राजीव ( दीक्षित ) भाई बताते हैं - आयुर्वेद के अनुसार high BP की बीमारी ठीक करने के लिए घर में उपलब्ध कुछ आयुर्वेदिक दबाईयां हैं । जो आप ले सकते हैं । जैसे एक बहुत अच्छी दवा है । आपके घर में है । वो है - दालचीनी । जो मसाले के रूप में उपयोग होता है । वो आप पत्थर में पीस कर पावडर बना कर आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ खाईए ।
अगर थोडा खर्च कर सकते हैं । तो दालचीनी को शहद के साथ लीजिये ( आधा चम्मच शहद । आधा चम्मच दालचीनी ) गरम पानी के साथ । ये high BP के लिए बहुत अच्छी दवा है । और एक अच्छी दवा है । जो आप ले सकते हैं । पर दोनों में से कोई एक । दूसरी दवा है - मैथी दाना । मैथी दाना आधा चम्मच लीजिये । 1 गिलास गरम पानी में । और रात को भिगो दीजिये । रात भर पड़ा रहने दीजिये - पानी में । और सुबह उठ कर पानी को पी लीजिये ।
और मैथी दाने को चबा कर खा लीजिये । ये बहुत जल्दी आपकी high BP कम कर देगा । डेढ से 2 महीने में एकदम स्वाभाविक कर देगा ।
और एक तीसरी अच्छी दवा है high BP के लिए । वो है - अर्जुन की छाल । अर्जुन एक वृक्ष होता है । उसकी छाल को धुप में सुखा कर । पत्थर में पीस कर । इसका पावडर बना लीजिये । आधा चम्मच पावडर । आधा गिलास गरम पानी में मिलाकर उबाल लें । और खूब उबालने के बाद इसको चाय की तरह पी लें । ये high BP को ठीक करेगा । कोलेस्ट्रोल को ठीक करेगा । ट्राईग्लिसाराईड को ठीक करेगा । मोटापा कम करता है । हार्ट में अर्टेरिस में अगर कोई ब्लोकेज है । तो वो ब्लोकेज को भी निकाल देता है । ये अर्जुन की छाल । डॉक्टर अक्सर ये कहते है न कि - दिल कमजोर है आपका । अगर दिल कमजोर है । तो आप जरुर अर्जुन की छाल लीजिये हर दिन । दिल बहुत मजबूत हो जायेगा
आपका । आपका ESR ठीक होगा । ejection fraction भी ठीक हो जायेगा । बहुत अच्छी दवा है ये - अर्जुन की छाल ।
और एक अच्छी दवा है । हमारे घर में । वो है - लौकी का रस । 1 कप लौकी का रस रोज पीना । सबेरे खाली पेट नाश्ता करने से एक घंटे पहले । और इस लौकी की रस में । 5 धनिया पत्ता । 5 पुदीना पत्ता । 5 तुलसी पत्ता मिला कर । 3-4 काली मिर्च पीस कर ये सब डाल कर पीना । ये बहुत अच्छा आपके BP ठीक करेगा । और ये ह्रदय को भी बहुत व्यवस्थित कर देता है । कोलेस्ट्रोल को ठीक रखेगा । डाइबिटीज में भी काम आता है ।
और एक मुफ्त की दवा है - बेल पत्र के पत्ते । ये उच्च रक्तचाप में बहुत काम आते है । 5 बेल पत्र लेकर पत्थर में पीस कर उसकी चटनी बनाइये । अब इस चटनी को 1 गिलास पानी में डाल कर खूब गरम कर लीजिये । इतना गरम करिए कि - पानी आधा हो जाये । फिर उसको ठंडा करके पी लीजिये ।
ये सबसे जल्दी उच्च रक्तचाप को ठीक करता है । और ये बेल पत्र आपके शुगर को भी सामान्य कर देगा । जिनको उच्च रक्तचाप और शुगर दोनों है । उनके लिए बेल पत्र सबसे अच्छी दवा है ।
और एक मुफ्त की दवा है । हाई BP के लिए । देशी गाय का मूत्र पियें । आधा कप रोज सुबह खाली पेट । ये बहुत जल्दी हाई BP को ठीक कर देता है । और ये गौ मूत्र बहुत अद्भूत है । ये हाई BP को भी ठीक करता है । और low BP को भी ठीक कर देता है । दोनों में काम आता है । और यही गौ मूत्र डाइबिटीज को भी ठीक कर देता है । Arthritis Gout ( गठिया ) दोनों ठीक होते है । अगर आप गौ मूत्र लगातार पी रहे हैं । तो दमा भी ठीक होता है । अस्थमा भी ठीक होता है । Tuberculosis भी ठीक हो जाती है । इसमें 2 सावधानियां ध्यान रखने की है कि गाय शुद्ध रूप से देशी हो । और वो गर्भावस्था में न हो ।
low BP की बीमारी के लिए दवा - निम्न रक्त चाप की बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवा है - गुङ । ये गुङ पानी में मिला कर । नमक डाल कर । नीबू का रस मिलाकर पी लो । एक गिलास पानी में । 25 ग्राम गुङ । थोडा
नमक । नीबू का रस । मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से low BP सबसे जल्दी ठीक होगा ।
और एक अच्छी दवा है । अगर आपके पास थोड़े पैसे हैं ? तो रोज अनार का रस पियो । नमक डालकर । इससे बहुत जल्दी low BP ठीक हो जाती है । गन्ने का रस पियें । नमक डालकर । ये भी low BP ठीक कर देता है । संतरे का रस । नमक डाल कर पियो । ये भी low BP ठीक कर देता है । अनन्नास का रस पियें । नमक डाल कर । ये भी low BP ठीक कर देता है । low BP के लिए । और एक बढ़िया दवा है - मिसरी और मक्खन मिलाकर खाओ । ये low BP की सबसे अच्छी दवा है ।
low BP के लिए । और एक बढ़िया दवा है । दूध में घी मिलाकर पियो । 1 गिलास देशी गाय का दूध । और 1 चम्मच देशी गाय का घी । मिलाकर रात को पीने से low BP बहुत अच्छे से ठीक होगा ।
और एक अच्छी दवा है । low BP की । और सबसे सस्ता भी । वो है - नमक का पानी पियो । दिन में 2-3 बार । जो गरीब लोग हैं । ये उनके लिए सबसे अच्छा है ।
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http://www.youtube.com/watch?v=z1rr1cdf5s8
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यह सब मात्र पिछले 6 माह में - 2437 हत्या के प्रकरण । 1100 से ऊपर शारीरिक शोषण के प्रकरण । 450 से ऊपर लूट पाट के प्रकरण । कोसीकलां । रायबरेली । लखनऊ । कानपूर । इलाहाबाद ।.कई अन्य प्रान्तों के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में दंगे । विचार योग्य विषय यह है कि - ये तो मात्र सरकारी आंकडें हैं । वास्तविकता तो और भी गंभीर होगी । जो उत्तर प्रदेश की प्रजा ही जानती है ।
http://ibnlive.in.com/news/2437-murders-in-6-months-akhilesh-admits-crisis/291901-37.html
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A dialogue from the movie ..Knock Out - जो भी करना । हमेशा दिल से करना । क्योंकि दिल वैसे लेफ्ट में होता है । लेकिन हमेशा राइट होता है ।
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हर चीज का हल होता है । आज नहीं तो कल होता है - एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया । और कहा - राजन इसे अपने गले में डाल लो । और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये कि जब तुम्हें लगे कि बस अब तो सब ख़त्म होने वाला है । परेशानी के भंवर में अपने को फंसा पाओ । कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो । हर तरफ निराशा और हताशा हो । तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना । उससे पहले नहीं ।
राजा ने वह ताबीज अपने गले में पहन लिया । एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल में गया । एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया । और दुश्मन राजा की सीमा में प्रवेश कर गया । घना जंगल । और सांझ का समय । तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई । और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई । राजा आगे आगे । दुश्मन सैनिक पीछे पीछे । बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया । भूख प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी । उसने तुरन्त स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ में छुपा लिया । और सांस रोक कर बैठ गया । दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी । दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा । उसे लगा कि बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे । वो जिंदगी से निराश हो ही गया था कि उसका हाथ अपने ताबीज पर गया । और उसे साधू की बात याद आ गई । उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला । और पढ़ा । उस पर्ची पर लिखा था - यह भी कट जाएगा ।
राजा को अचानक ही जैसे घोर अन्धकार में एक ज्योति की किरण दिखी । डूबते को जैसे कोई सहारा मिला । उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ । उसे लगा कि सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा । फिर मैं क्यों चिंतित होऊँ । अपने प्रभु और अपने पर विश्वास रख उसने स्वयं से कहा कि - हाँ ! यह भी कट जाएगा ।
और हुआ भी यही । दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी । कुछ समय बाद वहां शांति छा गई । राजा रात मे गुफा से निकला । और किसी तरह अपने राज्य में वापस आ गया ।
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अनन्याश्चितयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते । तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहं ।
अर्थात - जब भी कोई व्यक्ति पवित्र उद्देश्य से कोई भी कार्य हाथ में लेता है । और यदि अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य ।
प्रयत्न । एवं आत्म संयम के साथ अपने संकल्प को बनाये रख सकता है । तो उसे अपने “ योग ” और “ क्षेम ” की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है । क्योंकि यह उत्तरदायित्व स्वयं प्रभु अपनी इच्छा से निभाया करते हैं । आदि गुरु श्री शंकराचार्य के अनुसार योग का अर्थ होता है - अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति के लिए संघर्ष । तथा - प्राप्त वस्तु के रक्षण के लिए प्रयत्न । ही क्षेम जाना जाता है ।
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महान मूर्तिकार माइकेल एंजिलो ने कहा था - छोटी छोटी बातें परिपूर्ण बनाती हैं । और परिपूर्णता कोई छोटी बात नही हैं ।
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जाम जिसने उठा लिया है । जिन्दगी में फना होने का । उसकी किस्मत में कामयाबी ही कामयाबी है ।
न मंजिल है न थकान ही है केवल चलना है । चाल में हसरत चलते रहने की । नज़र गुलाबी है ।
कभी जब पैर लडखडाते हैं । होंठ मुस्करा देते । इरादे हैं उडान से भी ऊपर । हौसले बेहिसाबी हैं ।
इश्क फ़ना का नाम है । इश्क में ज़िन्दगी न देख । जलवा ए आफताब बन । ज़र्रे में रोशनी न देख ।
शौक़ को रहनुमा बना । जो हो चूका कभी न देख । आग दबी हुयी निकाल आग बुझी हुयी न देख ।
- जिगर मुरादाबादी
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तोरा मन दर्पण कहलाये । भले बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए ।
मन ही देवता मन ही ईश्वर ? मन से बड़ा ना कोई ?
मन उजियारा जब जब फैले । जग उजियारा होए ?
इस उजले दर्पण पर प्राणी धूल ना ज़मने पाए ।
सुख की कलियाँ दुःख के काँटे । मन सबका आधार ।
मन से कोई बात छूपे ना । मन के नैन हजार ।
जग से चाहे भाग ले कोई । मन से भाग ना पाए ।
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" द पावर ऑफ माइंड " में स्वामी विवेकानन्द ने कहा है - यदि जीवन में अभीष्ट सफलता चाहते हो । तो एक आदर्श लो । उसका चिंतन मनन करो । उसी को अपने सपने में पालो । उसी को अपना जीवन बना लो । अपने मस्तिष्क मांसपेशियों स्नायुतंत्र एवं समूचे अंग प्रत्यंगो को इसी आदर्श व विचार से ओत प्रोत कर दो । अन्य विचारों को एक तरफ हटा दो । फिर देखो सफलता कैसे तुम्हारे चरण चूमती है ।
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प्रेम उस समय आता है । जब हमें उसकी उम्मीद नही होती । जब हम उसकी तलाश में नहीं होते । प्रेम के पीछे पड़ने से कभी सही साथी नहीं मिलता ।
यह केवल चाह और असंतोष उत्पन्न करता है । प्रेम कभी हमारे बाहर नहीं होता । यह हमारे भीतर होता है । इस बात पर जोर ना दें कि प्रेम तत्काल आ जाये ।
शायद आप पर्याप्त तैयार नहीं हैं । या आप अपने प्यार को आकृष्ट करने के लिए पर्याप्त विकसित नही हो पायें हैं । " किसी को पाना है " सिर्फ इसीलिये रिश्ते ना बनायें । समझौता ना करें । अपने मानदंड स्थापित करें । आप किस प्रकार का प्रेम चाहते हैं ? अपने गुणों की सुंची बनाएँ । और आप ऐसे व्यक्ति को आकर्षित करेंगे । जिनमें वे गुण होंगे । आप इस बात की जाच करें कि कौन सी बात प्रेम को दूर रख रही है ? क्या वह आलोचना हो सकती है ? या अयोग्य होने की भावनाएं ? अनुपयुक्त मानदंड ? अंतरंगता का भय ?
ऐसी धारणा कि आप प्रेम के योग्य नहीं हैं ? जब प्रेम आये । तो उसके लिए तैयार रहें । आधार तैयार करें । और प्रेम को पोषित करें । खुद को प्रेम करें । और आपको प्रेम मिलेंगा । प्रेम के प्रति मन खुला रखें । और उसका स्वागत करे ।
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