अभी बाहर से हमारे आश्रम आने वाले लोगों ने शिकायत की कि उन्हें आश्रम पहुँचने में कुछ कठिनाई हुयी । जिसका कारण उन्हें रास्ता आदि का सही पता न होना था । इसी हेतु इस नक्शे का प्रकाशन किया जा रहा है । जिससे आप सही स्थिति को समझ सकें ।
इन सभी चित्रों का साइज बङा और दृश्यता स्पष्ट है । इन्हें आप कापी करके Windows Picture and fax viewer द्वारा आराम से और भी बङा zoom द्वारा देख सकते हैं । ब्लाग या किसी भी बेबसाइट से फ़ोटो कापी करने हेतु उस फ़ोटो पर माउस से राइट क्लिक करें । और save image as आप्शन द्वारा अपने कम्प्यूटर में कापी कर लें ।
आपको कहीं से भी ट्रेन प्लेन या बस द्वारा चूङी bangle और कांच glass उधोग के लिये विश्व प्रसिद्ध शहर फ़िरोजाबाद ( टूंडला के पास ) आना है । जो आगरा से लगभग 50 किमी दूर है । यदि
आप पहले आगरा आते हैं । तब भी आपको बस या ट्रेन द्वारा 50 किमी पूर्व दिशा में फ़िरोजाबाद जाना होगा ।
फ़िरोजाबाद रेलवे स्टेशन पहुँचने पर आपको आटो रिक्शा द्वारा कोई 2 किमी - कोटला चुंगी । या । ठार पूंठा । बस स्टेंड जाना होगा । पहले आप ठार पूँठा Thar puntha का मतलब समझ लें । " ठार " पुराने समय में उस
जगह को कहा जाता था । जहाँ पशुओं को बाँधा जाता था । और " पूंठा " किसी टीले या छोटी पहाङी जैसी ऊँची जगह को कहा जाता है । इस तरह इस जगह को ठार पूंठा कहा जाता है । वैसे कई बार लोगों से पूछने के बाद भी मैं अंग्रेज दिमाग आदमी अभी तक इसका सही उच्चारण नहीं समझ पाया कि - इसको थार फ़ूंटा या ठार फ़ूंठा या ठार पूंठा या थार पूंठा वगैरह ये लोग क्या बता रहे हैं । पर चलेगा । आप ठार फ़ूंठा जैसा.. कैसा भी अशुद्ध उच्चारण भी करेंगे । आपको सही जगह पहुंचा दिया जायेगा ।
लेकिन घबराईये मत । अब यहाँ से आपको घोङे ऊंट या भेंस आदि पर बैठकर 22 किमी दूर आश्रम तक नहीं
जाना होगा । क्योंकि अब यहाँ न तो कोई ठार बचा है । और न ही कोई फ़ूंठा खूंठा । यहाँ से बाकायदा 4 पहियों वाली बस आश्रम तक जाती है । जो सीधे आश्रम पर उतार देती है ।
जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी । तो मैंने शाइनिंग इंडिया के तमाम होर्डिंग सढक के बीच लगे मतलब ऊपर लटके देखे थे । जिसमें वो इंडिया को चमकाना चाहते थे । लेकिन तभी उनके घुटनों में चमक चमक होने लगी । और इंडिया नहीं चमक पायी । पर मुझे इंडिया के चमकने या ना चमकने से कोई लेना देना भी नहीं है । मेरा मतलब है । कम से कम अब इन जगहों के नाम तो ठीक से रख दो । ये ठार फ़ूंठा खूंठा क्या मतलब है आखिर ? जैसे इसको फ़रिहा बस स्टेंड कहा जाये । तो अधिक उचित होगा ।
खैर..मुझे मालूम है । इंडिया और इंडियन किसी हालत में सुधरने वाले नहीं हैं । इसलिये श्री चूनाराम विश्नोई जी की सलाह अनुसार मैं अगला जन्म शिकागो में लूँगा ।
आईये । वापस विषय पर आते हैं । फ़िरोजाबाद से हमारे चिंताहरण आश्रम आने के लिये दो मार्ग है । 1 कोटला चुंगी से । कोटला चुंगी से जो बस आपको मिलेगी । वो आपको फ़रिहा तक ही ले जायेगी । जबकि हमारा आश्रम फ़रिहा से लगभग 5 किमी और आगे कौरारी ( कौरारी पुलिया के नाम से प्रसिद्ध ) जगह के पास है । ऐसी स्थिति में आपको अगले 5 किमी के लिये दूसरी बस में बैठना होगा ।
लेकिन हमारे स्पेशल ठार पूंठा बस स्टेंड से जो बस जाती है । वो आपको आश्रम के बिलकुल पास सीधा उतारेगी । इस आश्रम के सबसे नजदीक 2 गांव सैलई और नगला भादों हैं । क्योंकि आश्रम अभी अपने प्रारम्भिक चरण में है । इसलिये प्रसिद्ध तो है । पर बहुत अधिक प्रसिद्ध नहीं है । अब मर्जी आपकी है । आप कैसे आते हैं । वैसे जो लोग afford कर सकते हैं । उनके लिये 22 किमी सीधे आटो से जाना भी अधिक महंगा नहीं । बहुत हद 200 रुपये ले लेगा । 200 रुपये इसलिये ? क्योंकि वो ये मानकर चलेगा । उधर से उसे सवारी नहीं मिलेगी । और खाली आना होगा । जबकि 30 रुपया प्रति आदमी वैसे ही बस से लग जाता है । तब यदि 3 आदमी हों । तो कोई ज्यादा नुकसान नहीं है ।
अब सुनिये । कुछ दूसरी दिक्कतें । इस कमबख्त U.P का नाम कुछ इस तरह बदनाम है कि लोग इधर आने से ही डरते हैं । आगरा तक तो हिम्मत कर जाते हैं । पर इधर उधर जाने से डरते हैं । अभी अभी गये । बंसल और अशोक आदि ने अपना अनुभव बताया । बीच में मिले
कुछ लोगों ने कहा - अरे ! वहाँ कहाँ जा रहे हो । खतरनाक क्षेत्र है । लोग लूट लेते हैं वगैरह ।
आप किसी भृम में न रहें । फ़िरोजाबाद से हमारे आश्रम तक और उसके काफ़ी आसपास तक ऐसा कुछ नहीं है । लेकिन फ़िर भी मैं आपको एक चीज अवश्य बताना चाहूँगा । जैसा देश वैसा भेस के आधार पर आप U.P में अतिरिक्त विनमृता । मिठास या नयेपन का परिचय न दें । U.P का मिजाज अक्खङ टायप का है । अतः यहाँ किसी से कोई बात करते समय - ऐ । हल्लो । सुनिये भाई । भैया । भाईसाहब आदि फ़ालतू बातें न बोलें । थोङी रूखी सपाट सामान्य आवाज में - अरे भाईसाहब या अरे बहनजी या अरे माताजी ही कहें । वैसे बहन जी या माताजी हुयीं । फ़िर कोई दिक्कत वाली बात नहीं । हाँ ये भाईसाहब ? कभी कभी दिक्कत वाले मिल जाते हैं । U.P की बात कर रहा हूँ । आश्रम के लिये नहीं ।
ये भी न कहें । हम बाहर से आये हैं । सीधा कहें - आगरा से आये हैं । स्थान पूछने में कभी कोई संकोच न करें । और हमेशा ही चलने से पहले 2-3 अलग अलग लोगों से । जो कुछ फ़ासले पर हों । पता पूछिये । बेहतर है । राहगीर के बजाय किसी स्थानीय दुकानदार का चयन करें । फ़िर जब आश्वस्त हो जायें । तब चलना शुरू करें । इस मामले में आप अनजानी किसी भी जगह आटो या रिक्शे वाले का कभी पूर्ण विश्वास न करें । क्योंकि कुछ आटो वाले धंधा ही ये करते हैं । ऐसे तो आपको आगरा में ही लूट या ठग भी सकते हैं । पर्यटकों को ठगने की घटनायें अक्सर होती हैं । जब आप बस में बैठ जायें । तब भी कंडक्टर से स्पष्ट पूछें - हमें यहाँ उतरना है आदि । साथी सवारियों से भी जानकारी ले सकते हैं ।
खैर..इन प्रकाशित नक्शो में सबसे ऊपर के चित्र में आपको फ़िरोजाबाद से मुस्तफ़ाबाद के लिये सीधी सङक लाल लाइन से दिखाई देगी । जो मैंने बनाई है । सङक नहीं । लाल लाइन । इसी में हिन्दी में फ़रिहा और कौरारी भी लिखा हुआ है । ये भी नक्शा बनाने वाले ने नहीं लिखा । बल्कि मैंने लिखा है । यदि इस चित्र के बाद भी आप नहीं समझ पाये । तो फ़िर लाल बुझक्कङ भी आपको नहीं समझा पायेगा ।
दूसरे नक्शे ( ऐंठबाजी नहीं बल्कि ) MAP इंडिया रेलवे मैप के हैं । इसमें भी मैंने टूंडला TUNDLA जगह पर नीली बङी बिन्दी बना दी है । क्योंकि इसमें मुझे फ़िरोजाबाद दिखा ही नहीं । टूंडला और फ़िरोजाबाद पास ही पास हैं । कोई 10 किमी का अन्तर है । पर आपको टूंडला से कोई लेना देना नहीं । आप सीधा फ़िरोजाबाद ही आयें । इस रेलवे मैप द्वारा आप फ़िरोजाबाद की सही लोकेशन और रेल मार्ग देख सकते हैं । मैप में बङी रेल लाइने और छोटी लाइनें स्पष्ट हैं । और जो ये पूरा भारत का रेलवे नक्शा है । ये आपके लिये हमेशा उपयोग का है । खास बात ये हैं कि इन सभी चित्रों का साइज मैंने छोटा नहीं किया है । अतः इनके PIXEL आरीजनल हैं । पूरा भारत का रेलवे नक्शा आप कितना ही ZOOM करना । इसकी क्लियरटी ज्यों की त्यों रहेगी । मुझे लगता है । अब आपको कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिये । यदि होती हैं । तो बतायें । तब उस आधार पर उसका समाधान किया जायेगा ।
अभी अभी आश्रम से लौटे । हमारे मंडल के शिष्य निर्मल बंसल द्वारा भेजा गया चित्र ।
इन सभी चित्रों का साइज बङा और दृश्यता स्पष्ट है । इन्हें आप कापी करके Windows Picture and fax viewer द्वारा आराम से और भी बङा zoom द्वारा देख सकते हैं । ब्लाग या किसी भी बेबसाइट से फ़ोटो कापी करने हेतु उस फ़ोटो पर माउस से राइट क्लिक करें । और save image as आप्शन द्वारा अपने कम्प्यूटर में कापी कर लें ।
आपको कहीं से भी ट्रेन प्लेन या बस द्वारा चूङी bangle और कांच glass उधोग के लिये विश्व प्रसिद्ध शहर फ़िरोजाबाद ( टूंडला के पास ) आना है । जो आगरा से लगभग 50 किमी दूर है । यदि
आप पहले आगरा आते हैं । तब भी आपको बस या ट्रेन द्वारा 50 किमी पूर्व दिशा में फ़िरोजाबाद जाना होगा ।
फ़िरोजाबाद रेलवे स्टेशन पहुँचने पर आपको आटो रिक्शा द्वारा कोई 2 किमी - कोटला चुंगी । या । ठार पूंठा । बस स्टेंड जाना होगा । पहले आप ठार पूँठा Thar puntha का मतलब समझ लें । " ठार " पुराने समय में उस
जगह को कहा जाता था । जहाँ पशुओं को बाँधा जाता था । और " पूंठा " किसी टीले या छोटी पहाङी जैसी ऊँची जगह को कहा जाता है । इस तरह इस जगह को ठार पूंठा कहा जाता है । वैसे कई बार लोगों से पूछने के बाद भी मैं अंग्रेज दिमाग आदमी अभी तक इसका सही उच्चारण नहीं समझ पाया कि - इसको थार फ़ूंटा या ठार फ़ूंठा या ठार पूंठा या थार पूंठा वगैरह ये लोग क्या बता रहे हैं । पर चलेगा । आप ठार फ़ूंठा जैसा.. कैसा भी अशुद्ध उच्चारण भी करेंगे । आपको सही जगह पहुंचा दिया जायेगा ।
लेकिन घबराईये मत । अब यहाँ से आपको घोङे ऊंट या भेंस आदि पर बैठकर 22 किमी दूर आश्रम तक नहीं
जाना होगा । क्योंकि अब यहाँ न तो कोई ठार बचा है । और न ही कोई फ़ूंठा खूंठा । यहाँ से बाकायदा 4 पहियों वाली बस आश्रम तक जाती है । जो सीधे आश्रम पर उतार देती है ।
जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी । तो मैंने शाइनिंग इंडिया के तमाम होर्डिंग सढक के बीच लगे मतलब ऊपर लटके देखे थे । जिसमें वो इंडिया को चमकाना चाहते थे । लेकिन तभी उनके घुटनों में चमक चमक होने लगी । और इंडिया नहीं चमक पायी । पर मुझे इंडिया के चमकने या ना चमकने से कोई लेना देना भी नहीं है । मेरा मतलब है । कम से कम अब इन जगहों के नाम तो ठीक से रख दो । ये ठार फ़ूंठा खूंठा क्या मतलब है आखिर ? जैसे इसको फ़रिहा बस स्टेंड कहा जाये । तो अधिक उचित होगा ।
खैर..मुझे मालूम है । इंडिया और इंडियन किसी हालत में सुधरने वाले नहीं हैं । इसलिये श्री चूनाराम विश्नोई जी की सलाह अनुसार मैं अगला जन्म शिकागो में लूँगा ।
आईये । वापस विषय पर आते हैं । फ़िरोजाबाद से हमारे चिंताहरण आश्रम आने के लिये दो मार्ग है । 1 कोटला चुंगी से । कोटला चुंगी से जो बस आपको मिलेगी । वो आपको फ़रिहा तक ही ले जायेगी । जबकि हमारा आश्रम फ़रिहा से लगभग 5 किमी और आगे कौरारी ( कौरारी पुलिया के नाम से प्रसिद्ध ) जगह के पास है । ऐसी स्थिति में आपको अगले 5 किमी के लिये दूसरी बस में बैठना होगा ।
लेकिन हमारे स्पेशल ठार पूंठा बस स्टेंड से जो बस जाती है । वो आपको आश्रम के बिलकुल पास सीधा उतारेगी । इस आश्रम के सबसे नजदीक 2 गांव सैलई और नगला भादों हैं । क्योंकि आश्रम अभी अपने प्रारम्भिक चरण में है । इसलिये प्रसिद्ध तो है । पर बहुत अधिक प्रसिद्ध नहीं है । अब मर्जी आपकी है । आप कैसे आते हैं । वैसे जो लोग afford कर सकते हैं । उनके लिये 22 किमी सीधे आटो से जाना भी अधिक महंगा नहीं । बहुत हद 200 रुपये ले लेगा । 200 रुपये इसलिये ? क्योंकि वो ये मानकर चलेगा । उधर से उसे सवारी नहीं मिलेगी । और खाली आना होगा । जबकि 30 रुपया प्रति आदमी वैसे ही बस से लग जाता है । तब यदि 3 आदमी हों । तो कोई ज्यादा नुकसान नहीं है ।
अब सुनिये । कुछ दूसरी दिक्कतें । इस कमबख्त U.P का नाम कुछ इस तरह बदनाम है कि लोग इधर आने से ही डरते हैं । आगरा तक तो हिम्मत कर जाते हैं । पर इधर उधर जाने से डरते हैं । अभी अभी गये । बंसल और अशोक आदि ने अपना अनुभव बताया । बीच में मिले
कुछ लोगों ने कहा - अरे ! वहाँ कहाँ जा रहे हो । खतरनाक क्षेत्र है । लोग लूट लेते हैं वगैरह ।
आप किसी भृम में न रहें । फ़िरोजाबाद से हमारे आश्रम तक और उसके काफ़ी आसपास तक ऐसा कुछ नहीं है । लेकिन फ़िर भी मैं आपको एक चीज अवश्य बताना चाहूँगा । जैसा देश वैसा भेस के आधार पर आप U.P में अतिरिक्त विनमृता । मिठास या नयेपन का परिचय न दें । U.P का मिजाज अक्खङ टायप का है । अतः यहाँ किसी से कोई बात करते समय - ऐ । हल्लो । सुनिये भाई । भैया । भाईसाहब आदि फ़ालतू बातें न बोलें । थोङी रूखी सपाट सामान्य आवाज में - अरे भाईसाहब या अरे बहनजी या अरे माताजी ही कहें । वैसे बहन जी या माताजी हुयीं । फ़िर कोई दिक्कत वाली बात नहीं । हाँ ये भाईसाहब ? कभी कभी दिक्कत वाले मिल जाते हैं । U.P की बात कर रहा हूँ । आश्रम के लिये नहीं ।
ये भी न कहें । हम बाहर से आये हैं । सीधा कहें - आगरा से आये हैं । स्थान पूछने में कभी कोई संकोच न करें । और हमेशा ही चलने से पहले 2-3 अलग अलग लोगों से । जो कुछ फ़ासले पर हों । पता पूछिये । बेहतर है । राहगीर के बजाय किसी स्थानीय दुकानदार का चयन करें । फ़िर जब आश्वस्त हो जायें । तब चलना शुरू करें । इस मामले में आप अनजानी किसी भी जगह आटो या रिक्शे वाले का कभी पूर्ण विश्वास न करें । क्योंकि कुछ आटो वाले धंधा ही ये करते हैं । ऐसे तो आपको आगरा में ही लूट या ठग भी सकते हैं । पर्यटकों को ठगने की घटनायें अक्सर होती हैं । जब आप बस में बैठ जायें । तब भी कंडक्टर से स्पष्ट पूछें - हमें यहाँ उतरना है आदि । साथी सवारियों से भी जानकारी ले सकते हैं ।
खैर..इन प्रकाशित नक्शो में सबसे ऊपर के चित्र में आपको फ़िरोजाबाद से मुस्तफ़ाबाद के लिये सीधी सङक लाल लाइन से दिखाई देगी । जो मैंने बनाई है । सङक नहीं । लाल लाइन । इसी में हिन्दी में फ़रिहा और कौरारी भी लिखा हुआ है । ये भी नक्शा बनाने वाले ने नहीं लिखा । बल्कि मैंने लिखा है । यदि इस चित्र के बाद भी आप नहीं समझ पाये । तो फ़िर लाल बुझक्कङ भी आपको नहीं समझा पायेगा ।
दूसरे नक्शे ( ऐंठबाजी नहीं बल्कि ) MAP इंडिया रेलवे मैप के हैं । इसमें भी मैंने टूंडला TUNDLA जगह पर नीली बङी बिन्दी बना दी है । क्योंकि इसमें मुझे फ़िरोजाबाद दिखा ही नहीं । टूंडला और फ़िरोजाबाद पास ही पास हैं । कोई 10 किमी का अन्तर है । पर आपको टूंडला से कोई लेना देना नहीं । आप सीधा फ़िरोजाबाद ही आयें । इस रेलवे मैप द्वारा आप फ़िरोजाबाद की सही लोकेशन और रेल मार्ग देख सकते हैं । मैप में बङी रेल लाइने और छोटी लाइनें स्पष्ट हैं । और जो ये पूरा भारत का रेलवे नक्शा है । ये आपके लिये हमेशा उपयोग का है । खास बात ये हैं कि इन सभी चित्रों का साइज मैंने छोटा नहीं किया है । अतः इनके PIXEL आरीजनल हैं । पूरा भारत का रेलवे नक्शा आप कितना ही ZOOM करना । इसकी क्लियरटी ज्यों की त्यों रहेगी । मुझे लगता है । अब आपको कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिये । यदि होती हैं । तो बतायें । तब उस आधार पर उसका समाधान किया जायेगा ।
अभी अभी आश्रम से लौटे । हमारे मंडल के शिष्य निर्मल बंसल द्वारा भेजा गया चित्र ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें