mera naam vijay tiwari hai aur main mumbai me rahta hun. Meri age 23 hai. Mujhe hans gyan ki dikhsha leni hai. Main aapse kab aur kahan mil sakta hun. Pls answer bhejiyega.( ई मेल से )
- आपको उस समय आगरा आना होगा । जब श्री महाराज जी यहाँ आये हुये हों । ये बात आप खुद महाराज जी से फ़ोन पर पूछ सकते हैं । यदि जल्दी हो । तो भी आप महाराज जी से ही बात कर लें कि वो कहां मिलेंगे ।
पोस्ट " इंसान अपना प्रारब्ध ( भाग्य ) लेकर पैदा होता है । " पर ।
osho ji ka kehna tha ki unke liye aam taur par aastik aur naastik dono 1 hi kishti ( small ship ) mein sawaar hai.
( एकदम सत्य है । भले ही खुद को आस्तिक मानने वाले बुरा मान जांय । )
dono hi andh-vishwaasi hai. 1 ne ( naastik ) ne maan liya hai ki rabb nahi hai ( apni man-mat ) se and dusre ne ( aastik ) ne maan liya hai ki wo hai ( lekin isne bhi man-mat se ).iske bare mein kuch kahen.
( बहुत साधारण बात है । मानी हुयी बात से कभी किसी को कैसा भी लाभ नहीं होता । आगे जाकर किसी समय विचार बदल भी सकता है । नहीं भी बदले तो किसी भी चीज को प्राप्त करने हेतु उस समस्त तकनीक से गुजरना ही होगा । जो उसके लिये आवश्यक है । उदाहरण विचार करें । एक छोटे बच्चे को शिक्षा दिलाने हेतु ही तमाम तकनीक से गुजरना होता है । तो फ़िर मान लेने से या बातों से भगवान कैसे मिल जायेगा ? )
and dusri baat 1 baar maine suna tha ( tv par ) ki behsaq naastik se naastik person bhi jab aakhri saansein le raha hota hai
( आखिरी सांस नही । बल्कि किसी किसी को मृत्यु का आभास और अजीव दृश्य दिखाई देना ( लेकिन भृम नहीं ) चार दिन । दो दिन । एक दिन । और कुछ घन्टे पहले से । अलग अलग स्थिति के अनुसार होने लगता है । जिसे लोग अपने अपने भाव और मनस्थिति के अनुसार अपने परिजनों को बताते भी हैं । अकाल मृत्यु । आसन्न मृत्यु के लक्षण । एक महीने पहले से दिखाई देने लगते हैं । जिन्हें गिने चुने अनुभवी लोग और साधु संत प्रायः जान जाते हैं । )
and jab aatma physical body chor deti hai to bahut pachtata hai
( अब पछताय होत का जब चिडिया चुग गयी खेत । )
( ki main agyaanta ke kaaran deh-abhimaan mein raha and khud ko jaan nahi paya ( क्योंकि उस समय विकराल यमदूत सामने होते हैं । कोई सहारा देने वाला नहीं । बन्धु बान्धव बेबस । और आज अब ग्रन्थियों के ताले खुलने से वह । वह सत्य देख रहा है । माया के प्रभाव से जीवन में जिसके वारे में सोचा तक नहीं । लेकिन गुरु के शिष्य के साथ ऐसा नहीं होता । उसे लेने यमदूत नहीं आते । मृत्यु के समय अचानक जो अनुभव होते हैं । इनसे ज्यादा अनुभव वो नाम जप के समय ही कर लेता है । उसे अब कहां जाना है । पता होता है । वह अपनी गाडी स्टार्ट करता है और मजे से ड्राइव करता हुआ । सीटी बजाता हुआ जाता है । )
lekin ab uske pass vishesh time nahi hota sirf pachtane ke.kuch batayein.
( पछताने का मौका भी कुछ ही देर मिलता है । यमदूत मारते हुये कडी यातना देते हुये ले जाने लगते हैं । बस हाय हाय ही कर पाता है । )
and ye bhi suna hai ki ant kaal ( in the end of present life means physical body tyagne se pehle ) mein jo rabb ki taraf dhyaan laga le ya chintan kare to uska bhi der-sware kalyaan hota hai ?
( ये बहुत अच्छी सुन्दर और गूढ रहस्य की बात है । वास्तव में कितना ही बडे से बडा पापी क्यों न हो । किसी भी कारण । अंतकाल में उसका ध्यान प्रभु से लग जाय । तो देर सबेर नहीं । उसी समय उसका कल्याण हो जाता है । क्योंकि मृत्यु के समय । सर्प काट लेने के बाद । बेहद भय में । बेहद संकट में इंसान की एकाग्रता आटोमेटिक इतनी जबरदस्त हो जाती है कि हिमालय में बैठे योगी बीसियों साल में नहीं कर पाते । ऐसी ही नंगी होती द्रोपदी । ग्राह द्वारा पकडे गज की हो गयी थी । इसी के लिये कहा जाता है ।
आस वास दुविधा सब खोई । सुरति एक कमल दल होई ।
पर ऐसा बिरले के साथ ही हो पाता है । क्योंकि मृत्यु के समय इस जन्म के कर्मो का रस निचोड कर अगली योनि या स्वर्ग नरक आदि का निर्धारण होता है । तब ये उसी तरह है । मानों फ़सल कटने के बाद बारिश हो । मतलब उस समय खुद के कर्मों का निचोड इस तरह हावी हो जाता है कि जीव खुद ब खुद 84 में उतर जाता है । इसको इस तरह समझे । कर्म रूपी ( शराब के ) फ़ल रूपी नशे ( 84 ) में चला जाता है । )
- आपको उस समय आगरा आना होगा । जब श्री महाराज जी यहाँ आये हुये हों । ये बात आप खुद महाराज जी से फ़ोन पर पूछ सकते हैं । यदि जल्दी हो । तो भी आप महाराज जी से ही बात कर लें कि वो कहां मिलेंगे ।
पोस्ट " इंसान अपना प्रारब्ध ( भाग्य ) लेकर पैदा होता है । " पर ।
( एकदम सत्य है । भले ही खुद को आस्तिक मानने वाले बुरा मान जांय । )
dono hi andh-vishwaasi hai. 1 ne ( naastik ) ne maan liya hai ki rabb nahi hai ( apni man-mat ) se and dusre ne ( aastik ) ne maan liya hai ki wo hai ( lekin isne bhi man-mat se ).iske bare mein kuch kahen.
( बहुत साधारण बात है । मानी हुयी बात से कभी किसी को कैसा भी लाभ नहीं होता । आगे जाकर किसी समय विचार बदल भी सकता है । नहीं भी बदले तो किसी भी चीज को प्राप्त करने हेतु उस समस्त तकनीक से गुजरना ही होगा । जो उसके लिये आवश्यक है । उदाहरण विचार करें । एक छोटे बच्चे को शिक्षा दिलाने हेतु ही तमाम तकनीक से गुजरना होता है । तो फ़िर मान लेने से या बातों से भगवान कैसे मिल जायेगा ? )
and dusri baat 1 baar maine suna tha ( tv par ) ki behsaq naastik se naastik person bhi jab aakhri saansein le raha hota hai
( आखिरी सांस नही । बल्कि किसी किसी को मृत्यु का आभास और अजीव दृश्य दिखाई देना ( लेकिन भृम नहीं ) चार दिन । दो दिन । एक दिन । और कुछ घन्टे पहले से । अलग अलग स्थिति के अनुसार होने लगता है । जिसे लोग अपने अपने भाव और मनस्थिति के अनुसार अपने परिजनों को बताते भी हैं । अकाल मृत्यु । आसन्न मृत्यु के लक्षण । एक महीने पहले से दिखाई देने लगते हैं । जिन्हें गिने चुने अनुभवी लोग और साधु संत प्रायः जान जाते हैं । )
and jab aatma physical body chor deti hai to bahut pachtata hai
( अब पछताय होत का जब चिडिया चुग गयी खेत । )
( ki main agyaanta ke kaaran deh-abhimaan mein raha and khud ko jaan nahi paya ( क्योंकि उस समय विकराल यमदूत सामने होते हैं । कोई सहारा देने वाला नहीं । बन्धु बान्धव बेबस । और आज अब ग्रन्थियों के ताले खुलने से वह । वह सत्य देख रहा है । माया के प्रभाव से जीवन में जिसके वारे में सोचा तक नहीं । लेकिन गुरु के शिष्य के साथ ऐसा नहीं होता । उसे लेने यमदूत नहीं आते । मृत्यु के समय अचानक जो अनुभव होते हैं । इनसे ज्यादा अनुभव वो नाम जप के समय ही कर लेता है । उसे अब कहां जाना है । पता होता है । वह अपनी गाडी स्टार्ट करता है और मजे से ड्राइव करता हुआ । सीटी बजाता हुआ जाता है । )
lekin ab uske pass vishesh time nahi hota sirf pachtane ke.kuch batayein.
( पछताने का मौका भी कुछ ही देर मिलता है । यमदूत मारते हुये कडी यातना देते हुये ले जाने लगते हैं । बस हाय हाय ही कर पाता है । )
and ye bhi suna hai ki ant kaal ( in the end of present life means physical body tyagne se pehle ) mein jo rabb ki taraf dhyaan laga le ya chintan kare to uska bhi der-sware kalyaan hota hai ?
( ये बहुत अच्छी सुन्दर और गूढ रहस्य की बात है । वास्तव में कितना ही बडे से बडा पापी क्यों न हो । किसी भी कारण । अंतकाल में उसका ध्यान प्रभु से लग जाय । तो देर सबेर नहीं । उसी समय उसका कल्याण हो जाता है । क्योंकि मृत्यु के समय । सर्प काट लेने के बाद । बेहद भय में । बेहद संकट में इंसान की एकाग्रता आटोमेटिक इतनी जबरदस्त हो जाती है कि हिमालय में बैठे योगी बीसियों साल में नहीं कर पाते । ऐसी ही नंगी होती द्रोपदी । ग्राह द्वारा पकडे गज की हो गयी थी । इसी के लिये कहा जाता है ।
आस वास दुविधा सब खोई । सुरति एक कमल दल होई ।
पर ऐसा बिरले के साथ ही हो पाता है । क्योंकि मृत्यु के समय इस जन्म के कर्मो का रस निचोड कर अगली योनि या स्वर्ग नरक आदि का निर्धारण होता है । तब ये उसी तरह है । मानों फ़सल कटने के बाद बारिश हो । मतलब उस समय खुद के कर्मों का निचोड इस तरह हावी हो जाता है कि जीव खुद ब खुद 84 में उतर जाता है । इसको इस तरह समझे । कर्म रूपी ( शराब के ) फ़ल रूपी नशे ( 84 ) में चला जाता है । )
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