इंटरनेट का मतलब मेरे लिये सिर्फ़ अपने ब्लाग पर पोस्ट करना है । और चाय वगैरह पीते हुये कभी फ़ेस बुक खोल लेना । और कभी कोई सूचना या तथ्य को GOOGLE में सर्च करना । या फ़िर कुछ ई मेल भेजना । इसके अतिरिक्त 1 आम user की तरह दूसरे BLOG या बेव पेज मैं चाह कर भी नहीं देख पाता । क्योंकि मेरे पास समय का बेहद अभाव है । लेकिन कभी कभी हठात ऐसा संयोग बन जाता है । और ऐसा ही आज हुआ । श्री ( रूप चन्द ) शास्त्री जी द्वारा संचालित ब्लाग " चर्चा मंच " में सोमवारीय चर्चाकार श्री चन्द्र भूषण मिश्रा " गाफ़िल " जी द्वारा शामिल की गयी मेरी प्रविष्टि पर आभार के लिये जब मैं इस ब्लाग पर गया । तो अन्य प्रविष्टियों के साथ इस शीर्षक - चारो खाने चित - टीम केजरीवाल । महेन्द्र श्रीवास्तव । आधा सच ब्लाग से.. ने मेरा ध्यान आकर्षित किया । मैं महेन्द्र जी के ब्लाग पर गया । इसको पढा । और अभी कुछ सोच पाता । इससे पहले popular post विजेट द्वारा प्रदर्शित हो रही इस पोस्ट - निर्मल बाबा का दरबार बोले तो लाफ्टर शो । महेन्द्र श्रीवास्तव । आधा सच ब्लाग से... ने मेरा ध्यान आकर्षित किया । और मैंने इस पोस्ट और इस पोस्ट पर आयी टिप्पणियों को उत्सुकता वश पढा । महेन्द्र जी और टिप्पणी कर्ताओं ने ( दोनों लेखों में ) यथासंभव ? उचित सवाल उठाये । उचित कटाक्ष आदि भी किये । मैंने यथासंभव ? का प्रयोग करते हुये ? चिह्न लगाया है । और ये यथासंभव ? मैं नेट पर और संसार में हर जगह ही देखता हूँ । आगे बढने से पहले ही मैं स्पष्ट कर दूँ कि ये सब ( आगे ) महेन्द्र जी या किसी अन्य पर
कैसा भी व्यंग्य नहीं है । बल्कि 1 चिंतन मनन मात्र है । मैं राजनीति से स्वाभाविक ही घूणा करता हूँ । अतः केजरीवाल मुद्दे पर न तो मुझे कोई सटीक ( या सामान्य तक ) जानकारी है । और न ही मैं अधिकारिक रूप से तथ्यों और माहौल के अभाव में कुछ कहने की स्थिति में हूँ । लेकिन निर्मल बाबा ( जैसे सभी मुद्दों ) पर निश्चय ही मैं 1 विशेषज्ञ की तरह बात कर सकता हूँ । क्योंकि ये मेरा क्षेत्र है । मेरे स्थायी पाठक जानते हैं । मैंने कभी किसी ऊँचे से ऊँचे ? बाबा का समर्थन नहीं किया । और इस तरह की प्रचलित पोंगापंथी की हमेशा खिंचाई ही की है । मैं पूजा भक्ति के साथ अंधानुसरण अंधविश्वास और परम्परा या मान्यता जैसे शब्दों को जोङे जाने के ही सदा खिलाफ़ रहा । इसलिये मैं आरती ( आर्त या दुख भाव का बयान करना ) स्तुति ( चापलूसी ) आदि जैसे भक्ति ( के आवश्यक मगर आज विकृत हो चुके ) महत्वपूर्ण अंगों का भी घोर विरोधी हूँ । क्योंकि
अज्ञान के कीटाणुओं से आज भक्ति के अधिकांश अंग संकृमित हो गये हैं । इसलिये मैं " भक्ति बिज्ञान " जैसे शीर्षक ही पसन्द करता हूँ । और इसके अंतर्गत शोध research शब्द का इस्तेमाल मुझे बहुत प्रिय है । हमारी संस्था का नाम ही " परमानन्द शोध संस्थान " है । इसलिये आपने देखा होगा । मैं " सनातन भक्ति बिज्ञान " विषय के माध्यम से बात करता हूँ । और ये विषय होते ही पोंगा पंथी की तमाम धारणायें आक्षेप खुद हवा हो जाते हैं ।
( यहाँ तक 22 oct 2012 को लिखा गया )
पर इस तरह के लेखन और मुद्दे उठाने वालों से मुझे हमेशा निराशा ही हाथ लगी । क्योंकि आप समाज की बुराईयों विकृतियों पर ( लेखक ) सटीक व्यंग्य तो करते हैं । और टिप्पणी कर्ता उस पर समर्थन भी करते हैं । पर इससे क्या फ़ायदा होता है ? सवाल ये है कि - इन समस्याओं का मूल क्या है ? ये बीमारी क्यों और कैसे फ़ैलती है ?
इस बीमारी का इलाज क्या है ? इसकी जङें कैसे कटें ? हम जमीनी स्तर पर इसका क्या हल करें ?
आज के सामाजिक परिदृश्य में हम - धार्मिक । राजनीतिक । आर्थिक । शिक्षा । स्वास्थय । अंधविश्वास । अज्ञानता आदि आदि कई स्तर पर लाइलाज बीमारियाँ फ़ैलते देख रहें हैं । और चटकारे ले लेकर इस पर अलग अलग माध्यम से चर्चा भी करते हैं । चौराहे पर खङे खङे । नाई की दुकान पर । आफ़िस में । घर में । TV पर । नेट पर । अखबारों में । ये हमारे लिये चाय के साथ नमकीन लेने जैसा भर है बस । कभी कभी मुझे लगता है । ऐसी बातों में हमें मजा आने लगा है । हमारे मनोरंजन का साधन हो गयी हैं । ऐसी घटनायें । और ऐसी चर्चायें । जैसे सुबह का अखबार । घोटाला । आगजनी । दुर्घटना । हत्या और बलात्कार । चाय और नमकीन । अगर 1 दिन भी ऐसा न छपे । तो मजा नहीं आता । 6 बच्चों की माँ प्रेमी के साथ भागी । हाय ! कैसे कैसे नसीब वाले हैं । मेरे 2 ही बच्चे हैं । मेरा 1 । मैं कुंवारी हूँ । भागना छोङो । इश्क लङाने का चांस नहीं बनता । कर्मा मारी ।
इसीलिये निर्मल बाबा जैसे लोग अवतरित ? हो जाते हैं । इसलिये मेरे शब्दों पर खास ध्यान दें - सनातन भक्ति बिज्ञान ? रोग और इलाज । आप घबरायें नहीं । आपको कोई दुसाध्य कठिन शोध नहीं करने । कोई खोज भी नहीं करनी । भक्ति का पूरा " सिद्ध बिज्ञान " अनेकानेक जरूरतों के अनुसार सिद्धांत ( सूत्र आदि ) के रूप में मौजूद है । और प्रमाणित भी । बस आपको अपनी स्थिति और साधन सुविधा अनुसार इसे प्रयोग करना भर है ।
आप इतनी मेहनत करते हैं । ये गलत है । वो गलत है । ठीक है । पर इसके साथ आप ये भी बतायें कि - सही क्या है ? विकल्प क्या है ? स्थायी सुख शांति कहाँ और कैसे मिलेगी । शायद आप मुझसे भी यही प्रश्न कर
सकते हैं । और शायद नहीं भी कर सकते हैं । क्योंकि मैं कागजों से ज्यादा जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा हूँ । लगभग अकेला कर रहा हूँ । और शारीरिक परेशानियों के बाबजूद कर रहा हूँ । कई व्यक्ति । परिवार सुखी हुये । सुखी हो रहे हैं । सबसे अच्छा । वे मजबूत हो रहे हैं । स्वस्थ निरोगी हो रहे हैं । और आप यकीन करें । वे दूसरों को भी करने लगे । इसलिये फ़िर से मेरे शब्दों पर ध्यान दें - सनातन भक्ति बिज्ञान ? और इसीलिये मुझसे वे कोई निर्मल बाबाओं जैसे चमत्कार की उम्मीद नहीं करते । वे कहते हैं - हमें सत्य बताईये । समाधान बताईये । रोग क्यों हुआ ? ये बताईये । दवा क्या है ? ये बताईये । परहेज क्या है ? ये बताईये । अज्ञानता क्या है ? ये बताईये । और मैं बताता हूँ । और आप यकीन करें । कटु सत्य को सुनकर जानकर वे इन
निर्मल बाबाओं जैसी पोटाऊ फ़ुसलाऊ बातों से कहीं अधिक खुश होते हैं । सन्तुष्टि महसूस करते हैं । क्योंकि वे फ़िर मुझ निर्भर नहीं रह जाते । स्व निर्भर होने लगते हैं । हो जाते हैं । फ़िर उन्हें किसी बाबा की आवश्यकता नहीं रहती । क्योंकि मैं उन्हें ही पङ बाबा बना देता हूँ ।
- जैसा कि हमेशा ही होता । लिखते लिखते व्यवधान । और प्रवाह टूट जाता है । अतः लगभग अधूरे लेख के साथ फ़िर कभी ।
ƸӜƷƸӜƷƸӜƷ
चारो खाने चित - टीम केजरीवाल । महेन्द्र श्रीवास्तव । आधा सच ब्लाग से
http://aadhasachonline.blogspot.in/2012/10/blog-post_19.html
निर्मल बाबा का दरबार बोले तो लाफ्टर शो । महेन्द्र श्रीवास्तव । आधा सच ब्लाग से
http://aadhasachonline.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
इसी निर्मल बाबा लेख पर आये 2 कमेंट -
गुजराती में 1 कहावत है - लोभिया होय त्यां धुतारा ( ठग ) भूखे ना मरे । हिन्दी में - जब तक चूतिया जिन्दा हैं । चतुर भूखा नहीं मर सकता ।
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10 जनपथ से दिग्विजय सिंह की नज़दीकियों को देखते हुए उनसे 10 सवाल ।
1 क्या ये सच है कि जहां भी dogs are not allowed का बोर्ड लगा होता है । वहाँ आपको घुसने नहीं दिया जाता ?
2 क्या ये सच है कि ओसामा बिन लादेन के लिए आपके मुंह से गलती से " जी " निकल गया था । आप तो उन्हें जीजा कहना चाहते थे ?
3 क्या ये सच है कि आप अपने मुल्क* का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते हैं ( *पाकिस्तान )
4 क्या ये सच है कि आप रोज़ राहुल गांधी को थम्स अप की बोतल थमाकर कहते हैं - बेटा ! आज कुछ नादानी करते हैं ।
5 बचपन में गलती करने पर आपके पिताजी आपको जिस " हाथ " से थप्पड़ मारते थे । क्या आपको शक है कि वो भी RSS का था ?
6 आपकी बुद्धि कितनी भृष्ट है । 2G घोटाले जितनी । या कोयला घोटाले के बराबर ?
7 क्या ये सच है कि जब तक आप कोई विवादास्पद बयान नहीं देते । आपका पेट साफ नहीं होता ? इसलिए आप " पापी पेट " के लिए ऐसे बयान देते हैं ।
8 क्या ये सच है कि कभी कभार आपको इंसानियत के दौरे भी पड़ते हैं ?
9 बेइज्ज़ती । आलोचना । किरकिरी । फजीहत । गाली । बद दुआ । क्या आप इन सब छोटी मोटी चीज़ों से ऊपर उठ चुके हैं ?
10 आखिर सवाल का जवाब हां / नहीं में दें - क्या आप इंसान नहीं है ?
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♥You can Love me or hate me, i swear it won’t make me or break ME!.
When you find Love, you will find yourself.
पंख ही काफ़ी नहीं हैं आसमानों के लिये । हौसला भी चाहिए ऊंची उड़ानों के लिये ।
Every object, every being, is a jar full of delight. Listen with ears of tolerance.
See through the eyes of compassion. Speak with the language of love!
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Secular India द्वारा की गयी पोस्ट ।
1 पत्थर बस 1 बार मंदिर जाता है । और भगवान बन जाता है । " हिन्दू " तो बार बार मंदिर जाते हैं । पर भगवान तो क्या " इंसान " भी नहीं बन पाते । स्वामी विवेकानन्द ।
Proud To Be A Hindu ..Is Dis Proud Or Shame ?..Decision Is Ur..
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ƸӜƷƸӜƷƸӜƷ
Secular India द्वारा की गयी पोस्ट ।
These hindu people call themselves " aghori sadhus " and as u can see in the picture ये लोग इंसान की बलि देकर उसका मांस खाते हैं । याक्क्क्क्क्क... कुत्ते कहीं के ।
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=297834250330859&set=a.129700907144195.25389.129565433824409&type=1&theater
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Patience is not learned in safety . It is not learned when everything is harmonious and going well . When everything is smooth sailing, who needs patience ? If you stay in your room with the door locked and the curtains drawn, everything may seem harmonious, but the minute anything doesn’t go your way, you blow up . There is no cultivation of patience when your pattern is to just try to seek harmony and smooth everything out . Patience implies willingness to be alive rather than trying to seek harmony ~ Pema
http://www.alltverladies.com/
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