1 - घुमक्कङ देवता - संदीप पंवार
शास्त्रों में अभी तक 33 करोङ देवताओं का ही जिक्र है । पर आज मैं आपको 33 करोङ 1 यानी एक नये देवता के बारे में बताता हूँ । इस घुमक्कङ देवता का नाम जाट देवता है । वैसे आप लोग इन जाट देवता को अच्छी तरह से जानते होंगे ।
नही भी जानते होंगे । तो ये जाट देवता बाइक पर घूमते हुये आपके क्षेत्र में कभी घूमने आ ही जायेंगे । क्योंकि ये " अथातो घुमक्कङ जिग्यासा " वाले राहुल सांस्कृत्यायन जी की तरह घूमने के बेहद शौकीन है । संदीप पंवार जी नाम के ये जाट देवता । लोनी बोर्डर । गाजियाबाद के रहने वाले हैं । और अपनी तारीफ़ में कुछ इस तरह कहते हैं । कहते ही नहीं बल्कि अमल भी करते हैं ।
वह आप भी देखिये - मैं..कंजूस । मेहनती । मनमौजी । पक्का घुमक्कड हूँ । चाय । बीडी । सिगरेट । गुटका । पान । तम्बाकू । अंडा । मीट । मछली । शराब व रिश्वत से सख्त नफ़रत करता हूँ ।
खैर..अपने इसी घुमक्कङी शौक के चलते इनकी मित्रता एक घुमक्कङ देवी दर्शन कौर धनौए जी से भी है । जो कि मेरी भी मित्र हैं । अब चलते चलते एक गाना याद आ रहा है - आदमी मुसाफ़िर है । आता है । जाता है । आते जाते बस यादें छोङ जाता है । आप सभी के साथ । ऐसा ही प्रेमयुक्त सफ़र - ब्लाग- जाट देवता का सफ़र ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
2 - मुसाफ़िर हूँ यारो - नीरज जाट
सैर कर दुनियाँ की गाफ़िल जिंदगानी फ़िर कहाँ । जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फ़िर कहाँ । शायद यही बात नीरज जी के दिल में उतर गयी । और उन्होंने दुनियाँ की सैर करने की ठान ली । दिलवालों की दिल्ली में रहने
वाले पेशे से इंजीनियर श्री नीरज जाट जी गोल गोल घूम रही प्रथ्वी पर स्केटिंग सी करते हुये घूमते ही रहते हैं । और अपने अनुभवों से घुमक्कङी का यह महँगा शौक सस्ते में किस तरह से हो जाये । सबको बताते हैं ।
घूमने के शौकीनों के लिये इनके ब्लाग पर बहुत मसाला टिप्स मौजूद है । और फ़िर भी कोई दिक्कत लगे । तो इनका फ़ोन नम्बर है ही । बस आपको ट्रिन ट्रिन करने की देर है । इनका कहना है कि - घुमक्कडी जिंदाबाद ! बेशक पर्यटन एक महंगा शौक है । उस पर समय खपाऊ और खर्चीला ।
जबकि घुमक्कडी इसके ठीक विपरीत है । यहां पर आप देखेंगे । किस तरह कम समय और सस्ते में बेहतरीन घुमक्कडी की जा सकती है । घुमक्कडी के लिये रुपये पैसे की जरुरत नहीं है । रुपये पैसे की जरुरत है । बस के कंडक्टर को । जरुरत है । होटल वाले को । अगर यहीं पर कंजूसी दिखा दी । तो समझो घुमक्कडी सफल है । इनके ब्लाग - घुमक्कडी जिन्दाबाद । मुसाफ़िर हूँ यारो । ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
फोन - 0 99993 99632
3 - घुमक्कङ देवी - दर्शन कौर
और अब मिलिये । तीसरी घुमक्कङ बसई मुम्बई निवासी दर्शन कौर धनोए से । दर्शन कौर जी खुशदिल और भावुक महिला हैं । ब्लाग जगत में बहुत कम समय में इन्होंने अपनी अच्छी पहचान बनाई । और आप सब जानते ही है । ये मेरी दोस्त भी हैं ।
जब मैंने इनको दोस्त मानते हुये दोस्ती का प्रस्ताव किया । तो उसे दर्शन कौर जी ने सहर्ष कबूल किया । मैंने सोचा था कि दर्शन कौर जी अन्य महिला ब्लागरों की तरह कवितायें ही शायद अधिक लिखें । पर इन्होंने यात्रा विवरण । संस्मरण । कविता । विचार विमर्ष आदि सब पर लिखा । और लिख रहीं हैं । इसलिये मैंने इन्हें ब्लागर के बजाय रिपोर्टर कहना शुरू कर दिया । चलिये देखते हैं । दर्शन जी इसके बारे में क्या कह रहीं हैं ।
- मेरे मन में बहुत से अरमान हैं । बस उन्हें ही पूरा करने की कोशिश करती हूँ..। और कोई काम धाम नहीं करती । मन से बहुत भावुक हूँ..। लेकिन झगङालू भी बहुत हूँ । खुश रहती हूँ । तो इसमें किसी के बाप का क्या जाता है । इसलिए चाहती हूँ कि सब खुश रहे..। अब फ़िर भी नहीं रहते । तो मेरी बला से । मेरा जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर मे 28 मार्च को हुआ । पर सिर्फ़ जन्म ही हुआ है । क्योंकि मेरा एक पाँव चीन में तो दूसरा जापान में रहता है । शिक्षा मनासा और मंदसोर में हुई । पर कौन बोरिंग पढाई करता । स्कूल बंक करके घूमती थी । फिलहाल बॉम्बे मे रहती हूँ..। बचपन से घूमने का शौक है..। पहाडों पर मेरा दिल बसता है..। वही बसने का अरमान है...। न जाने कब पूरा होगा .. । सपने बहुत है....?
एक बार मैं इनके सपने में गया । तो सपने में भी ये माउंट एवरेस्ट पर बैठी थी । मैंने कहा - दर्शन जी ! यहाँ क्या कर रही हो ?
तो दर्शन जी बोलीं - मैं कुतुबमीनार के टाप फ़्लोर से ताजमहल देखना चाहती थी । लेकिन वहाँ के डयूटी गार्ड ने ऊपर जाने ही नहीं दिया । इसलिये यहाँ आ गयी । अब कोई मुझे रोक के दिखाये । मैं यहाँ से ताजमहल देख रही हूँ ।
मैंने कहा - लेकिन दर्शन जी आपको तो गर्मी में भी ठंड लगती है । फ़िर यहाँ ठंडा ठंडा कूल कूल में क्यों आ गयीं ?
तब उन्होंने कहा - राजीव जी ! मैं पागल नहीं हूँ । इसीलिये तो सपने में आयी हूँ ।
इनका ब्लाग - मेरे दिल के अरमान ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
और अंत में - हे घुमक्कङो ! धन्य है आपकी पत्नियाँ । और धन्य हैं आपके देव पति । बेचारे कितने सहनशील धीरज धैर्य वाले प्राणी हैं । जो आपका पाँव घर में टिकता नहीं । तो भी उन्हें कोई शिकवा नहीं ।
शास्त्रों में अभी तक 33 करोङ देवताओं का ही जिक्र है । पर आज मैं आपको 33 करोङ 1 यानी एक नये देवता के बारे में बताता हूँ । इस घुमक्कङ देवता का नाम जाट देवता है । वैसे आप लोग इन जाट देवता को अच्छी तरह से जानते होंगे ।
नही भी जानते होंगे । तो ये जाट देवता बाइक पर घूमते हुये आपके क्षेत्र में कभी घूमने आ ही जायेंगे । क्योंकि ये " अथातो घुमक्कङ जिग्यासा " वाले राहुल सांस्कृत्यायन जी की तरह घूमने के बेहद शौकीन है । संदीप पंवार जी नाम के ये जाट देवता । लोनी बोर्डर । गाजियाबाद के रहने वाले हैं । और अपनी तारीफ़ में कुछ इस तरह कहते हैं । कहते ही नहीं बल्कि अमल भी करते हैं ।
वह आप भी देखिये - मैं..कंजूस । मेहनती । मनमौजी । पक्का घुमक्कड हूँ । चाय । बीडी । सिगरेट । गुटका । पान । तम्बाकू । अंडा । मीट । मछली । शराब व रिश्वत से सख्त नफ़रत करता हूँ ।
खैर..अपने इसी घुमक्कङी शौक के चलते इनकी मित्रता एक घुमक्कङ देवी दर्शन कौर धनौए जी से भी है । जो कि मेरी भी मित्र हैं । अब चलते चलते एक गाना याद आ रहा है - आदमी मुसाफ़िर है । आता है । जाता है । आते जाते बस यादें छोङ जाता है । आप सभी के साथ । ऐसा ही प्रेमयुक्त सफ़र - ब्लाग- जाट देवता का सफ़र ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
2 - मुसाफ़िर हूँ यारो - नीरज जाट
सैर कर दुनियाँ की गाफ़िल जिंदगानी फ़िर कहाँ । जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फ़िर कहाँ । शायद यही बात नीरज जी के दिल में उतर गयी । और उन्होंने दुनियाँ की सैर करने की ठान ली । दिलवालों की दिल्ली में रहने
वाले पेशे से इंजीनियर श्री नीरज जाट जी गोल गोल घूम रही प्रथ्वी पर स्केटिंग सी करते हुये घूमते ही रहते हैं । और अपने अनुभवों से घुमक्कङी का यह महँगा शौक सस्ते में किस तरह से हो जाये । सबको बताते हैं ।
घूमने के शौकीनों के लिये इनके ब्लाग पर बहुत मसाला टिप्स मौजूद है । और फ़िर भी कोई दिक्कत लगे । तो इनका फ़ोन नम्बर है ही । बस आपको ट्रिन ट्रिन करने की देर है । इनका कहना है कि - घुमक्कडी जिंदाबाद ! बेशक पर्यटन एक महंगा शौक है । उस पर समय खपाऊ और खर्चीला ।
जबकि घुमक्कडी इसके ठीक विपरीत है । यहां पर आप देखेंगे । किस तरह कम समय और सस्ते में बेहतरीन घुमक्कडी की जा सकती है । घुमक्कडी के लिये रुपये पैसे की जरुरत नहीं है । रुपये पैसे की जरुरत है । बस के कंडक्टर को । जरुरत है । होटल वाले को । अगर यहीं पर कंजूसी दिखा दी । तो समझो घुमक्कडी सफल है । इनके ब्लाग - घुमक्कडी जिन्दाबाद । मुसाफ़िर हूँ यारो । ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
फोन - 0 99993 99632
3 - घुमक्कङ देवी - दर्शन कौर
और अब मिलिये । तीसरी घुमक्कङ बसई मुम्बई निवासी दर्शन कौर धनोए से । दर्शन कौर जी खुशदिल और भावुक महिला हैं । ब्लाग जगत में बहुत कम समय में इन्होंने अपनी अच्छी पहचान बनाई । और आप सब जानते ही है । ये मेरी दोस्त भी हैं ।
जब मैंने इनको दोस्त मानते हुये दोस्ती का प्रस्ताव किया । तो उसे दर्शन कौर जी ने सहर्ष कबूल किया । मैंने सोचा था कि दर्शन कौर जी अन्य महिला ब्लागरों की तरह कवितायें ही शायद अधिक लिखें । पर इन्होंने यात्रा विवरण । संस्मरण । कविता । विचार विमर्ष आदि सब पर लिखा । और लिख रहीं हैं । इसलिये मैंने इन्हें ब्लागर के बजाय रिपोर्टर कहना शुरू कर दिया । चलिये देखते हैं । दर्शन जी इसके बारे में क्या कह रहीं हैं ।
- मेरे मन में बहुत से अरमान हैं । बस उन्हें ही पूरा करने की कोशिश करती हूँ..। और कोई काम धाम नहीं करती । मन से बहुत भावुक हूँ..। लेकिन झगङालू भी बहुत हूँ । खुश रहती हूँ । तो इसमें किसी के बाप का क्या जाता है । इसलिए चाहती हूँ कि सब खुश रहे..। अब फ़िर भी नहीं रहते । तो मेरी बला से । मेरा जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर मे 28 मार्च को हुआ । पर सिर्फ़ जन्म ही हुआ है । क्योंकि मेरा एक पाँव चीन में तो दूसरा जापान में रहता है । शिक्षा मनासा और मंदसोर में हुई । पर कौन बोरिंग पढाई करता । स्कूल बंक करके घूमती थी । फिलहाल बॉम्बे मे रहती हूँ..। बचपन से घूमने का शौक है..। पहाडों पर मेरा दिल बसता है..। वही बसने का अरमान है...। न जाने कब पूरा होगा .. । सपने बहुत है....?
एक बार मैं इनके सपने में गया । तो सपने में भी ये माउंट एवरेस्ट पर बैठी थी । मैंने कहा - दर्शन जी ! यहाँ क्या कर रही हो ?
तो दर्शन जी बोलीं - मैं कुतुबमीनार के टाप फ़्लोर से ताजमहल देखना चाहती थी । लेकिन वहाँ के डयूटी गार्ड ने ऊपर जाने ही नहीं दिया । इसलिये यहाँ आ गयी । अब कोई मुझे रोक के दिखाये । मैं यहाँ से ताजमहल देख रही हूँ ।
मैंने कहा - लेकिन दर्शन जी आपको तो गर्मी में भी ठंड लगती है । फ़िर यहाँ ठंडा ठंडा कूल कूल में क्यों आ गयीं ?
तब उन्होंने कहा - राजीव जी ! मैं पागल नहीं हूँ । इसीलिये तो सपने में आयी हूँ ।
इनका ब्लाग - मेरे दिल के अरमान ( इनके ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें )
और अंत में - हे घुमक्कङो ! धन्य है आपकी पत्नियाँ । और धन्य हैं आपके देव पति । बेचारे कितने सहनशील धीरज धैर्य वाले प्राणी हैं । जो आपका पाँव घर में टिकता नहीं । तो भी उन्हें कोई शिकवा नहीं ।
1 टिप्पणी:
अपने नाम के आगे खुद ही ये उपाधि लगता है चु****
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