09 जुलाई 2019

बारिश होगी, या नहीं?




बारिश होगी, या नहीं?
चीनी या चावल, कीड़ों के बिल के पास या किसी पेड़ की जड़ में गिराएं। कीड़े, चींटियाँ दाने उठा
कर जमीन के नीचे बिल में ले जाएँ तो समझो अभी बारिश नहीं होगी। 
अगर दाने उठाकर पेड़, दीवार के ऊपर की तरफ ले जाते दिखाई दें। समझो बारिश नजदीक है। बिल में रहने वाले ये जीव बारिश आने से पहले अपना घर बदल लेते हैं, और राशन ऊपर की तरफ ले जाते हैं। ये बात कभी गलत साबित नहीं होती।



सुरति श्रवण शब्द, निरति द्रष्ट द्रश्य, गन्ध, रस, स्पर्श..इन पांच तन्मात्राओं का मूल गुरूत्व ही है। अनुभूति होना भी गुरूत्व से ही है। जङ-प्रकृति की क्रियाशीलता, शब्द (मूलध्वनि) से संचार, प्रसार भी गुरूत्व से ही है।
अतः गुरूत्व ही स्रष्टि का सार है।

पूरे सूँ परचा भया, सब दुख मेल्या दूरि।
निर्मल कीन्हीं आत्माँ, ताथैं सदा हजूरि।




सुनो साध निरगुन की महिमा। बूझे बिरला कोई।
सरगुन फंदे सबै चलत है। सुर-नर मुनि सब लोई।
निर्गुन नाम निअच्छर कहिये। रहे सबन से न्यारा।
निर्गुन-सर्गुन जम कै फन्दा। वोहि कै सकल पसारा।
बिन सतगुरू के पार न पावै। फिरता जोनी झूला हो।
नौ सोहंग परे जिनहीं से। सोई पुरूष निज मूला हो।
तीन देह उन्हीं से उपजी। कारन-सुछ्म स्थूला हो।
कारन देह में सहज सुरति है। औ अंकूर पसारा हो।
सुछ्म देहं में ओहं-सोहं। इनको ख़्याल अपारा हो।
स्थिर देह में अंस है अच्छर। इच्छा उनसे धारा हो।
ते अच्छर तें जोतिनिरंजन। सबको करत अहारा हो।




सब्दहि ते भयो सुनत अकारा। सब्द तें लोक-दीप विस्तारा।
सबद को खोजि ले सबद को बुझि लेसबद ही सबद चलो भाई
सबद आकास है सबद पाताल है। सबद तें पिंड-ब्रह्मंड छाई।
सबद बयन बसै सबद सरवन बसै। सबद के ख्याल मूरति बनाई।
सबद ही वेद है सबद ही नाद है। सबद ही सास्त्र बहुभांति गाई।
सबद ही जंत्र है सबद ही मन्त्र है। सबद ही गुरू सिष को सुनाई।
सबद ही तत्व है सबद नि:तत्व है। सबद आकार-निराकार भाई।
सबद ही पुरूष है सबद ही नारि है। सबद ही तीन देवा थपाई।
सबद ही दृष्ट-अदृष्ट ओंकार। सबद ही सकल
ब्रह्मंड जाई।
कहैकबीर सबद को परखि ले। सबद ही आप करतार भाई।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326