खुशी - पेड़ों को देखो । पक्षियों को देखो । बादलों में देखो । सितारों को देखो । और अगर आपके पास आँखें हैं । तो आप यह देखने में सक्षम होंगे कि - पूरा अस्तित्व खुश है । सब कुछ बस खुश है । पेड़ बिना किसी कारण के खुश हैं । वे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने नहीं जा रहे हैं । और वे अमीर बनने भी नहीं जा रहे हैं । और ना ही कभी उनके पास बैंक बैलेंस होगा । फूलों को देखिये । बिना किसी कारण के कितने खुश और अविश्वसनीय है ॥
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विपस्सना ध्यान की सरलतम विधि है । बुद्ध विपस्सना के द्वारा ही बुद्धत्व को उपलब्ध हुए थे । और विपस्सना के द्वारा जितने लोग उपलब्ध हुए हैं । उतने और किसी विधि से नहीं हुए । विपस्सना विधियों की विधि है । और बहुत सी विधियां हैं । लेकिन उनसे बहुत कम लोंगों को मदद मिली है । विपस्सना से हजारों लोंगों की सहायता हुई है । यह बहुत सरल विधि है । यह योग की भांति नहीं है । योग कठिन है । दूभर है । जटिल है । तुम्हें कई प्रकार से खुद को सताना पड़ता है । लेकिन योग मन को आकर्षित करता है । विपस्सना इतनी सरल है कि उस और तुम्हारा ध्यान ही नहीं जाता । विपस्सना को पहली बार देखोगे । तो तुम्हें शक पैदा होगा । इसे ध्यान कहें । या नहीं ? न कोई आसन है । न प्राणायाम है । बिलकुल सरल घटना - सांस आ रही है । जा रही है । उसे देखना । बस इतना ही । श्वास उच्छवास बिलकुल सरल हो । उनमें सिर्फ एक तत्व जोड़ना है - होश । होश के प्रविष्ट होते ही सारे चमत्कार घटते हैं ।
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सहज समाधि का अर्थ है । जहां आचरण ज्ञान का । अपने आप अनुसरण करता है । कराना नहीं पड़ता । तो एक
तो अहिंसा है पंडित की कि वह थोपता है । नियम लेता है । जमीन फूंक फूंक कर पैर रखेगा कि चींटी न मर जाए । रात भोजन न करेगा । पानी छानकर पीएगा । सब ठीक कर रहा है । कुछ भी गलत नहीं है इसमें । लेकिन कहीं गहरे में कुछ गलती हो रही है । वह गलती यह है कि यह वह कर रहा है । यह उससे हो नहीं रहा । इसमें योजना है । इसमें भविष्य का विचार है । इसमें पाप पुण्य का लेखा जोखा है । गणित है । यह वह कर रहा है ।
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गीत गाना दिव्य है । दिव्यतम घटनाओं में से एक है । केवल नृत्य ही इससे ऊपर है । नृत्य के बाद गायन ही आता है । और नृत्य करना । और गीत गाना दिव्य घटनाएं क्यों हैं ? क्योंकि यही वे घटनाएं हैं । जिनमें आप पूरी तरह से खो सकते हैं । आप गायन में इतना डूब सकते हैं कि गायक खो जाए । और केवल क्षण होता है । जब गायक नहीं बचता । और केवल गीत रह जाता है । जब आपका पूरा अस्तित्व । एक गीत या एक नृत्य बन जाता है । तो वही प्रार्थना है । आप क्या गा रहे हैं ? यह अप्रासंगिक है । चाहे वह कोई धार्मिक गीत न भी हो । लेकिन यदि आप उसे पूरे प्राणों से गा रहे हैं । तो वह पवित्र है । और इससे उलटा भी हो सकता है । सदियों से श्रद्धापूर्वक चला आ रहा कोई गीत भी यदि आप पूरे प्राणों से नहीं गा रहे हैं । तो वह अपवित्र है । गीत के बोलों का महत्व नहीं है । उसमें आप जो भाव लाते हैं । समग्रता, प्रगाढ़ता लाते हैं । वही महत्वपूर्ण है । किसी और का गीत मत दोहराएं । क्योंकि वह आपके ह्रदय से नहीं उठा है । और यह ढ़ग नहीं है । उस दिव्य के चरणों में अपने ह्रदय को उंड़ेलने का । अपने गीत को उठने दें । छंद और व्याकरण को भूल जाएं । परमात्मा कोई बहुत बड़ा व्याकरण का जानकार नहीं है । और उसे इसकी चिंता नहीं है कि आप किन शब्दों का प्रयोग करते हैं । उसकी उत्सुकता आपके ह्रदय में है ।
हाँ कहूँ तो है नहीं ना कही ना जाय ।
हाँ ना के बीच में साहिब रहा समाय ।
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मनु - डैडी ! ज्यादा काबिल कौन है । मैं या आप ?
डैडी - मैं, क्योंकि मैं एक तो तुम्हारा बाप हूँ । दूसरे उम्र में भी तुमसे बडा हूँ । और मेरा तजुर्बा भी तुमसे ज्यादा है ।
मनु - फ़िर तो आप जानते होगें कि अमेरिका की खोज किसने की थी ?
डैडी - कोलम्बस ने की थी ।
मनु - कोलम्बस के बाप ने क्यों नही की ? उसका तजुर्बा तो कोलम्बस से कहीं ज्यादा होगा ?
I want to remind you that whether I am here or not the celebration has to continue. If I am not here, then it has to be more intense and it has to spread around the world. Celebration is my religion. Love is my message. Silence is my truth - osho
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Look deeply. Find your roots. This silence is the miracle that you are carrying within yourself. Deeper and deeper and deeper, without any fear . it is your own sky. Open your wings and fly to any heights you want. There is no obstruction anywhere, just the courage is needed - Osho
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It is true what they say - You are what you think.
If you think you are bound . you are bound.
If you think you are free. you are free - Ashtavakra
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http://theextinctionprotocol.wordpress.com/2014/02/04/19-more-volcanoes-in-indonesia-raised-to-alert-level-status/
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विपस्सना ध्यान की सरलतम विधि है । बुद्ध विपस्सना के द्वारा ही बुद्धत्व को उपलब्ध हुए थे । और विपस्सना के द्वारा जितने लोग उपलब्ध हुए हैं । उतने और किसी विधि से नहीं हुए । विपस्सना विधियों की विधि है । और बहुत सी विधियां हैं । लेकिन उनसे बहुत कम लोंगों को मदद मिली है । विपस्सना से हजारों लोंगों की सहायता हुई है । यह बहुत सरल विधि है । यह योग की भांति नहीं है । योग कठिन है । दूभर है । जटिल है । तुम्हें कई प्रकार से खुद को सताना पड़ता है । लेकिन योग मन को आकर्षित करता है । विपस्सना इतनी सरल है कि उस और तुम्हारा ध्यान ही नहीं जाता । विपस्सना को पहली बार देखोगे । तो तुम्हें शक पैदा होगा । इसे ध्यान कहें । या नहीं ? न कोई आसन है । न प्राणायाम है । बिलकुल सरल घटना - सांस आ रही है । जा रही है । उसे देखना । बस इतना ही । श्वास उच्छवास बिलकुल सरल हो । उनमें सिर्फ एक तत्व जोड़ना है - होश । होश के प्रविष्ट होते ही सारे चमत्कार घटते हैं ।
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सहज समाधि का अर्थ है । जहां आचरण ज्ञान का । अपने आप अनुसरण करता है । कराना नहीं पड़ता । तो एक
तो अहिंसा है पंडित की कि वह थोपता है । नियम लेता है । जमीन फूंक फूंक कर पैर रखेगा कि चींटी न मर जाए । रात भोजन न करेगा । पानी छानकर पीएगा । सब ठीक कर रहा है । कुछ भी गलत नहीं है इसमें । लेकिन कहीं गहरे में कुछ गलती हो रही है । वह गलती यह है कि यह वह कर रहा है । यह उससे हो नहीं रहा । इसमें योजना है । इसमें भविष्य का विचार है । इसमें पाप पुण्य का लेखा जोखा है । गणित है । यह वह कर रहा है ।
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गीत गाना दिव्य है । दिव्यतम घटनाओं में से एक है । केवल नृत्य ही इससे ऊपर है । नृत्य के बाद गायन ही आता है । और नृत्य करना । और गीत गाना दिव्य घटनाएं क्यों हैं ? क्योंकि यही वे घटनाएं हैं । जिनमें आप पूरी तरह से खो सकते हैं । आप गायन में इतना डूब सकते हैं कि गायक खो जाए । और केवल क्षण होता है । जब गायक नहीं बचता । और केवल गीत रह जाता है । जब आपका पूरा अस्तित्व । एक गीत या एक नृत्य बन जाता है । तो वही प्रार्थना है । आप क्या गा रहे हैं ? यह अप्रासंगिक है । चाहे वह कोई धार्मिक गीत न भी हो । लेकिन यदि आप उसे पूरे प्राणों से गा रहे हैं । तो वह पवित्र है । और इससे उलटा भी हो सकता है । सदियों से श्रद्धापूर्वक चला आ रहा कोई गीत भी यदि आप पूरे प्राणों से नहीं गा रहे हैं । तो वह अपवित्र है । गीत के बोलों का महत्व नहीं है । उसमें आप जो भाव लाते हैं । समग्रता, प्रगाढ़ता लाते हैं । वही महत्वपूर्ण है । किसी और का गीत मत दोहराएं । क्योंकि वह आपके ह्रदय से नहीं उठा है । और यह ढ़ग नहीं है । उस दिव्य के चरणों में अपने ह्रदय को उंड़ेलने का । अपने गीत को उठने दें । छंद और व्याकरण को भूल जाएं । परमात्मा कोई बहुत बड़ा व्याकरण का जानकार नहीं है । और उसे इसकी चिंता नहीं है कि आप किन शब्दों का प्रयोग करते हैं । उसकी उत्सुकता आपके ह्रदय में है ।
हाँ कहूँ तो है नहीं ना कही ना जाय ।
हाँ ना के बीच में साहिब रहा समाय ।
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मनु - डैडी ! ज्यादा काबिल कौन है । मैं या आप ?
डैडी - मैं, क्योंकि मैं एक तो तुम्हारा बाप हूँ । दूसरे उम्र में भी तुमसे बडा हूँ । और मेरा तजुर्बा भी तुमसे ज्यादा है ।
मनु - फ़िर तो आप जानते होगें कि अमेरिका की खोज किसने की थी ?
डैडी - कोलम्बस ने की थी ।
मनु - कोलम्बस के बाप ने क्यों नही की ? उसका तजुर्बा तो कोलम्बस से कहीं ज्यादा होगा ?
I want to remind you that whether I am here or not the celebration has to continue. If I am not here, then it has to be more intense and it has to spread around the world. Celebration is my religion. Love is my message. Silence is my truth - osho
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Look deeply. Find your roots. This silence is the miracle that you are carrying within yourself. Deeper and deeper and deeper, without any fear . it is your own sky. Open your wings and fly to any heights you want. There is no obstruction anywhere, just the courage is needed - Osho
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It is true what they say - You are what you think.
If you think you are bound . you are bound.
If you think you are free. you are free - Ashtavakra
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