सरयू में उफ़ान । 10 दिसम्बर को होगा प्रथ्वी का परिकृमा चक्र पूरा । और तब होगा नये सूर्य का उदय । 100 लाख हेक्टेयर में नया जंगल बनेगा । टूटेगी मथुरा ।
ये चार संकेत मुझे लिखे हुये कृम में ही कई कई दिनों के अंतराल में एक एक करके मिले । कुछ अंतरिक्षीय बदलाव के अलग से भी थे । पर वे इतने जटिल सूक्ष्म विज्ञान आधारित थे कि मेरे लिये उन्हें आपको समझा पाना मुश्किल होगा । सरयू में उफ़ान, संकेत लगभग एक महीने पहले का है । नये सूर्य का उदय कोई दस बारह दिन पहले का । जंगल वाला अभी चार दिन पहले और मथुरा वाला परसों का । पिछले संकेतों पर आप लोगों ने कई प्रश्न किये । वास्तव में ये संकेत उन्हीं संकेतों की कृम श्रंखला ही हैं ।
जैसा कि मेरे नियमित पाठकों को ज्ञात होगा । मैंने 2011 में एक लेख लिखा था - 11-11-2011 को प्रथ्वी का जीव लेखा जोखा समाप्त हो चुका । इसका अर्थ था कि परमात्म तन्त्र की जो वैधानिक व्यवस्था और खास जीवात्माओं के पूर्व संचित भाग्य से जो सुख दुख हानि लाभ के अवसर बनते हैं । वह वैधानिक स्तर पर समाप्त प्रायः हो गये । ऐसी स्थिति में जो पूर्व से सुदृढ स्थिति में था । वही इस समयावधि में कम प्रभावित रहा । रहेगा ।
बहुत से लोग इस बीच के समयांतराल में घटित होने वाले प्रमुख घटनाकृमों के बारे में मुझसे जानने के इच्छुक रहे । जो एकदम सटीक और विस्तार विवरण के तौर पर मैं सबको नहीं बता पाया । पर वह सब कुछ स्पष्ट संकेतों के द्वारा प्रलय सम्बन्धित विभिन्न लेखों में मैंने लिखा । और आज की तारीख तक उनमें से बहुत कुछ घटित हो चुका । और बहुत घटित हो रहा है । और बहुत घटित होने वाला है ।
मुझे याद है । इस अंश प्रलय की जब मैंने एक गुप्त चर्चा में भाग लिया था । वो 2010 का शायद मई महीना था । उस समय बहुत संभावना दिसम्बर 2012 में प्रलय घटनाओं के शुरूआत होने की थी । लेकिन टलने की संभावना भी उतनी ही थी । और ऐसा ही हुआ । दिसम्बर 2012 के आसपास ऐसे प्रलय संकेत सिर्फ़ प्रतीकात्मक झलक जैसे ही रहे । लेकिन फ़िर 2014-15 में संभावना प्रभावी रूप से थी । और मैंने स्पष्ट कहा था । प्रलय का जैसा पौराणिक धार्मिक चित्र आप सोचते हैं । उस तरह प्रलय कभी नहीं होती । अतः ये बेहद प्राकृतिक और वैज्ञानिक तरीके से सब कुछ व्यवस्थित ढंग से करती हुयी नयी व्यवस्था करेगी । जबकि आप एकदम उठापटक और फ़िल्मी अन्दाज सा कल्पना करते हैं ।
खैर..जैसा कि मैंने पहले भी कहा । प्रलय संकेतों के आये शब्द मैं हूबहू ही लिखता हूँ । अतः ऊपर के संकेत भी ज्यों के त्यों ही हैं ।
अब इन संकेतों का आपकी मांग पर खुलासा करता हूँ । सरयू में उफ़ान का क्या अर्थ है । मुझे स्पष्ट नहीं । कब ? ये भी स्पष्ट नहीं ।
10 दिसम्बर को होगा प्रथ्वी का परिकृमा चक्र पूरा । और तब होगा नये सूर्य का उदय । इसका मतलब यह है कि प्रथ्वी पर जीवों और खुद प्रथ्वी का एक निश्चित कार्यकाल होता है । जैसे कि विभिन्न सरकारी तन्त्रों और व्यक्तियों का प्रथ्वी पर होता है । वह कार्यकाल पूर्ण हो जाने पर नया कार्यकाल फ़िर नये तरीके से आरम्भ होता है । इसी को चक्र कहा जाता है । यानी प्रथ्वी और सूर्य जो ( दो तरह से । धुरी और दूसरे ग्रह के ) चक्कर लगाते हैं वह गिनती । अतः 10 दिसम्बर को प्रथ्वी और सूर्य दोनों का कार्यकाल खत्म हो रहा है । और नये की शुरूआत होगी । अभी ये भी तय नहीं कि ये नया ठीक 11 दिसम्बर को ही हो जायेगा । या कुछ और समय बाद । पर इतना तय है । तब तक परिवर्तन दिखने लगेगा । और समझ में आने लगेगा । जैसा कि मैं पहले ही बता चुका 31 अगस्त से बङी घटनाओं के संकेत हैं । और आप देख ही रहे हैं । तमाम स्तरों पर वैसा माहौल भी बनता जा रहा है ।
100 लाख हेक्टेयर में नया जंगल बनेगा । इसका अर्थ ये है कि वर्तमान में जो रिहायशी जमीन है । उसमें 100 लाख हेक्टेयर जंगल में बदल जायेगी । प्रथ्वी पर जो पहले से ही जंगल है । उससे इसका कोई सम्बन्ध नहीं । ये अतिरिक्त और शहरी क्षेत्र में होगी । ये बात किसी एक स्थान या एक क्षेत्रफ़ल के लिये भी नहीं । बल्कि इतनी भूमि चाहे कितने ही टुकङों में हो । वह कुल योग 100 लाख हेक्टेयर होगा ।
टूटेगी मथुरा । संकेत को लेकर भी मैं एकदम स्पष्ट नहीं हूँ । पर मुझे कुछ संभावनायें प्रबल लग रही हैं । देश के राजनीतिक हालात और अस्थिरता देखते हुये इस धार्मिक स्थान पर कोई हमला आदि करके घोर अराजकता फ़ैलाने की कोशिश की जायेगी । मथुरा दो खंडों में विभाजित हो जायेगी । ये उस संकेत का विस्तार है । मुझे एक और भी बात लगती है । आध्यात्म में मथुरा " मन " को कहा जाता है । और तब इसका सीधा सा अर्थ है कि प्रथ्वी पर जीवन की मनःस्थिति दो रूपों में विभाजित हो जायेगी । एक सांसारिक ( मन धर्म ) प्रवृति और एक आत्मिक ( आत्म धर्म ) प्रवृति ।
सूक्ष्मता से और गूढ अर्थों में समझने हेतु ध्यान रखें । जो चीजें सूक्ष्म और अदृश्य में आंतरिक रूप से घटित होंगी । वे अपने बाह्य रूप स्ठूल और दृश्य रूप भी घटित होंगी । इसलिये बात को पूर्णरूपेण समझने जानने हेतु सिर्फ़ स्थूल नजरियें से न देखें । बाकी यदि कुछ बताने स्पष्ट करने योग्य मेरी जानकारी में आयेगा । वह मैं आपको बताता ही रहूँगा ।
ये चार संकेत मुझे लिखे हुये कृम में ही कई कई दिनों के अंतराल में एक एक करके मिले । कुछ अंतरिक्षीय बदलाव के अलग से भी थे । पर वे इतने जटिल सूक्ष्म विज्ञान आधारित थे कि मेरे लिये उन्हें आपको समझा पाना मुश्किल होगा । सरयू में उफ़ान, संकेत लगभग एक महीने पहले का है । नये सूर्य का उदय कोई दस बारह दिन पहले का । जंगल वाला अभी चार दिन पहले और मथुरा वाला परसों का । पिछले संकेतों पर आप लोगों ने कई प्रश्न किये । वास्तव में ये संकेत उन्हीं संकेतों की कृम श्रंखला ही हैं ।
जैसा कि मेरे नियमित पाठकों को ज्ञात होगा । मैंने 2011 में एक लेख लिखा था - 11-11-2011 को प्रथ्वी का जीव लेखा जोखा समाप्त हो चुका । इसका अर्थ था कि परमात्म तन्त्र की जो वैधानिक व्यवस्था और खास जीवात्माओं के पूर्व संचित भाग्य से जो सुख दुख हानि लाभ के अवसर बनते हैं । वह वैधानिक स्तर पर समाप्त प्रायः हो गये । ऐसी स्थिति में जो पूर्व से सुदृढ स्थिति में था । वही इस समयावधि में कम प्रभावित रहा । रहेगा ।
बहुत से लोग इस बीच के समयांतराल में घटित होने वाले प्रमुख घटनाकृमों के बारे में मुझसे जानने के इच्छुक रहे । जो एकदम सटीक और विस्तार विवरण के तौर पर मैं सबको नहीं बता पाया । पर वह सब कुछ स्पष्ट संकेतों के द्वारा प्रलय सम्बन्धित विभिन्न लेखों में मैंने लिखा । और आज की तारीख तक उनमें से बहुत कुछ घटित हो चुका । और बहुत घटित हो रहा है । और बहुत घटित होने वाला है ।
मुझे याद है । इस अंश प्रलय की जब मैंने एक गुप्त चर्चा में भाग लिया था । वो 2010 का शायद मई महीना था । उस समय बहुत संभावना दिसम्बर 2012 में प्रलय घटनाओं के शुरूआत होने की थी । लेकिन टलने की संभावना भी उतनी ही थी । और ऐसा ही हुआ । दिसम्बर 2012 के आसपास ऐसे प्रलय संकेत सिर्फ़ प्रतीकात्मक झलक जैसे ही रहे । लेकिन फ़िर 2014-15 में संभावना प्रभावी रूप से थी । और मैंने स्पष्ट कहा था । प्रलय का जैसा पौराणिक धार्मिक चित्र आप सोचते हैं । उस तरह प्रलय कभी नहीं होती । अतः ये बेहद प्राकृतिक और वैज्ञानिक तरीके से सब कुछ व्यवस्थित ढंग से करती हुयी नयी व्यवस्था करेगी । जबकि आप एकदम उठापटक और फ़िल्मी अन्दाज सा कल्पना करते हैं ।
खैर..जैसा कि मैंने पहले भी कहा । प्रलय संकेतों के आये शब्द मैं हूबहू ही लिखता हूँ । अतः ऊपर के संकेत भी ज्यों के त्यों ही हैं ।
अब इन संकेतों का आपकी मांग पर खुलासा करता हूँ । सरयू में उफ़ान का क्या अर्थ है । मुझे स्पष्ट नहीं । कब ? ये भी स्पष्ट नहीं ।
10 दिसम्बर को होगा प्रथ्वी का परिकृमा चक्र पूरा । और तब होगा नये सूर्य का उदय । इसका मतलब यह है कि प्रथ्वी पर जीवों और खुद प्रथ्वी का एक निश्चित कार्यकाल होता है । जैसे कि विभिन्न सरकारी तन्त्रों और व्यक्तियों का प्रथ्वी पर होता है । वह कार्यकाल पूर्ण हो जाने पर नया कार्यकाल फ़िर नये तरीके से आरम्भ होता है । इसी को चक्र कहा जाता है । यानी प्रथ्वी और सूर्य जो ( दो तरह से । धुरी और दूसरे ग्रह के ) चक्कर लगाते हैं वह गिनती । अतः 10 दिसम्बर को प्रथ्वी और सूर्य दोनों का कार्यकाल खत्म हो रहा है । और नये की शुरूआत होगी । अभी ये भी तय नहीं कि ये नया ठीक 11 दिसम्बर को ही हो जायेगा । या कुछ और समय बाद । पर इतना तय है । तब तक परिवर्तन दिखने लगेगा । और समझ में आने लगेगा । जैसा कि मैं पहले ही बता चुका 31 अगस्त से बङी घटनाओं के संकेत हैं । और आप देख ही रहे हैं । तमाम स्तरों पर वैसा माहौल भी बनता जा रहा है ।
100 लाख हेक्टेयर में नया जंगल बनेगा । इसका अर्थ ये है कि वर्तमान में जो रिहायशी जमीन है । उसमें 100 लाख हेक्टेयर जंगल में बदल जायेगी । प्रथ्वी पर जो पहले से ही जंगल है । उससे इसका कोई सम्बन्ध नहीं । ये अतिरिक्त और शहरी क्षेत्र में होगी । ये बात किसी एक स्थान या एक क्षेत्रफ़ल के लिये भी नहीं । बल्कि इतनी भूमि चाहे कितने ही टुकङों में हो । वह कुल योग 100 लाख हेक्टेयर होगा ।
टूटेगी मथुरा । संकेत को लेकर भी मैं एकदम स्पष्ट नहीं हूँ । पर मुझे कुछ संभावनायें प्रबल लग रही हैं । देश के राजनीतिक हालात और अस्थिरता देखते हुये इस धार्मिक स्थान पर कोई हमला आदि करके घोर अराजकता फ़ैलाने की कोशिश की जायेगी । मथुरा दो खंडों में विभाजित हो जायेगी । ये उस संकेत का विस्तार है । मुझे एक और भी बात लगती है । आध्यात्म में मथुरा " मन " को कहा जाता है । और तब इसका सीधा सा अर्थ है कि प्रथ्वी पर जीवन की मनःस्थिति दो रूपों में विभाजित हो जायेगी । एक सांसारिक ( मन धर्म ) प्रवृति और एक आत्मिक ( आत्म धर्म ) प्रवृति ।
सूक्ष्मता से और गूढ अर्थों में समझने हेतु ध्यान रखें । जो चीजें सूक्ष्म और अदृश्य में आंतरिक रूप से घटित होंगी । वे अपने बाह्य रूप स्ठूल और दृश्य रूप भी घटित होंगी । इसलिये बात को पूर्णरूपेण समझने जानने हेतु सिर्फ़ स्थूल नजरियें से न देखें । बाकी यदि कुछ बताने स्पष्ट करने योग्य मेरी जानकारी में आयेगा । वह मैं आपको बताता ही रहूँगा ।
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