बूंद बूंद से सागर बनता है । और क्षण क्षण से जीवन । बूंद को जो पहचान ले । वह सागर को जान लेता है । और क्षण को जो पा ले । वह जीवन पा लेता है - ओशो ।
लेकिन कल तो कभी आता नहीं । जब भी आता है । आज ही आता है । कल भी आज ही आएगा - ओशो ।
तेरे इश्क की खुशबू में खोया खोया सा रहता हूँ ।
मुझे सब लोग छेड़ते रहते हैं कि मे सोया सोया सा रहता हूँ ।
ज्ञानी हमेशा चुप और शांत होता है । वह पूछने पर या जरुररत पर ही बोलता है । वह ज्ञानी के साथ ज्ञानी होता । और मूर्ख के साथ मूर्ख हो जाता है । बच्चों के साथ बच्चा हो जाता है । जवान के साथ जवान होता है । वह किसी भी रंग में अपने को रंग देता है । वही ज्ञानी और योगी है ।
जब वो शरीर में थे । तब भी लोग चूक गए थे । और अब भी चूक रहे हैं । आगे भी बुद्ध होंगे । और चूकेंगे । ये संसार का शाश्वत नियम है ।
हाजिर की हुज्जत गये की तलाशी - इसी को कहा है ।
जो होश पूर्वक जीता है । उसे किसी गुरु की जरुरत नहीं पड़ती है ।
ख़याल रहे । इस पूरी प्रथ्वी के इतिहास में जितने गुरु अपनी जिन्दगी
में बुद्ध ने बनाये । और किसी ने नहीं बनाये । कोई गुरु पार नहीं लगा पाया । अंत में खुद का ही होश काम आया । इसीलिए तो बुद्ध ने खुद जानकर कहा - कोई तुम्हे कुछ नहीं दे सकता । मैं भी नहीं - अप्पो दिप्पो भव । एस धमो सनन्तनो । सत्य ही सनातन है । सत्य ही शाश्वत है ।
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