02 जनवरी 2014

कालपुरुष, माया और कालदूत

अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का सरल सुलभ माध्यम इंटरनेट जहाँ सूचना सम्पर्क की क्रांति में एक विस्फ़ोट की तरह अवतरित हुआ है । भावना के आदान प्रदान और अन्य सहूलियतों को लेकर यह मनुष्य के लिये वरदान की तरह है । वहीं इसके दुरुपयोग मुझे 90% दिखाई दिये । वैसे इंटरनेट पर फ़ैली सामग्री को मैं उस कचङे के ढेर के समान मानता हूँ । जिसमें बहुत थोङा ही ग्रहण करने योग्य है । क्योंकि इंटरनेट पर अच्छे लोगों की कम बुरे लोगों की भरमार है । जो अपनी अति महत्वाकांक्षा, कुंठा, हीनभावना, जलन आदि मनोवृतियों की विकारी मनोग्रन्थियों को विभिन्न तरह से इंटरनेट के माध्यम से न सिर्फ़ व्यक्त करते हैं । बल्कि बेमतलब ही दूसरे सभ्य अनजान लोगों को अपनी कुंठा का निशाना बनाते हैं । जबकि इस तरह की गतिविधियों का समय धन स्वास्थय आदि की दृष्टि से कोई लाभ न होकर बहुत तरह से हानि अवश्य होती है । इसके अतिरिक्त मन विकारी होकर पाप का घोर संचय कर लेता है । जो न जाने कितने जन्मों तक दीन हीन स्थिति अवस्था में पाप कर्मफ़ल के रूप में भुगतना पङे । मुझे नहीं लगता । इसका उन्हें सिवाय कुत्सित भावना को पोषण देने के अतिरिक्त परोक्ष अपरोक्ष रूप से कुछ भी लाभ होता हो । या कभी होगा ।
पिछले दो साल के अरसे में इस ब्लाग, महाराज जी, स्वयं मुझे और ब्लाग से जुङे कुछ लोगों को भी ऐसी गतिविधियों का मूर्खतापूर्ण तरीके से निशाना बनाया गया । क्योंकि छुपकर और अनर्गल बेबुनियाद तरीके से यह सब किया गया । मैंने कभी इसका नोटिस नहीं लिया । आपने देखा होगा । गली में से जब कोई हाथी

गुजरता है । तो तमाम कुत्ते भौंकते हुये भागने लगते हैं । लेकिन हाथी पर उसका कोई फ़र्क नहीं पङता । कर्म और ज्ञान का शाश्वत सिद्धांत जानने वाला कभी गलत कर्म कर ही नहीं सकता । क्योंकि कोई भी एकबारगी पूरी दुनियां को धोखा दे सकता है । मगर खुद को और परमात्मा को कभी नहीं । खुद के किये पाप जब अन्तर में सङे घाव की तरह किलबिलाते हैं । तब कोई चारा नहीं बचता ।
इसके भी अलावा एक नियम के तहत जब भी कोई सच्ची भक्ति या तप आदि में सक्रिय होता है । तो विरोधी शक्तियों कालदूतों द्वारा इस प्रकार की ऊटपटांग हरकतें करना प्रकृति का विधान है । और जब मैं ऐसा जानता हूँ । फ़िर मुझे क्या फ़र्क पङ सकता है ? या मेरा कोई भी कार्य एक क्षण भी रुका हो । या कोई नुकसान हुआ हो । हाँ ये काल माया और कालदूत जिन जीवों को आवेशित कर अप्रत्यक्ष रूप से अपना कार्य करते हैं । वे तरह तरह के कष्ट परेशानियां संकटों आदि में मूर्खता पूर्ण तरीके से अवश्य फ़ंस जाते हैं । और कई बार तो बेहद बुरी अकाल मृत्यु के शिकार भी हो जाते हैं ।
मैं हमेशा ही कहता रहा । आप लोग जैसा अजीब समय चल रहा है । उसके अनुसार मुझ पर भी कभी आँख मूँद कर विश्वास न करें । बल्कि यदि कुछ पाना चाहें । तो परखें । मैं आपको निमन्त्रण या प्रेरित भी नहीं करता कि आप आयें । या मेरी बात मानें । क्योंकि इस दुनियां में अच्छे और विवेकी लोगों की भी कमी नहीं । और ऐसे लोग बङी सख्यां में मुझसे मिलते ही रहते हैं । इसलिये सात अरब की जनसंख्या में एक अरब लोग भी मुझे नहीं समझ पाते । तो मेरी सेहत पर क्या असर है ? वैसे भी बङे से बङा सन्त पूर्ण जीवन में बमुश्किल दस हजार जीवात्माओं की डोर प्रभु से जोङ पाता है । और वह भी तब जब उनके पुण्य भाग्य लगन भाव आदि पहले से ऐसे हों । अतः इधर सबका आ पाना मुमकिन ही नहीं । और जब बहुत कुछ पहले से ऊपर वाले द्वारा तय हो । तब मुझे क्या फ़ायदा और क्या नुकसान ? अतः ऐसे बेफ़िजूल प्रकरणों से मुझ पर कभी कोई असर नहीं होता ।
हाँ हम से जुङे उन लोगों की श्रद्धा भावना आदि अवश्य आहत होती है । जो हमसे सीधे जुङे नहीं होते । बाकी जो हमसे या आश्रम आते जाते रहते हैं । उन पर कोई असर नहीं होता । ऐसे लोगों से मेरा कहना है - जब भी आप सच्ची और उद्धारक भक्ति की ओर उन्मुख होते हैं । काल पुरुष, माया और कालदूत आपको निशाना बनाकर अपना कार्य करने लगते हैं । इसलिये किसी भी बात पर पूर्ण विवेक से सोच विचार कर ही कोई बात तय करें । क्योंकि इसमें आपका ही हित अहित जुङा है । मेरा नहीं ।
आप सभी को नववर्ष 2014 की बहुत बहुत शुभकामनायें ।
2014 में ही सिर्फ़ अंग्रेजी जानने वालों के लिये हमने अपनी बेवसाइट शुरू की है । यधपि इसमें हिन्दी में भी लेखन होगा ।
सर्वोच्च " सुरति शब्द योग " के नाम से प्रसिद्ध आत्मज्ञान और सन्तमत का एकमात्र ज्ञान सहज योग, राजयोग, लययोग, आत्मयोग आदि नामों से भी जाना जाता है । खास अंग्रेजी ही जानने वाले वैश्विक जिज्ञासुओं के लिये इस बेवसाइट का निर्माण किया गया है । इस पर आपको दुर्लभ सहज योग के बारे में सभी जानकारी और आपकी सभी शंकाओं भ्रांतियों का समाधान आसानी से होगा । अधिक जानकारी हेतु लाग इन करें ।

http://www.supremeblissresearchfoundation.org/
और मेरे मार्गदर्शन और सरंक्षण में चलने वाली संस्था ।
सनातन धर्म और मानव उत्थान के लिये सतत प्रयत्नशील हमारी समर्पित संस्था " ज्ञानयोग धर्म चेतना समिति ( पंजी ), विनायक पुर, करहल जिला मैंनपुरी " द्वारा देश विदेश के सभी प्रेमी जनों को नववर्ष 2014 की बहुत बहुत शुभकामनायें । प्रभु आपके जीवन को सुख समृद्धि की रोशनी से सदा समृद्ध रखें । विनीत - सर्वेश शास्त्री ।
आपका नववर्ष मंगलमय हो । आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ।
Happy new Year 2014 to all
http://www.enlightenmentinsight.org/

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326