08 सितंबर 2010
भगवान का मन्त्रालय । ministry of god
मुझसे अक्सर लोग प्रश्न करते हैं कि कौन सा भगवान बडा है । क्योंकि शास्त्रों की घुमावदार बातों से लोग भृमित हो जाते हैं । यह एक दिलचस्प बात है कि संत मत sant mat ग्यान के लोगों को छोडकर ज्यादातर लोग बृह्मा । विष्णु । महेश से ऊपर की बात नहीं जानते । मैंने कई बार अपने लेखों में इस बात का जिक्र भी किया है । आपके आग्रह पर फ़िर से बता रहा हूं । पर थोडा हट के बता रहा हूं । इस त्रिलोकी सत्ता का सबसे बडा भगवान काल निरंजन है । जिसको बहुत समय पहले धर्मराज कहा जाता था । लेकिन जब इसने सतपुरुष की अंश अष्टांगी कन्या यानी आध्याशक्ति जिसे शास्त्र की भाषा में आदिशक्ति भी कहते हैं । को खा लिया । तब से इसका नाम काल या काल निरंजन पड गया । यही काल निरंजन राम और कृष्ण के रूप में अवतार लेता है । आमधारणा के विपरीत । जैसा कि लोग विष्णु को समझते हैं ।.. ये ठीक है कि अधिकतर छोटे अवतार जैसे वराह अवतार । कूर्म अवतार । वामन अवतार विष्णु लेते हैं । पर ये दो मुख्य पूर्ण अवतार काल निरंजन ही लेता है । जब काल निरंजन ने अष्टांगी कन्या को खा लिया । तब वह पिता समान सतपुरुष का ध्यान करके उनकी आग्या से काल निरंजन के उदर से बाहर आ गयी । वह काल से भयभीत थी । काल ने उससे कामभावना जाहिर की । जिसे भयभीत मगर बाद में आसक्त अष्टांगी कन्या ने मान लिया । और लम्बे समय तक दोनों ने कामक्रीडा की । जिसके फ़लस्वरूप बृह्मा । विष्णु । महेश का जन्म हुआ । इस तरह काल की स्थिति इस त्रिलोकी सत्ता में राष्ट्रपति की है । अष्टांगी कन्या जिसको माया महामाया । इच्छाशक्ति । आदिशक्ति । देवीशक्ति कहते हैं । ये इस समय काल निरंजन की पत्नी और बृह्मा । विष्णु । महेश की मां है । काल की पत्नी बनने के बाद ये उसी के रंग में रंग गयी । और इसने माया का रूप बना लिया । काल निरंजन जब राम या कृष्ण के रूप में अवतरित होता है । तब ये सीता और राधा के रूप में अवतार लेती है । आप लोगों को ध्यान होगा । सीताहरण के बाद सती ने जब राम की परीक्षा लेने के लिये सीता का रूप बना लिया था । तब शंकर ने उनको त्याग दिया था । और कहा था । कि सीता का रूप धरने के बाद वह सती को कामभावना से नही देख सकते । क्योंकि सीता उनकी मां है । इस तरह काल निरंजन और आध्याशक्ति । ये दोनों इस त्रिलोकी की प्रमुख शक्तियां हैं । और इनके तीनों पुत्र Head of the all department हैं । सभी प्रमुख मंत्रालय इन तीनों भाईयों के अधीन हैं । इसके बाद इन्द्र जैसे सिंचाई मन्त्री । वरुणदेव जैसे जल मन्त्री । पवनदेव वायु मन्त्रालय । अग्नि्देव फ़ायर मन्त्रालय । सरस्वती शिक्षा मन्त्रालय । लक्ष्मी वित्त मन्त्रालय आदि कार्य के अनुसार मन्त्रालय विभाजित हैं । लेकिन एक बात ध्यान रखना चाहिये कि इनमें से परमात्मा या सबसे बडी शक्ति कोई नहीं हैं । ये सब काल निरंजन के कर्मचारी है । परमात्मा यानी केन्द्रीय सत्ता त्रिलोकी की सीमा से ऊपर सत्यलोक यानी चौथे लोक से शुरू होती है । ये special department कहलाता है । यहां के एक छोटे से छोटे कर्मचारी के अधिकार और हैसियत त्रिलोकी के बडे से बडे पदाधिकारी को ललचाते हैं । इसमें भी काफ़ी पद हैं । मगर मुख्य पद ज्यादा नहीं हैं । ये पूरी सत्ता ही अलख । अगम्य । अगोचर । दुर्लभ कहलाती है । इसका एक सीमा तक संतो को ग्यान होता है । उसके बाद परमहंस को इसकी जानकारी होती है । केवल विहंगम मार्ग और
संत मत sant mat की दिव्य साधना DIVY SADHNA द्वारा इसको जाना जा सकता है । वास्तव में
आत्म दर्शन के द्वारा स्वरूप दर्शन..आत्मस्थिति संभव है । और तब परमात्मा के बारे में सही जाना जा सकता है । सही ग्यान प्राप्त किया जा सकता है । जो लोग इस सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी लेना चाहते हैं । या केवल 20 दिन से भी कम समय में चेतन समाधि का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं । वो इटावा मैंनपुरी के मध्य करहल के पास । ग्वारी आश्रम । में आ सकते हैं । इस सम्बन्ध में पूर्व शंका समाधान या कोई जिग्यासा आदि हेतु आप 0 9639892934 पर सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज...परमहँस से बात कर सकते हैं ।
सत्यसाहिब जी
सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था
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