निहतत से कैसे तत्त भया ? निरगुन ते गुणवंत ?
निहकर्म ते कैसे कर्म भया ? कहो समझ त्रितंत ।
सकल साज एक बूंद में ? जानत नाहीं कोय ।
कहें कबीर जिन जिव भूले । परमपरे भर्म सोय ।
यह चित्र बहुत लोगों को अधिक कठिन लगा । तो सरलता से समझने हेतु दूसरा सरल चित्रांकन किया ।
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