25 दिसंबर 2010

मुझसे पूछे । आप भी बताओ ?

लेखकीय -- अलग अलग समय पर जिग्यासुओं द्वारा उठाये गये कुछ प्रश्न ? ? क्या आपके पास इनका कोई सटीक उत्तर है ? अगर है । तो बतायें ।
रामायण के कुछ प्रश्न ? ?
Q.1 . राम ने बालि को इसलिये मारा कि अनुज वधू पुत्रबधू के समान होती है । और उसे कामदृष्टि से देखना अपराध है । लेकिन बाद में सुग्रीव ने तारा को पत्नी समान ही रखा था ? ?
Q ..2 सुग्रीव आदि वानर ही थे । ये भी प्रश्न है ? रामायण के अनुसार वानर ही थे क्योकि हनुमान की पूंछ थी । लेकिन ये कौन से स्पेशल वानर थे । जो स्त्री उद्देश्य के लिये मनुष्य औरतों को रखते थे ? ?
Q.. 3 तुलसी के अनुसार समुद्र पर पुल बनाते समय नल नील ने राम नाम लिखकर पत्थर तैराकर पुल बनाया था । किन्तु वाल्मीक के अनुसार चीड । साखू । अशोक जैसे लम्बे और लठ्ठेनुमा वृक्षों की सहायता से पुल बनाया था । जो कि ज्यादा कठिन भी नहीं जान पडता ? ?
Q.. 4 जब हनुमान अशोक वाटिका में पहली बार सीता से मिले थे । तो उन्होंने कहा कि मैं आपको अभी ले जाता हूं । तो सीता ने कहा । जीवन में सिर्फ़ एक बार ?? रावण ने अपहरण के समय मुझे गोद में उठा लिया था । उसके अतिरिक्त मैंने कभी किसी पराये पुरुष का स्पर्श नहीं किया । लेकिन इससे पहले विराध राक्षस ने भी उठाया था ? ? इसके अलावा पहले तो हनुमान सीता को मां मानते थे । दूसरे वे उसी समय कह रहे थे । कि पूरी लंका को राक्षसों के समेत उठाकर राम के चरणों में पटक दूं ? मेरा मतलब है कि हनुमान किसी वृक्ष या शिला आदि को उखाडकर उस पर बैठाकर सीता को ला सकते थे । तो स्पर्श नहीं होता । जब रावण जैसा बलात्कारी नीच भावना से स्पर्श कर सकता है । तो मां की तरह मानने वाले के स्पर्श में क्या बुराई थी । क्या मातायें अपने पुत्र पुरुषों का स्पर्श करे । तो ये पराये पुरुष वाली फ़ील देता है ? ?
Q..5 ये अत्रि की पत्नी अनसूया ने कहा । इसका मतलब है । ऐसी औरतें ? उस समय भी थी ?? अरण्य काण्ड । तुमने तीनों लोकों में नारी के पतिव्रत धर्म को महिमामंडित कर दिया है । हे सुभगे । जो अपने पति के गुण । अवगुण का विचार किये बिना उसे ईश्वर के समान सम्मान देती है । और प्रत्येक दुख- सुख में उसका अनुसरण करती है । उस स्त्री के चरणों पर स्वर्ग स्वयं न्यौछावर होता है । पति चाहे कितना ही कुरूप । दुश्चरित्र । क्रोधी । निर्धन क्यों न हो । वह पत्नी के लिये सदैव श्रद्धेय है । उसके जैसा कोई दूसरा सम्बन्ध नहीं होता । पति की सच्ची सेवा ही स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त करती है । जो स्त्री अपने पति में दुर्गुण देखती है । उस पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिये उसके साथ नित्य कलह करती है । तथा उसकी अवमानना और उसकी आज्ञाओ की अवहेलना करती है । उसे इस लोक में अपयश तो मिलता ही है । पर मृत्यु के पश्चात नर्क को भी जाती है ।
Q.. 6 इसे पढे -- इस पर प्रसन्न होकर अनुसूया ने कहा । हे जानकी । सदा सौभाग्वती रहो । यद्यपि तुमने कुछ भी नहीं माँगा है । तथापि मैं तुम्हें यह दिव्यमाला देती हूँ । इस माला के फूल कभी नहीं कुम्हलायेंगे । ये दिव्य वस्त्र स्वीकार करो । ये न कभी मैले होंगे । और न फटेंगे । यह सुगन्धित अंगराग भी मैं तुम्हें देती हूँ । जो कभी फीका नहीं पड़ेगा । (..लेकिन हनुमान जी ने जब उन्हें लंका में पहली बार देखा । तो उनके वस्त्र मलिन यानी गन्दे थे ? ध्यान रहे । सीताजी कथा के अनुसार अनुसूया बाले वस्त्र ही पहने हुये थी । वे वनवास में वही वस्त्र पहनती थीं ? ? )
Q .7 .हनुमान जी जब लंका जलाकर समुद्र में पूंछ बुझा रहे थे । तो पसीने की एक बूंद गिरी । जिसे मछली ने निगल लिया । इससे उसके गर्भ में मनुष्य बालक आ गया । बाद में जब अहिरावण के यहां यह मछली काटी गयी । तो यह बालक निकल आया । जिसे उसने मकरध्वज कहा । और जिसे उसने पहरेदार के रूप में रख लिया ।लेकिन इसी युद्ध में अहिरावण जब राम लक्षमण का अपहरण कर पातालपुरी उनकी बलि देने ले गया । और हनुमान उनको छुडाने गये । तो द्वार पर उनका युवा पुत्र मकरध्वज पहरेदारी के लिये नियुक्त था । सवाल ये है कि मकरध्वज कुछ ही दिनों में युवा हो गया ? ?

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326