जब से मैंने धार्मिक ब्लाग्स द्वारा अद्वैत ग्यान का प्रचार प्रसार यानी महामन्त्र या नाम साधना या सहज योग या चेतन समाधि के बारे में नबचेतना का अभियान शुरू किया है ।
तभी से मेरे पास एक महीने । दो महीने । छह महीने । या एक वर्ष तक रहने और इस ग्यान को सीखने के इच्छुक लोगों के प्रस्ताव आने लगे ।
और कुछ लोगों को सिखाया भी गया । पर सुविधाओं के अभाव में रिजल्ट वो नहीं रहा । जो रहना चाहिये ।
मेरे घर से दो किमी से कुछ कम दूरी पर नागा बाबा का मन्दिर । उससे कुछ आगे दो तीन कुटिया वाला हरियाली से युक्त एक पहाङी पर आश्रम ।
इससे ही थोङा आगे 5 किमी { मेरे घर से..बीच में यमुना पार करनी पङती है । } दूर एक प्राचीन मन्दिर..ये तीन स्थान हैं । जहाँ श्री महाराज जी अक्सर ठहरते हैं ।
अब अक्सर ऐसी स्थिति में रहने वाले साधु सन्तों को तो इन स्थानों पर रहने रुकने में कोई परेशानी नहीं होती । लेकिन आम दुनियादारी या गृहस्थ जीवन से आये लोग कुछ ही देर में इस माहौल से विचलित हो जाते हैं ।..तब वे योग ध्यान क्या करेंगे ?
एक जंगलनुमा माहौल..विभिन्न कीट पतंगा । और खासतौर पर डास { बङा मच्छर } मच्छरों के काटने की परेशानी..शाम घिरने के साथ साथ डरावना होता माहौल.
.इस सबको वही इंसान धीरे धीरे स्वीकार कर पाता है । जिसने साधु बनने की ही ठान ली हो ।
नये आदमी यही सोचते हैं । हो गया योग । अब घर चलो ।
अतः कई बार ऐसे ही { परेशान.. मगर सहज योग सीखने के इच्छुक } लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि बस्ती में ही किसी शान्त स्थान पर या रोड के किनारे किसी उचित स्थान पर..
एक इमारत या आश्रम टायप भवन होना आवश्यक है ।
इसलिये आप लोग { हम लोग } इसकी रूपरेखा पर विचार करें । मतलब इंतजाम करें । हम पूरा पूरा तन मन धन से सहयोग करेंगे ।
ये बात कहने में जितनी आसान लगती है । क्रियात्मक स्तर पर बेहद कठिन है । { हा..हा..हा..मेरी भाषा में बातों के रसगुल्ले खाना }
एक आश्रम टायप भवन भी यदि किराये पर लिया जाय । तो उसका किराया..अन्य जरूरत..अतिथियों के खानपान ठहरने का इंतजाम आदि..ये सब लगभग एक लाख रु मंथली मिनिमम का खर्च बैठता है ।
..और इसका सीधा सा अर्थ है कि हम अपनी योग सेवायें किसी बिजनेस की तरह डील करें । भाई इतने रुपये लगेंगें । हा..हा..हा ।
यहाँ एक बङे रहस्य की बात है कि इस तरह { एज ए बिजनेस } बाबा रामदेव का प्राणायाम योग तो सिखाया जा सकता है । लेकिन सुरति शब्द योग या सहज योग हरगिज नहीं । सहज योग में संसार का कोई भी व्यवहार ऐड होते ही इसका पूरा स्ट्रक्चर ही बदल जाता है । और फ़िर ये { सुरति } एक्टिव नहीं होता ।
माँगन ते मरिबो भलो । यहु मानों तुम सीख । बिनु माँगे मोती मिले । माँगे मिले न भीख ।
मर जाऊँ माँगू नहीं । अपने तन के काज । परमारथ को माँगते । मोहि न आवे लाज ।
दूसरा प्वाइंट..जब हम एक लाख मंथली देनदारी का बबाल अपने सिर पर लाद लेंगे । तो उसको अर्न करने । प्राफ़िट करने की ही चिंता लगी रहेगी । तो हम खुद क्या लर्न { योग } करेंगे । और क्या दूसरों को करायेंगे ?
क्योंकि ये मामला फ़ुल्ली टेंशन फ़्री होना चाहिये । फ़ुल्ली बिजनेस फ़्री होना चाहिये । गरीब आये । और कुछ न दें । तो नो टेंशन । अमीर आये । लाखों दे । तो भी नो टेंशन । जबकि इस तरह डील करने पर फ़ुल टेंशन ही टेंशन । लिहाजा किराये वाला फ़ार्मूला । केंसिल । टोटल केंसिल ।
अब आईये । निजी जमीन पर ।
आगरा में मकान बनबाये मुझे 9 साल से कुछ अधिक हो गया । इत्तफ़ाकन सुरति शब्द योग और अद्वैत ग्यान में आये 8 साल से कुछ ही अधिक हुये हैं ।
अगर ये समय..जब मैं सुरति शब्द योग में आया था । महज दो - तीन साल और पहले का होता । तो कोई टेंशन ही नहीं थी ।
उसी समय मैं जमीन एक छोटे आश्रम को ध्यान में रखकर ले लेता । और उसी तरह की लोकेशन पर लेता । लेकिन आज की स्थिति में मामला सैटल हो चुका है ।
अतः न तो मेरे पास उतना पैसा है । न मैं आठ साल से कोई कार्य कर रहा हूँ । और उससे पहले भी ग्यान में रुचि होने के कारण मैंने कमाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली । { जबकि बहुत पहले से मैं कम्यूटर के कार्यों में एक्सपर्ट हूँ । और जानकार होने के कारण कार्टून मूवी मेकिंग का फ़ुल प्रोजेक्ट लगाना चाहता था । }
अतः मेरे पास जमा में भी खास पैसा नहीं है ।
थोङी देर के लिये ये भी मान लो कि मैं योग और प्रचार को छोङकर इस उद्देश्य हेतु कमाना शुरू कर दूँ । तो 41 साल की आयु में शुरूआत करके क्या और कितना कमाऊँगा ?.. आगे देखना ।
अब निजी जमीन की बात सुनो । आगरा में किसी भी औसत ठीकठाक जगह पर जमीन की कीमत अभी 8000 रु वर्ग गज के रेट पर है । और अगर आश्रम को ध्यान में रखकर किसी उचित स्थान पर ली जाय । तो भी ये 40 या 50 लाख रुपया { पक्का } बीघा बैठती है । यानी दो बीघा या चार बीघा जमीन भी ली जाय । तो भी ये 1 से 2 करोङ का मामला है । फ़िर इसकी रजिस्ट्री का खर्च । than ..इस पर कामचलाऊ निर्माण और अन्य सुविधायें जुटाना । लगभग 5 करोङ रु का बिल बनता है ।
हा..हा.हा..साधु बन गया बिजनेसमेन !
लिहाजा ये मामला भी फ़ेल..न नौ मन तेल होगा । न राधा नाचेगी ।
आज से लगभग 40 साल { वो भी यदि दुनियाँ में अच्छा लगता रहा तो ? } बाद ! मुझे और गुरुदेव को दोनों को कुछ ही अंतराल में या साथ साथ ही शरीर छोङ देना है । तब क्या होगा । इस आश्रम का..जो ख्वावों में बना है ?
वैसे आगे की प्रभु की लीला कह तो नहीं सकता । पर मुझे अधिक आशा है कि हमारे बाद न तो महाराज जी की तरह कोई सतगुरु { हमारे यहाँ } होगा । और न ही इतनी जल्दी मेरे जैसे जीवों को चेताने में समर्पित बाबा ।
अन्य परम्परागत आश्रमों की तरह हमारे यहाँ भी धन्धेबाजी की शुरूआत हो सकती है । क्योंकि वास्तविक ग्यान वाले किसी उत्तराधिकारी के होने की कम संभावना है ।
और जो अभी हैं । वे सब 45 आयु के आसपास हैं । अतः वे हमारे से कुछ ही आगे पहले सतलोक या नेक्स्ट मनुष्य जन्म हेतु रवाना हो जायेंगे ।
दूसरे ये ग्यान परम्परागत उसी लेवल 100 % { जैसा आज अभी हमारे मंडल की स्थिति है } पर कभी नहीं चलता । इसका % गिरकर 15 % रह जाता है ।
अतः जैसे मैं आज दूसरे लोगों की खिल्ली उङाता हूँ । आज से 100 - 200 साल बाद कोई दूसरा हमारे मंडल की खिल्ली उङा रहा होगा । यही सत्य है । अगर ये ग्यान परम्परागत 100% ही रहता । तो कोई भी एक दो पुराने कबीर के जमाने के मंडल ही पूरे विश्व का मोक्ष कर देते । जैसा कि हमारे हरियाणा के एक पाठक सुशील जी को अपने प्रश्न में परमहँस दीक्षा के उत्तर पर आश्चर्य हुआ था ।
अतः भाईयो ! मुझे मौजूदा { अपनी } परिस्थितियों में आश्रम का रगङा हमेशा ही बेकार लगता है । यह सब न मेरे बस का है । न मेरे महाराज जी के बस का है । कि हम भजन छोङकर ये जुगाङ सुगाङ कर पायें ।
तब ..मामला वहीं के वहीं रहता हैं । यदि सहज योग सीखने वाले । हँसदीक्षा लेने वाले । परमहँस ग्यान के इच्छुक { यदि एक दिन में सिर्फ़ 100 ही आयें । } तो उनके रहने..रुकने ..खाने की व्यवस्था किस तरह हो ??
लेकिन { तमाम लोगों के अनुसार } ऐसा भी नहीं है । पिछले एक महीने से { वैसे तो यह बात शुरू से ही लोग कहते रहे । पर मैंने ध्यान नहीं दिया } यह चर्चा कुछ ज्यादा ही जोर पकङ गयी ।
और मुझे लगा । वास्तव में लोगों की बात में सच्चाई है ।
तो वो बात ये थी कि -
कुछ लोगों के पास वाकई दान donate करने लायक पैसा है । और वो किसी अच्छी सच्ची जगह उसको दान करना चाहते हैं । पर उन्हें ढोंगी ज्यादा मिलते हैं ।
चेतन समाधि और मोक्ष ग्यान पूरे विश्व में बङी संख्या में लोग सीखना चाहते हैं । पर कोई सच्चे सन्त नहीं मिलते ।
बहुत से लोग जो मरणासन्न अवस्था में हैं । और उनके पास काफ़ी पैसा भी है । जिसे वे किसी परोपकार हितार्थ संस्था को दान देना चाहते हैं । आदि आदि..
ऐसे लोगों में से कोई एक या महज दो चार लोग ही 50 00 00 000 लागत का आश्रम कुछ ही दिनों में बनबा सकते हैं ।
यहाँ में एक बात स्पष्ट कर दूँ । ये विचार मेरे मंडल के किसी सदस्य के नहीं है । बल्कि इंटरनेट के द्वारा बाहर से आये लोगों । और फ़ोन काल्स वालों के । ई मेल वालों के ही हैं ।
मुझे ये विचार कुछ उचित भी लगे । जब दुनिया के फ़्राड लोग दान ले रहे हैं । तो मुझे तो सिर्फ़ पर्यटक नगरी में देश विदेश से आये लोगों के लिये सहज योग आश्रम हेतु सिर्फ़ 50 00 00 000 की ही आवश्यकता है ।
तो भाईयों ! आप लोगों के सुझाव.. आग्रह और दबाब पर । मैं ये बात खुले तौर पर आपके सामने रख रहा हूँ । आगरा में आश्रम बनेगा । या नहीं बनेगा । ये प्रभु जानें । यदि उचित धन का इंतजाम हो जाता है । तो उसी अनुसार आश्रम बन जायेगा ।
वरना..कबिरा खङा बाजार में । माँगे सबकी खैर । ना काहू से दोस्ती । ना कहू से वैर ।
इसलिये जिन लोगों को आगरा में सहज योग आश्रम हेतु दान करने की इच्छा हो । वो इस अकाउंट नम्बर में धन जमा करवा सकते हैं ।
खाता नम्बर - 10902961874
donate for - sahaj yoga..{ as soul + word { as god real name } meditation } research instiute
sahaj yoga research instiute.. taj city.. agara.. up
account no - 10902961874
*** यदि आश्रम बनता है । तो जो लोग स्वयँ आने जाने हेतु कमरा { जैसा अन्य आश्रमों में व्यवस्था होती है } बनबाना चाहे । वो उस तरह दान कर सकते हैं । जो लोग आगरा में भूमि उपलब्ध करवाने में सहयोग करना चाहें । वो उस तरह कर सकते हैं । आप जैसा भी सहयोग करना चाहें । सम्पर्क कर सकते हैं ।
अन्त में आप सबका बहुत बहुत आभार । धन्यवाद ।
तभी से मेरे पास एक महीने । दो महीने । छह महीने । या एक वर्ष तक रहने और इस ग्यान को सीखने के इच्छुक लोगों के प्रस्ताव आने लगे ।
और कुछ लोगों को सिखाया भी गया । पर सुविधाओं के अभाव में रिजल्ट वो नहीं रहा । जो रहना चाहिये ।
मेरे घर से दो किमी से कुछ कम दूरी पर नागा बाबा का मन्दिर । उससे कुछ आगे दो तीन कुटिया वाला हरियाली से युक्त एक पहाङी पर आश्रम ।
इससे ही थोङा आगे 5 किमी { मेरे घर से..बीच में यमुना पार करनी पङती है । } दूर एक प्राचीन मन्दिर..ये तीन स्थान हैं । जहाँ श्री महाराज जी अक्सर ठहरते हैं ।
अब अक्सर ऐसी स्थिति में रहने वाले साधु सन्तों को तो इन स्थानों पर रहने रुकने में कोई परेशानी नहीं होती । लेकिन आम दुनियादारी या गृहस्थ जीवन से आये लोग कुछ ही देर में इस माहौल से विचलित हो जाते हैं ।..तब वे योग ध्यान क्या करेंगे ?
एक जंगलनुमा माहौल..विभिन्न कीट पतंगा । और खासतौर पर डास { बङा मच्छर } मच्छरों के काटने की परेशानी..शाम घिरने के साथ साथ डरावना होता माहौल.
.इस सबको वही इंसान धीरे धीरे स्वीकार कर पाता है । जिसने साधु बनने की ही ठान ली हो ।
नये आदमी यही सोचते हैं । हो गया योग । अब घर चलो ।
अतः कई बार ऐसे ही { परेशान.. मगर सहज योग सीखने के इच्छुक } लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि बस्ती में ही किसी शान्त स्थान पर या रोड के किनारे किसी उचित स्थान पर..
एक इमारत या आश्रम टायप भवन होना आवश्यक है ।
इसलिये आप लोग { हम लोग } इसकी रूपरेखा पर विचार करें । मतलब इंतजाम करें । हम पूरा पूरा तन मन धन से सहयोग करेंगे ।
ये बात कहने में जितनी आसान लगती है । क्रियात्मक स्तर पर बेहद कठिन है । { हा..हा..हा..मेरी भाषा में बातों के रसगुल्ले खाना }
एक आश्रम टायप भवन भी यदि किराये पर लिया जाय । तो उसका किराया..अन्य जरूरत..अतिथियों के खानपान ठहरने का इंतजाम आदि..ये सब लगभग एक लाख रु मंथली मिनिमम का खर्च बैठता है ।
..और इसका सीधा सा अर्थ है कि हम अपनी योग सेवायें किसी बिजनेस की तरह डील करें । भाई इतने रुपये लगेंगें । हा..हा..हा ।
यहाँ एक बङे रहस्य की बात है कि इस तरह { एज ए बिजनेस } बाबा रामदेव का प्राणायाम योग तो सिखाया जा सकता है । लेकिन सुरति शब्द योग या सहज योग हरगिज नहीं । सहज योग में संसार का कोई भी व्यवहार ऐड होते ही इसका पूरा स्ट्रक्चर ही बदल जाता है । और फ़िर ये { सुरति } एक्टिव नहीं होता ।
माँगन ते मरिबो भलो । यहु मानों तुम सीख । बिनु माँगे मोती मिले । माँगे मिले न भीख ।
मर जाऊँ माँगू नहीं । अपने तन के काज । परमारथ को माँगते । मोहि न आवे लाज ।
दूसरा प्वाइंट..जब हम एक लाख मंथली देनदारी का बबाल अपने सिर पर लाद लेंगे । तो उसको अर्न करने । प्राफ़िट करने की ही चिंता लगी रहेगी । तो हम खुद क्या लर्न { योग } करेंगे । और क्या दूसरों को करायेंगे ?
क्योंकि ये मामला फ़ुल्ली टेंशन फ़्री होना चाहिये । फ़ुल्ली बिजनेस फ़्री होना चाहिये । गरीब आये । और कुछ न दें । तो नो टेंशन । अमीर आये । लाखों दे । तो भी नो टेंशन । जबकि इस तरह डील करने पर फ़ुल टेंशन ही टेंशन । लिहाजा किराये वाला फ़ार्मूला । केंसिल । टोटल केंसिल ।
अब आईये । निजी जमीन पर ।
आगरा में मकान बनबाये मुझे 9 साल से कुछ अधिक हो गया । इत्तफ़ाकन सुरति शब्द योग और अद्वैत ग्यान में आये 8 साल से कुछ ही अधिक हुये हैं ।
अगर ये समय..जब मैं सुरति शब्द योग में आया था । महज दो - तीन साल और पहले का होता । तो कोई टेंशन ही नहीं थी ।
उसी समय मैं जमीन एक छोटे आश्रम को ध्यान में रखकर ले लेता । और उसी तरह की लोकेशन पर लेता । लेकिन आज की स्थिति में मामला सैटल हो चुका है ।
अतः न तो मेरे पास उतना पैसा है । न मैं आठ साल से कोई कार्य कर रहा हूँ । और उससे पहले भी ग्यान में रुचि होने के कारण मैंने कमाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली । { जबकि बहुत पहले से मैं कम्यूटर के कार्यों में एक्सपर्ट हूँ । और जानकार होने के कारण कार्टून मूवी मेकिंग का फ़ुल प्रोजेक्ट लगाना चाहता था । }
अतः मेरे पास जमा में भी खास पैसा नहीं है ।
थोङी देर के लिये ये भी मान लो कि मैं योग और प्रचार को छोङकर इस उद्देश्य हेतु कमाना शुरू कर दूँ । तो 41 साल की आयु में शुरूआत करके क्या और कितना कमाऊँगा ?.. आगे देखना ।
अब निजी जमीन की बात सुनो । आगरा में किसी भी औसत ठीकठाक जगह पर जमीन की कीमत अभी 8000 रु वर्ग गज के रेट पर है । और अगर आश्रम को ध्यान में रखकर किसी उचित स्थान पर ली जाय । तो भी ये 40 या 50 लाख रुपया { पक्का } बीघा बैठती है । यानी दो बीघा या चार बीघा जमीन भी ली जाय । तो भी ये 1 से 2 करोङ का मामला है । फ़िर इसकी रजिस्ट्री का खर्च । than ..इस पर कामचलाऊ निर्माण और अन्य सुविधायें जुटाना । लगभग 5 करोङ रु का बिल बनता है ।
हा..हा.हा..साधु बन गया बिजनेसमेन !
लिहाजा ये मामला भी फ़ेल..न नौ मन तेल होगा । न राधा नाचेगी ।
आज से लगभग 40 साल { वो भी यदि दुनियाँ में अच्छा लगता रहा तो ? } बाद ! मुझे और गुरुदेव को दोनों को कुछ ही अंतराल में या साथ साथ ही शरीर छोङ देना है । तब क्या होगा । इस आश्रम का..जो ख्वावों में बना है ?
वैसे आगे की प्रभु की लीला कह तो नहीं सकता । पर मुझे अधिक आशा है कि हमारे बाद न तो महाराज जी की तरह कोई सतगुरु { हमारे यहाँ } होगा । और न ही इतनी जल्दी मेरे जैसे जीवों को चेताने में समर्पित बाबा ।
अन्य परम्परागत आश्रमों की तरह हमारे यहाँ भी धन्धेबाजी की शुरूआत हो सकती है । क्योंकि वास्तविक ग्यान वाले किसी उत्तराधिकारी के होने की कम संभावना है ।
और जो अभी हैं । वे सब 45 आयु के आसपास हैं । अतः वे हमारे से कुछ ही आगे पहले सतलोक या नेक्स्ट मनुष्य जन्म हेतु रवाना हो जायेंगे ।
दूसरे ये ग्यान परम्परागत उसी लेवल 100 % { जैसा आज अभी हमारे मंडल की स्थिति है } पर कभी नहीं चलता । इसका % गिरकर 15 % रह जाता है ।
अतः जैसे मैं आज दूसरे लोगों की खिल्ली उङाता हूँ । आज से 100 - 200 साल बाद कोई दूसरा हमारे मंडल की खिल्ली उङा रहा होगा । यही सत्य है । अगर ये ग्यान परम्परागत 100% ही रहता । तो कोई भी एक दो पुराने कबीर के जमाने के मंडल ही पूरे विश्व का मोक्ष कर देते । जैसा कि हमारे हरियाणा के एक पाठक सुशील जी को अपने प्रश्न में परमहँस दीक्षा के उत्तर पर आश्चर्य हुआ था ।
अतः भाईयो ! मुझे मौजूदा { अपनी } परिस्थितियों में आश्रम का रगङा हमेशा ही बेकार लगता है । यह सब न मेरे बस का है । न मेरे महाराज जी के बस का है । कि हम भजन छोङकर ये जुगाङ सुगाङ कर पायें ।
तब ..मामला वहीं के वहीं रहता हैं । यदि सहज योग सीखने वाले । हँसदीक्षा लेने वाले । परमहँस ग्यान के इच्छुक { यदि एक दिन में सिर्फ़ 100 ही आयें । } तो उनके रहने..रुकने ..खाने की व्यवस्था किस तरह हो ??
लेकिन { तमाम लोगों के अनुसार } ऐसा भी नहीं है । पिछले एक महीने से { वैसे तो यह बात शुरू से ही लोग कहते रहे । पर मैंने ध्यान नहीं दिया } यह चर्चा कुछ ज्यादा ही जोर पकङ गयी ।
और मुझे लगा । वास्तव में लोगों की बात में सच्चाई है ।
तो वो बात ये थी कि -
कुछ लोगों के पास वाकई दान donate करने लायक पैसा है । और वो किसी अच्छी सच्ची जगह उसको दान करना चाहते हैं । पर उन्हें ढोंगी ज्यादा मिलते हैं ।
चेतन समाधि और मोक्ष ग्यान पूरे विश्व में बङी संख्या में लोग सीखना चाहते हैं । पर कोई सच्चे सन्त नहीं मिलते ।
बहुत से लोग जो मरणासन्न अवस्था में हैं । और उनके पास काफ़ी पैसा भी है । जिसे वे किसी परोपकार हितार्थ संस्था को दान देना चाहते हैं । आदि आदि..
ऐसे लोगों में से कोई एक या महज दो चार लोग ही 50 00 00 000 लागत का आश्रम कुछ ही दिनों में बनबा सकते हैं ।
यहाँ में एक बात स्पष्ट कर दूँ । ये विचार मेरे मंडल के किसी सदस्य के नहीं है । बल्कि इंटरनेट के द्वारा बाहर से आये लोगों । और फ़ोन काल्स वालों के । ई मेल वालों के ही हैं ।
मुझे ये विचार कुछ उचित भी लगे । जब दुनिया के फ़्राड लोग दान ले रहे हैं । तो मुझे तो सिर्फ़ पर्यटक नगरी में देश विदेश से आये लोगों के लिये सहज योग आश्रम हेतु सिर्फ़ 50 00 00 000 की ही आवश्यकता है ।
तो भाईयों ! आप लोगों के सुझाव.. आग्रह और दबाब पर । मैं ये बात खुले तौर पर आपके सामने रख रहा हूँ । आगरा में आश्रम बनेगा । या नहीं बनेगा । ये प्रभु जानें । यदि उचित धन का इंतजाम हो जाता है । तो उसी अनुसार आश्रम बन जायेगा ।
वरना..कबिरा खङा बाजार में । माँगे सबकी खैर । ना काहू से दोस्ती । ना कहू से वैर ।
इसलिये जिन लोगों को आगरा में सहज योग आश्रम हेतु दान करने की इच्छा हो । वो इस अकाउंट नम्बर में धन जमा करवा सकते हैं ।
खाता नम्बर - 10902961874
donate for - sahaj yoga..{ as soul + word { as god real name } meditation } research instiute
sahaj yoga research instiute.. taj city.. agara.. up
account no - 10902961874
*** यदि आश्रम बनता है । तो जो लोग स्वयँ आने जाने हेतु कमरा { जैसा अन्य आश्रमों में व्यवस्था होती है } बनबाना चाहे । वो उस तरह दान कर सकते हैं । जो लोग आगरा में भूमि उपलब्ध करवाने में सहयोग करना चाहें । वो उस तरह कर सकते हैं । आप जैसा भी सहयोग करना चाहें । सम्पर्क कर सकते हैं ।
अन्त में आप सबका बहुत बहुत आभार । धन्यवाद ।
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