15 दिसंबर 2011

हर रहस्य उजागर नहीं किया जाता



अरे मेरे प्यारे राजा ! तू कभी मेरी गाली का बुरा मत मानना । मैं दिल से गाली नहीं देता । तेरे साथ थोङा हिल जुल लेता हूँ । तेरे गाल पर मेरी तरफ़ से प्यार भरी पप्पी । जैसे नसीरूद्दीन शाह विधा बालन के गाल पर लेता है ।
जो कहानी लिख रही है । उस कहानी में किसी भी पूजनीय देवी देवता आदि का मजाक मत उङाना । मैं द्वैत और अद्वैत दोनों का महत्व समझता हूँ । कार साइकिल से बेहतर है । लेकिन जहाँ कार न जा सके । वहाँ साइकिल से पहुँचा जा सकता है । नहीं तो पैदल ही यात्रा करनी पडती है । जैसे तमाम तन्त्र विध्या के स्वामी शंकर भगवान हैं । कृष्ण जी श्रेष्ठ योगेश्वर के रूप में अलग अहमियत रखते हैं । इस तरह सबकी अपनी अपनी जगह पूरी की पूरी अहमियत है । लेकिन हर आत्मा सतपुरुष का ही अंश है । सत्य पुरुष ही सबसे बडे हैं । ये भी 1 सत्य है । इसलिये सिक्के के दोनों पहलू देखने चाहिये । लेकिन ये जो ...ले छोटे मोटे ( एक जाति धर्म ) लोग हैं । जो काला इल्म । जादू टोना । टोटका या किसी नीच शक्तियों या भूत प्रेतों के बल पर लोगों का नुकसान करते हैं । अगर तुम्हारा मूड हुआ । तो इन ...लों की अच्छी तरह पोल जरुर खोल देना । क्योंकि ये साले हमारे प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों के पेशाब के बराबर भी नहीं हैं । बाकी रही बात । राजा मैंने तुम्हें कामेडी लेख तो भेजना था । लेकिन मैं तुम्हारे ब्लाग से अष्टावक्र गीता डाउनलोड कर रहा था । कभी कोई लिंक ठीक से डाउनलोड हो जाता था । कभी कोई प्राब्लम आ जाती थी । फ़िर उसे ध्यान से सुनना भी होता था । वैसे आजकल ठण्ड का मौसम है । शादियों का सीजन है । इसलिये अक्सर किसी न किसी पार्टी में जाना पङ जाता है । कालेज को अगले

सप्ताह से छुट्टियाँ है । इस हफ़्ते लङकियों के पेपर खत्म हो जायेंगे । इसलिये किसी न किसी कारण वश मैं तुम्हें कामेडी लेख नहीं भेज सका । लेकिन मौका मिलते ही चौका लगाने की कोशिश करुँगा । तुम 1 जरुरी काम और कर दो । ये काम तुम कल तक या परसों तक कर दो । ये बात मेरे दिल में पिछले कुछ दिन से थी । मैंने आजकल अक्सर देखा है कि औरते ..तड उभार रही हैं । और मर्द ..न्ड निकाल कर घूम रहे हैं । सा.. ऐसे बेफ़िकर है । जैसे आगे बहार आने वाली है । तुम 2012 से रिलेटिड आखिरी लेख लिखो । आखिरी चेतावनी की तरह । मैंने अक्सर देखा है कि लोग 2012 की बात पर विश्वास नहीं कर रहे । सब ...ले प्लानिंग बना रहे है । अब आगे ये कर देना । या वो कर देना है । मैं ये भी समझता हूँ कि हर रहस्य उजागर नहीं किया जाता । लेकिन मैं सिर्फ़ मोटी मोटी जानकारी 1 आखिरी चेतावनी के तहत छपवाना चाहता हूँ । जैसे तुम्हारे ही किसी लेख में 7 जनवरी 2012 से खतरे का जिकर आया था । फ़िर 12 दिसम्बर 2012 यानि 12.12.12 को भी खतरा । 2017 तक या 2020 तक पूरी कारवायी हो जायेगी । नव निर्माण कैसा होगा । कब से सतयुग शुरु होगा  वगैरह वगैरह । तुम कल तक या परसो तक 2012 के शुरु से लेकर पूरी खण्ड प्रलय के खत्म होने तक । और उसके बाद की स्थिति पर 1 बडा सा आखिरी लेख जल्दी लिखो । ये लेख तुम कहानी छ्पने से पहले ही लिख दो । क्योंकि 2011 खत्म होने मे तकरीबन आधा महीना ही रह गया है । अन्त मे फ़िर से कहूँगा कि तुम कभी मेरी गाली का बुरा मत मानना । तू तो मेरा राजा बेटा है । मैं तेरा अंकल भी हूँ । तेरे दूसरे गाल पर भी पप्पी. पुच्च ....पुच्च ।
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विनोद त्रिपाठी नाम का अर्थ - ये संयोग ही है । अद्वैत ज्ञान में मेरा प्रवेश जिस एकमात्र व्यक्ति के साथ हुआ ।

उनका नाम प्रोफ़ेसर विनोद दीक्षित ही है । उच्च कुल । शिक्षित परिवार । और धनाढय वर्ग से आये दीक्षित डिग्री कालेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं । इसके अतिरिक्त भी विनोद नाम के कई व्यक्ति मेरी जिन्दगी में करीबी रहे । यथा नाम तथा गुण । प्रायः लोग इस बात को नहीं जानते कि व्यक्ति का नाम किसी पण्डित या घर के सदस्य द्वारा यूँ ही नहीं रख दिया जाता । साधारणतया रखे गये नाम के पीछे पदार्थ और गुण स्वभाव आदि का बहुत बङा बिज्ञान छुपा होता है । यदि विनोद त्रिपाठी  नाम की जगह अर्जुन सिंह नाम बदल कर रख दिया जाये । तो जन्म संस्कार के 50% और इस नाम के 50% गुण प्रभाव  इसी नाम के व्यक्तित्व में समय के साथ साथ घुलने लगेंगे । क्योंकि अक्षर धातु पुकारने और व्यवहार के साथ साथ क्रियात्मक बदलाव शुरू कर देगी । इसलिये विनोद शब्द विनोदी यानी हँसी मजाक का प्रतिनिधित्व करता है । और त्रिपाठी के स्थूल अर्थ में न जाकर गूढता की बात करें । तो ये तीन गुणों - सत रज तम का इशारा करता है । क्योंकि समस्त जीवन के यही तीन पाठ हैं । यानी तीन गुणों का समान % मौजूद होना । इसलिये मुझे विनोद त्रिपाठी या अन्य किसी से भी कभी कोई परेशानी महसूस नहीं होती । गीता कहती है - गुण गुणों में बरत रहें हैं । और हर मनुष्य स्वभाव अनुसार उपकरण मात्र हैं । हरेक इंसान अपनी भूमिका निभा रहा है । आप यदि एक ही नाम के कई व्यक्तियों को कुछ करीब से जानते हों । तो अध्ययन करना । उनमें कुछ मूल बातें समान होंगी ।
कहानी - जैसा कि मैंने पहले भी स्पष्ट किया । प्रेत कथा लिखते समय पता नहीं क्यों बहुत सी बाधायें आती हैं । 2 dec से 11 dec 2011 तक छत पर एक कमरे का निर्माण हुआ । इसी भारी शोरगुल के बीच मैंने जैसे तैसे समय मिलने पर कहानी लिखी । जो अभी तक 8 भाग लगभग लिख गयी । इसके बाद मुझे अष्टावक्र महागीता के 26 भाग एक साथ प्राप्त हुये । अब बात ये थी कि मुझसे कभी कभी धोखे में मेल डिलीट हो जाती है । इसलिये महत्वपूर्ण मेल मैं प्रथम डाउनलोड कर लेता हूँ । तो मेरे समय के अनुसार 26 part डाउनलोड करने में पूरा डेढ दिन का समय लग गया । फ़िर मैंने सोचा कि कहानी तो लिखती रहेगी । ये बहुत महत्वपूर्ण है । सर्दियों में पाठक आराम से इसको डाउनलोड करके सुनेंगे । तो उन्हें कहानी की तुलना लाख गुना लाभ होगा । क्योंकि इसमें हँसी मजाक सेक्स धार्मिक पाखण्ड आदि दुनियाँ के सभी विष्यों पर विस्त्रत चर्चा है । मैं यह भी कहना चाहूँगा कि जो लोग दान पुण्य आदि परमार्थ कार्यों के इच्छुक रहते हो । वे इस महागीता की दो CD राइट करा लें । क्योंकि सबके पास कम्प्यूटर नहीं होता । जबकि CD अधिकांश लोगों के पास है । दूसरे अधिकतर कम्प्यूटर की ध्वनि क्षमता अधिक नहीं होती । और इन mp3 फ़ाइल्स में आवाज अधिक नहीं है । तब CD द्वारा उच्च ध्वनि पर इसको सपरिवार सुनने का आध्यामिक लाभ लें । दूसरे दो ब्लेंक CD की कीमत लगभग 15 रु है । अगर आप किन्ही बुजुर्ग धार्मिक प्रवृति और हठी प्रवृति के लोगों को भी इसे दान कर देंगे । तो निश्चय ही उनमें आंतरिक आध्यात्मिक बदलाव होगा । और आध्यात्म उन्मुख करना सबसे बङा पुण्य है । अब कहानी की बात

पर आते हैं । महागीता के डेढ दिन डाउनलोड में । और अगले 2 दिन अपलोड और पोस्ट करने में । अभी फ़ुरसत हुआ ही था कि शिकायत मिली । डाउनलोड करने में दिक्कत आ रही है । तब सभी लिंको की डायरेक्ट डाउनलोड लिंक पोस्ट तैयार करने । पोस्ट करने । में पूरा एक दिन लगा । तब बात बनी । यानी बीच के साढे चार दिन व्यय हुये ।
थोङी टेंशन कम हुयी कि मुझे उपलब्ध समय में बिजली रानी आँख मिचौली खेलने लगी । स्थानीय कटौती और लखनऊ से कटौती । अँधेरा कहानी के वक्त की तरह अखबार में खबर आने लगी - बिजली कटौती से हुआ आगरा बेहाल आदि । और इसके बाद त्रिपाठी जी की इस लेख की सलाह । ये थे । आज तक । अब तक के समाचार । तो देखते रहिये । कल तक । सबसे तेज । आज तक । किसी भी पूजनीय देवी देवता आदि का मजाक - अद्वैत का मुख्य सिद्धांत यही है कि - वही एक आत्मा सबके अन्दर विराजमान है । और दूसरा कोई है ही नहीं । फ़िर किसका और कैसा मजाक बनाना । वास्तविक मजाक झूठी आस्थाओं का है । गलत परम्पराओं रिवाजों का है । ये सब तो अलौकिक दिव्य सत्ता के अंग हैं । एक दिन सन्त समागम में बात हो रही थी कि बहुत से लोग सूर्य को ही भगवान मान लेते हैं । जबकि सूर्य एक देवता है । शरीर में दाँयी आँख सूर्य की प्रतीक स्थिति है । और बाँयी आँख चन्द्र की । अब 12 महीने के नियुक्त सूर्य पुरुष भी 12 ही हैं ।

उनके 12 अलग अलग नाम हैं । सूर्य के रथ में 6-7 अन्य सहयोगी देव अप्सरा यक्ष आदि एक महीना डयूटी करते हैं । फ़िर नये आ जाते हैं । ऐसे खेल है । अब कोई सूर्य को भगवान मान लें । तो कितनी बङी अज्ञानता है । तब मजाक सूर्य का नहीं । अज्ञान स्थिति का है । इसी कृम में काली देवी पर बलि चढाने की अज्ञानता की बात चल गयी । तब सन्तों ने कहा - यदि कोई देवी - जीव हत्या । रक्त पिपासु और निर्दय भाव है । तब वह देवी किस दृष्टिकोण से हुयी । यह तो राक्षसी  प्रवृति है । सोचने वाली बात है । आज तक काली देवी ने किसी से कहा - मुझे बलि दो । ये सब इंसान की मनगढंत सोच ही है । रामकृष्ण परमहँस काली के उच्च स्थिति भक्त थे । उन्होंने कितनी बलि दी । या देवी ने उनसे माँगी । खैर..अभी समय कम है । और भी स्पष्ट बात फ़िर कभी ।
अष्टावक्र गीता डाउनलोड - मेरी आप सभी को सलाह है । इसे डाउनलोड अवश्य करें । ये रहस्य है । निश्चय ही आप इसे सुनकर चौंक जायेंगे ।
2012 के शुरु से लेकर पूरी खण्ड प्रलय के खत्म होने तक - नबम्बर माह के कुछ पहले से ही मेरी अजीब ध्यान स्थिति है । अन्दर जाते ही सन्नाटा भांय भांय सांय सांय सी मिलती है । गुरुदेव पहले ही संकेत कर रहे थे । खराब समय आ रहा है । भजन ध्यान भक्ति करो । फ़िर भी मैंने इस सांय सांय के बारे में पूछा । तो उन्होंने कहा - ये सरकार भंग हो जाने के समान है । इसलिये ऐसा लगता है । जहाँ तक खण्ड प्रलय की बात है । उल्टी गिनती पूरी हो चुकी । अब प्रकूति देवी के ऊपर निर्भर है कि वह किस तरह अपने काम को अंजाम देंगी । क्योंकि यह व्यवस्था पूरी तरह इसी के अधीन है ।


फ़िर भी इस प्रलय के बारे में तमाम शास्त्र पुराण धार्मिक ग्रन्थ भविष्यवक्ता एकमत हैं कि इसका निश्चित समय यही है । प्रकृति की ये जिम्मेदारी है कि वह अपनी व्यवस्था को चौकस करे । किस तरह । ये उसका अपना मामला है ।
हाँ जून में जब मैं सन्त समाज में बैठा था । तब कई बार ये संकेत हुये कि - सतयुग आने में सिर्फ़ 50 वर्ष हैं । यानी 50 वर्ष में सभी व्यवस्था नयी हो जायेगी । सब कुछ नये सिरे से । नयी तरह से । लेकिन ध्यान रहे । फ़िर भी ये पूर्ण प्रलय नहीं है । खण्ड प्रलय ही है । अतः प्राप्त संकेतों के अनुसार 2017 तक सभी खेल टुकङों में निबटकर पूरा हो जायेगा । क्योंकि इस स्थिति में विस्थापन और स्थापन दोनों का सही समायोजन भी करना होता है । जिस time zone काल मण्डल से यह सब विध्वंस निर्माण का कार्य होगा । यहाँ के 50 वर्ष वहाँ का 1 दिन भी नहीं है । जाहिर है । कितना भी तेज गति से कार्य हो । कुछ तो समय उन्हें भी लगता है । और कु्छ कम अधिक आगे पीछे होने की भी संभावना हर जगह होती है । फ़िर भी 2017 के बाद के हालात कुछ ऐसे ही होंगें । जैसे हिरोशिमा नागासाकी पर बम गिराने के बाद हुये थे । कोई थोङी भी दूर दृष्टि से देखें । तो नयी व्यवस्था इंसानी स्तर पर संभलने में 33 साल कुछ अधिक नहीं हैं ।
एक महत्वपूर्ण बात - जो मैंने कही । वो धीरे धीरे प्रमाणित हो ही रही है कि ज्वालामुखी जैसी स्थिति से होगी प्रलय । और समुद्र में होगा परिवर्तन । पिछले दिनों कई खबरें इस तरह की आ चुकी हैं कि समुद्र में आंतरिक हलचल गतिविधियाँ जोरों पर हैं । और समुद्र के अन्दर ज्वालामुखी ऊपर उठने की खबरें भी आयीं । कुछ स्थान पर पेट्रोलियम पदार्थ बिलकुल सतह पर आ गये । कहानी पूर्ण हो जाने पर इस पर फ़िर बात होगी । बस इतना समझिये कि किसी ऊँची पहाङी पर टिका विशाल पत्थर किसी कंकङ के सहारे टिका हो । जैसे ही कंकङ डांवाडोल हुआ । प्रलय लीला शुरू । पूर्व कथनों के अनुसार विनाश सिर्फ़ प्रकूति की विनाश लीला से ही नहीं होगा । बल्कि आपदा से फ़ैली महामारी आदि की भी  बहुत संभावना है । देखिये क्या होता है ?

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