केवल सूचना और भाव साझा करने हेतु !
कोई आग्रह नहीं कि सच मानें ।
कुछ मुख्य संकेत -
1 - उत्तरी अटलांटिक में भूस्खलन जैसी स्थिति में विशाल हिमखंडों के धंसने की घटना होगी ।
यह प्राकृतिक हो या मानवीय ज्ञात नही ।
(निश्चय नहीं पर) इसका प्रभाव चीन, नार्वे, स्पेन पर होगा ।
2 - (प्रशांत ?) महासागर में तीन बङे टापू समुद्र में समा जायेंगे ।
साफ़ है कि जल स्तर बढ़ेगा और निचले और करीबी देश डूबेंगे ।
3 - बङी घटनाओं में एक विशालकाय ज्वालामुखी फ़टेगा ।
यह इटली में होगा ।
4 भारत के 3 खण्ड, अमेरिका के 10 और चीन, पाकिस्तान समूचा तबाह ।
(हालांकि इसमें कुछ और भी छोटे देश हैं पर वे उल्लेखनीय नहीं)
---------------------
ऐसे में जबकि हर तरफ़ युद्ध की संभावनाओं, कारणों, भूमिकाओं और परिणाम पर मंथन, चर्चायें जारी हैं ।
कुछ ऐसे तथ्य जिन पर ध्यान रखना है ।
कुत्ते - कुत्ते अशुभ घटनाओं, काली आत्माओं और भावी विनाश को सूंघने की अदभुत क्षमता रखते हैं । इनके व्यवहार पर नजर रखेंगे तो पायेंगे कि कुत्तों का व्यवहार (पिछले बहुत दिनों से) बदल गया है । वे रात को (सामान्यतः) सामूहिक भौंकते नहीं और शान्त, उदासीन हो चले हैं ।
अगर जानवरों को देखते रहते हैं तो गौर करना, उनका व्यवहार बदला है ।
चूहे - चूहे भी अकाल, अशुभ, महामारी की सटीक सूचना देते हैं । यदि चूहे आपके आसपास अनुभव में आते हैं तो ध्यान देना ।
कीट पतंगे - अगर हर चीज पर निगाह रहती है तो इन पर भी गौर करना, पहले जैसी बात नहीं होगी ।
गैर पालतू वन्य और अन्य जीव - ये अपनी प्रकृति के अनुसार ऊँचे वृक्षों या पहाङी, गुहाओं की तरफ़ जाने लगे हैं ।
स्वपन - आपके स्वपनों या मानसिक स्थिति में (लेकिन बाह्य पढ़े, सुने आधार पर नही) पहले की तुलना में बदलाव हुआ है ।
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शायद ही लोग इस रहस्य को जानते होंगे कि किसी बङे शुभ या अशुभ परिवर्तन पर ग्रह, नक्षत्र अपना स्थान पाला या दो चार पाला भी कूद जाने की तर्ज पर बदल लेते हैं ।
यह बात शाम (22-7-2017) आठ बजे घटित हुयी है ।
ऐसा खगोलीय इतिहास में अनेकों बार हुआ है ।
धार्मिक इतिहास में ‘राम जन्म’ इसका उदाहरण है ।
- लेकिन यह बात सिर्फ़ गणना आधार पर नक्षत्र स्थिति जानने वाले ज्योतिषी नही जान सकते ।
ये सिर्फ़ खगोलविद परख सकते हैं ।
--------------
नासा वैज्ञानिकों के मुताबिक दिसंबर 2017 में बड़े खगोलीय परिवर्तन होंगे, जिसका असर धरती के कई हिस्सों पर पड़ेगा और इन इलाकों में उत्तरी बिहार भी शामिल है ।
पटना मोतीहारी के स्कूल टीचर उमेश प्रसाद वर्मा - दिसंबर 2017 में उत्तरी बिहार में भूकंप से ऐसी तबाही होगी जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा ।
(उमेश जी की कई भविष्यवाणियां सटीक हुयीं)
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और ये
Kaalsutrabhishekam द्वारा
आज 9 अगस्त है ।
पिछले 2 वर्षों से सितंबर 2017 तक होने वाले जिस विनाश की बात करता आ रहा हूँ ।
उसमें 2 माह भी शेष नहीं बचे हैं ।
मात्र 2 माह के अंदर प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक रूप में महाविनाश होगा ।
जिसमें लाखों, करोड़ों लोगों की जिंदगी संकट में पड़ जाएगी ।
प्राकृतिक रूप में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी इत्यादि आते हैं ।
एवं अप्राकृतिक रूप में युद्ध ।
मैंने अपने पोस्ट एवं पुस्तक में सितंबर 2017 तक विनाश का प्रथम चक्र
एवं मार्च 2018 तक महाविनाश के अंतिम चक्र का जिक्र किया है ।
अन्य देशों में प्राकृतिक रूप एवं तृतीय विश्वयुद्ध से जो विनाश होगा सो तो होगा ही,
हमारे देश के 36.40 डिग्री से 43.20 डिग्री तक महाविनाश होगा ।
इन डिग्री में भारत, पाकिस्तान, चाइना, नेपाल एवम कुछ छोटे पड़ोसी देश भी आते हैं ।
36.40 डिग्री से 43.20 डिग्री का जिक्र भी पिछले 2 वर्षों से करता आ रहा हूँ ।
मेरे गणित के अनुसार तो फरवरी 2017 से ही तृतीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो चुका है,
6 जून 2017 से समय और भी विपरीत हुआ है ।
वर्तमान में तृतीय विश्वयुद्ध का अब विकराल रूप लेना शेष है ।
जो सितंबर 2017 के अंदर देखने को मिल ही जायेगा ।
आज से कुछ माह पूर्व मैंने लिखा था कि
Donald trump will be last President of US.
इसका आशय यह है कि United State कई भागों में विभक्त हो जाएगा ।
परमात्मा से प्रार्थना करे धरती में आने वाली यह संकट टल जाए,
और अगर घटना घटित होती भी है तो नुकसान कम से कम हो ।
कोई आग्रह नहीं कि सच मानें ।
कुछ मुख्य संकेत -
1 - उत्तरी अटलांटिक में भूस्खलन जैसी स्थिति में विशाल हिमखंडों के धंसने की घटना होगी ।
यह प्राकृतिक हो या मानवीय ज्ञात नही ।
(निश्चय नहीं पर) इसका प्रभाव चीन, नार्वे, स्पेन पर होगा ।
2 - (प्रशांत ?) महासागर में तीन बङे टापू समुद्र में समा जायेंगे ।
साफ़ है कि जल स्तर बढ़ेगा और निचले और करीबी देश डूबेंगे ।
3 - बङी घटनाओं में एक विशालकाय ज्वालामुखी फ़टेगा ।
यह इटली में होगा ।
4 भारत के 3 खण्ड, अमेरिका के 10 और चीन, पाकिस्तान समूचा तबाह ।
(हालांकि इसमें कुछ और भी छोटे देश हैं पर वे उल्लेखनीय नहीं)
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ऐसे में जबकि हर तरफ़ युद्ध की संभावनाओं, कारणों, भूमिकाओं और परिणाम पर मंथन, चर्चायें जारी हैं ।
कुछ ऐसे तथ्य जिन पर ध्यान रखना है ।
कुत्ते - कुत्ते अशुभ घटनाओं, काली आत्माओं और भावी विनाश को सूंघने की अदभुत क्षमता रखते हैं । इनके व्यवहार पर नजर रखेंगे तो पायेंगे कि कुत्तों का व्यवहार (पिछले बहुत दिनों से) बदल गया है । वे रात को (सामान्यतः) सामूहिक भौंकते नहीं और शान्त, उदासीन हो चले हैं ।
अगर जानवरों को देखते रहते हैं तो गौर करना, उनका व्यवहार बदला है ।
चूहे - चूहे भी अकाल, अशुभ, महामारी की सटीक सूचना देते हैं । यदि चूहे आपके आसपास अनुभव में आते हैं तो ध्यान देना ।
कीट पतंगे - अगर हर चीज पर निगाह रहती है तो इन पर भी गौर करना, पहले जैसी बात नहीं होगी ।
गैर पालतू वन्य और अन्य जीव - ये अपनी प्रकृति के अनुसार ऊँचे वृक्षों या पहाङी, गुहाओं की तरफ़ जाने लगे हैं ।
स्वपन - आपके स्वपनों या मानसिक स्थिति में (लेकिन बाह्य पढ़े, सुने आधार पर नही) पहले की तुलना में बदलाव हुआ है ।
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शायद ही लोग इस रहस्य को जानते होंगे कि किसी बङे शुभ या अशुभ परिवर्तन पर ग्रह, नक्षत्र अपना स्थान पाला या दो चार पाला भी कूद जाने की तर्ज पर बदल लेते हैं ।
यह बात शाम (22-7-2017) आठ बजे घटित हुयी है ।
ऐसा खगोलीय इतिहास में अनेकों बार हुआ है ।
धार्मिक इतिहास में ‘राम जन्म’ इसका उदाहरण है ।
- लेकिन यह बात सिर्फ़ गणना आधार पर नक्षत्र स्थिति जानने वाले ज्योतिषी नही जान सकते ।
ये सिर्फ़ खगोलविद परख सकते हैं ।
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नासा वैज्ञानिकों के मुताबिक दिसंबर 2017 में बड़े खगोलीय परिवर्तन होंगे, जिसका असर धरती के कई हिस्सों पर पड़ेगा और इन इलाकों में उत्तरी बिहार भी शामिल है ।
पटना मोतीहारी के स्कूल टीचर उमेश प्रसाद वर्मा - दिसंबर 2017 में उत्तरी बिहार में भूकंप से ऐसी तबाही होगी जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा ।
(उमेश जी की कई भविष्यवाणियां सटीक हुयीं)
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और ये
Kaalsutrabhishekam द्वारा
आज 9 अगस्त है ।
पिछले 2 वर्षों से सितंबर 2017 तक होने वाले जिस विनाश की बात करता आ रहा हूँ ।
उसमें 2 माह भी शेष नहीं बचे हैं ।
मात्र 2 माह के अंदर प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक रूप में महाविनाश होगा ।
जिसमें लाखों, करोड़ों लोगों की जिंदगी संकट में पड़ जाएगी ।
प्राकृतिक रूप में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी इत्यादि आते हैं ।
एवं अप्राकृतिक रूप में युद्ध ।
मैंने अपने पोस्ट एवं पुस्तक में सितंबर 2017 तक विनाश का प्रथम चक्र
एवं मार्च 2018 तक महाविनाश के अंतिम चक्र का जिक्र किया है ।
अन्य देशों में प्राकृतिक रूप एवं तृतीय विश्वयुद्ध से जो विनाश होगा सो तो होगा ही,
हमारे देश के 36.40 डिग्री से 43.20 डिग्री तक महाविनाश होगा ।
इन डिग्री में भारत, पाकिस्तान, चाइना, नेपाल एवम कुछ छोटे पड़ोसी देश भी आते हैं ।
36.40 डिग्री से 43.20 डिग्री का जिक्र भी पिछले 2 वर्षों से करता आ रहा हूँ ।
मेरे गणित के अनुसार तो फरवरी 2017 से ही तृतीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो चुका है,
6 जून 2017 से समय और भी विपरीत हुआ है ।
वर्तमान में तृतीय विश्वयुद्ध का अब विकराल रूप लेना शेष है ।
जो सितंबर 2017 के अंदर देखने को मिल ही जायेगा ।
आज से कुछ माह पूर्व मैंने लिखा था कि
Donald trump will be last President of US.
इसका आशय यह है कि United State कई भागों में विभक्त हो जाएगा ।
परमात्मा से प्रार्थना करे धरती में आने वाली यह संकट टल जाए,
और अगर घटना घटित होती भी है तो नुकसान कम से कम हो ।
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