08 अप्रैल 2018

कबीर से कहना

राजीव जी नमस्कार,
मैंने आपके blog पर कुछ सवाल पूछे हैं, उनका उत्तर देने की  कृपा करें।
09/28/2017 6:16AM
सर आपने कोई answer नहीं दिया।
09/28/2017 2:44PM
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उत्तर - wait करो।
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Ok
09/28/2017 9:39PM
लेकिन कब तक?
09/29/2017 6:24AM
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उत्तर - प्रश्न पूछने के बाद 1 week तक लग जाता है, भले ही ans दूसरे दिन मिल जायें, पर इतना इंतजार जरूरी है।
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Ok
10/02/2017 8:37PM
राजीव जी अगर वहाँ blogspot पर आप मेरे सवालों का जबाब नही दे सकते, तो कृपया यहाँ दीजिये।
आप शादीशुदा हैं क्या?
देखिये जब तक आप मेरे सारे सवालों का जबाब पूरी तरह से नही देंगे, मैं आपका पीछा नही छोङूंगा..हा हा हा
मुझे आपसे बहुत कुछ पूछना है।
क्योंकि सोऽहंग नाम को प्रचलन में आपने लाया है।
मुझे गहराई से बतायें।
सोऽहंग को मैंने net पर बहुत search किया, लेकिन पढ़ा केवल आपके blog पर
आपके blog पर पढ़ने के बाद तो net पर ऐसे आग सी लग गयी।
यही नाम कई सन्तों द्वारा show करने लगा। इससे पहले केवल सोऽहम के बारे में ही सुना था।
अब काफ़ी सुनने को मिल रहा है।
मैंने शुरूआत ॐ से की थी। फ़िर सोऽहम मिला।
उस पर search किया, अब सोऽहंग मिला आपके द्वारा, यानी पता लगा।
आगे चलेंगे, तो शायद होऽहंग मिलेगा। यानी ये काल मेरे साथ पूरा खिलवाङ कर रहा है।
actually मैं सच्चे सदगुरू की तलाश में हूँ, जो मुझे शुरू से अन्त तक पूरा ज्ञान दे
आगे शायद होऽहंग के बारे में सुनने को मिले।
ये काल मुझे पूरा तरह उलझा रहा है।
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8/4/2018 9:48 am

Hello
कैसे हो राजीव जी?
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उत्तर - ठीक।
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कहाँ तक पहुँचे sir भक्ति मार्ग में?
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उत्तर - घर तक।
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यानी अनामी लोक तक या उससे भी आगे?
क्या आप रामपाल के बारे में जानते हैं?
आजकल youtube पर उनके बहुत video देखने को मिलते हैं।
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उत्तर - खास नहीं।
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लेकिन उसका ज्ञान कुछ अजीब सा है।
आप उनके शिष्यों के video youtube पर देखेंगे, तो उनके कुछ शिष्य सतलोक जाने का दावा करते हैं।
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उत्तर - जीवन अल्प है।
कार्य महत्वपूर्ण है।
और अपने ही गम बहुत हैं।
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हा हा great thing
अच्छा मुझे ये बतायें, सोऽहंग क्या सारशब्द है, या ये शुरूआत है?
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उत्तर - सोऽहंग - जीव मन वायु  
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समझा नही, जरा खोल के बतायें, आपका fan हूँ।
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उत्तर - मन से उत्पन्न वासना वायु, जो ब्रह्म को जीव में बदल देती है।
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पता नहीं, सतपुरूष ने क्या सोचा है मेरे बारे में।
Ok मान लीजिये मैं शिवानन्द से दीक्षा ले लूँ, तो शुरूआत कैसे होगी? 
क्योंकि मैं अनुभव नहीं, सतपुरूष को साकार रूप में देखना और उनसे बात करना चाहता हूँ। 
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उत्तर - हा हा, दिवा-स्वपन।
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दिवा स्वपन क्या है?
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उत्तर - बेसिर-पैर की कल्पना।
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Ok यानी ऐसा कल्पना में ही हो सकता है।
आपके गुरू का ज्ञान read किया था मैंने, उन्होंने तो काफ़ी कुछ बताया है।
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उत्तर - अच्छा! ऐसा..
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हाँ, ऐसा ही,
उन्होंने तो सतलोक, अलख लोक, अगम लोक और अनामी लोक के बारे में कबीर की वाणी में समझाया है।
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उत्तर - सोच अपनी अपनी ।
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आप गुरूजी से अलग क्यों हो गये?
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उत्तर - जुङे कब थे?
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आप अपने blog पर तो उनका खूब जोर-शोर से प्रचार करते हैं।
वैसे आपकी सोऽहंग वाली बात काफ़ी अच्छी लगी।
काल को जीव में बदल देती है ये वायु।
वासना भर देती है, जीव के अन्दर।
राधास्वामी पंथ में भी सोऽहंग का जाप दिया जाता है, लेकिन वो लोग भटक रहे हैं
सोऽहंग सीधे शब्दों में आपके according चलें तो सोऽहंग को हंऽसो कर दो, यही सत्य है ना।
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उत्तर - 100%
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सोऽहंग first name हो गया, second और third क्या है?
यानी मैं आपके संकेतों को समझ रहा हूँ।
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उत्तर - all - self presound
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क्या मुझे ये direct स्वांस पर ध्यान देना चाहिये, या गुरू के आशीर्वाद के बाद?
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उत्तर - as u like
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English नही आती हिन्दी में बतायें गुरूजी।
All self presound क्या?
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उत्तर - सभी - स्वस्फ़ूर्ति ध्वनि (शब्द)
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लेकिन डरता हूँ, बिना गुरू स्वासो हंऽसो पर ध्यान दूँ, तो आपके वाली position ना आ जाये।
जैसे आप हो गये थे six month में,
भटकाइये मत, सही सही बतायें, मैं आपसे काफ़ी सन्तुष्ट हूँ।
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उत्तर - मृत्यु, या किसी गम्भीर परिणाम से भयभीत को, इससे दूर ही रहना चाहिये।
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लेकिन ज्ञान तो चाहिये गुरूजी, कैसे लूँ?
डर भी तो काल ने ही पैदा कर रखा है।
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उत्तर -
ज्ञान का पंथ कृपाण की धारा।
तनिक डिगे तो आरमपारा।
जो है, उसको स्वीकारना, भोगना ही नियति है।
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गुरू बिना कैसा ज्ञान? और मैं तो आपको गुरू मानने लगा हूँ कहीं न कहीं।
अबकी बार कबीर से मिलें तो कहना, राजेश नाम का युवक है, उस पर भी जरा सा ध्यान दे लो। भटक रहा है।
कभी शिवानन्द पर ध्यान देता है, कभी रामपाल पर ध्यान देता है, तो कभी प्रकाशमुनि पर, कभी गरीबदास पर, तो कभी गुरूनानक पर, कभी धर्मदास पर, कभी राजीव कुलश्रेष्ठ पर..
कभी मधु परमहंस पर, कभी ओशो पर।
अब एक गुरू से और बात करना चाहता है, छोटे गुरू, पर उसे सही मार्ग दिखाये।

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