18 अप्रैल 2012

राजीव की रहस्यमय दुनियाँ

इससे पहले की कथा सुननी है । तो इससे पहले का लेख - इस दुनियाँ में इससे आनन्दित कुछ नहीं । पढें ।
...यहाँ भी बात वही है । आपकी पात्रता । और आपके गुरु की स्थिति । पर ज्यादातर साधक यहाँ डर ही जाते हैं । क्योंकि तांत्रिक बङे खतरनाक होते हैं । यहाँ आपको गन्दे स्थान और अजीव से सामान सजाबट अधिक देखने को मिलेगी । यहाँ भी अमीरी गरीबी देखने को मिलेगी । विभिन्न जगह तंत्र क्रियाओं का अनुष्ठान भी होता मिलेगा । तांत्रिक आपको कैद करने के लिये कई प्रयास भी करेंगे । बात वहीं बार बार आयेगी । गुरु की पोजीशन क्या है ?
मैंने खास तांत्रिक लोकों को बहुत घूमा है । क्योंकि मैं स्पष्ट कर दूँ । इससे पूर्व ( जन्म ) की मेरी योग यात्रा में तांत्रिक रुझान खासा था । यहाँ जाने का सीधा मतलब है - पंगा । अपने आपको सिद्ध करो । जैसा कि किसी कट्टर तालिबानी इलाके में अकेले फ़ँस गये हों । ये लोग आक्रमण के लिये तलवारें कुल्हाङी आदि भी रखते हैं । पर साधक घबरायें न । वे आपका कुछ नहीं बिगाङ सकते । दरअसल योग की ये खासियत है कि साधारण साधक जिस भी लोक में जायेगा । उसी लोक अनुसार उसका सूक्ष्म शरीर हो जायेगा । और तब वे आपको अपरिचित समझते हैं । और आपको उस सब घनचक्कर के बारे में 


कुछ पता नहीं होता । इसलिये साधक अक्सर घबरा जाते हैं । अगर वे आप पर किसी प्रकार का घात करेंगे भी । ठीक उसी समय ध्यान भंग हो जायेगा । लेकिन हठ योग वाले बिना गुरु वाले उनकी पकङ में आ जाते हैं । और कैद हो जाते हैं । इन्हीं लोगों की उसी समय या कुछ बाद में मृत्यु हो जाती है ।
अलबत्ता तांत्रिक स्त्रियाँ अलग प्रकार की होती हैं । अगर आप भाग्यवश ऐसे किसी स्थान पर पहुँच गये कि सीधे ही कोई तांत्रिक स्त्री आपको मिल गयी । तो वो सिर्फ़ एक ही काम में अधिक इंट्रेस्टिंड होगी । आपसे SEX करने को । अक्सर उनके कमरों में रहस्यमय लाल मद्धिम प्रकाश और किसी जङी के धुँयें की लगभग बदबू सी खुशबू अवश्य ही मिलती है । ऐसे अंतर्लोकों में औपचारिकता का कोई झंझट नहीं होता । कोई दुआ सलाम नहीं । कोई बहन जी भाभी जी नहीं । बस गिराओ । और शुरू हो जाओ । इसका एक और भी रहस्य होता है । एक समर्थ गुरु दो कारणों से यहाँ अंधेरा करके इस स्थिति को बिना दिखाये ही जल्दी से 

क्योंकि ये क्रिया स्त्री पुरुष दोनों साधकों के साथ ही लगभग निश्चित होती है । हरेक जीव का किसी न किसी स्तर पर पूर्व ( या जन्म ) में तंत्र से जुङाव रहता ही है । तो वो उनके जमा कारण संस्कार भी कटते हैं ।


निकाल देता है । 1 साधक को SEX में रुचि होने जाने के कारण उसका ध्यान वहाँ अटक सकता है । और योग रुक जायेगा । क्योंकि वो सोचेगा । फ़िर वो ही करूँ । पर वो कारण खत्म हो चुका होगा । 2 कोई अच्छे संस्कार का योग बिज्ञान से अपरिचित साधक सोच सकता है - ये कैसी भक्ति है ? कोई भृष्ट गुरु लगता है । क्योंकि इस स्थिति में लगभग 1 महीने तक निरन्तर कहीं न कहीं सम्भोग स्थिति बनती हैं । और प्रतिदिन ही वीर्य स्खलित होता है । आप समझ सकते हैं । तब अलग अलग दिमाग के इंसान पर विपरीत असर भी पङ सकता है । इसलिये हम ऐसे स्थानों पर अंधेरा कर देते हैं । और साधक को सिर्फ़ किसी कामुक सपने की अनुभूति होती है । योग में उसकी रुचि बनी रहे । एकाध बार झलक भी दिखा देते हैं । संस्कार बहुत मामूली होने पर फ़ास्ट फ़ारवर्ड की तरह उसे आगे बढा भी देते हैं । ये सब कुछ गुरु पर निर्भर करता है । पर इतना तय है । तांत्रिक लोकों में घूमना किसी रोमांचक भूतिया थ्रिलर एक्शन मूवी का अहसास कराता है । अच्छी तांत्रिक स्त्रियाँ मिल जायें । फ़िर तो कहने ही क्या हैं ? इसीलिये तमाम अज्ञानी साधक यहीं फ़ँस जाते हैं ।
यह अनुभव किसी जङ समाधि और कच्चे योग के समान होता है । इसमें शरीर पर नियंत्रण नहीं होता । और क्रिया पूरी हो जाने पर ही साधक आवेश से बाहर आता है । तब तक वह घबराये । या कुछ भी करे । एक तरह की तरंगों में कैद सा रहता है । आप समझ सकते हैं । अगर डूबने का डर लगा रहे । तो आदमी कभी तैरना नहीं सीख सकता । बच्चा भी चलना सीखने से पहले दस बार गिरता है । अतः किसी खतरनाक तिलिस्म की
कल्पना न कर लें । ये योग की साधारण और अनिवार्य घटनायें हैं ।
मैंने एक चीज और देखी है । योग में आंतरिक सेक्स के अनुभव होते ही स्त्री पुरुष बङी रुचि से योग अभ्यास करते हैं । और फ़िर बङे झिझकते हुये बताते हैं - ऐसा अनुभव होना कुछ गलत तो नहीं ?
- कुछ गलत नहीं । मैं जबाब देता हूँ - दरअसल अन्दर जो भी प्रत्यक्ष होगा । वो तुम्ही हो । तुम्हारी खुद की ही पूर्व वासनायें हैं । क्योंकि सब कुछ तुम्हारे अन्दर ही तो घट रहा है ।
वास्तव में यही वो मुख्य कारण हैं । जिससे प्रत्येक साधक के योग अनुभवों में अंतर होता है । क्योंकि सभी की वासनायें अलग अलग ही होती हैं ।
चाहे तांत्रिक लोक हों । अन्य कोई भी लोक । या अदृश्य सत्ता के लिये कार्य करने वाले विभिन्न प्रशासनिक लोक । मैंने एक चीज वहाँ खास देखी । इस प्रथ्वी की तरह बेडौल शरीर के स्त्री पुरुष कहीं नहीं होते । और प्रायः मोटे या बहुत दुबले सूखे तो हरगिज नहीं होते । और ऐसा भी नहीं । सभी बहुत सुन्दर पुष्ट ही होते हों । अक्सर सामान्य शरीर सामान्य अंगों वाले स्त्री पुरुष होते हैं । हाँ काले  गोरे अवश्य होते हैं ।
इसका कारण यही है । यहाँ पहले के कर्म फ़ल के अनुसार आपको यह शरीर मिलता है । और मनुष्य शरीर कर्म प्रधान होने के कारण आप फ़िर से पतले को मोटा । मोटे को पतला । कुरूप को सुन्दर । और सुन्दर को कुरूप भी कर सकते हैं । सब कुछ आपके हाथ में हैं । जबकि वह सभी शरीर आपके संचित पुण्य पाप के आधार पर मिलते हैं । इसलिये स्थिर होते हैं । उसमें कोई बदलाव नहीं हो्ते ।
जिस प्रकार संसार के बाजार में । भीङ में कोई स्त्री पुरुष आपको बहुत आकर्षित करता है । कोई कम । और कोई सामान्य । और किसी की तरफ़ निगाह भी नहीं जाती । और किसी को देखने से ही घिन आती है । आपने कभी सोचा । ऐसा क्यों ? ANS - MATTER . जी हाँ ! आपके अन्दर के गुण । चरित्र । तेज । रूप । व्यक्तित्व । आभा आदि MATTER से आपका एक आकार बनता है । वह आकार कितना प्रभावशाली है ? बस वही आकर्षण के % का कारण होगा ।
ठीक यही बात आंतरिक लोकों में भी है । इसलिये - अंधेर नगरी चौपट राजा । टके सेर भाजी टके सेर खाजा ..वाला हिसाब मत सोच लेना कि जो भी जाता है । उसकी बल्ले बल्ले ही हो जाती है । यही अमीरी गरीबी । सुन्दर असुन्दर आदि सभी भेद भाव वहाँ भी है । आप सोच रहे होंगे । अन्दर पैसा शरीर तो जाता ही नहीं । फ़िर ?
जी नहीं ! आपका संचित पुण्य । तेज । चरित्र । भक्ति भाव । दृणता आदि सभी MATTER की आभा वहाँ आपको

अमीर या गरीब सुन्दर असुन्दर बनाती है । आपकी योग स्थिति वहाँ आपको पावर फ़ुल या कमजोर या सामान्य बनाती हैं । ये भी एक कारण हैं । जिससे साधकों के अनुभव में भारी भिन्नता होती है ।
नहीं फ़िर आप मुझसे शिकायत करो - राजीव जी ! तो कह रहे थे । अप्सरा - हाय हेंडसम बोलेगी । ये तो शटअप ब्लडी फ़ूल बोल रही है । और ये भी मत सोच लेना । आप वहाँ अन्दर चले गये । तो आपने कोई बहुत बङा तीर मार लिया । वहाँ आप जैसे पर्यटक लाखों की संख्या में 24 घण्टे अंतरिक्ष के विभिन्न स्थानों से आते रहते हैं । हालांकि इस सबको सही स्थिति में जानने समझने के लिये बहुत गहन अभ्यास की आवश्यकता है । ये सब विलक्षण अनुभव सिर्फ़ उन्हीं के हिस्से में आते हैं । योग ही जिनका  full time job है । मेरे जैसे । बीबी न बच्चे । बस पहनने को दो ही कच्छे ।


- इंटरवल ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326