05 मार्च 2017

जीवन का गणित

एक व्यक्ति ने नौकरी के लिये आवेदन किया । 
उसने मैनेजर से कहा - प्रतिवर्ष (365 दिन) के एक लाख बीस हजार वेतन चाहिये ।
आवेदन सशर्त स्वीकृत हो गया ।
मैनेजर कांईया था ।
उसने कहा - एक वर्ष में 365 दिन होते हैं । आप प्रतिदिन 8 घन्टे सोते हैं । यानी कुल 122 दिन सोने में गुजार देते हैं । फ़िर बचे 243 दिन ।
तथा प्रतिदिन नित्यचर्या, आराम आदि में आप 8 घन्टे गुजार देते हैं । यानी कुल 122 दिन और गये । शेष 121 दिन बचते हैं ।
वर्ष में 52 रविवार तो आप काम करोगे नहीं । तो फ़िर शेष बचते हैं 69 दिन ।
अच्छा, हर शनिवार को आपको आधे दिन की छुट्टी मिलेगी । इस तरह कुल 26 दिन और हुये । अब शेष बचते हैं 43 दिन ।
और आफ़िस समय के बीच आपको ‘एक घन्टे’ की छुट्टी मिलती है तो इसके भी 15 दिन हुये । और फ़िर शेष बचते हैं 28 दिन ।
इसके अतिरिक्त 14 दिन की आपको casual leave (आकस्मिक अवकाश) मिलती है । तो अब शेष बचे केवल 14 दिन ।
और फ़िर होली दीवाली आदि त्यौहारों की भी आपको 10 छुट्टियाँ मिलती हैं ।
तो अब शेष बचे 4 दिन ।
क्यों भाई ! 4 दिन का 1 लाख 20 हजार वेतन कुछ ज्यादा नही है क्या ?
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एक महिला ने स्वर्ण आभूषण विक्रेता से 4000 रुपये की अंगूठी खरीदी ।
दूसरे दिन वह उसे बदल कर 8000 रुपये की अंगूठी लेने आयी ।
उसने 8000 रुपये की अंगूठी पसन्द की और दुकानदार का धन्यवाद कर जाने लगी ।
दुकानदार बोला - मैडम 4000 रुपये और दीजिये ।
महिला गुस्से से बोली - कल मैंने आपको 4000 रुपये दिये और आज फ़िर 4000 रुपये की अंगूठी
दी । हो गया हिसाब बराबर ।
कहकर वह दुकान से चलती बनी ।
दुकानदार मन ही मन तेजी से हिसाब लगाने लगा ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326