कमजोर दिल वाले इसे न पढें - कत्लखानों में जब गौ को कतल किया जाता है । तो बहुत बेरहमी के साथ क्या जाता है । बहुत हिंसा होती है । बहुत अत्याचार होता है । गौ को 1 स्टोर में 4 दिनों के लिये भूखा प्यासा रखा जाता है । उसके बाद उनके पैर तोडे जाते है । और आंखे भी फ़ोडी जाती है । ताकि ये सिद्ध किया जा सके कि ये जानवर किसी काम के नही हैं । भू्खे प्यासे रहने के कारण उनके शरीर का हीमोग्लोबिन खून में से चर्बी में आ जाता है । जिससे उनके मांस की अच्छी कीमत मिलती है । इसके बाद इन पर गर्म गर्म पानी डाला जाता है । जिसका तापमान 200 डिग्री के करीब होता है । इससे उनकी खाल नर्म हो जाती है । और जल्दी उतर जाती है । इस समय वो बेहोश हो जाता है । इसके बाद उसे 1 पैर से 1 चैन से चलित हैंगर वाली मशीन पर टांग दिया जाता है । और उसकी आधी गर्दन काट दी जाती है । जिससे वो जिंदा तो रहता है । और सारा खून नीचे निकल जाता है । क्योकि मरने के बाद जानवर की चमडी मोटी हो जाती है । जो कम दाम में बिकती है । जबकि जिन्दा जानवर की त्वचा पतली रहती है । इसलिये उसे जिन्दा रखा जाता है । जब तक खून नीचे उतरता है । तब तक उसके पेट में 1 सुराख किया जाता है । और मशीन से उसके अन्दर हवा भरी जाती है । जिससे उसका शरीर फ़ूल जाये । और खाल आसानी से उतारी जा सके । अब उसकी खाल उतारी जाती है । और फ़िर उसके शरीर को 4 हिस्सो सिर, पैर, पूंछ और बाकी का हिस्सा में काटा जाता है । बाद में मशीन के द्वारा हड्डियां अलग की जाती है । और मांस को डिब्बो में बंद करके बाहर भेजा जाता है ।
गौ वंश का कत्ल होते समय उनकी जो चीत्कार निकलती है । उनके शरीर से जो स्ट्रेस होरमोन निकलते हैं । वो पूरी दुनिया को तरंगित कर देती है । कम्पायमान कर देती है । गौ को जब काटा जाता है । आज का आधुनिक विज्ञान ने ये सिद्ध किया है कि मरते समय जानवर हो । या व्यक्ति हो । अगर उसको क्रूरता से मारा जाता है । तो उसके शरीर से निकलने वाली जो चीख पुकार है । उनको भाई ब्रसन में उनको ओएव्स की थियोरी में जब समझाया जाता है । तो जो नेगेटिव ओएव्स निकलते हैं । वो पूरे वातावरण को बुरी तरह से प्रभावित करता है । और उससे अन्य सभी मनुष्यों पर प्रभाब पड़ता है । उससे नकारात्मक भाव ज्यादा से ज्यादा आते हैं । इससे मनुष्य में हिंसा करने की प्रवृति ज्यादा आती है । तो अत्याचार और पाप पूरी दुनिया में बढ रही है ।
दिल्ली विश्यविद्यालय के 2 प्रोफेसर हैं - 1 मदनमोहन जी । और 1 उनके सहयोगी । जिन्होंने 20 साल इन पर रिसर्च किया है । और उनकी फीसिक्स की रिसर्च ये कहती है कि - गौ को जितना ज्यादा कत्ल किया जायेगा । जितना ज्यादा हिंसा से मारा जायेगा । उतना ही अधिक दुनिया में भूकंप आएंगे । जलजले आएंगे । प्राकृतिक आपदा आयेगी । उतने ही दुनिया में संतुलन बिगड़ेगा ।
हैदराबाद का अलकबीरा, औरंगाबाद का एलेना, अलीगढ का हिन्द इंडर्स्टीज, देहली में अलाना सन्स, महाराष्ट्र का देवनार में किस तरह बर्बरता पूर्वक गायों को मांस और चमडे क़े लिए मार दिया जाता है । आज पूरे भारत में करीबन 36 000 अधिकृत बूचड़खाने क़ेवल मांस और चमडे के लिए चल रहें हैं । जिनमें से 10 बूचड़खाने हाइली आटोमेटेड हैं । इनमें करीबन 2 50 000 जानवर इसी तरह बेरहमी से मारे जाते हैं । आज भैसों की संख्या पूरे देश में केवल 75 मिलियन बची है । वहीं गाय की संख्या करीबन 200 मिलियन है । अलकबीर बूचडखाने को करीबन 6 लाख गाय और भैंसों का इसी तरह प्रति वर्ष बेरहमी से मारने का लायसेंस दे रखा है । वहीं मुंबई के देवनार बुचड़खाने में प्रति वर्ष 25 लाख गाय भैसों को प्रति वर्ष मारने का लायसेंस दे रखा है । वहीं कोलकाता के बूचड़खानों में करीबन 122 लाख गायें और भैंसे प्रति वर्ष इसी तरह हत्या की जाती हैं । ये सब केवल आफिशियल संख्या है । ये दुगुनी और तिगुनी भी हो सकती है ।
भाई राजीव दीक्षित जी इस बारें में बताते हुए । वीडियो देखें ।
http://youtu.be/ojaFZRQvfGU
भारतीय संस्कृति मे गाय को मां का दर्जा दिया गया है । खुद भगवान श्रीकृष्ण गायों के पालनहार हैं । जिस देश के हर घर में इनको पूजा जाता था । उसी देश में इनको कसाईयों द्वारा काटा जा रहा है । अब देश के लोग गऊ माता के स्थान पर कुत्ता पालने लगे हैं । हमारी भारतीय संस्क्रति को भूलकर अंग्रेज बनने लगे हैं ।
राजीव भाई ने बताया था कि इन 63 सालों में 75 करोड गायों को मौत के घाट उतारा जा चुका है । सरकार की अनुमति से 30 000 कत्लखाने चल रहे हैं । एक 1 गाय करोड रुपये का फ़ायदा देने वाली है । और माता कहने वाले लोग चुप बैठे उसे कटते देख रहे हैं । कसाई खाना खोलने के लिए यह सरकार और बैंक लोन देते हैं । वो भी सब्सिडी के साथ । लेकिन कोई भी बैंक गौ शाला खोलने पर लोन नहीं देता है । http://youtu.be/tAhVGTwvuxI
आईये सब मिलकर गौ वध रोकने का प्रण लें । गौ भारतीय और हिन्दू संस्कृति की अमूल्य धरोहर है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें