हंसदीक्षा में दीक्षा के समय ही समर्थ, सक्षम, सच्चे, अधिकारी एवं ‘समय के सदगुरु’ के द्वारा आपके शरीर के अंदर स्वतः गुंजायमान अनहद शब्द एवं अजपा जाप को प्रकट किया जाता है तथा ‘आत्मप्रकाश’ को जाग्रत किया जाता है ।
जिससे करोङों जन्म जन्मान्तरों के अज्ञान और मायामोह से ग्रसित अपने स्वरूप को विस्मृत कर चुका जीव अपने निज स्वरूप को जान सकता है और कष्टपूर्ण आवागमन से मुक्त होकर निज सत्यधाम को जा सकता है ।
इसे जान लेने के बाद कुछ भी अनजाना नहीं रह जाता । यही वह नाम है जिसका विवरण हर एक धर्म के ग्रन्थ करते हैं और यही परमात्मा को जानने का एकमात्र साधन है ।
जो जिज्ञासु भक्त, योगी, साधक (हमारे मुक्तमंडल अथवा अन्य किसी भी मंडल से दीक्षित) जन अपने ध्यान मार्ग सम्बन्धी प्रश्न अथवा समस्या का समाधान प्राप्त करने के लिए इच्छुक हैं । हम सदैव ही उनका हार्दिक स्वागत करते हैं ।
ध्यान एवं प्रवचन का कार्यक्रम दिनांक 15 जून 2013 से प्रारम्भ किया जा रहा है ।
ध्यान एवं प्रवचन का दिन तथा समय -
प्रत्येक रविवार, दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक ।
हंसदीक्षा गुरु पूर्णिमा - 22 जुलाई 2013 - के बाद प्रारंभ होगी ।
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