07 मार्च 2014

लिंक्स राजीव दीक्षित की PDF पुस्तकें

प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवन भर उनसे उऋण नहीं हो सकता है । तुलसी भी ऐसा ही 1 अनमोल पौधा है । जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है । सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं । आइये जाने कि तुलसी का पौधा हमारे किस किस काम आ सकता है ।  तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है । विशेषकर सर्दी खांसी व बुखार में यह अचूक दवा का काम करती है । इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है ।
- तुलसी हिचकी, खांसी, जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है । इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है । यह दुर्गंध भी दूर करती है ।
- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है । यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है ।
- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है । तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है । ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे । और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो । तो उसे खत्म कर दे । शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है । सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है ।
तुलसी की मुख्य जातियां - तुलसी की मुख्यत: 2 प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं । इन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है । रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है । इसलिए इसे गौरी कहा जाता है । श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है । इसमें कफनाशक गुण होते हैं । यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है । तुलसी की 1 जाति वन तुलसी भी होती है । इसमें जबरदस्त जहर नाशक प्रभाव पाया जाता है । लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है । आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है । 1 अन्य जाति मरूवक है । जो कम ही पाई जाती है । राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है ।
मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी - मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी 1 कारगर औषधि है । तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है । जुकाम के कारण आने वाले बुखार में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए । इससे बुखार में आराम मिलता है । शरीर टूट रहा हो । या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है । तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें । आराम मिलेगा ।
- साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है ।
- तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है ।
- तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है ।
- 4-5 लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है ।
- शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए । तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है ।
- किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है ।
- फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है ।
- तुलसी थकान मिटाने वाली 1 औषधि है । बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है ।
- प्रतिदिन 4-5 बार तुलसी की 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है ।
- तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है । इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है ।
- तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए । तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है ।
- तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें । कम से कम 1 सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें । यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं ।
- दिल की बीमारी में यह अमृत है । यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है । दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए ।
- शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है ।
- इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है । एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है । यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है ।
- तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है ।
- चाय ( बिना दूध की ) बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं । तो सर्दी बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है ।
- 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है ।
- तुलसी के काढ़े में थोड़ा सा सेंधा नमक एवं पिसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है ।
- दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है ।
- 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी काली मिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है ।
- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है ।
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हार्ट अटैक - 99%  ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है - पीपल का पत्ता । पीपल के 15 पत्ते लें । जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों । बल्कि पत्ते हरे कोमल व भली प्रकार विकसित हों । प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें । पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें । इन्हें 1 गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें । जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए । तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें । और उसे ठंडे स्थान पर रख दें । दवा तैयार ।
इस काढ़े की 3 खुराकें बनाकर प्रत्येक 3 घंटे बाद प्रातः लें । हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार 15 दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है । और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती । दिल के रोगी इस नुस्खे का 1 बार प्रयोग अवश्य करें । पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अदभुत क्षमता है । इस पीपल के काढ़े की 3 खुराकें सवेरे 8 बजे 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं । खुराक लेने से पहले पेट एकदम खाली नहीं होना चाहिए । बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें । प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें । मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें । नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें । अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथीदाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें । तो अब समझ आया । भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्ट शेप क्यों बनाया ?
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यदि तिल्ली और जिगर में सूजन हो । तो अदरक का रस और शहद मिलाकर गर्मी के मौसम में शर्बत बनाकर पीएं । इससे बहुत लाभ होता हैं । यदि सर्दी का मौसम हो । तो गर्म पानी में शहद मिलाकर ले सकते हैं । तिल्ली की सूजन की शिकायत दूर करने के लिए शहद में सोंठ का चूर्ण मिलाकर चाटना लाभप्रद रहता है । दिन में 3 बार ऐसा कर सकते हैं । ऐसा करने से 1 सप्ताह में ही तिल्ली सिमट जाती है ।
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आयुर्वेदिक चिकित्सा किताबों के लिंक्स, राजीव दीक्षित की PDF पुस्तकें । स्वदेशी चिकित्सा 1 - दिनचर्या, ऋतुचर्या के आधार पर 3.79 MB
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/SwadeshiChikitsa-1.pdf

स्वदेशी चिकित्सा 2 - बीमारी ठीक करने के आयुर्वेदिक नुस्ख़े 3.39 MB 
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/SwadeshiChikitsa-2.pdf

स्वदेशी चिकित्सा 3 - बीमारी ठीक करने के आयुर्वेदिक नुस्ख़े 3.44 MB 
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/SwadeshiChikitsa-3.pdf

स्वदेशी चिकित्सा 4 - गंभीर रोगों की घरेलू चिकित्सा 3.70 MB 
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/SwadeshiChikitsa-4.pdf

गौ पंचगव्य चिकित्सा 3.94 MB
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/GaumataPanchagavyaChikitsa.pdf

गौ - गौवंश पर आधारित स्वदेशी कृषि 3.61 MB
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/Gau-GauVanshParAdharitSwadeshiKrushi.pdf

आपका स्वास्थ्य आपके हाथ 3.23 MB
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/AapkaSwasthyaAapkeKeHaath.pdf

स्वावलंबी और अहिंसक उपचार 3.12 MB
http://archive.org/download/RajivDixitBooks/SwalambiAurAhinsakUpchar.pdf

Refined तेल का भ्रम  1.01 MB
http://www.scribd.com/document_downloads/direct/208690063?extension=pdf&ft=1394205962&lt=1394209572&user_id=58321120&uahk=sq0txDD5NsiizP1Y8ReSs+MG6c8

Source -
http://rajivdixitbooks.blogspot.in

दैनिक जीवन में काम आने वाला आयुर्वेद आसान भाषा में MP3 files में 919 MB 
https://onedrive.live.com/?cid=E0EC15B0F596BB8A#cid=E0EC15B0F596BB8A&id=E0EC15B0F596BB8A%21619


आरोग्य आपका by Mr. Chanchal Mal Chordia   165.81 MB 
http://www.scribd.com/document_downloads/direct/207996448?extension=pdf&ft=1394199475&lt=1394203085&user_id=58321120&uahk=gmB3nQzV8pQz3wg2rR/Jkh0TqRY

चिकित्सा पद्धतियां
http://chordiahealthzone.in/?page_id=1496
Source - 
http://chordiahealthzone.in/?page_id=989
http://chordiahealthzone.in/?page_id=1945
http://www.scribd.com/cmchordia/documents

चरक संहिता
http://archive.org/search.php?query=charak%20AND%20collection%3Aopensource
http://www.astrojyoti.com/charkasamkitasanskrit.htm

http://www.scribd.com/doc/167254162/ras-tantra-sar-v-sidh-prayog-sangrah
http://kalera.in/Publications.htm
http://www.readwhere.com/preview/6100/Heart-Mafia/vol/194762
http://www.ignca.nic.in/coilnet/kabir016.htm

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