से परे है । और सदगुरु सदाफ़ल देव जी को dhara adhra ( रोमन से हिन्दी करते समय समझ नहीं आया ये शब्द ) के पार बताते हैं । जो परम पुरुष तक जा सकते हैं । कृपया इसके बारे में detail से बतायें । धन्यवाद । जोरबा टू बुद्धा - ओशो..लेख पर एक टिप्पणी । नाम नहीं लिखा ।
♥♥♥
और अब देखिये । सदाफ़ल द्वारा बताया गया गीता का श्लोक -
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः । सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन । 6-13
अपनी काया । सिर और गर्दन को । 1 सा सीधा । धारण कर । अचल रखते हुये । स्थिर रहकर । अपनी नाक के । आगे वाले भाग की ओर । एकाग्रता से देखते हुये । और किसी दिशा में । नहीं देखना चाहिये ।
और फ़िर देखिये । जो सदाफ़ल ने नहीं बताया । इसमें - सार को जानने वाले और ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः में तत्व दर्शित का मतलब क्या है ? उसके ( 6-13 ) बजाय पहले इस श्लोक पर खास गौर करें ।
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया । उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः । 4-34
सार को । जानने वाले । ज्ञानमंदों को । तुम प्रणाम करो । उनसे प्रश्न करो । और उनकी सेवा करो । वे तुम्हें । ज्ञान में । उपदेश देंगे । ( ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ) इतने वाक्यांश का अर्थ टीका में नहीं है । सिर्फ़ - उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं का ही अर्थ - वे तुम्हें । ज्ञान में । उपदेश देंगे । लिखा है ।
और ये भी गीता में ही लिखा है ।
स्पर्शान्कृत्वा बहिर्बाह्यांश्चक्षुश्चैवान्तरे भ्रुवोः । प्राणापानौ समौ कृत्वा नासाभ्यन्तरचारिणौ । 5 -27
यतेन्द्रियमनोबुद्धिर्मुनिर्मोक्षपरायणः । विगतेच्छाभयक्रोधो यः सदा मुक्त एव सः । 5 -28
बाहरी स्पर्शों को । बाहर कर । अपनी दृष्टि को । अन्दर की ओर । भ्रुवों के मध्य में । लगाये । प्राण और अपान का । नासिकाओं में । 1 सा बहाव कर । इन्द्रियों । मन । और बुद्धि को । नियमित कर । ऐसा मुनि । जो मोक्ष प्राप्ति में ही । लगा हुआ है । इच्छा । भय । और क्रोध से मुक्त । वह सदा ही मुक्त है ।
गीता प्रेस गोरखपुर वालों की मुद्रण गलती से ये महत्वपूर्ण श्लोक गीता में मुद्रित नहीं हो पाया । इसको भी पढें ।

देखम नाकम कहम अन्यम निहारम मम मुखम एवं खीचम चित्रम द्वारा फ़ोनम ।
पार्थ फ़िर स्व चित्रम स्वयं देखम कैसे लगतम हम योगा करतम ।
श्रीकृष्ण बोले - हे अर्जुन ! ये योग करते समय तुम दोनों आँखों से अपनी नाक की नोक को देखो । और द्रौपदी को बोलो । इस योग को करते समय तुम्हें देखे कि तुम्हारा मुख कैसा लगता है । और अपने मोबायल फ़ोन द्वारा तुम्हारा चित्र खींचे । फ़िर उस चित्र को तुम स्वयं देखो कि - इस अदभुत योग ? को करते हुये तुम कैसे लग रहे थे । अर्थात तुम्हारी क्या स्थिति थी ?
♥♥♥
और ये देखिये । सदाफ़ल जी के बारे में नेट से प्राप्त जानकारी । और सदाफ़ल जी के 2 फ़ोटो ।

This knowledge is emerged from Brahma so it is also named as Brahma Vidhya and who ever has gained this knowledge by practising it called Brahma Rishi. Through the Vihangam Yoga meditation, one easily raises his soul's energy to open "Kundalini sakti" ( the hidden Potential in all of us ) under the able guidance of a true Sadguru and attains Soul's conscious state, from where it actually starts the pray to "Supreme
Soul". This is a situation where the soul is in its own state i.e it is not attached with Maan ( Intellect or
Mind ) and Prana - the true form.
♥♥♥
और ये लिंक । क्लिक करें ।
http://vihangamyoga.tripod.com/id1.html
http://www.youtube.com/watch?v=tsm25TRIGAQ
♥♥♥
A Girl and A Boy were standing in front of a mirror, The Girl asked - What do you see..? The Boy smiled :) and said - The rest of my life ♥♥
♥♥♥

अलविदा कहती थी । या पास बुलाती थी उसे । गुलज़ार
♥♥♥
ਇੱਕ ਦਰੀਆ ਵਗਣਾ ਹੰਝੂਆਂ ਦਾ । ਜਿਹਦਾ ਰਸਤਾ ਸਾਡੀ ਅੱਖ ਸੱਜਣਾ ।
ਪੈਰਾਂ ਵਿੱਚ ਲਤੜੇ ਜਾਵਾਂਗੇ । ਤਾਨੇ ਮਾਰੂ ਹਰ ਕੱਖ ਸੱਜਣਾ ।
ਸਾਡਾ ਵਾਸਤਾ ਈ ਮੈਨੂੰ ਨਾ ਰੋਲੀਂ । ਕਦੀ ਹੋਵੀਂ ਨਾ ਤੂੰ ਵੱਖ ਸੱਜਣਾ ।
♥♥♥
चलिये बहुत से प्रश्नों के उत्तर देने का कार्य एकत्र हो गया । जल्दी ही मिलते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें