थिति को देखना चाहिए।
चूंकि सभी ग्रह केतु से राहु के मध्य हैं, अर्थात चंद्रमा से नीचे होंगे।
अतः उनका प्रभाव उत्तरी क्षेत्र में लगभग 300-400 अक्षांश पर पड़ेगा।
अतः 3 दिसंबर 2017 के आसपास उत्तरी क्षेत्र में भारी भूकंप की संभावना बन रही है।
इस प्रकार की ग्रह स्थिति के बाद लगभग 6 मास के अंतराल में प्रायः युद्ध की भी स्थिति बन जाती है।
अतः 2018 के मध्य में भारी युद्ध के भी लक्षण बन रहे हैं।
कुछ इसी प्रकार की ग्रह स्थिति कारगिल युद्ध (मई 1999 से जुलाई 1999) के मध्य बनी थी।
जब मार्च 99 में मंगल को छोड़ सभी 6 ग्रह केतु से राहु के मध्य आ गये थे।
भारत-चीन युद्ध (20 अक्तूबर 1962 से 20 नवंबर 1962) से पहले भी !
5 फरवरी 1962 में 8 ग्रह एकत्रित हुए थे ।
जिसके परिणामस्वरूप उस समय भी एक बहुत बड़ा भूकंप इरान में आया था।
जिसमें 12 000 से अधिक मौत हुई थी।
प्रथम/द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी इसी प्रकार अनेक ग्रह कोणीय स्थिति में आए थे।
23 जुलाई 1914 में भी यही ग्रह स्थिति बनी थी।
13 जुलाई 1942 को दूसरे विश्वयुद्ध के समय 7 ग्रह 70 अंश के कोण में आ गये थे।
जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम भयावह रहे।
यह सब देखते हुए प्रतीत होता है कि 18 नवंबर 2017 से युद्ध के बादल मंडराने लगेंगे।
प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ युद्ध होने की संभावना भी बन रही है।
2018 और 2019 में भी कुछ इसी प्रकार की ग्रह स्थिति पुनः बनने वाली है।
अतः निकट भविष्य में भूकंप, प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
http://www.futuresamachar.com/hi/third-world-war-8342
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21 अगस्त 2017 सूर्यग्रहण के प्रभाव
अमेरिका -
सिंह राशि में पड़ रहा यह सूर्यग्रहण अमेरिका की कुंडली तथा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लग्न को प्रभावित करेगा।
अमेरिका और ट्रम्प दोनों की कुंडली सिंह लग्न की है।
ग्रहण के प्रभाव से अमेरिका अगस्त के अंतिम सप्ताह में या सितम्बर में उत्तर-कोरिया के विरुद्ध कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
21/22 अगस्त के सूर्यग्रहण के समय सिंह राशि पर पड़ रही शनि की दृष्टि युद्ध और आग लगने की घटनाओं की ओर संकेत दे रही है।
मघा नक्षत्र को पीड़ित कर रहा यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में जोरदार भू-कंपन भी ला सकता है।
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भारत -
पराशर ऋषि के उक्ति के अनुसार भाद्रपद महीने में पड़ने वाले सूर्यग्रहण से बंगाल, उड़ीसा, मगध (बिहार, झारखण्ड) में खेती का नाश हो सकता है और अमंगलकारी घटनाएं घटित हो सकती हैं।
ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि कर्क तथा शनि वृश्चिक में गोचर कर रहा होगा।
21/22 अगस्त की अमावस्या के आसपास किसी समुद्री तूफान से उड़ीसा, बंगाल और बिहार में अतिवृष्टि होने के योग बन रहे हैं।
श्रवण पूर्णिमा के दिन होने वाले ग्रहण के विषय में ‘अदभुत सागर’ ग्रन्थ (पराशर के मत) अनुसार
चीन, कश्मीर, पुलिंद और गांधार (पाकिस्तान, अफगानिस्तान) में अशुभ घटनाएं हो सकती हैं।
7/8 अगस्त को पड़ने वाली श्रवण पूर्णिमा का ग्रहण पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान के लिए अमंगलकारी होगा।
मकर राशि में पड़ रहे इस चंद्रग्रहण के प्रभाव से भारत को कश्मीर और तिब्बत से लगी सीमा पर पाकिस्तान और चीन की ओर से किसी सैन्य आक्रमण का भी सामना करना पड़ सकता है।
ऐसी आशंका है।
श्रवण पूर्णिमा के ग्रहण के 15 दिन के भीतर कश्मीर में आतंकी घटनाएं और सीमा पर युद्ध के हालत भारत सरकार के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/photos/two-eclipse-in-august-what-will-be-happen/eclipse-effects-on-india-pakistan-and-china/photomazaashow/59756896.cms
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी -
जब तृतीय विश्वयुद्ध चल रहा होगा।
उस दौरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तबाही और मौत का मंजर होगा।
तृतीय विश्वयुद्ध के दौरान ही आकाश से आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ेगा।
और हिंद महासागर में आग का एक तूफान खड़ा कर देगा।
इस घटना से दुनिया के कई राष्ट्र जलमग्न हो जाएंगे।
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क्लेयरवायंट होरोसिओ विलगैस की भविष्यवाणी के अनुसार -
तीसरे विश्व युद्ध में वैश्विक नेता सीरिया पर हमला करेंगे।
जो रासायनिक हमले के रूप में होगा।
इससे रूस, उत्तर कोरिया और चीन के बीच संघर्ष शुरू हो जाएगा।
तीसरा विश्व युद्ध पूरी तरह से एक परमाणु युद्ध होगा।
और इससे दुनिया का एक हिस्सा खत्म हो जाएगा।
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उपरोक्त सभी matter इंटरनेट से लिया गया है - साभार ।