सही कहा जाये । तो इस समय कुछ भी लिखने या अन्य माध्यम से कोई जागरूकता फ़ैलाने से कुछ भी होने वाला नहीं है । क्योंकि भले ही आपको मालूम न हो । पर धर्म क्षेत्र में पक्ष विपक्ष की सेनायें युद्ध भूमि में तैनात हैं । बहुत पहले से हैं । वे मतिमन्द हैं । जो किसी चमत्कार अवतार की प्रतीक्षा में है । आपको आश्चर्य होगा । पर इसकी शुरूआत लगभग साठ वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी । ये मैं युद्ध के निर्णय और निर्णयात्मक वार्ता की बात कर रहा हूँ । जो कि किसी भी युद्ध से पूर्व संवैधानिक और सामाजिक औपचारिकता का व्यवहारिक नियम सा होता है ।
यदि आपको धृतराष्ट दुर्योधन आदि की याद हो । तो इनकी अधर्म के लिये अतिवादिता और भी पहले से लगभग मुगलकाल से ही चली आ रही है ।
तब यदि निष्पक्ष और साक्षी भाव से यदि आप पिछले साठ सालों को देखें । तो आपको हर चीज चरम के पतन पर दिखाई देगी । यदि आप विज्ञान की बेतहाशा प्रगति की बात करें । तो विज्ञान ने एक सभ्य सुसंस्कृत समाज
बनाने के बजाय राक्षसी प्रवृतियों को ही अधिक बढाया है । भौतिकवाद इस कदर हावी हुआ कि लगभग हर वस्तु को निगल गया । ऐसी तमाम चीजों का आप पिछले साठ सालों का ही अध्ययन करें । तो हवा , पानी , भोजन , स्थान सभी कुछ सङे घाव की तरह कीङों से बिजबिजा रहे हैं । मनुष्य बुद्धि के स्तर पर आपको भले ही यह बात हवा हवाई लगती हो । पर सच यही है कि प्रथ्वी की हालत इस समय अर्जुन के उस दिव्य रथ के समान ही है । जो अनेकों दिग्गजों की भीषण मार से चकनाचूर तो हो गया था । पर श्रीकृष्ण और हनुमान की योग शक्तियों से दिखावटी अस्तित्व रूप बचा हुआ था । कम से कम मुझे तो कोई हैरानी नहीं है कि अभी प्रथ्वी की यही हालत है । अलौकिक अदृश्य शक्तियों के सहारे से ही प्रथ्वी पर जीवन की क्रियायें और जनजीवन भले ही गम्भीर रोगी की अवस्था में सही पर चल रहा है ।
पर मरणासन्न रोगी और थके घायल योद्धा बहुत लम्बे समय तक संघर्ष नहीं कर सकते । कभी न कभी तो वह वक्त आता ही है । जब वह अन्तिम अंजाम पर पहुँचते हैं ।
मैं आपको सही बताऊँ । तो ज्योतिष विज्ञान में मुझे कोई खास महारत हासिल नहीं है । मैंने कभी कभी इसका सामान्य सा अध्ययन ही किया है । लेकिन अभी मैंने कोई ग्रह नक्षत्र की गणना नहीं की । फ़िर भी ज्योतिष के जानकार देख सकते हैं कि - युद्ध का राजा मंगल ग्रह और बीमारी महामारी अशांति आदि का नक्षत्र शनि पूरी
मजबूती के साथ बीते चार दिनों से मैदान में जम गये हैं । और इनकी तीवृ गतिविधियां बढने लगी हैं ।
कोई साधारण ज्ञान वाला भी समझ सकता है कि आज विश्व के क्या हालात हैं । ऐसे में युद्ध महामारी और बीच बीच में प्राकृतिक प्रकोप क्या कहर ढायेंगे । आसानी से सोचा जा सकता है । और व्यक्तिगत तौर पर इससे बचने का कोई उपाय भी नहीं है । जो आप मुझसे उपाय पूछने लगो । वास्तव में जिनका उपाय होना था । हो चुका । अब परिणाम की बारी है । लेकिन फ़िर भी इससे घबराने के बजाय आप अधिकाधिक साहेब की भक्ति यानी सरल भाव से प्रार्थना करें कि वो आपको आने वाली भयानक मुसीबतों से बचाये ।
मेरी जानकारी के अनुसार चार महीने के बाद ही बङी घटनाओं की शुरूआत हो जायेगी । और छोटी मोटी तो अभी से निरंतर होती ही रहेंगी । वास्तव में यह सब दिसम्बर 2012 में ही प्रस्तावित था । पर क्योंकि पिछले दस बीस सालों से अनेक भविष्य वाणियां ( अंश ) प्रलय की बात कह रही थी । इससे उस समय के एकदम निकट आने से जनमानस में वैश्विक स्तर पर घबराहट फ़ैल गयी । और लोग सच्चे भाव से मालिक से प्रार्थना में जुट गये । इससे एकदम सात्विक तरंगों में वृद्धि और जनमत की भावना के चलते वह सब सांकेतिक होकर रह गया । आप देखेंगे । तो ये भी एक तरीका होता है । जिसमें कोई शासन प्रशासन कार्य करता है । यदि हङबङाहट का माहौल बन गया है । तो कार्य को कुछ समय के लिये स्थगित कर देना । और फ़िर ऐसा माहौल बनना । जिसमें सुनवाई की गुंजाइश ही न बचे । और इसके बाद बिना किसी पूर्व सूचना के संयमित अन्दाज में कार्यवाही करना ।
मैंने कई बार बताया है कि ऐसे कार्यों में राजसी कपङे पहने मुकुट वगैरह लगाये । हाथ में धनुष वाण लिये । चक्र गदा आदि लिये कोई देवी देवता नहीं उतरेंगे । ( क्योंकि हर बात देश समाज काल की स्थितियों के अनुसार ही होती है । ) बल्कि प्रमुख मनुष्यों को माध्यम बनाकर आवेश द्वारा ये खेल होगा । जैसे हम रिमोट कंट्रोल से टीवी चलाते हैं ।
किस तरह होगा - सर्वप्रथम धर्म या धर्मगुरुओं के क्षेत्र में जनता को घोर अविश्वास पैदा हो जायेगा । इसको दूसरे शब्दों में यों भी कह सकते हैं कि जनमानस को भृमित करने के लिये नकली धर्मगुरुओं की फ़ौज ही कालपुरुष मैदान में उतार देगा । और इस वजह से उसकी धर्म या भगवान से आस्था ही उठ जायेगी । या संदेह पैदा हो जायेगा । कुछ धर्म समर्थक और कुछ विरोधी अपनी अपनी अज्ञानता और कुतर्कों से भृम फ़ैलाकर ( अपने कार्यों द्वारा भी ) इस आग में घी डालने का काम ही करेंगे । आपको आश्चर्य होगा कि किसी युद्ध में गुप्तचरों की जो भूमिका होती है । वही इनकी ( है ) होगी । क्योंकि वास्तव में ये कालदूत ( आवेशित जीव ) हैं ।
- राजनेता नीचता बेशर्मी और बेहयाई का पर्याय बन जायेंगे । और सरेआम ( बलात्कार समान - जबरदस्ती किया गया कार्य ) भृष्टाचार के गुणगान करेंगे । यदि धर्म शास्त्र की भाषा में कहें । तो ओजहीन होकर ऊल जलूल क्रियाकलाप करने को विवश हो जायेंगे ।
- पाप अपने सभी अंगों से खुलकर प्रकट हो जायेगा । जीव हत्या बङे पैमाने पर होगी । यह पाप कर्म और उसका आवरण घेरा जीव को सोचने नहीं देगा । और वह अन्त में दुर्गति को प्राप्त होगा ।
- प्रकृति नियमानुसार ऐसी स्थिति में विनाश के लिये तैयार हो जायेगी । और सभी चीजों का नव सन्तुलन बनाकर अपना कार्य करेगी ।
- यदि आप 2025 तक जीवित बचते हैं । तो निसंदेह आप ( युग परिवर्तन जैसी झूठ बात तो मैं नहीं कहता । क्योंकि कलियुग के अभी 17 000 से भी अधिक वर्ष शेष हैं । ) एक खुशहाल हरी भरी और स्थान से भरपूर सभी तरह से समृद्ध उस प्रथ्वी को देखेंगे । जिस पर सिर्फ़ एक ही धर्म की पताका फ़हरा रही होगी । और वह है - सनातन धर्म ।
इसके साथ ही आप बदलाव की उस अदभुत घटना के भी साक्षी होंगे । जो बहुत ही कम जीवों को नसीब होती है । मेरी जानकारी के अनुसार 2025 से 3025 तक एक हजार वर्षों के लिये अस्थायी सतयुग रहेगा । और सिर्फ़ एकमात्र सनातन धर्म को पूर्ण समृद्ध किया जायेगा । यहाँ तक कि वर्तमान में सनातन धर्म का विकृत स्वरूप हिन्दू धर्म भी कहीं खोजे से नहीं मिलेगा । फ़िर और संक्रमित नासूर जैसे धर्मों की तो बात ही क्या की जाये ।
यदि आपको धृतराष्ट दुर्योधन आदि की याद हो । तो इनकी अधर्म के लिये अतिवादिता और भी पहले से लगभग मुगलकाल से ही चली आ रही है ।
तब यदि निष्पक्ष और साक्षी भाव से यदि आप पिछले साठ सालों को देखें । तो आपको हर चीज चरम के पतन पर दिखाई देगी । यदि आप विज्ञान की बेतहाशा प्रगति की बात करें । तो विज्ञान ने एक सभ्य सुसंस्कृत समाज
बनाने के बजाय राक्षसी प्रवृतियों को ही अधिक बढाया है । भौतिकवाद इस कदर हावी हुआ कि लगभग हर वस्तु को निगल गया । ऐसी तमाम चीजों का आप पिछले साठ सालों का ही अध्ययन करें । तो हवा , पानी , भोजन , स्थान सभी कुछ सङे घाव की तरह कीङों से बिजबिजा रहे हैं । मनुष्य बुद्धि के स्तर पर आपको भले ही यह बात हवा हवाई लगती हो । पर सच यही है कि प्रथ्वी की हालत इस समय अर्जुन के उस दिव्य रथ के समान ही है । जो अनेकों दिग्गजों की भीषण मार से चकनाचूर तो हो गया था । पर श्रीकृष्ण और हनुमान की योग शक्तियों से दिखावटी अस्तित्व रूप बचा हुआ था । कम से कम मुझे तो कोई हैरानी नहीं है कि अभी प्रथ्वी की यही हालत है । अलौकिक अदृश्य शक्तियों के सहारे से ही प्रथ्वी पर जीवन की क्रियायें और जनजीवन भले ही गम्भीर रोगी की अवस्था में सही पर चल रहा है ।
पर मरणासन्न रोगी और थके घायल योद्धा बहुत लम्बे समय तक संघर्ष नहीं कर सकते । कभी न कभी तो वह वक्त आता ही है । जब वह अन्तिम अंजाम पर पहुँचते हैं ।
मैं आपको सही बताऊँ । तो ज्योतिष विज्ञान में मुझे कोई खास महारत हासिल नहीं है । मैंने कभी कभी इसका सामान्य सा अध्ययन ही किया है । लेकिन अभी मैंने कोई ग्रह नक्षत्र की गणना नहीं की । फ़िर भी ज्योतिष के जानकार देख सकते हैं कि - युद्ध का राजा मंगल ग्रह और बीमारी महामारी अशांति आदि का नक्षत्र शनि पूरी
मजबूती के साथ बीते चार दिनों से मैदान में जम गये हैं । और इनकी तीवृ गतिविधियां बढने लगी हैं ।
कोई साधारण ज्ञान वाला भी समझ सकता है कि आज विश्व के क्या हालात हैं । ऐसे में युद्ध महामारी और बीच बीच में प्राकृतिक प्रकोप क्या कहर ढायेंगे । आसानी से सोचा जा सकता है । और व्यक्तिगत तौर पर इससे बचने का कोई उपाय भी नहीं है । जो आप मुझसे उपाय पूछने लगो । वास्तव में जिनका उपाय होना था । हो चुका । अब परिणाम की बारी है । लेकिन फ़िर भी इससे घबराने के बजाय आप अधिकाधिक साहेब की भक्ति यानी सरल भाव से प्रार्थना करें कि वो आपको आने वाली भयानक मुसीबतों से बचाये ।
मेरी जानकारी के अनुसार चार महीने के बाद ही बङी घटनाओं की शुरूआत हो जायेगी । और छोटी मोटी तो अभी से निरंतर होती ही रहेंगी । वास्तव में यह सब दिसम्बर 2012 में ही प्रस्तावित था । पर क्योंकि पिछले दस बीस सालों से अनेक भविष्य वाणियां ( अंश ) प्रलय की बात कह रही थी । इससे उस समय के एकदम निकट आने से जनमानस में वैश्विक स्तर पर घबराहट फ़ैल गयी । और लोग सच्चे भाव से मालिक से प्रार्थना में जुट गये । इससे एकदम सात्विक तरंगों में वृद्धि और जनमत की भावना के चलते वह सब सांकेतिक होकर रह गया । आप देखेंगे । तो ये भी एक तरीका होता है । जिसमें कोई शासन प्रशासन कार्य करता है । यदि हङबङाहट का माहौल बन गया है । तो कार्य को कुछ समय के लिये स्थगित कर देना । और फ़िर ऐसा माहौल बनना । जिसमें सुनवाई की गुंजाइश ही न बचे । और इसके बाद बिना किसी पूर्व सूचना के संयमित अन्दाज में कार्यवाही करना ।
मैंने कई बार बताया है कि ऐसे कार्यों में राजसी कपङे पहने मुकुट वगैरह लगाये । हाथ में धनुष वाण लिये । चक्र गदा आदि लिये कोई देवी देवता नहीं उतरेंगे । ( क्योंकि हर बात देश समाज काल की स्थितियों के अनुसार ही होती है । ) बल्कि प्रमुख मनुष्यों को माध्यम बनाकर आवेश द्वारा ये खेल होगा । जैसे हम रिमोट कंट्रोल से टीवी चलाते हैं ।
किस तरह होगा - सर्वप्रथम धर्म या धर्मगुरुओं के क्षेत्र में जनता को घोर अविश्वास पैदा हो जायेगा । इसको दूसरे शब्दों में यों भी कह सकते हैं कि जनमानस को भृमित करने के लिये नकली धर्मगुरुओं की फ़ौज ही कालपुरुष मैदान में उतार देगा । और इस वजह से उसकी धर्म या भगवान से आस्था ही उठ जायेगी । या संदेह पैदा हो जायेगा । कुछ धर्म समर्थक और कुछ विरोधी अपनी अपनी अज्ञानता और कुतर्कों से भृम फ़ैलाकर ( अपने कार्यों द्वारा भी ) इस आग में घी डालने का काम ही करेंगे । आपको आश्चर्य होगा कि किसी युद्ध में गुप्तचरों की जो भूमिका होती है । वही इनकी ( है ) होगी । क्योंकि वास्तव में ये कालदूत ( आवेशित जीव ) हैं ।
- राजनेता नीचता बेशर्मी और बेहयाई का पर्याय बन जायेंगे । और सरेआम ( बलात्कार समान - जबरदस्ती किया गया कार्य ) भृष्टाचार के गुणगान करेंगे । यदि धर्म शास्त्र की भाषा में कहें । तो ओजहीन होकर ऊल जलूल क्रियाकलाप करने को विवश हो जायेंगे ।
- पाप अपने सभी अंगों से खुलकर प्रकट हो जायेगा । जीव हत्या बङे पैमाने पर होगी । यह पाप कर्म और उसका आवरण घेरा जीव को सोचने नहीं देगा । और वह अन्त में दुर्गति को प्राप्त होगा ।
- प्रकृति नियमानुसार ऐसी स्थिति में विनाश के लिये तैयार हो जायेगी । और सभी चीजों का नव सन्तुलन बनाकर अपना कार्य करेगी ।
- यदि आप 2025 तक जीवित बचते हैं । तो निसंदेह आप ( युग परिवर्तन जैसी झूठ बात तो मैं नहीं कहता । क्योंकि कलियुग के अभी 17 000 से भी अधिक वर्ष शेष हैं । ) एक खुशहाल हरी भरी और स्थान से भरपूर सभी तरह से समृद्ध उस प्रथ्वी को देखेंगे । जिस पर सिर्फ़ एक ही धर्म की पताका फ़हरा रही होगी । और वह है - सनातन धर्म ।
इसके साथ ही आप बदलाव की उस अदभुत घटना के भी साक्षी होंगे । जो बहुत ही कम जीवों को नसीब होती है । मेरी जानकारी के अनुसार 2025 से 3025 तक एक हजार वर्षों के लिये अस्थायी सतयुग रहेगा । और सिर्फ़ एकमात्र सनातन धर्म को पूर्ण समृद्ध किया जायेगा । यहाँ तक कि वर्तमान में सनातन धर्म का विकृत स्वरूप हिन्दू धर्म भी कहीं खोजे से नहीं मिलेगा । फ़िर और संक्रमित नासूर जैसे धर्मों की तो बात ही क्या की जाये ।
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