07 जून 2013

एक जिज्ञासु शिष्य से मेरी बातचीत

इसी पेज पर कई अन्य पार्ट जोङे जायेंगे - हालांकि मैंने यह सब किसी सफ़ाई हेतु नहीं लिखा । न मुझे इससे कोई परेशानी है । पर यह आडियो रिकार्डिंग सुनने के बाद जो मुझे बैज्ञानिक द्रुष्टि से महसूस हुआ । वह बता रहा हूँ । मैंने जीवन में पहली बार ही अपनी डिजिटल आवाज सुनी है । इसी ब्लाग पर पोस्ट करने के बाद । और यकीन मानिये । अगर कोई मेरी बिना जानकारी में मुझे ही यह आडियो क्लिप देता । तो मैं कभी नहीं पहचान पाता कि - ये मेरी ही आवाज है । ये बातचीत भोपाल से फ़ोन पर बात करते हुये रिकार्ड की गयी है । मैंने अन्दाजा लगाया । इसके कई कारण हो सकते हैं । एक तो फ़ोन की रिकार्डिंग क्वालिटी पर  निर्भर करता है । दूसरे प्रश्नकर्ता मनोज भोपाल से अपने ही फ़ोन पर बोल और रिकार्ड कर रहे थे । जाहिर है । मनोज की आवाज सीधे फ़ोन में जा रही थी । जबकि मेरी आवाज एक लम्बा संचार तन्त्र तय करके उसके फ़ोन तक पहुँच रही थी । इसके भी अलावा मनोज कमरे आदि बन्द जगह से बात करते थे । जबकि मैं दूर दूर तक खुली जगह से । जहाँ आवाज बिखर जाती है ।
लेकिन इन सबसे बङा कारण है । मेरा स्मोकिंग करना । इससे भी आवाज में बेस प्रभावित होकर बिखराव हो जाता है । इसके अतिरिक्त मुझे अक्सर लगातार 7-8 घण्टे से अधिक बोलना होता है । अक्सर आश्रम आदि की व्यवस्था संभालते हुये साधुओं आदि पर चिल्लाकर नियन्त्रित करना । जैसे छोटे बच्चों की टीचर बच्चों पर चिल्लाती रहती है । इसके अतिरिक्त मैं दूध से बनी चीजें और शीतल पेय ( यहाँ ) कम ही ले पाता हूँ । जो आवाज की स्पष्टता में बेहद सहायक होते हैं । ये कुछ मुख्य कारण थे । जो मुझे समझ में आये ।
बस एक बात समझ में नहीं आयी । फ़ोन में मेरी आवाज किसी धीर गम्भीर अधेङ व्यक्ति जैसा ठहराव लिये है । जबकि मैं बहुत तेजी से बोलता हूँ । और किसी बात को सुनते समय मैं सुनने समझने के उपकृम में हूँ॓ऽउ शीघ्रता से बोलता हूँ । जबकि इसमें वह दीर्घ है । वैसे मैंने शुरूआती 2 पार्ट सिर्फ़ 2-2 मिनट ही सुने हैं । अतः फ़ायनली कोई बात कह नहीं सकता । मुझे याद भी नहीं । मेरी क्या और कैसी बातचीत हुयी थी । पर स्वपनिल और मनोज का कहना है - वह महत्वपूर्ण है । जो भी है । यदि वह आपाको लाभ पहुँचाती है । तो उसका उद्देश्य सफ़ल ही है । साहेब ।।
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ये एक जिज्ञासु शिष्य से मेरी बातचीत है । आप लिंक पर सुन सकते हैं । पिछली बार ये फ़ाइल्स अपलोड साइट ने हटा दिये थे । अबकी बार इन्हें यू टयूब पर डाला गया है । राजीव कुलश्रेष्ठ  

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326