अद्वैत मार्ग । अद्वैत ग्यान की प्रभावी झलक दिखाता भजन । यह भजन श्री रमेश भाई ओझा ने लगभग 24 मिनट का गाया है । वह भी सुन्दर प्रस्तुति हैं । तो नीचे भजन सुनकर आनन्द लें ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नही । जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
सभी में सभी में । पड़ा मैं ही मैं हूँ ..। सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ । सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ ।
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ ...आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती ...। न दुख है । न सुख है । ना है शोक कुछ भी । अजब है ये मस्ती । अजब है ये मस्ती या कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
ये सागर । ये लहरें । ये फेन ये बुदबुदे । ये सागर । ये लहरें । ये फेन । ये बुदबुदे ।
कल्पित है । कल्पित है । जल के सिवा कुछ नही । कल्पित है । जल के सिवा कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मैं हूँ आनंद । आनंद हैं ये मेरा..। भृम है । ये द्वन्द है । मुझको हुआ है । भृम है । ये द्वन्द है । मुझको हुआ है । हटाया जो उसको खफा कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
ये पर्दा है दुई का । हटाकर जो देखा । ये पर्दा है दुई का । हटाकर जो देखा ।
तो बस एक मैं हूँ । तो बस एक मैं हूँ । तो बस एक मैं हूँ । जुदा कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहा लेकेँ आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नही । जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
सभी में सभी में । पड़ा मैं ही मैं हूँ ..। सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ । सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ ।
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ ...आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती ...। न दुख है । न सुख है । ना है शोक कुछ भी । अजब है ये मस्ती । अजब है ये मस्ती या कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
ये सागर । ये लहरें । ये फेन ये बुदबुदे । ये सागर । ये लहरें । ये फेन । ये बुदबुदे ।
कल्पित है । कल्पित है । जल के सिवा कुछ नही । कल्पित है । जल के सिवा कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मैं हूँ आनंद । आनंद हैं ये मेरा..। भृम है । ये द्वन्द है । मुझको हुआ है । भृम है । ये द्वन्द है । मुझको हुआ है । हटाया जो उसको खफा कुछ नही । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
ये पर्दा है दुई का । हटाकर जो देखा । ये पर्दा है दुई का । हटाकर जो देखा ।
तो बस एक मैं हूँ । तो बस एक मैं हूँ । तो बस एक मैं हूँ । जुदा कुछ नही ।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई । मुझे मेरी मस्ती कहा लेकेँ आई । मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ।
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