12 जून 2011

भारत का असली शुभचिंतक असली हमदर्द कौन है ?

वाह जी वाह ! धन्य हो गयी आँखे - आपका ब्लाग देखकर । मेरा नाम जगदीश खोपाराय है । मैं स्कूल से हैड मास्टर रिटायर हुआ हूँ । मुझे आपके ब्लाग के बारे में सुशील कुमार जी ने बताया है । हम लोग सुशील कुमार जी के पडोसी है ।
वैसे देखा जाये तो असली रिश्तेदार तो पडोसी ही होता है । वक्त बेवक्त पडोसी ही काम आता है । मेरे पास सुशील कुमार जी ने आपके ब्लाग की बहुत तारीफ़ की । सुशील कुमार जी ने आपको 1 साधु । सन्त । महात्मा । समाज सुधारक आदि कई उपाधियों से पुकारा । और आपकी बहुत तारीफ़ की । तो मैं भी हिम्मत करके आपसे कुछ पूछ्ने की कोशिश कर रहा हूँ । मुझे आशा है - आप इस बूढे आदमी का मान रखेंगे ।
राजीव जी ! मैं अपने मन की बात आपसे करना चाहता हूँ । मैं भारत । हिन्दुस्तान या इन्डिया कुछ भी कह लीजिये । मैं इस भूमि से बहुत प्यार करता हूँ । मुझे नही लगता कि इस भूमि से बढकर कोई भूमि पूरे विश्व में होगी । मैं तो इसे देव भूमि ही कहता हूँ ।

मेरा 1 बेटा विदेश में है । और दूसरा हमारे साथ रहता है । जो बेटा विदेश में रहता है । उसने हमें ( मुझे और मेरी पत्नी को ) विदेश में कई बार बुलाया है । लेकिन मेरा भारत छोडकर वहाँ जाने को दिल नहीं किया । अब मेरे को तो पता नहीं कि - मेरी कितनी साँसे या जिन्दगी का कितना समय बचा है ? मैं तो भारत में ही आखिरी सांस लेना चाहता हूँ ।
मैं आपसे आजकल के हालात के बारे में पूछना चाहता हूँ । बाबा रामदेव आजकल भूख हडताल पर बैठे है । उनकी सेहत खराब होती जा रही है । उनके सहयोगी ( पार्टी नेता या बडे आश्रम वाले बाबा लोग ) उनका अनशन तुडवाना चाहते है ।
अब अचानक कोई जाँच कमेटी कह रही है कि - बाबा रामदेव के पास 1100 करोड की प्रापर्टी है । कोई कहता है कि - ये सब 1 नाटकीय ढंग से हुआ काम है । जिस समय बाबा रामदेव की गिरफ़्तारी होने लगी । तो बाबा रामदेव भागने लगा था । लेकिन पुलिस ने फ़टाफ़ट धर दबोचा । ये दृश्य तो टीवी पर भी बारबार दिखाया गया था ।
फ़िर कहते है कि - बाबा की शायद थोडी बहुत पिटाई भी रात को की गयी । फ़िर बाबा का भूख हडताल पर बैठना । अब 2 दिन में ही बडे लोग हडताल ( अनशन ) तुडवाने में लगे है । बाबा पर 1100 की सम्पत्ति रखने का आरोप । क्या ये सब कुछ नाटकीय ढंग से हुआ कार्य तो नहीं ?

1 बात मैं आपको बताऊँ । साल 2007 में बाबा हमारे शहर आये थे । शायद 2 या 3 दिन का उनका कैम्प था । बहुत बडे मैदान में उनका कैम्प लगा था । मैं तो किसी कारण वहाँ जा नही पाया था । लेकिन मेरे 1 मित्र गये थे । उन्होंने आकर बताया कि - वहाँ की टिकट ही 200 रुपये थी ( सिर्फ़ 1 आदमी की ) जो दवायें बेची जा रही थी । वो बहुत महंगी थी । दवायें खरीदने का खर्चा ही 500 से लेकर 1000 रुपये तक पड जाता था ।
राजीव जी ! मैं फ़रवरी 2010 से रोज बाबा रामदेव का प्रोग्राम आस्था चैनल पर देखता आ रहा हूँ । ये प्रोग्राम रोज रात 8 बजे से लेकर 9 बजे तक 1 घन्टा आता है । ये प्रोग्राम जो फ़रवरी 2010 से शुरु हुआ है । ये कोई शारीरिक योगा व्यायाम का प्रोग्राम नहीं है । इस प्रोग्राम में बाबा रामदेव सिर्फ़ भारतीय लोगों के हित की बात करते हुय़े बहुत जोरदार भाषण देते थे । सुनने वाले दंग रह जाते थे ।
लेकिन अब कुछ खुसर फ़ुसर सुनने में आ रही है कि - ये सब भाषण भी बाबा रामदेव को अन्य छोटी पार्टियाँ कांग्रेस के खिलाफ़ लोगो को भडकाने के लिये कहलवा रही थी । बाबा रामदेव के पास जो इतनी जानकारी थी । सरकारी रिकार्डस की ( 50 -50 साल पुराने सरकारी रिकार्डस ) वो जानकारी कहाँ से आयी ?
दवाओं से इतना अधिक मुनाफ़ा पिछले कुछ सालों से लगातार कमाया जा रहा है । वो करोङों मे है । उसका असली मालिक कौन है ? अब तो बहुत से सवाल खडे हो रहे हैं । पता नहीं चल रहा कि - कौन असली चोर है ? और कौन नकली चोर ?

राजीव जी ! मैं यहाँ पर किसी की तरफ़दारी में नहीं बोल रहा । और न ही किसी की बुराई कर रहा हूँ । मैं मानता हूँ कि - कांग्रेस के समय में महंगाई बहुत बड गयी है । लेकिन अब तो दोनो तरफ़ ही चोर नजर आ रहे हैं । इसलिये समझ में नहीं आता कि - किस पर विश्वास करें ?
बाबा रामदेव भी गरीब और मध्यवर्गीय भारतियों के लिये लड रहा है । लेकिन उसकी दवायें की जो कीमत है । वो गरीब भारतीय दे नहीं सकता । मध्यवर्गीय भारतीय को भी वो कीमत राहत नहीं दे रही । मैं आपसे सच कह रहा हूँ । बाबा रामदेव की कई दवाओं से तो अंग्रेजी ( एलोपेथी ) दवायें सस्ती हैं । समझ नहीं आ रहा कि - भारत का कौन असली मित्र है ? भारत का असली शुभचिंतक या असली हमदर्द कौन है ?
अब ये भी सुनने में आ रहा है कि - बाबा रामदेव का अनशन कोई कांग्रेस का या कोई केन्द्रीय सत्त्ता का नेता तुडवाने नहीं आयेगा । अगर ऐसे ही चलता रहा । तो बाबा रामदेव कुछ ही दिनो में भूख हडताल से मर जायेगा । इसलिये उसके गुप्त सहयोगी ही नाटकीय ढंग से उसको ये हङताल तोडने को कह रहे हैं । बाबा 1 दिन में तो हडताल तोडेगा नहीं ( शायद नाटकीय ढंग से ) 1 या 2 दिन बाद देश के हित के नाम पर बाबा रामदेव ये भूख हडताल तोड देगा ।
राजीव जी ! ये सब क्या माजरा है ? आप इस पर कुछ अपने विचारों की रोशनी डालिये । मैं आपके पास उम्मीद लेकर आया हूँ । आपके पास ग्यान है । इसलिये मेरी प्रार्थना है कि - आप वाकई देश के हित के लिये जो उत्तम सुझाव है । वो अपने ब्लाग में पेश करें । जगदीश खोपाराय । पंचकूला । हरियाणा । ई मेल से ।

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धन्यवाद जगदीश जी ! सत्यकीखोज पर विद फ़ैमिली आपका बहुत बहुत स्वागत है । देश प्रेम और देशहित के आपके विचार जानकर बङी खुशी हुयी ।

कल 3 बजे टी टाइम चाय पीते हुये जब आपका मेल पढ रहा था । तब बाबा रामदेव जी का अनशन समाप्त होकर सत्याग्रह में बदल चुका था । और इस तरह से लगभग 10  दिन से जारी इस नाटक का परदा गिर चुका था । या यूँ कहिये । परदा उठ ( जनता की आँखों से ) चुका था ।
आपकी बात का मैं सारगर्भित और सही उत्तर दूँ । तो उसके लिये बहुत से पक्षों को विस्तार से समझाना होगा ।
इसलिये पहले आध्यात्मिक दृष्टि से इसका उत्तर देता हूँ । बाबा रामदेव । अन्ना हजारे आदि जैसे तमाम लोग इस भ्रांति के शिकार हो जाते हैं कि - वे ये सब कुछ स्वयँ कर रहे हैं ? और वे ऐसा या वैसा कर सकते हैं । या कोई नयी क्रांति ला सकते हैं । यह जीव के अहम मूल से उत्पन्न हुआ बहुत बङा भृम है ।
गहरायी से सोचें । तो सिर्फ़ यही बात भगवान की सत्ता को समाप्त कर देती है । या उस पर ? निशान लगा देती हैं । सच्चाई यह है । कठपुतली की तरह यह जीव और ये जगत सत्ता अदृश्य से बङे टाइट ढंग से संचालित है ।
मेरी दृष्टि में यह रामदेव का पतन है । और न चाहते हुये भी बरबस ही योग ऋषि से राजनीतिग्य में रूपांतरण होना है । अगर आप लोग रामदेव के इतिहास पर नजर डालें । तो पता चलेगा कि यहाँ तक योग आचार्य के पद तक पहुँचने के लिये उन्हें क्या क्या पापङ बेलने पङे । तब जाकर पिछली अथक मेहनत और लगन से यह परिणाम निकला । जबकि रामदेव ने कोई नया आविष्कार नहीं कर दिया था । जिससे दुनियाँ बहुत अधिक लाभान्वित हुयी हो । बल्कि उन्होंने योग के बेसिक और मामूली से ग्यान को अपनी मेहनत और प्रचार से जन जन में लोकप्रिय बना दिया बस ।

प्राचीन गुरुकुल परम्परा में जब शिष्य का प्रवेश होता था । तब ये चीजें पहले ही दिन से शुरू हो जाती थी । और इन्हें गुरुकुल के आचार्य नहीं बल्कि सीनियर छात्र नये छात्रों को सिखाते थे ।
अब भृष्टाचार खत्म करना समाज सुधारकों और उच्च विचार राजनीतिग्यों का कार्य है । जाहिर है । ये योग से एकदम अलग क्षेत्र है । अतः बाबा रामदेव को यहाँ भी कुछ क्रांति करनी है । तो ये मेहनत 0 से 100 तक करनी होगी । जबकि बाबा रामदेव एक तीर से दो शिकार करने के इच्छुक थे ।
प्रभुता पाय किन्हें मद नाहीं - रामदेव के साथ यही हुआ । जनता का भरपूर समर्थन और चन्दा पाकर रामदेव को लगा कि वही भारत के मसीहा हैं । वही सब कुछ बदलाव ला सकते हैं । इस हवा को उनके दोस्त और सहयोगी राजीव दीक्षित ( ही वास्तव में इस कार्यकृम के प्रणेता हैं ) ने भरपूर हवा दी । लिहाजा अधिक हवा से टयूब और टायर दोनों ही फ़ट गये ।
- वास्तविकता ये है कि प्रकृति के तीन गुणों में से तम गुण से भृष्टाचार उत्पन्न होता है । और ये रज गुण से क्रियाशील होता है । सत की शक्ति से स्थिति रहता है । अगर हम सिर्फ़ तम को ही लें । तो भृष्टाचार का समूल मिट जाना तमोगुण का मिट जाना होगा । अगर किसी अविश्वसनीय तरीके से तम गुण समाप्त हो जाय । तो सृष्टि की 50% चीजें समाप्त हो जायेंगी । अतः भृष्टाचार कभी नहीं मिट सकता । बस इसका लेवल अप डाउन होता रहेगा । वास्तव में यह हर युग में रहता है । क्योंकि सृष्टि तीन गुणों से ही कार्य कर रही है ।
कुल मिलाकर आप लोग आने वाले समय में बाबा रामदेव को एक बाबा टायप राजनीतिग्य के रूप में देखेंगे । वो भी असफ़ल आधी छोङ सारी को धावे । आधी मिले न सारी पावे ।
मत कर खुद को बुलन्द इतना । कि खुदा भी हैरानी से पूछे ।
इतना ऊँचा चढ तो गया । अब ( नीचे ) उतरेगा कैसे ?
*** ये आपने सच कहा । बाबा का इलाज कराना गरीबों की छोङों । छोटे मोटे अमीरों के वश की बात नहीं हैं । आप सभी का बहुत बहुत आभार ।

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