एक बार ओशो से किसी ने पश्न किया - क्या आप राधा स्वामी धर्म और उनके मौजूदा गुरु चरण सिंह के बारे में कुछ जानकारी रखते हैं ? मैंने अभी कुछ समय पहले उनकी तीन किताबे पढ़ी । और आपकी तरफ से उन पर आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहता हूँ ।
पहला - यहाँ पर बुद्ध के बाद हमेशा से ही कोई न कोई समय का गुरु मौजूद रहता है । और चरण सिंह उनमे से एक हैं ।
दूसरा - उनका सूरत शब्द योग और पांच मन्त्र ही केवल वैध साधना है ।
तीसरा - केवल चरण सिंह ही हमें सूरत शब्द से जोड़ सकते हैं ।
चौथा - यदि आप उनके शिष्य बन जाते हैं । तो आपको और जन्म लेने पङ सकते हैं । परन्तु मौजूदा योनि से नीचे नहीं ।
पांचवां - कुल सात स्वर्ग हैं । हर एक का दर्जा दुसरे से ऊपर है । और केवल चरण सिंह ही वहां तक ले जाने में सक्षम हैं । बाकी संत केवल दुसरे स्वर्ग तक ले जाने में समर्थ होते हैं । जहाँ तक ईसा और बुद्ध की पहुँच थी ।
मैं चरण सिंह का शिष्य नहीं हूँ । और बनने की इच्छा भी नहीं है । परन्तु राधा स्वामी पंथ की किताबों ने बड़ी दुविधा में डाल दिया है ।
ओशो - यह सब बकवास है ।
पहला - यहाँ पर बुद्ध के बाद हमेशा से ही कोई न कोई समय का गुरु मौजूद रहता है । और चरण सिंह उनमे से एक हैं :- जब सभी कुछ ईश्वरीय है । तब ये बकवास है । स्वार्थ का एक खेल है । अखिल सृष्टि परमात्मा से परिपूर्ण है । और ऐसा नहीं है कि कोई परमात्मा से ज्यादा भरा है । और दूसरा कुछ कम । परमात्मा कोई मात्रा नहीं है । और वह कम या ज्यादा नहीं हो सकता । यह विचार कि कोई एक या दो या तीन या चार या पांच गुरु ही ऐसा कर सकते हैं । जैसे परमात्मा किसी सीमा में बंधा हो । इस तरह की कोई सीमाएँ नहीं हैं ।
गुरु हर किसी के अन्दर है । और असली गुरु कभी बाहर नहीं होता । वह अन्दर है । बाहरी गुरु तो उसे छेड़ता/जागृत करता है बस । कुछ लोग जागृत है । और आप गहरी निद्रा में सोये हैं । परन्तु आप में भी जागृत होने
की उतनी ही क्षमता है । जितनी ्कि एक जागृत में । मूलभूत रूप से वह क्षमता आप में है । और बाहरी गुरु । वह व्यक्ति । जो जागृत है । आपको जागरूकता नहीं दे सकता ।
वह क्षमता तुम मे आंतरिक रूप से है । और बाहरी गुरु जो जागृत है । आपको जागृति नहीं दे सकता । वह आपको केवल हिला सकता है । जागृति तो तुम्हारे भीतर है । और इसे वह आपको दे नहीं रहा है । आपको कोई कुछ दे नहीं सकता । परमात्मा ने आपको वो सब दिया है । जिसकी आपको आवश्यकता है । जब आप किसी को नींद में हिलाते हैं । उसे बुलाते हो । तो वह अपनी आँखें खोलता है । और जागृत हो जाता है । तब आपने
उसे क्या दिया । आपने कुछ नहीं दिया । आपने सिर्फ वह अवसर पैदा किया । जिसमें उसकी जागने की क्षमता ने काम किया । गुरु तो केवल एक उपकरण है ।
दुनियाँ में आपके आस पास हजारों गुरु हैं । और वो लोग जो दावा करते हैं कि - केवल मैं ही हूँ.. में निश्चित हो जाओ कि - कम से कम वो तो है ही नहीं । क्योंकि वह जो दावा करता है कि - केवल मै ही हूँ .. वह जानता है कि यहाँ और भी हैं । और पृथ्वी बहुत बड़ी है । और जीवन केवल पृथ्वी पर ही नहीं है । यहाँ कम से कम पचास हज़ार ग्रह और भी हैं । जिन पर जीवन है । और केवल एक गुरु - चरण सिंह । यह उसके लिए बहुत ज्यादा होगा । कैसे
संभालेगा वो । उस बेचारे गरीब की भी सोचो । यह उसके लिए बहुत ज्यादा होगा । दुनिया बहुत बड़ी है । यहाँ हज़ारों गुरु हैं । पृथ्वी पर ही नहीं । दुसरे ग्रहों पर भी । जहाँ कहीं भी लोग सो रहे होते हैं । वहाँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं । जो जाग रहे होते हैं । और ध्यान रखिये । वह जो जाग रहा है । वह इस बात का दावा कभी नहीं करेगा कि - वह जागृत है । वह जानता है कि - वह जाग रहा है । क्योंकि वह सो भी सकता है । और जो अभी तक सो रहे हैं । वे जाग भी सकते हैं । आप केवल इस लिए सोते हैं कि आप जाग जायें । नहीं तो आप क्यों सोयेंगे । सोना और जागना दोनों ही जागृति को व्यक्त करते हैं । नींद में जागृति एक बीज बन जाती है । जैसे आप रात को अपने घर की खिड़कियाँ और दरवाजे बंद कर लेते हो । और सो जाते हो । फिर सुबह जब जागते हो । तो खिडकियाँ
और दरवाजे फिर से खोल देते हो ।
कभी कभी कुछ लोग जो सो रहे होते हैं । वो बिना गुरु के भी जाग जाते हैं । ऐसा नहीं है कि जागने के लिए गुरु आवश्यक है । कुछ ऐसे भी लोग हैं । जो बिना गुरु के भी जागे हैं । और सिर्फ गहरी नींद में सोने के रहस्य द्वारा । भयानक स्वपनों द्वारा वे जाग गए । उनके स्वपनों के कष्ट ही उनके जागने का कारण बने ।
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ओशो कहते हैं - केवल मैं ही हूँ । जब इस तरह का दावा होता है । तो ये दर्शाता है कि - वह आदमी गहरी निद्रा में है । और स्वपन देख रहा है । दूसरा कि पूरी सृष्टि में उनका श्रवण शब्द और पांच नाम ही केवल वैध अध्यात्मिक मन्त्र हैं । दुनियाँ में ध्यान की लाखों विधियाँ हैं । जो शताब्दियों से अविष्कृत , खोजी गयी हैं । और हर वो ध्यान वैध है । जो आपको नींद से जगाता है । और वैधता का ध्यान से कोई लेना देना नहीं है । आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि एक अंग्रेजी के कवि TENNYSON अपने नाम को ही ध्यान में मन्त्र की तरह इस्तेमाल करते थे TENNYSON ..ENNYSON .. TENNYSON
..वो इसको कुछ ही समय तक जपते थे कि उन्हें शान्ति का अनुभव होने लगता था । जब तुम्हारा नाम ही इसे कर सकता है । तो फिर इसके लिए किसी विशेष मन्त्र की आवश्यकता ही नहीं रह जाती । तुम राम राम ॐ ॐ या अल्लाह अल्लाह जपो । तब तुम भी जागृत हो जाओगे । यह ठीक उसी प्रकार है कि जैसे कोई आदमी सो रहा हो । और आप उसके पास कोई शोर करें - राम राम ..कोका कोला कोका कोला .. कुछ भी उसे दोहराते जाइये । और वो आदमी आँखें खोलकर कहेगा - यह क्या कर रहे हो.. मेरी नींद क्यों खराब कर रहे हो .. क्या पागल हो तुम ..हर ध्वनि काम करती है । क्योकि हर ध्वनि दैवीय है ।
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