10 जनवरी 2011
BECAUSE..NOW..ALL IS NOT WELL..?? पहला भाग ।
ये किन्हीं । पंडित धर्मप्रकाश शर्मा । जी का लिखा हुआ लेख है । और जिसका ब्लागर और अब शायद ईसाई धर्म अपना चुके RAKESH LAL जी जबरदस्त ( मगर असफ़ल रहने वाली व्यर्थ ) प्रचार करने की कोशिश कर रहें हैं । ये लेख मेरे ब्लाग पर कमेंट रूप में काफ़ी पहले पोस्ट हुआ था । पर तब मैं बहुत बिजी था । बाद में मैंने इस लेख को देखा और पाया कि इन दोनों सज्जनों का ये रवैया है कि..हम तो डूबे ही हैं सनम । तुम्हें भी ले डूबेंगे । इसी तरह की व्यर्थ और नापाक कोशिश । कुछ मुसलमान ब्लागरों द्वारा की जा रही हैं । जिसमें वे व्यर्थ ही इस्लाम को सर्वोच्च और कथित हिंदू धर्म ( जो वास्तव में सनातन धर्म हैं । ) को नीचा साबित करने की असफ़ल और उबाऊ चेष्टा कर रहें हैं । ये सिलसिला पिछले काफ़ी समय से चल रहा है । और इक्का दुक्का हिंदू ब्लागर्स को छोडकर किसी के पास इसका माकूल जबाब नहीं है । या उन्होंने देने की कोशिश नहीं की ?? उल्टे कुछ लोग इनके गलबहियां डालकर हांजी..हांजी करते नजर आये । तो देखिये । ये लेख किस तरह से भृम वाला है । और वास्तव में सत्यता क्या है ? इसका बिंदुवार विश्लेषण । अंग्रेजी शब्द P से लेख की बात है । और MY REACT..से मेरा दृष्टिकोण । पढिये । और विचार करिये । सच क्या है ???
RAKESH LAL । पोस्ट । श्री राजेश जी का संशय । पर ।
P..खोजयात्रा निरन्तर चल रही है ? लेकिन कब तक ? कब तक ? MY REACT..यहां शायद आपका मतलब है कि जिन्होंने ईसाई धर्म को मान लिया । उनकी खोज समाप्त हो गयी । वो परमात्मा को जानने लगे ?? )
P..ऐसी तिमिरगृस्त ( अंधेरे से जकडी ) स्थिति में भी युगान्तर पूर्व विस्तीर्ण ( फ़ैले ) आकाश के पूर्वी क्षितिज पर एक रजत रेखा ( चांदी जैसा चमकीला प्रकाश ) का दर्शन होता है । विश्व इतिहास साक्षी है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व । ऐसे समय जबकि सभी प्रमुख धार्मिक दर्शन अपने शिखर पर पहुंच चुके थे ?? यूनानी । सांख्य । वेदान्त । योग । यहूदी । जैन । बौद्ध । फारसी तथा अन्य सभी दर्शन ?? और उनका सूर्य ढलने भी लगा था ??
MY REACT..अपनी ही बात पर ध्यान दें । सभी धर्म अपने शिखर पर पहुंच चुके थे । इसका क्या मतलब हुआ ? यानी धार्मिक उत्थान अपने चरम पर था ।..और फ़िर उनका सूर्य ढलने भी लगा ?? शर्माजी । ध्यान दें । यह आपकी समझ वाली धरती का सूर्य नहीं हैं । जो आपकी समझ से कभी ऊंचा और कभी नीचा होता है ? अगर आप थोडी भी साइंस की नालेज रखते होंगे । तो सूर्य तो अपनी जगह ही है । केवल प्रथ्वी के घूमने आदि से आपको यह भृम होता है ।.. अब जिस तरह प्रथ्वी के घूमने से आप लोगों को लगता है कि सूर्य उदय हो गया । सूर्य अस्त हो गया । जबकि प्रथ्वी घूम गयी । उसी तरह धर्म का सूर्य न उदय होता है । न अस्त होता है । वो अपनी जगह लगातार चमक रहा है । हां सूर्य को ठीक से न देखने वाले कभी अन्धे हो जाते हैं । और कभी उनकी निगाह कमजोर हो जाती है । तब इसमें सूर्य का दोष नहीं है ?? या कुछ है ??
P..मानवता आत्मिक क्षितिज पर बुझी जा रही थी ?? MY REACT..आप लोग इतनी सालों से मानवता को जलाने की कोशिश कर रहे हो । क्या हुआ ?? थोडा धुंआ वुंआ निकला या नहीं ?? पहले आप अपने समुदाय में जो मानने वाले हैं । उन्हीं को हर तरह से सुखी करके दिखाईये ?? फ़िर आपको यीशु की फ़िल्मी पब्लिसिटी नहीं करनी होगी । हरेक कोई वैसे ही ईसाई मत को अपना लेगा । जिस तरह कट्टर इस्लामी विचारधारा ( जिसके अनुसार टीवी । सिनेमा । आधुनिक वस्त्र । और उर्दू और कुरआन के अलावा । कोई भाषा न पढना । न दूसरे धर्म के विचार जानना । आदि । ) के बाबजूद आज तमाम शिक्षित और खुले दिमाग मुसलमानों ने अपने ही धर्म के नियमों को ध्वस्त कर दिया । और सुख सुविधा वाली इन चीजों को अन्य लोगों की तरह अपना लिया । तमाम तरह की पोंगापंथी पर ( जो वास्तव में धर्म की नहीं हैं । बल्कि ढोंगियों द्वारा बनाई गयी है । ) आज पढे लिखे हिंदुओं ने जोरदार लात मार दी ।..आप यहां के लोगों को बाइबिल पढा रहे हो । खुद बडी संख्या में ऐसे ईसाई लोग हैं । जो ईसामसीह से जुडी तमाम बातों को बेबुनियाद मानते हैं । आपके भ्रामक प्रचार से अगर लोगों का भला हो सकता है । तो पहले विश्व के तमाम ईसाई परिवारों को आदर्श और विश्व में सर्वोच्च बनाकर दिखाईये ।
P..तब परमेश्वर पिता ने स्वयं को प्रभु यीशू ख्रीष्ट में देहधारी करके पूर्णवतार लिया ??
MY REACT..खुद ईसामसीह अपने आपको परमेश्वर का पुत्र कहते थे । और आप कह रहे हो । स्वय़ं परमेश्वर ने ही पूर्ण अवतार ?? लिया । यदि ऐसा होता । तो ईसामसीह कभी अपने आपको परमेश्वर पुत्र नहीं कहते । और पंडित जी । लगता है । आपने ईसामसीह के जिक्र के अलावा । बाकी हिंदू धर्मगृन्थों के अन्य मैटर को न तो पढा । और न ही उसे जानने समझने की कोशिश ही की ? बडा थू..थू वाली बात है , ये कि एक पंडित पूर्ण अवतार ?? का मतलब नहीं समझता । धार्मिक इतिहास में पूर्ण अवतार ?? सिर्फ़ और सिर्फ़ भगवान श्रीकृष्ण का ही हुआ है । उसी क्रम का । और उसी महा आत्मा का अगला अवतार । राम अवतार भी तो पूर्ण अवतार नहीं था ? ईसामसीह सिर्फ़ एक ठीक और औसत स्तर के संत थे । और इसी स्तर के मुहम्मद साहब थे । लेकिन ये लोग भारत के संतो की तुलना में इतने पापुलर क्यों हुये ?? इसका एक जबाब हिंदुस्तानी कहावत के अनुसार है । अंधों में काना राजा ।..भारत में अध्यात्म और आत्मिक ग्यान के संतो के नाम पर इतनी लम्बी लिस्ट बन जायेगी । कि दस गृन्थ तो संत डायरेक्टरी से ही बन जायेंगे । इसलिये जहां लाखों होते हैं । वहां उनका विशेष महत्व नहीं होता । और जहां पर अनोखी बात कहने वाला कोई एक ही होता है । वो भगवान बन ही जाता है । ईसामसीह और मुहम्मद साहब की यही कहानी है । मैं आगरा के ताजमहल का उदाहरण देता हूं । प्रतिदिन स्पेशली इसको देश विदेश से देखने लोग आते हैं । लेकिन किसी आगरावासी के लिये ये एकदम बेमजा है ( उनकी तुलना में बता रहा हूं । ) । सच कोई मेहमान आकर । बेहद उत्सुकता से कहता है । वाह ताज । देखने चलो । मेरे साथ आज । तब आगरावासी मन में सोचता है । कहां यार । पद्दी ( फ़ालतू की भागदौड ) कराने आ गया ?? ताज का क्या देखने जाना ? रोज निकलते बैठते उसको वहीं खडा देख देखकर बोर हो गये । हां ये पेरिस घूमने चला जाय । तो इसको देखने में कुछ मजा भी आय ?? तो यही बात है । अन्य देशों में । अन्य धर्मों में । बेहद गिने चुने संत हुये । पर भारत में तो संतो ( अच्छे की भी । ) भरमार रही है । यहां में एक बात बता दूं । पिछले दो सौ साल में ही भारत में इतने उच्च लेवल के संत हुये हैं कि बृह्मा । विष्णु । महेश जैसे भी उन्हें झुककर प्रणाम करते हैं । पांच सौ साल पहले तो तीन लोक से परे पहुंच वाले चौथे और सतलोक के संतो की भरमार थी । इस भारत भूमि पर । जिसमें कबीर । रैदास । मीरा मन्डली आदि प्रमुख थे ।
P..वह इसलिये प्रकट हुआ । ताकि मानव जाति के कर्मदण्ड तथा मृत्युबन्धन को उठाकर क्रूस की यज्ञस्थली पर अपने बलिदान के द्वारा स्वयं भोग ले ?
MY REACT..और ये याद लगभग तीन अरब वर्ष पहले बनी प्रथ्वी पर उसे सिर्फ़ 2000 साल पहले ही आयी । इससे पहले वो सो रहा था , क्या ?? 2000 साल पहले ही आदमी परेशान था । कर्मदण्ड और मृत्यु बन्धन झेल रहा था ।..और शायद आज भी नहीं झेल रहा ? न उसे कोई परेशानी है ?? इसीलिये तो ईसामसीह यहां से निश्चिंत होकर चले गये । मुहम्मद साहब चले गये । BECAUSE NOW ALL IS WELL..?? आंखो का मोतियाबिंद ठीक करवाओ । जाने कितने संत जीवों को चेताने पहले आ चुके हैं । कितने आने वाले हैं । कितने आते रहेंगे ?? बेहद..बेहद..तुम्हारी कल्पना से बेहद बडा मंत्रिमंडल है उसका ? अगर सोचने में अक्ल लगायी होती । तो इतना छोटा मंत्रिमंडल तो भारतीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी का भी नहीं है । जिसमें काम का और योग्य आदमी एक दो ही हो । फ़िर वो तो परमात्मा का मंत्रालय है ?? हा हा हा ।..अब दूसरी बात । कर्म करो तुम । और कर्मदन्ड भोगे भगवान । ( तब ये कर्मदन्ड देने वाला कौन है ? किसका बनाया नियम है ये ?? ) मरने का जीव भाव पालो तुम । और मरे भगवान ? ठेका ले रखा है । उसने तुम्हारा । पाप कर लो..। फ़िर कनफ़ेस कर लो । मजा करने का अच्छा फ़ार्मूला खोजा आपने । ये तो हद कर दी आपने ?? अरे वो ऐसे ढंग से । और वो भी अदृश्य लाठी से ऐसे मारता है कि सब अक्ल ठिकाने आ जायेगी ? वो अपने नियम में रत्ती भर रियायत बर्दाश्त नहीं करता ।..तभी उसके डर के मारे चांद । सूरज । तारे । प्रकृति आदि नियम से बिना नागा किये अपना काम कर रहे हैं । और बिना आधार के लटके हुये हैं । सिर ऊपर उठाकर अभी देखो । इस टाइम भी लटके हैं..बेचारे ?
P.. उसने ऋग्वेद के त्राता तथा । पितृतमः पितृगा । सारे पिताओं से भी श्रेष्ठ त्राणदाता परमपिता के सम्बोधन को स्वयं मानव देह मे अवतरण लेकर हमारे लिये नियुक्त पापजन्य मृत्यु को सहते हुए पूरा किया ?? MY REACT..ओह । ओह माय गाड । तभी मैं सोचूं कि ईसामसीह के मरने के बाद । आज तक धरती पर कोई मरा क्यों नहीं ? आज पता चला । सबके बदले । अकेले ईसामसीह पहले ही मर चुके थे । अब इसका नाम भी मृत्युलोक से बदलकर अमरलोक और रख दो आप ।..और आपका बस चले तो ऐसा कर भी दोगे आप ??..परम स्वतंत्र न सिर पर कोई । भावहि मनहि करहु तुम सोई । तुलसी बाबा ने आपके लिये ही लिखा था । आज पता चला ??
P..मोक्षदाता । प्रभु यीशू ख्राष्टः । निष्कलंक पूर्णवतार ?? MY REACT..पहले आप मुझे ये बताओ । मोक्ष क्या होता है ? कैसे होता है ? और आप यीशु या मुहम्मद को मोक्षदाता किस आधार पर कहते हो ? 2..प्रभु शब्द की क्या परिभाषा है । प्रभु है कौन ? आप क्या जानते हैं प्रभु के वारे में ?? 3..पूर्ण अवतार छोडो..? अंश अवतार के बारे में तक नहीं मालूम होगा आपको । कि अवतार क्या बला होती है ??
P..हमारे भारत देश आर्यावृत का । जनजन और कणकण अपने सृजनहार जीवित परमेश्वर का भूखा
प्यासा है ??
MY REACT..और विश्व के बाकी देश परमेश्वर को खा पीकर ऐसे त्रप्त हो गये कि उन्हें खट्टी डकारें आ रहीं हैं । तभी विदेशियों को गैस और ऐसीडिटी की समस्या ज्यादा होती है ??
P..वैदिक प्रार्थनायें तथा उपनिषदों की ऋचाएं । उसी पुरुषोत्तम पतित पावन को पुकारती रही है ??
MY REACT..किसे ? ईसामसीह को ? या मुहम्मद साहब को ? आप ईसामसीह को बताते हो ? मुसलमान घुमाकर मुहम्मद साहब को बताते हैं ।..हिंदूओं को बडा कनफ़्यूज कर दिया आप दोनों ने.. कि वे अपनी गौरवशाली सनातन परम्परा छोडकर इसलाम अपनायें..या क्रिश्चियन बन जांय ? पहले आप लोग आपस में ठीक फ़ैसला कर लो । तब मूढमति हिंदुओं को जो बनाओगे । बन ही जायेंगे ।..OH GOD..इस ख्याल को ख्यालीपुलाव भी तो नहीं कह सकता । दरअसल पुलाव की भी कोई इज्जत होती है यार ??
P..पृथ्वी पर छाये संकटो को मिटाने हेतु बहुतेरे महापुरुष । भविष्यवक्ता । सन्त । महन्त । या राजा महाराजा जन्मे । MY REACT..पर आज तक संकट मिटा कोई नहीं पाया । यूपी में एक कहावत है ।..कोई कितनी ही कोशिश कर ले । पर ये दुनियां न पहले कभी सुधरी थी । न आगे सुधरेगी ?? या सुधार दोगे । आप लोग ?? दूसरी कहावत है..पंचो का फ़ैसला सिर माथे । पर परनाला वहीं गिरेगा । ( अब इसका मतलब आप खुद निकाल लो ? )
P..लेकिन पाप के अमिट मृत्युदंश से छुटकारा दिलाकर । पूरा पूरा उद्धार देने वाले निष्कलंक पूर्णवतार प्रेमी परमेश्वर की इस धरती के हर कोने में प्रतीक्षा थी ?? MY REACT..ओह यस..तभी उन प्रतीक्षारत लोगों ने न सिर्फ़ आपके परमेश्वर ईसामसीह की खटिया खडी कर दी । और बाद में उन्हें क्रूस पर भी लटका दिया ।..दस बारह साथियों के साथ बडी मुश्किल से खुद को बचा पाये ।.. भगवान जी । परमेश्वर जी । ईसामसीह जी ।
P..तब अन्धकार मे डूबी एक रात के आंचल से भोर का सितारा उदय हुआ । MY REACT..अच्छा और आजकल भोर का सितारा दिन के आंचल से निकलता है ? मेरी निगाह वाकई कमजोर हो गयी । चश्मा टेस्ट कराना होगा । भाई अब ??
P..स्वयं अनादि और अनन्त परमेश्वर ने ?? प्रथम और अन्तिम बार ?? पाप में जकड़ी ?? असहाय मानवता ?? के प्रति प्रेम में विवश होकर पूर्णवतार लिया ?? जिसकी प्रतीक्षा प्रकृति एवं प्राणीमात्र को थी ?? MY REACT.. बडा अन्यायी है । भाई । आपका ये परमेश्वर । उस समय आ गया । अभी ईसाई चिल्ला रहे हैं । मुसलमान । हिंदू । सिख । ALL TO ALL सब परेशान हैं । रो रहे हैं । चिल्ला रहे हैं । अभी नहीं आता ? अब प्रेम नहीं करता । वो किसी को ।..और बताओ । आप कह रहे हो । प्रथम और अन्तिम बार ?? आपने तो FUL STOP ही लगा दिया । भगवान जी के नीचे आने पर ??..वैसे मैं आपको एक बात बता दूं कि थोडे समय बाद एक कल्कि भगवान जी । उडीसा के शंभल गांव में आने वाले हैं ??..आप तर्क दे सकते हो कि उडीसा का शम्भल गांव कहां और कौन सा है ?? मैं आपसे एक प्रश्न करता हूं । आप मुझे बताओ । अभी बम्बई कहां है ? मद्रास कहां है ?..स्व काशीराम की प्यारी धर्मबहन । और अब पूरे भारत की बहनजी ने जो शहर के शहर नाम के स्तर पर गायब कर दिये । वे सब कहां है ?? जैसे बूढी बम्बई की जगह नयी हसीना मुम्बई आ गयी । चेन्नई आ गया ।..माधुरी दीक्षित की जगह..कटरीना आ गयी । राजकपूर आदि की जगह अक्षय कुमार आ गये । वैसे ही समय आने पर ये शंभल भी आ जायेगा । बस कल्कि भगवान और शंभल दोनों के पासपोर्ट वीजा आदि डाक्यूमेंट पर भगवान के आफ़िस में कार्य चल रहा है । इसलिये जब तक उनका हवाई जहाज । मृत्युलोक हवाई अड्डे । पर लेन्ड करे । तब तक इंतजार करिये ।
P..वैदिक ग्रन्थों का उपास्य । वाग वै बृह्म । अर्थात वचन ही परमेश्वर है । ( बृहदारण्यक उपनिषद । 1 । 3 । 29 । 4 । 1 2 ) । शब्दाक्षरं परमबृह्म । अर्थात शब्द ही अविनाशी परमबृह्म है । ( बृह्मबिन्दु उपनिषद । 16 ) । समस्त बृह्मांड की रचना करने । तथा संचालित करने वाला । परमप्रधान नायक । ( ऋगवेद 10 125 ) पापग्रस्त मानव मात्र को त्राण देने निष्पाप देह मे धरा पर आ गया । MY REACT..शब्दाक्षरं परमबृह्म । अर्थात शब्द ही अविनाशी परमबृह्म है । ये जो आपने वेदों से..शब्दाक्षरं ..वाली बात लिखी है । इसका एक आना भर भी अगर आपको सही मतलब पता होता । तो आपका जीवन ही सफ़ल हो जाता । वो भी एक जीवन नहीं हमेशा के लिये आने वाले सभी जीवन ही सही हो जाते ।..मेरे ब्लाग और पूरी बातचीत इसी..शब्दाक्षरं परमबृह्म । की बात करते हैं । इसी को सुरति ( यानी एकमन होकर ) और तुम्हारे इसी शब्दाक्षरं परमबृह्म । से मिलाने की साधना या पूजा का नाम ही सुरति शब्द साधना है । आप लोग तो हमारी ही बिरादरी के निकले भाई । अभी तक हम आपको गैर बिरादरी समझ रहे थे । इसीलिये शायद किसी ने कहा है । हिंदू । मुस्लिम । सिख । ईसाई । आपस में सब भाई भाई । CONTI..
सत्यसाहिब जी
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